०२ विषय-सूची

अनुवाद (हिन्दी)

पद — पद-संख्या

विषय (हिन्दी)

अनुवाद (हिन्दी)

अँखियन ऐसी धरनि धरी — ३४१
अँखियन की सुधि भूलि गईं — ३४७
अँखियन तब तैं बैर धरॺौ — ३४३
अँखियन तैं री स्याम कौं — ३४६
अँखियन यहई टेव परी — ३३८
अँखियन स्याम अपनी करीं — ३४२
अँखियाँ जानि अजान भईं — ७३
अँखियाँ निरखि स्याम मुख भूली — ३३९
अँखियाँ हरि के हाथ बिकानीं — ३४०
अति रस लंपट नैन भए — ३१३
अब कैसें दूजे हाथ बिकाउँ — ७१
अब तौ प्रगट भई जग जानी — ४७
अब मैंहूँ इहिं टेक परी — ३३२
अब समझी यह निठुर बिधाता — ८८

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अनुवाद (हिन्दी)

आँखिन मैं बसै, जिय मैं बसै — १४०
आज के द्यौस कौं सखी — ९६
आपस्वारथी की गति नाहीं — १६५
आवतहीं याके ये ढंग — ३४८

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अनुवाद (हिन्दी)

इन्ह नैनन की कथा सुनावैं — १९५
इन्ह नैनन की टेव न जाइ — २९८
इन्ह नैनन सौं मानी हारि — ३२६
इन्ह नैनन सौं री सखी — ३२५
इन्ह बातन कहुँ होति बड़ाई — १८०
इन नैनन मोहिं बहुत सतायौ — १८४
इनहू मैं घटताई कीन्ही — ९७

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अनुवाद (हिन्दी)

एक गाउँ को बास धीरज — ५५

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अनुवाद (हिन्दी)

ऐसे आपस्वारथी नैन — २०५
ऐसे निठुर नाहिं जग कोई — २८३
ऐसे बस्य न काहुहि कोऊ — २२०

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अनुवाद (हिन्दी)

कपट कन दरस खग नैन मेरे — २११
कपटी नैनन तैं कोउ नाहीं — २७३
कब की मह्यौ लिऐं सिर डोलै — ६४
कब री मिले स्याम नहिं जानौं — ९८
कबहुँ कबहुँ आवत ये — २९१
करन दै लोगन कौं उपहास — ५४
कहति नंदघर मोहि बतावौ — ३८
कहा करैगौ कोऊ मेरौ — ४८
कहा करौं नीकैं करि हरि कौ — ९२
कहा करौं बिधि हाथ नहीं — ८७
कहा करौं, मन हाथ नहीं — ४५
कहा कहति तू मोहि री माई — ४१
कहा भए जो ऐसे लोचन — १७९
कहा भयौ जौ आपस्वारथी — २७४
कहाँ लगि अलकैं दैहौं ओट — १०४
का काहू कौं दोष लगावैं — ७८
कान्ह माखन खाहु, हम सु देखैं — ९
कियौ यह भेद मन, और नाहीं — १७८
कुल की कानि कहाँ लगि करिहौं — १४९
कुल की लाज अकाज कियौ — १४७
को इन्ह की परतीति बखाने — २८०
को जानै हरि कहा कियौ री — १०२
कोउ माई लैहै री गोपालै — ३२
क्यौं सुरझाऊँ नंदलाल सौं — ११८

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गन गंधर्ब देखि सिहात — १५
गोपिका अति आनंद भरी — ११
गोपिनि हेत माखन खात — १३
गोपी कहतिं धन्य हम नारी — १४
गोपी स्याम रंग राँची — १३१
(माई री) गोबिंद सौं प्रीति करत — ५०
गोरस कौ निज नाम भुलायौ — ३०
गोरस लेहु री कोउ आइ — १९
ग्वालिन फिरत बिहाल सौं — ३१
ग्वालिनी प्रगट्यौ पूरन नेहु — ३३

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चक्रित भईं घोष कुमारी — २१
चली प्रातहीं गोपिका — २८

