०४ श्लोक-प्रतीकानि

मातृकाक्रमेण-प्रतिचरणगत-श्लोक-प्रतीकानाम् अनुक्रमणिका

TW

ग्रन्थनाम

भा

श्लोकप्रतीकानि अकर्त्ता : सम- अकामः सर्व कामो

[[39]]

१२१ अनु, १६५ अनु, २१६ अनु, ४६

अजामिलोऽप्य-

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

[[२६३]]

अजस्य च भवस्य

भा

[[६१३]]

भा ६८ अनु, ११५ अनु,

अजस्रभावा

भा

[[१५७]]

[[४८५]]

अकामादपि

वृ नारद

४०१ अजितरुचिर-

[[91]]

१८७ अनु

अकारश्व. प्यकारश्व

पद्म

५१४ अज्ञानं यदतो-

गो

१०५ अनु

अकारेणैव चोच्यते

पद्म

५१६ अज्ञानञ्च निरस्तं

भा

[[१४७]]

अकारेणोच्यते

पद्म

F

५१५ अज्ञानां कर्म-

गी

[[५०२]]

अकालमृत्यु-

वृ नारद

५०० अज्ञानिनः सुर-

गरुड़

[[१०३६]]

अकिञ्चनप्रार्थ्य-

भा

८५६ अज्ञेषु ताप-

भा

[[१४३]]

अकिञ्चनानां

भा

४६० अञ्जः पुंसा-

भा

[[६३५]]

[[714]]

अकुवन् याति

अक्रीतलभ्येषु

वि र नृसिंह

६४५ अञ्जसा विन्दतें

भा

७४ अनु

[[२०५]]

अत आत्यन्तिकं

भा

५६ अनु

अक्र रस्त्वभिवन्दने

[[४७७]]

अत ऊर्ध्व

गो

[[१६०]]

अक्र रे क्र रके

भा

[[१०५३]]

अतः कलौ

ब्रह्मव

[[८३१]]

अक्षरं ब्रह्म अक्षीण वासनं

अखण्डरस

अग्निपुत्रा अग्निहोत्रादिना

गी

१७६ अनु

अतः पुंभि-

भा

३ अनु, १६

pe

CE

भा

[[१६७]]

अतः पृच्छामि

भा

[[१५०]]

ना प

८१७ अतिथौ हृदये

भा

[[१०३]]

कूर्म

१०२६ अतो गुरु

[[८६६]]

भा

२३८ अनु

अतो व कवयो

भा

३ अनु, ६६ अनु,

अग्नेर्योनि-

THE

भा

[[६६४]]

१४० अनु, २८

अघं धुन्वति अर्घाच्छित् FRIE

अङ्गक्रियेब्वपूर्व

भा

३०६, ३४७ अत्र सर्वो

भा

व चि

८४२ अत्र स्यादुस-

हय प

११५ अनु ५७१

भा

२२२ अनु

अत्रानुवण्यते-

भा

८६ अन, १४०

अङ्गरागार्पणे

अङ्गस्यास्मत्पितुः

अचिरान्मुच्यते

अच्युतप्रिय-

TH

[[19]]

१०२५ अथ चित्तं

गी

[[१६१]]

[[37]]

६१२ अथ भागवतं

भा

[[५४२]]

अङ्गिरा भगवानृषिः

[[27]]

५३३ अथ भागवता यूयं

भा

१८६ अनु, २१६

"

१०३ अथ मां सव्व-

भा

[[१२५७]]

[[11]]

१६६१ अथर्व्वाङ्गीरस-

नृ ता

१०६ अनु

२ ]

श्लोकप्रतीकानि

P

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

अथवास्य पदा-

भा

१५६, ७६२ अनिन्दामन्यत्र

भा

१०६ अनु

अथात आनन्द-

भा

१०४७ अनिमित्तनिमित्तेन

भा

[[६६२]]

अथानघाङ -

भा

५३१ अनिवेद्य तु भुञ्जानः

तु भुञ्जानः

ब्रह्माण्ड

[[६६१]]

अथापि भूमन्

भा

१७६ अनु

अनिवेद्य न भुञ्जीत

ब्रह्माण्ड

[[६६०]]

अथापि मे दुर्भगस्य

भा

[[४४६]]

अनीहं हरि-

भा

[[४६४]]

अथैतत् परमं

भा

२४२ अनु, १२२ २४२ अनु, १२२

अनीहो मितभुक्

भा

[[५७६]]

अथैतदप्यशक्तो-

गो

[[१६३]]

अनुक्रमिष्ये

"

[[७६८]]

अथेनं मापनयत

भा

४५३ अनुग्रहा येह

[[19]]

[[५२३]]

अथो न पश्यन्त्यु-

[[19]]

अथो महाभाग

"

५२५ अनुग्रहेण शृणव

३२७ अनुजानीहि मां

[[६१०]]

"

भा

[[१४५]]

अदादन्यत्र भगवान्

स्कन्द

८११ अनुपनीत-

नृ ता

१०६ अनु

अदोग्धा धर्म

भा

२६२ अनु शर्व्वाव-

भा

१०६ अनु

अद्य प्रभृति

स्कन्द

६५२ अनेकजन्मजनित-

ब्रह्मव

[[६]]

अद्वेष्टा सव्व-

गो

२०० अनु अनेकजन्मसंसार-

विध

[[५२६]]

अधर्माद्य चतुष्कन्तु

ना प

२८६ अनु

अन्तं गतोऽपि

गरुड़

[[२८४]]

