ॐ नमो भगवते …

विश्वास-प्रस्तुतिः

ॐ᳓ न᳓मो भ᳓गवते वासुदेवा᳓य॥

मूलम्

ॐ नमो॒ भग॑वते वासुदे॒वाय॑॥

भगवच्-छब्दः (द्रष्टुं नोद्यम्)

“भगवान् " इस शब्द में “भ ग व अन्” ऐसे चार वर्ण हैं ।
“अन्” को उलटने पर “न” बन जाता है ।
पहले तीन वर्गों से
ज्ञान, शक्ति, बल, ऐश्वर्य, वीर्य, और तेज ये ६ गुण बतलाये जाते हैं ।
“न” से दोषाभाव बतलाया जाता है। +++(5)+++
“भगवान् " इस शब्द से सम्पूर्ण ६ गुणों से युक्त एवं निर्दोष भगवत्तत्त्व
बतलाया जाता है ।

इति नीलमेघाचार्यः।

वासुदेव-शब्दः (द्रष्टुं नोद्यम्)

वस्-धातोर् वासु-शब्द आगतः।
तेनान्तर्व्याप्तिर्, बहिर्-व्याप्तिश् च सिध्यति।