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छोटी मटकी मधुर चाल चलि — ३४

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जद्यपि नैन भरत ढरि जात — २०३
जब तैं नैन गए मोहि त्यागि — २५५
जब तैं प्रीति स्याम सौं कीन्ही — १०१
जब तैं हरि अधिकार दियौ — २०२
जाकी जैसी टेव परी री — २९९
जाकी जैसी बानि परी री — ३३४
जातैं पर्यौ स्याम घन नाउँ — २७०
जा दिन तैं हरि दृष्टि परे री — १००
जान देहु गोपाल बुलाई — १
जान दै स्यामसुंदर लौं आज — ८
जुबति गई, घर नैक न भावत — २४
जे लोभी ते देहिं कहा री — २०६
जौ देखौं तौ प्रीति करौं री — ९३
जौ बिधना अपबस करि पाऊँ — ८६

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अनुवाद (हिन्दी)

टरति न टारें छबि मन जु चुभी — १०५

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ढीठ भए ये डोलत हैं — १९२

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तब तैं नैन रहे इकटकहीं — २३४
तब नागरि मन हरष भई — ६८
तबहीं तैं हरि हाथ बिकानी — ९९
तिन कौं स्याम पत्याने सुनियत — २२९
तुम्ह कैसें दरसन पावति री — १५४
तुम्ह देखे, मैं नाहिं पत्यानी — ७२
तैं मेरें हित कहति सही — ५९

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थकित भए मोहन मुख नैन — २७७

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दधि बेचति ब्रज गलिनि फिरै — २९
दधि मटकी सिर लिऐं ग्वालिनी — ३५
देखियत दोउ अहँकार परे — १५७
देखत हरि के रूपै नैना — ३३६
देखन दै पिय, मदनगुपालै — २
देखन दै बृंदावन चंदै — ३
देखेहुँ अनदेखे से लागत — १५६
देह धरे कौ कारन सोई — ७०
द्वै लोचन तुम्हरें, द्वै मेरें — ७५
द्वै लोचन साबित नहिं तेऊ — ८९

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अनुवाद (हिन्दी)