अधर्मशीलस्य

P

भा

५२३ अन्तरायतया-

भा

१६८ अनु

अधियज्ञोऽहमेवात्र

गो

१७६ अनु

अन्तर्व हिःस्नान

"

[[५३१]]

अधीतवान्

भा

अधीतास्तेन

विध

अध्यगान्महदा- अनन्तचरणेन

अनन्तरं त्ववहि- अनन्यचेताः

भा

[[५४६]]

७८८ अन्ते नारायण-

८१५ अन्तेवास्युत्तरा-

अन्नपानाद्य-

भा

[[४५१]]

[[६२२]]

[[91]]

ब्रह्माण्ड

[[६६०]]

भा

३२० अनु

अन्यत्र चैष एवं

भा

[[१०७३]]

"

[[५३६]]

अन्यत्र धर्मा-

कठ

१८० अनु

अनन्यनिमित्त-

गो

भा

[[५०८]]

अन्यत्र ब्राह्मण-

भा

[[७३६]]

२३४ अनु

अन्यत्र भूताच्च

कठ

१८० अनु

अनन्यविषया

अनन्यव स्यानु- अनन्यशरण- अनन्याश्चिन्तयन्तो

"

"

७४ अन्यत्राच्युत-

भा

[[७३६]]

५८६ अन्यथा म्रियमाणस्य

"

[[४५०]]

भा

[[४४१]]

अन्यनाम्नां

वामन

[[८१०]]

गो

४५७, ४६६

अन्यायेन शृणोति

ना प

[[७१६]]

अनयोस्तीर्थयो-

अनर्थोपशमं

अनादिनिधनो

अनाशोः काम

TE

[[99]]

अनिच्छ्यापि

ब्रह्म

आ वराह

[[६८०]]

अन्ये च देवा

भा

[[२१२]]

भा

११४ अनु

अन्वयव्यतिरेका-

भा

[[२६५]]

१४२ अपराध सहस्राणि

स्कन्द

६७६, ६७८

५०५ अपराधसहस्रण

३६६ अपराधानु जहाति

स्कन्द

[[६७४]]

आ वराह

[[६८०]]

श्लोकप्रतीकान। मनुक्रमणिका ]

[ ३

विध

[[६८४]]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

अपरीक्ष्योपदिष्ट अपरेयमित-

ब्रह्मवै

मो

६०६ अभ्यासयोगेन ततो ५७६, ५८६ अभ्यासेऽप्यसमर्थो-

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

गो

अपरे हत- अपश्यतामात्म-

अपापमसुरः

अपारमभिधावताम्

[[19]]

भा

भा

१०४० अमात्सय्यं

[[१६१]]

[[१६२]]

म भा

[[१८२]]

४० अमानित्व-

गी

१०५ अनु

३३६ अमरनिना मानदेन

अमानी मानदः

भा

[[५८०]]

अपि चेत् सुदुरा-

मी १६५ अनु, १७२-७३

अमाययानुवृत्त्या

भा

[[६१८]]

अनु, २०० अनु, २४७

अमी हि पश्च-

पद्म

[[५८३]]

अनु, ३१२ अनु, ३०४

अयं देवो

गरुड़

[[१२४६२]]

अपि तुल्यार्थ-

भा

१३४ अन्

अयं भगवतो-

भा

[[६१]]

अपि धर्माय

पद्म

[[३६४]]

अयं यो मानसो

मा प

२८६ अनु

अपि पातक-

वृ नारद

८५३ अयं स्वस्त्ययनः

भा

[[८७०]]

अपुत्रोऽपि स वै

स्कन्द-१००२ अयं हि सर्व-

भा

[[१०५५]]

अपूज्य भोजनं

विध

अध्यजितरुचिर-

भा

२७९ अनु

८७२ अयुतस्य जपे- अयोनिविष्णु-

ख स त

[[४३५]]

म भा

[[१६५]]

अप्युत्तमाङ्ग

[[19]]

[[५६]]

५६ अरिश्चैव च

स कु सं

अप्रारब्धफलं

पद्म

अभक्तो नरके

अप्रमत्तो

अप्राप्य मां

[[21]]

गो

स्कन्द

५८० अर्चादावर्चयेत्तावत्

२०७ अर्चादावर्चयेद्यो

३५३ अर्चाय / मेव

[[३५३]]

३६३ अर्चनं मन्त्र-

[[३६३]]

भा

भा

१०६ अनु, २५४ ६७६

म २४५ अनु, २४६ ५४६

[[५६०]]

अभक्ष्येण समं

स्कन्द

८७१ अर्चनं वन्दनं

भा

[[४७५]]

अभजत् पुरुष-

भा

[[७१]]

७१ अर्चन्नुभयतः

भा

[[९३२]]

अभयं दर्शितं

भा

१४५ अर्चयन्ति सदा

वि र

[[८७७]]

अभयं सव्वंथा

राम, गरुड़ ४०८, ४०६

अभावे न ह्य

शब्द

अभिचाराव-

भा

अच्चयित्वा जगद्-

३२५ अनु अच्चयित्वा तु गोविन्दं

३३८ अच्चयेद्दानमाना-

पद्म २८५ अनु, ७३८

पद्म

[[६०५]]

भा

[[२५७]]

अभिमानोऽखिला-

भा

१०१८ अचदा हृदये

भा

२८६ अनु

अभिषेचयितुं

स्कन्द

१००३ अर्चायां स्थण्डिले-

[[99]]

[[६८७]]

अभिसन्धाय यो

भा

६७५ अच्चितश्चार्चये

ब्रह्म

[[४२३]]