धन्य धन्य अँखियाँ बड़भागिन — ३४४

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नखसिख अंग अंग छबि देखत — १५८
नट के बटा भए ये नैन — ३२९
नर नारी सब बूझत धाइ — ३७
नागरी स्याम सौं कहति बानी — १५३
नाचत नैन, नचावत लोभ — ३२३
ना जानौं तबही तैं मौकौं — ११०
नाहिं ढीठ, नैनन तैं और — ३११
निस दिन इन्ह नैनन कौं आली! — १३५
नैक नाहिं घर सौं मन लागत — २६
नैन आपने घर के री — १८२
नैन करत घरही की चोरी — ३१५
नैन करैं सुख, हम दुख पावैं — १९४
नैन खग स्याम नीकें पढ़ाए — २१२
नैन गए न फिरे री माई — २५४
नैन गए री अति अकुलात — २६७
नैन गए सु फिरे नहिं फेरि — २३२
नैनाहिं ढीठ अतिहीं भए — ३०१
नैन तौ कहे मैं नाहिं मेरे — १८७
नैन न मेरे हाथ रहे — १६८
नैनन ऐसी बानि परी — २८८
नैनन कठिन बानि पकरी — २८१
नैनन कोउ समुझावै री — २४६
नैनन कौं अब नाहिं पत्याउँ — १९७
नैनन कौ मत सुनौ सयानी — ३०३
नैनन कौं री यहै सुहाइ — ३३५
नैनन तैं यह भई बड़ाई — २००
नैनन दसा करी यह मेरी — २७९
नैनन देखिबे की ठौरि — २३३
नैन निरखि, अजहूँ न फिरे री! — २३१
नैनन नींद गई री निसि दिन — १३७
नैनन प्रान चोरि लै दीने — ३१६
नैनन बान परी नहिं नीकी — २८२
नैनन भलौ मतौ ठहरायौ — ३०४
नैनन यह कुटेव पकरी — २६३
नैनन साधैं नाहिं सिराइँ — ३०७
नैनन साधे ही जु रही — ३०६
नैनन सिखवत हारि परी — ३२४
नैनन सौं झगरौ करिहौं री — २५७
नैनन हरि कौं निठुर कराए — २७२
नैनन हौं समुझाइ रही — २८९
नैन परे रस स्याम सुधा मैं — १७३
नैन परे हरि पाछें री — १७४
नैन भए अधिकारी जाइ — २०१
नैन भए बस मोहन तैं — २१९
नैन भए बोहित के काग — २५०
नैन भए हरिही के — १९०
नैन मिले हरि कौं ढरि भारी — २२४
नैननि तैं हरि आपु स्वारथी — २६९
नैन स्याम सुख लूटत हैं — २६५
नैन परे बहु लूटि मैं — १८१
नैना अटके रूप मैं — २६१
नैना अतिहीं लोभ भरे — २०४
नैना, इहिं ढंग परे — २४१
नैना उनही देखें जीवत — ३२०
नैना ओछे चोर अरी री — २३८
नैना कहें न मानत मेरे — २९०
नैना कह्यौ न मानैं मेरौ — १८३
नैना कह्यौ मानत नाहिं — २८६
नैना खोज परे हैं ऐसे — २४०
नैना घूँघट मैं न समात — २८४
नैना झगरत आइ कैं — ३०२
नैना नहिं आवैं तुव पास — १७२
नैना नाहिन कछू बिचारत — ३२१
नैना निपट बिकट छबि अटके — २६०
नैना नीके उनहिं रए — १७१
नैना नैनन माँझ समाने — २३५
नैना बहुत भाँति हटके — ३२७
नैना बीधे दोऊ मेरे — २१७
नैना भए पराए चेरे — ३३३
नैना भए प्रगटहीं चेरे — २१४
नैना भए बजाइ गुलाम — १७७
नैना भरे घर के चोर — २०७
नैना मानत नाहिन बरज्यौ — २८५
नैना मानऽपमान सह्यौ — २५२
नैना मारेहू पै मारत — २३९
नैना मेरे अटके री, माई — २२२
नैना मेरे मिलि चले — २५६
नैना मोकौं नाहिं पत्याहिं — २९४
नैना रहैं न मेरे हटकें — २५९
नैना लुब्धे रूप कौं — १९१
नैना लौनहरामी ये — २२३
नैना लोभै लोभ भरे — २३७
नैना हरि अंग रूप लुब्धे — १७५
नैना हाथ न मेरे आली — १८८
नैना ऐसे हैं बिसवासी — २१३
नैना हैं री ये बटपारी — २२८
नंद के द्वार नँद गेह बूझे — ३९
नंद कें लाल हर्ॺौ मन मोर — १०६
नंद नँदन बिन कल न परै — १४१
नंदलाल सौं मेरौ मन मान्यौ — ५३

विषय (हिन्दी)

अनुवाद (हिन्दी)

परी मेरे नैनन ऐसी बानि — २८७
पलक ओट नहिं होत कन्हाई — २७
पावै कौन लिखे बिन भाल — ७६
पिय! जिन रोकै, जान दै — ५
प्राननाथ हो, मेरी सुरति किन करौ — १५०
प्रेम सहित हरि तेरें आए — ११२

विषय (हिन्दी)

अनुवाद (हिन्दी)

बहुत भाँति नैना समझाए — ३२८
बार बार मोहि कहा सुनावति — ४२
बिकानी हरि मुख की मुसकानि — ४६
बिधनाँ चूक परी मैं जानी — ७४
बिधनाँ यह संगति मोहि दीन्ही — १४३
बिमुख जनन कौ संग न कीजै — १४४
बीच कियौ कुल लज्जा आइ — १४६
बेचति ही दधि ब्रज की खोरी — ३६
बैठि गईं मटकी सब धरि कें — २०
ब्रज की खोरिहिं ठाढ़ौ साँवरौ — १३९
ब्रज बसि काके बोल सहौं — ६६
ब्रजहिं बसें आपुहिं बिसरायौ — ६७

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अनुवाद (हिन्दी)

भई गई ये नैन न जानत — २४८
भई मन माधौ की अवसेर — ६५
भली करी उन्ह स्याम बँधाए — २०८

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मन के भेद नैन गए माई — १६७
मन तैं ये अति ढीठ भए — १६९
मन तौ गयौ, नैन हे मेरे — १६१
मन तौ हरिही हाथ बिकान्यौ — १६०
(मेरौ) मन न रहै कान्ह बिना — ११३
मन न रहै सखि! स्याम बिना — १३६
मन बिगर्यौ, येउ नैन बिगारे — १६४
मन मधुकर पद कमल लुभान्यौ — ८२
मन मेरौ हरि संग गयौ री — ११४
मन लुबध्यौ हरि रूप निहारि — ८४
मन हरि लीन्हौ कुँवर कन्हाई — १११
मन हरि लीन्हौ कुँवर कन्हाई — १२४
मन हरि सौं, तन घरहिं चलावति — २३
मनहिं बिना का करौं सखी री — ११६
माई! कृष्न नाम जब तैं स्रवन सुन्यौ — १२२
माखन की चोरी तैं सीखे — ११७
माखन दधि हरि खात ग्वाल सँग — १०
मेरे इन्ह नैनन इते करे — २७८
मेरे कहे मैं कोउ नाहिं — ४४
मेरें जिय यहई सोच परॺौ — १६३
मेरे दधि कौ हरि! स्वाद न पायौ — १२
मेरे नैन कुरंग भए — २१८
मेरे नैन चकोर भुलाने — २४३
मेरे नैननही सब खोरि — २९५
मेरे नैननही सब दोष — २९२
मेरे नैना अटकि परे — ३०५
मेरे नैना दोष भरे — २९३
मेरे नैना ये अति ढीठ — ३१०
मेरे माई! लोभी नैन भए — २३६
मेरौ मन गोपाल हरॺौ री — १०७
मेरौ मन तब तैं न फिरॺौ री — १०८
मेरौ मन हरि चितवनि अरुझानौ — ५७
मेरौ माई! माधौ सौं मन मान्यौ — ५२
मैं अपनौ मन हरत न जान्यौ — ११९
मैं अपनौ मन हरि सौं जोरॺौ — ५१
मैं मन बहुत भाँति समझायौ — ११५
मोतैं नैन गए री ऐसें — ३३०
मोहन बदन बिलोकि थकित भए — २७६
मोहन मुरलि बजाइ रिझाई — १३८
मोहन (माई री) हठ करि मनै हरत — १५९
मोहू तैं वे ढीठ कहावत — २५८

विषय (हिन्दी)

अनुवाद (हिन्दी)

यह कहि मौन साध्यौ ग्वारि — ६१
यह तौ नैननहीं जु कियौ — २४२
यह नैनन की टेव परी — २५३
यह सब नैननही कौं लागै — २९६
यह सब मैं ही पोच करी — १०९
या घर मैं कोउ है कै नाहीं — १७
ये अँखियाँ बड़भागिनी — ३४५
ये नैना अतिहीं चपल चोर — ३१४
ये नैना अपस्वारथ के — २२१
ये नैना मेरे ढीठ भए री — ३००
ये नैना यौं आहिं हमारे — १९६
ये लोचन लालची भए री — ३१७

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रति बाढ़ी गोपाल सौं — ४
राधा! तैं हरि के रँग राँची — १२३
राधा नँद नंदन अनुरागी — १३०
राधा मोहन सहज सनेही — १२९
राधा स्याम रंग रँगी — १४५
राधा हरि अनुराग भरी — १२५
राधेहि मिलेहुँ प्रतीति न आवति — १५५
रीती मटकी सीस धरैं — १८
रीती मटकी सीस लै — १६
रोम रोम ह्वै नैन गए री — २३०

विषय (हिन्दी)

अनुवाद (हिन्दी)