अभेदेन मया

भा

६६५ अच्चिताः सर्व्व-

स्कन्द

[[३१४]]

अभेदेनोच्यते

हय प

३७२ अचिचते देव-

स्कन्द

[[३१४]]

अभ्यर्चती स्वलक- अभ्यासयोगयुक्त ेन

भा

३०८ अच्चेय विष्णौ

पद्म

[[२४८]]

गो

१७६ अनु अर्थज्ञात् संशय-

भा

[[२६२]]

श्लोक प्रती का नि अर्थपञ्चकविद्- अर्थवाद हरे-

अर्थानर्थेक्षया

ग्रन्थनाम

पा

का. स

भा

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

५५६ अवतातप्त-

४२५ अव्रतेन क्षिषेद्-

[ श्रीश्रीभक्तितन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भा

[[७२६]]

स्कन्द

[[६४६]]

७० ३ अशक्यमुक्तं

[[10]]

विध

[[७८५]]

अर्थानारभते

[[13]]

कद अशोतिञ्चतुर-

ब्रह्मवं -ST

[[२७०]]

अर्वाक् पतन्त-

६८१ अशुभं विद्यते

सहस्रनाम

[[४४७]]

अलकुर्वीत

भा

६२१ अशेषजन्मोप-

भा १७२ अनु, ६१६,८४८

अवजानन्ति माँ

१०६३ अशेषोपनिषद्वेद्यं

स्कन्द

[[१००३]]

अवज्ञानात्मतां

भा

६१९ अश्नामि प्रयता-

बी

३१०, १०३६

अवतारकथां

T

७७० अश्रद्दधानः तुरुषा

गो

[[२०७]]

अवधारणवाच्येक

पद्म

-PE ५१६

५१६ अश्रद्दधाने विमुखे-

पद्म

१७३ अनु, ७६६

अवधूतेन

भा

१०२७ अश्रेयसि नियोजनम्

ना प

२८६ अनु

अवमन्य प्रयान्ति

पद्म

८१७ अश्रौष्म भक्तो

भा

[[१४४]]

अवरः श्रद्धयो-

भा

दद

अश्वमेधसहस्रा-

स्कन्द७७२

अवाङ्मुखः

निरुक्त

४१३ असङ्कल्पाज्जयेत्

भा

[[७०३]]

अवात्सोनारदो –

भा

[[५४७]]

५४७ असङ्गविज्ञान-

भा

[[६१७]]

अविचार्य गुरु ब्रह्म के

६०७ असज्जितात्मह

भा

[[८५]]

अविच्युतोऽर्थः

अविज्ञाय विधानो-

भा८२०

८२० असत्त्वात् कुमनीष्यसौ

किर८७६ असत्यपरि-

भा

[[१०२६]]

हि

ब्रह्मवै

[[५०१]]

अवितारमिवा

भा

३८१ असत्सु विहितो-

भा

[[७३२]]

अविद्यमानो-

भा

६७ असद्वद्यापारो

वि या

[[६५१]]

अविद्यां निर्दहत्याशु

पद्म

३५५ असाकल्ये

अमर

१४१ अनु

अविद्याकर्म-

वितुः

५७५ असिते मुदिरें

चिन्ता

[[२२२]]

अविपक्ककषायान

भा ४४६, ५४० अस्ति यज्ञपति-

भा

[[६११]]

अविवेकेन

भा

१०१६ अस्ति को

भा

[[१५३]]

अविश्रान्ति

यद्म

४३३, ८१८ अस्तु तावत्

गौत

[[२४२]]

अविस्मितं तं

भा १०६ अनु, २०८

अस्त्वेवमङ्ग

THE

भ १४१ अनु, १४७ अनु,

अविस्मृतिः कृष्ण- अविस्मृतिः श्रीधर- अवैष्णवोपदिष्टेन

अव्यक्त पर्यु -

अव्यक्तासक्त-

अव्यक्ता हि अव्याहतबले-

भा

१५६, ८५०

of

२३६ अनु

नाप

भा१५५ अम्माल्लोकात्

२३८, ६२१ अस्मिल्ँलोकेऽथवा-

बृ

भा

६२ अनु

[[८८७]]

गो

[[२०१]]

अस्मिल्ँलोके वर्तमानः

भा

[[५०६]]

गौ १११ अनु, २०३

अस्मिन् देहे

हय प

[[६१०]]

गो

२०३ अस्याधिष्ठातृ-

TW … - २८५

भा

८४ अनु

अहं कृत्स्नस्य

गी

ཟྭ;

अनु

[[५६०]]

श्लोकप्रतीकानि

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

[ ५

श्लोकानुच्छेदाः

अहं त्वकाम

भा

[[३६७]]

अहो विरज्येत

भा

[[७६६]]

अहं त्वां सर्व-

गो

४६४, १०६१

अहो सुर णाञ्च

"

[[३२३]]

अहं पुरातीत-

भा

३४० अनु

अह्नापृनार्त्त-

[[99]]

[[२७३]]

अहं भक्त-

"

१८१ अनु

आकल्पात् पुरुषाः

विध

[[४१६]]

अहंममादि-

पद्म

[[७६७]]

आख्यानं य-

भा

[[७८६]]

अहं वो ब न्धवो

वि पु

१०४२ आगमोक्तेन

पद्म

[[६३७]]

अहं स च

गो

५६३ आचरतु मदपा-

भा

[[१२४]]

अहं सर्वस्य

गी

६६ अनु

आचारश्चैव

मनु

[[६४]]