लहनी करम के पाछैं — ७९
लोक सकुच कुल कानि तजी — २५
लोचन आइ कहा ह्याँ पावैं — १९९
लोचन गए निदरि कैं मोकौं — १७०
लोचन चोर बाँधे स्याम — २०९
लोचन टेक परे सिसु जैसें — २९७
लोचन भए अतिहीं ढीठ — २२५
लोचन भए पखेरू माई — २१०
लोचन भए पराए जाइ — ३३१
लोचन भए स्याम के चेरे — १८५
लोचन भए स्यामहि बस — १७६
लोचन भूलि रहे तहँ जाई — २६२
लोचन भृंग कोस रस पागे — २१६
लोचन मानत नाहिन बोल — ३१९
लोचन मेरे भृंग भए री — २१५
लोचन लालच तैं न टरे — २४५
लोचन लालची भारी — ३१२
लोचन लोभ ही मैं रहत — ३१८
लोचन सपने कें भ्रम भूले — ३०९
लोभी नैन हैं मेरे — २६८

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अनुवाद (हिन्दी)

सखि, मोहिं हरि दरस रस प्याइ — ४९
सखी वह गई, हरि पैं धाइ — ६२
सखीं सखी सौं धन्य कहैं — १२८
सजनी! नैना गए भगाइ — २७५
सजनी! मनैं अकाज कियौ — १६२
सजनी! मोतैं नैन गए — २६६
सतर होति काहे कौं माई! — १९८
सबै हिरानी हरि मुख हेरें — ४३
सिर मटकी, मुख मौन गही — ६३
सुंदर स्याम कमल दल लोचन! — १४८
सुंदर स्याम पिया की जोरी — १२६
सुन री सखी, बात एक मेरी — ६०
सुन री सखी, बचन इक मोसौं — ७७
सुनि री सखी! दसा यह मेरी — ९५
सुनौ सखी! मैं बूझति तुम कौं — ८१
सुनौ सखी! हरि करत न नीकी — १२१
सुनहु स्याम! मेरी इक बात — १५२
सुनौ स्याम! मेरी बिनती — ६९
सुनि सजनी! तू भई अयानी — १९३
सुनि सजनी! मेरी इक बात — ८५
सुनि सजनी! मोसौं इक बात — २६४
सुनि सजनी! ये ऐसे लागत — १२७
सुनि री ग्वारि मुग्ध गँवारि — ४०
सुभट भए डोलत ये नैन — २२६
सेवा इन की बृथा करी — २२७
स्याम अंग निरखि नैन — ३०८
स्याम करत हैं मन की चोरी — १२०
स्याम घन ऐसे हैं री माई! — २७१
स्याम छबि लोचन भटकि परे — २४९
स्याम जल सुजल ब्रजनारि खोरैं — १३२
स्याम बिना यह कौन करै — २२
स्याम रँग रँगे रँगीले नैन — १८९
स्याम रूप देखन की साध भरी माई — ८०
स्याम रूप मैं री मन अरॺो — १३४
स्याम रंग नैना राँचे री — ३२२
स्याम रंग राँची ब्रजनारीं — १३३
स्याम सखि नीकैं देखे नाहिं — ८३
स्याम सौं काहे की पहचानि — ९१
स्याम मैैं कैसैं पहचानौं — ९०

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अनुवाद (हिन्दी)

हम अहीर ब्रजबासी लोग — १४२
हम तैं गए, उनहु तैं खोवैं — १६६
हरि छबि अंग नट के ख्याल — २४७
हरि छबि देखि नैन ललचाने — १८६
हरि दरसन की साध मुई — ९४
हरि देखन की साध भरी — ६
हरि देखे बिनु कल न परै — ५६
हरि मुख बिधु, मेरी अँखियाँ चकोरी — २४४
हरि मेरे आँगन ह्वैजु गए — १०३
हरिहिं मिलत काहे कौं घेरी — ७
हारि जीति दोऊ सम इन कें — ३३७
हारि जीति नैना नहिं जानत — २५१
हों या माया ही लागी, तुम — १५१
हौं सँग साँवरे के जैहौं — ५८