अहं सर्वेषु

भा

२४४ आचार्यं मां

भा

अह हि सर्व-

गी

-२३६, ६५१

आचार्यः पूर्व-

तं

अहङ्कार इतीयं

भी

५०८ आचार्य्यचेत्य-

भा

६२७ २०८ अनु १०५०

अहङ्कारनिवृत्तानां

ब्रह्मवै

६६६ आचार्य्यवान् पुरुषो

छा

२०८ अनु

अहङ्कारयुतानां

ब्रह्मव

६६६ आचार्योऽरणि-

भा

[[६२२]]

अहङ्कृतिर्मकारः

पद्म

६६३ आज्ञाच्छेदो

RE…

४६०, १००६

अहञ्च भगवान् अहञ्च संस्मारित

अहन्ते भविता-

भा

[[99]]

अहन्यहनि

६७३ आतिथ्येन

स्कन्द

२१७ आज्ञायैवं

[[१५८]]

३१२ अनु आततत्वाच्च

भा १७३ अनु, २३८ अनु,

[[५८१]]

तन्त्र

भा

२६ अनु -६२५

अहमज्ञानजं

गी

१७० आत्मजं योग-

भा

[[७०५]]

अहमद्यैव मया

आल स्तो

६६३ आत्मनश्च परस्यापि

भा

[[२५६]]

अहममरगणा- अहमुच्चावचै-

अहमेकैव

नृसिंह

३६६ आत्मनस्तुष्टि-

मन्

[[६४]]

भा

२५२ आत्मना रमणेन

भा

[[१०००]]

[[11]]

१७९ अनु आत्मनिक्षेप-

वै त

[[६६२]]

अहमेवम्विधो-

अहैतुक्यप्रति-

अहैतुक्यव्यवहिता

[[11]]

अहो अत्यद्भुतं

गो

भा

४६३ आत्मनैपुण्य-

१० आत्मप्रभव-

भा १८८ अनु, ६७६

आत्मप्रसाद

१०१३ आत्मभावं

भा

२२२ अनु

[[१०]]

[[97]]

१०६, २६८

भा

[[७६७]]

"

[[१५२]]

अहो क्षेत्रस्य

ब्रह्म

८६१ आत्मा च कर्मा- "

[[२६२]]

अहो नृजन्म-

भा

८६ आत्मा चायं

[[19]]

SEE

अहो मधुपुरी

पद्म

८६३ आत्मानं चिन्तयेदेक-

"

अहोरात्राणि

पद्म

५६७ आत्मानं विश्व-

[[99]]

६६५ ८५६

अहो वकी

भा

[[१०७०]]

आत्मानं शिव-

अहो वत स्वपचो-

२४७ अनु, ३५७

आत्मानं सव-

भा

  • ८७५

[[६६०]]

६]

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

आत्मानमखिला-

आत्मानमपि यच्छति

आत्मानमप्युपचया-

आत्मानमात्मन्य-

आत्मानश्च सहस्रशः आत्मापरिज्ञान- आत्मा प्रियो-

आत्मा यथा

आत्मारामं पूर्ण-

आत्मारामाश्च मुनयः

आत्मारामोऽनया

आत्मापितश्च

आत्मा वा अरे

आत्मा हि परमो

आत्मा ह्यवधि आत्यन्तिक

आहतो वानु आदेहपाताद्-

भा

[[19]]

[[31]]

८३ आभीर कङ्का

भा

[[१८८]]

[[199]]

८५१ आमयो यश्च

भा

[[79]]

२६७ आयुघृतम्

६३२ आयुर्हरति

भा

हय प

५७४ आरब्धाश्व

[[६४५]]

१३५ अतु १४६ अनु, ५२

[[८८]]

"

भा

३ आरम्भ कल-

[[11]]

[[१०१५]]

[[12]]

६ आराधनं

[[४७४]]

[[97]]

४२ अराधनानां

पद्म

[[७३४]]

[[12]]

[[३८०]]

आराध्य कस्त्वां

भा

[[८५६]]

"

११५ अनु १३४ अनु

आरुरोह हरेः

"

[[७७१]]

"

[[११४]]

आरुह्य कृच्छ्र

ेण

,, ५ अनु, ११० अनु, २८६

३०६ अनु

आर्जवेनायं-

[[11]]

[[६७२]]

वृ

७ अनु

आर्तो जिज्ञासु-

गी

[[५६२]]

तन्त्र

२६ अनु

आर्य्या नताः

भा

[[६५७]]

भा

[[८१]]

अ.लोड्य सर्व-

स्कन्द, पद्म, लिङ्ग २६५ अनु

"

[[६८१]]

१६४, ३०१

"

३११ आवर्त्तलक्षित-

भा

ना प

८६५ आवाहनञ्चादरेण

आद्यन्तवन्त

भा

आद्योऽवतारः

आधयो व्याधयो

स्कन्द

आधारं सर्व-

हय प

आध्यात्मिकानु-

भा

६०० आवृत्तिरसकृदुप- ब्र सु

आवेश्य तदघं

२५४ अनु

३५१ आशासते यदि

५६६ अशासानो न

६७२ आश्रमाणाञ्च

[[19]]

भा

[[19]]

१८८ अनु

६१४-

१५३ अनु

[[१०२३]]

[[१७३]]

भा

[[४६६]]

[[६३६]]

[[५७४]]

[[२८२]]

आनन्दमात्र उप–

आनन्दसंप्लवे

[[31]]

३५४ आश्लेषादुभ्यो-

यह प

५४१ आसुरं भाव-

गो

आनन्दानुभवा-

आनुकूल्यस्य

अन्विक्षिक्या

७५५ आसुरस्तद्विपर्ययः अग्नि, विध२८३

बं त

भा

१७३ अनु, ६६१ आस्थितः स

गी

७०४ आहोष्यतामिह

भा

[[५६४]]

३२० अनु

आपत्कल्पेन

त्रे स त

४३४ इच्छतामकुतो-

[[19]]

आपन्नः संसृति आपाययति आपीय कर्णा- आपीयतां कर्ण-

भा

१५५ अन, ४१०

[[99]]

[[१७६]]

"

[[७६६]]

१७६ इच्छन् यो

इच्छाकाङ्क्षा

१६८ अनु, २७५ अनु,

३१८ ७६१

[[४६६]]

[[11]]

[[७६८]]

७६८ इच्छाविधानं

अमर

१६५ अनु

भा

[[१७७]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ७

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

इज्येत हविषा

भा

७२३ इष्ट दत्तं

भा

[[६६७]]

इतरे ब्रह्म-

पद्म

२४१ इष्टापर्सेन

भा

[[७२१]]

इतरेभ्यो यथा-

भा

२१ इष्टोऽसि मे

गो

[[१०५६]]

इतरेषाञ्च

ना प

[[६५६]]

इह निःश्रेयसो-

भा

५१, १७४ अनु

इति ते ज्ञान-

गो

[[१०५८]]

इह लोके

स्कन्द

[[३३३]]

इति नूर्गात

भा

११५ अनु. ५२०

इहामुत्र च मोदते

भा

[[६४७]]

इति पुंसा-

"

[[४७६]]

इहामुत्र च लक्ष्यन्ते

"

[[६११]]

[[19]]

[[46]]

नृ पु

भा

इति भागवतान् इति मे त्रिविधो

इति मे निश्चिता इति यः शरणं इति विद्यातपो- इति वेद स

इति सङ्कल्प्य

[[91]]

म भा

६६८ ईदृशानामथा १६५ ईशनादेव

६०४ ईशयोर्जगदा- ३२६ ईशादपेतस्य

२१७ अनु

ईक्षा त्रयी

[[99]]

[[६०]]

[[६०२]]

ईक्षिता अपि

वृ नारद

[[४१४]]

१०२० ईक्षेतात्मनि

भा

[[१०५१]]

[[23]]

[[६१३]]

ब्रह्माण्ड

[[८०५]]

भा

[[८५६]]

[[99]]

[[७]]

इति सर्वाणि

"

१०५२ ईश्वरं मां

[[19]]

[[२५४]]

इति स्वरूप-

पद्म

[[५१८]]

ईश्वरः सर्व- गी

[[१०५६]]

इत्यच्युत घ्रि

भा

[[१०७४]]

ईश्वरस्य तु सामर्थ्या- पद्म

[[६६५]]

इत्यस्या हृदयं

[[19]]

४६ ईश्वरे तदधीनेषु भा

२६५ अनु, ५४४

इत्याख्या जायते

गरुड़

[[४६२]]

ईश्वरो जीव–

भा

[[२६४]]

इत्याह राजा

वि पु

[[४६६]]

ईहमाना निरा-

[[19]]

[[४७४]]

इदं जपत

इदं तु ते इदं भागवतं

इदं वक्षाम्य-

भा

[[७५]]

उकारः कैश्चिदिष्यते पद्म

[[५१६]]

गो

१०६२ उक्तं पुरस्ता-

भा

[[१०२४]]

भा

७७४, ७८८

उग्रो भस्मधरो

ब्रह्म

[[८१२]]

गो

[[५८७]]

उच्चैस्तरां

भा

२२३ अनु

इदं हि पुंस-

भा ६६ अनु, ११४ अनु,

उच्छिष्टभोजिनो

[[11]]

११०, ६८६

८२० उच्छेषितं

[[11]]

[[३०८]]

इदमेकं

स्कन्द, पद्म

३०१ उञ्छवृत्तिः

[[21]]

[[१३८]]

इहमेव सुनिष्कृतम्

भा

७८० उताहो एक-

भा

[[१२५]]

इदमेव सुनिष्पन्नं

इदानीं शृणु इन्द्रमिन्द्रिय- इन्द्रो महेश्वरो

इयेष तदधिष्ठातु

वं सत

स्कन्द, लिङ्ग

१६४ उत्तमश्लोकचरितं

भा

[[७७४]]

४०४ उत्तमश्लोक- लीलया भा

[[७]]

भा

३२ अनु उत्तमश्लोकवार्त्तया

भा

[[५२]]

स्कन्द

भा

२६३ उत्तिष्ठता प्रस्वपता विध ७७२ उत्पथप्रति-

[[७८६]]

[[७१७]]

I

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

[

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्थ

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

८८६ ऋषीणाञ्चामला-

उत्पातायैव उदाराः सर्व उद्दिश्य देवता

ब्र या

भा

[[३६३]]

मो

[[५६४]]

एक एव त्रिविक्रमः

ब्रह्माण्ड

-८०६

पद्म

६४६ एक एक प्रकीर्तितः वामन

[[८१०]]

उद्धवात्म-

भा

[[६६८]]

६६८ एक एवेश्वरः PF हय फ

[[५६२]]

उद्धवैनांसि

[[३४४]]

एकः कृष्णे नमस्कारो विध

[[६८४]]

उद्यज्ञस्तश्च

उद्यानोपवना- उद्वहन्तो दिवं

उद्विग्नबुद्धे–

१४६ अनु, ५२

एककाल

TR

वि ध

[[८७२]]

"

२३८ अ

एकतः कात्तिको-

स्कन्द

[[६४८]]

नृसिंह

३१७ एकतः सर्व-

स्कन्द

२६६ अनु

भा

उन्मादवन्नृत्यति

भा

६६ एकभक्ति-

७८२ एकविगणैः सार्द्धं

गो

[[५६३]]

भविष्य

[[६६८]]

उपदेशं करोत्येक

ब्रह्मवं

६०६ एकस्मिन्नप्यति-

गरुड़

[[८५२]]

उपनय मां

भा

३१२ अनु

एकांशेन

गो

[[1]]

३३० अनु

उपनीतशत-

नृ त

१०६ अनु

एकाग्रमनस-

वै

चैत

[[२१४]]

उपप्लवाच्च

ना प

[[८६४]]

एकादशी महा-

भविष्य

[[६६५]]

उषयग्मुर्यदृच्छयह

भा

१८१ अनु

एकादश्यां न नारद

ना प

[[६५६]]

उपय्यधस्तथा

वि ध

[[६१३]]

एकादश्यां न भुञ्जीत ना प

[[६५०]]

उपागच्छद्यद्- उपायान् पूर्व-

उपाया ह्यात्म-

उपारमेत उपासकं

उपासने स्वे उपास्तापि

उपास्यममरो-

उपेयान् विन्दते–

उभयोरेष

भा

[[५३३]]

एकादश्यां न भोक्तव्यं स्कन्द अग्नि ६५१, ६५५

places

एकादश्यां निराहारो मत्स्य, भविष्य ६५७

५६ अनु, ६३५

"

[[१२१]]

एकादश्यां प्रमादतः एकादश्यान्तु यो

गौत

[[1६५६]]

स्कन्द

TET ६५८

अ८१२

भा

एकान्तं भाव- कर्म

  • एकान्तभक्ता

[[२४३]]

भा

[[२१६]]

२६१ अनु

एकान्तभक्तचा को

[[99]]

[[४५६]]

"

५४८ एकान्तित्वाद्भगवति

[[19]]

[[४६१]]

एकान्तिनो यस्य

[[39]]

१६५ अनु

[[77]]

"

[[५०७]]

एकान्तेन सदा

गरुड़

[[४६२]]

उरुक्रमस्या-

13.97

२७६ अनु, ३२७

एकान्त्येको विशिष्यते गरुड़

[[५१२]]

उरुगायोरु

१०३४ एकोऽहं पञ्चधा

पद्य

[[१२३४]]

ऊर्ध्वामेव गति

गरुड़

३०३ ऐतज्ज्ञान-गी

१०५ अनु

ऋग्वेदो हि

विध

८१५ एतत्ते कथितं भा

[[१४१]]

ऋतम्भरध्यान-

ऋते नारायणा–

भा स्कन्द

१२७ अनु एतत् संसूचितं

भा

-६४४

८११ एतत् सव

भा

ऋषित्व वासुरा-

भा

४६६ एतदुक्तः प्रत्युवाच

विध

७०६ २२४

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

एतद्योनीनि

गो

५६० एवं विहारैः

भा

[ €

श्लोकानृच्छेदाः

T

२=६ अनु

एतद्वेदितुमिच्छामः

भा

१०१४ एवं व्रतः

भा

१८८ अनु, ७८२

एतद्वं सर्व्व-

भा

[[६३६]]

एवं सतत

गो

११४ भनु, १६६

एतसिविद्यमाना-

भा १६८ अनु, २६५ अनु,

एवं सदा

भा

२८३ अनु

२७३ अनु, २७५ अनु, ३१८, ७६१

एवं सन्दर्शिता

भा

एतयोरेव

३२५ अनु

पद्म

१६३, ३२४

एवं स्वचित्ते

भा

एताः परं

भा

३२० अनु

एव प्रेमादि

ब्रह्मव

[[६]]

एतावदेव जिज्ञास्यं

भा

[[२६५]]

एवमग्न्यर्क-

भा

[[१०३]]

एतावानेव यजतामिह

एतावानेव लोके-

भा

१७४ अनु, ५१

एवमघटमान-

भा

१५७ अनु

भा ११५ अनु, १२१ अनु.

एवमेतन्निगदितम्

भा

TH

८६ अनु

२१६ अनु, ७०, १६०, २७७

एष एव हि

भा

[[२२६]]

एतावान् योग

भा

[[८४८]]

एष ब्रह्मा

गरुड़

[[४६२]]

एतावान् सांख्य-

भा

[[४५१]]

एष भागवतो-

भा

[[५४३]]

एते न ह्यद्भुता

स्कन्द

२६५ एष व भगवान्

भा

एतैरुपद्र तो

[[६२६]]

भा

७७७ एषा बुद्धि-

भा

[[१३७]]

एवं कर्म

भा

२२३-२२४ अनु

ऐकान्तिकी

ब्र या

[[८८६]]

एवं कुविति

ना प

१००१ ऐन्द्रकाग्नेय-

पद्म

[[८६६]]

एवं कृष्णे

भा

१०२२ ऐश्वर्य्यादिन्द्र

ब्रह्माण्ड

[[८०८]]

एवं क्रिया-

भा

६३४ ओष्ठस्पन्दन-

व चि

[[८४२]]

एवं जिज्ञासया-

भा

[[१२१]]

क उत्तम-

भा

[[31]]

[[७६४]]

एवं त्रयी-

गी

१३८ अनु

क उ दिनु-

भा

  • ११५ अनु

एवं धम्मै

भा

३०६ अनु, ६६८

कं वा दयालु

भा

[[१०७०]]

एवं नानाविधः

ब्रह्माण्ड

एवं निर्जित-

25 from 50&

कः पण्डित-

भा

[[२६७]]

भा

१४१ अनु, ६२

कः संशयः

गरुड़

[[१०३६]]

एवं नृणां

भा

[[६४६]]

कठिनांशञ्च

हय प

[[५६६]]

एवं प्रलभ्य-

भा

[[४६१]]

कतमोऽपि

भा

३२२ अनु

एवं प्रसन्न-

भा

२६ कथं तं क्षुल्लधी-

वृ नारद

[[८१६]]

एवं यः पूजयेत

भा

६८५, ६३५

कथं विना रोम-

भा

[[३८६]]

एव ं यो वेत्ति

गो

७६६ कथञ्चिद्यदि

भा

[[१३८]]

एवं विदित्वा

पद्म

५१८ कथञ्चिन्नेक्षते

भा

एवं विविच्य

[[१०१६]]

भा

[[६००]]

कथमस्यावतारस्य

गो ता

३३१ अनु

कथमासीद्द्ढ़ा

भा

[[३६५]]

कथयस्व महाभाग

भा

[[१०४४]]

१० ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

कथा इमास्ते

भा

७६० कर्म ग्रन्थि-

भा

[[२१]]

कथामृतं श्रवण-

भा

४८ कर्म्मण्यस्मिन्नना-

भा

१४० अनु, १७६

कथामृतनिधौ

भा

७७७ कम्मनिहर-

भा

[[६७७]]

कथा लोक-

भा

१०४४ कर्मनिष्ठा द्विजाः

भा

[[६२०]]

कदा गम्भीरया

ना प

१००१ कर्म्मबन्धात्

भा

[[५२७]]

कदाचित् कर्द्दमा-

विध

४३७ कर्मभिर्भगवत्

[[२८६]]

कदाचिदपि जायते

वृ नारद

४०१ कर्म्मभिर्वा त्रयी-

भा

[[७८]]

कपालीति

ब्रह्म

८१२ कम्र्ममोक्षाय

भा

[[६६]]

कम्पाश्रु पुलका-

पद्या

१२० कम्मयोगश्च

भा

[[४७६]]

करिष्यति भवान्

विध

७८४ कर्म्मश्रद्धा

भा

[[३७५]]

करोति यद्यत्

भा

६३७ कर्म्मस्मृति-

भा

[[६०१]]

करोति विधि-

पद्म

८६० कम्मिभ्यश्चाधिको

गो

[[२७६]]

करोति सततं

कूर्म

६५४ कलाविच्छन्ति

भा

[[८३७]]

करोत्येधांसि

भा, पद्म

३४४, ३४५

कलि सभाजय-

भा २७३ अनु, ८३५

करौ हरे-

भा

६६४ कलिकाले

स्कन्द

[[८६६]]

कर्ण पीयूष -

भा

कर्णौ पिधाय

भा

कर्त्तव्यं वित्ता-

विर

६४५ कलेर्दोष-

कर्त्तव्यं श्रद्धया

पद्म

४५४ कलिरित्येषु

८०२ कलिस्तस्य कृते

६३७ कलौ कलुष-

भा

[[१०८]]

विध

[[८४०]]

भा

[[१५३]]

ब्रह्मव

[[१८०]]

कर्त्तव्यो जागरः

स्कन्द

६५२ कलौ कुर्वन्ति

स्कन्द

२७२ अनु

कत्तु मद्योग-

गो

[[१६३]]

कलौ कृत-

विध

[[८४०]]

कत्तु समेताः

TH

भा

[[२१२]]

कलौ खलु

भा

[[८३७]]

कई मो ब्रह्मणो-

भा

[[६६०]]

कलौ तद्धरि-

भा

३१५ ८३३

कर्म चाभिनयत्

भा

[[१२३]]

कलौ न राजन्

भा

८.४५

कर्मणः पुरुषस्य

६४८ कलौ नष्टदृशा–

भा

[[८४७]]

कर्मणानेन

कर्म

६५४ कलौ नास्त्येव

[[८४४]]

कर्मणा मनसा

ब्रह्म

६६६ कलौ युगे

स्कन्द

[[८३२]]

कर्मणामेतदप्या

कर्म

६५५ कलौ संकीर्त्य

वि पु

[[८३४]]

कम ब्रह्मणि

भा

६४४ कल्पन्ते कल्पिताः

भा

[[६४६]]

कर्मभ्यः प्रागयोग्यस्य

[[६४८]]

कलान्ते येऽन

भा

[[३१]]

कर्माणि विफलानि

भा

[[६४१]]

कल्प्यते निष्फलाय

भा

[[१०६६]]

कर्माण्यनन्य-

भा

७१ कविभिः पात्र-

भा

६ १७श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ११

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

कव्यान्यानन्त्य-

भा

२१ कि जन्मभिस्त्रिभि-

भा

१०१ अनु, ७८

कस्मिन् काले

भा

६५ अनु

कि जन्मभिस्त्वपर-

कस्मै येन

भा

११४ अनु

कि तदस्ति

भा वि पु

[[८६]]

[[१७५]]

कांस्यं रस-

त सा

[[६४४]]

कि तपोभिः

ब्रु नारद, पद्म

३१६-२०

का निष्ठा-

भा

[[१०४]]

कि तस्य बहुभिः

वृ नारद, पद्म

[[३२०]]

कामं भवः

भा

२६६ अनु

कि न्वर्थकामान्

भा

[[८५१]]

कामक्रोधादि युक्ती-

ब्रह्मवै

[[६०८]]

कि पुनः श्रद्धया

भा

[[२००८]]

कामश्च दास्ये

भा

३०४ अनु, ६६६

कि पुनर्ज्ञानि-

गरुड़

[[३०३]]

कामतो वा सुरां

ब्रह्मवै

[[४३६]]

कि पुनर्भगवद्

ना प

[[१७११]]

कामलोभहतो

भा

१६८ कि पुनर्ये सदा

स्कन्द

[[४००]]

कामलोभादयश्च

भा

२५ कि पुनस्तद्गत-

इ समु ३०४ अनु, ४०७

कामस्य नेन्द्रिय-

भा

१४ कि भूयः

भा

[[१४१]]

कामातुरं

भा

[[४]]

कि मया पथि

अग्नि

[[२४६]]

कामाद्वेषात्

भा ३२०-२१ अनु, १०२३

कि वर्णये

भा

[[३८२]]

कामानां हृद्य-

भा

[[३७२]]

कि वर्णितेन

भा

__१७७ अनु

कामाय स्वजनाय

भा

६४७ किंवा तीर्थ-

व नारद, पद्म ३१६

कामा हृदय्या

भा

[[१३२]]

किवापर-

भा

१ अनु

कामंरहतधी-

भा

[[५७६]]

किंवा भवेश

भा

[[१०४६]]

कामो लाभाय

भा

१३ किंवा भागवता

भा

[[३२६]]

कायक्लेशः

स्कन्द

[[१७२]]

कि वा योगेन

भा

[[८०]]

कायेन वाचा

भा

६० अनु, ६३७

कि वा श्रेयो-

भा

[[८०]]

कारणं मोपयाति

भा

३८४ कि विधत्ते

भा

[[४६]]

कारयन् भगवद्धाम

विध

४१५ कि वेदः

वृ नारद, पद्म

[[३१६]]

कार्याकार्य्य–

1 ..

७१७ कि सत्यमनृत-

ब्रह्मवै

[[५०१]]

काले च देशे

भा

[[६३१]]

कालेन नष्टा

भा ६८ अनु, ११५ अनु,

किश्वित् स्वप्नान्तरे- किञ्चिदस्ति धनञ्जय

वि पु

[[४६७]]

गो

[[५६१]]

१२१, २६६, ६३६

किन्तु स्वतन्त्र-

स्कन्द

[[८३६]]

कालेन नाति- कालेनाल्पीयसा

भा

[[८२१]]

किन्त्वस्याः सङ्ग-

विध

[[४२१]]

१०४१ किमत्र बहुनोक्त ेन

पद्म

[[७४१]]

का सा रक्षा

कि ग्रामे किं चित्रं यदघं

कि चित्रमच्युत

विध

[[४२१]]

किमनूद्य विकल्पयेत्

भा

[[४६]]

भा

५३ किमनेन कृतं

भा

[[१०२७]]

वि पु

८४१ किमन्यदवशिष्यते

भा

[[७५५]]

भा

१०४८ किमिदं कुत

भा

१०६ अनु

१.२ ]

E

[ श्रीश्री भक्तिसन्दर्भस्य

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थन हम

किमुत श्रद्धया

भा

किमुता धोक्षज-

भा

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

४५८ कुर्व्वतः शार्ङ्ग-

१०२४ कुर्वन्त्यात्म-

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

स्कन्द

[[३६१]]

भा

[[२८]]

किरात हूना-

१८८ कुलं शीलनथा-

ब्रह्म

[[६०७]]

कोकटेषु भविष्यति

१०१२ कुलकोटि

स्कन्द

[[३३३]]

की कटोsपि

पद्म

६२३ कुलाचारविहीनो-

स्कन्द

[[१८४]]

कीटः पेशस्कृत

भा

१०२१ कुलानां शत-

विध

[[४१५]]

कीटपक्षि-

गरुड़

३०३ कुशलैरपि

ब्रह्मवै

[[८३१]]

कीर्तनं स्मरणां

स्कन्द

४३९ कूटं बीजं

पद्म

[[३५३]]

कीर्त्तनन्तु ततो

बँकि

१८४२ कूट थमचलं

[[२०१]]

कीर्तन श्रवणा

भा दी

[[६०]]

कटस्थस्य मधु-

भा

[[७३३]]

कीर्तनादेव कृष्णस्य

भा१५३ कृच्छ्रो महानिह

भा ४८ अनु. १०४ अनु, ७२

कोर्त्तनीयः सदा

८३० कृतं त्रेता

भा

[[१०८]]

कीर्तनीयश्व वहुधा

जा सं

८४६ कृतज्ञः को

भा

[[४४१]]

कीर्त्तयन्ति स्म

100 नृसिंह

●३१७ कृतस्वस्त्ययनो

भा

[[७७२]]

कोर्तितर्शन न

८१४ कृतादिषु

भा

[[८३७]]

कीर्तिमान् स

विध

६४३ कृतानि गदितानि

भा

[[११३]]

कीर्त्यते वसुधे

वराह

[[६६६]]

कृतानुयात्रा

पद्म

[[३५५]]

कुंडचायां तमनु-

भा

[[१०२१]]

कृतः शेषाघ-

भा

[[४५३]]

कुतः पुनः शश्वद-

भा

३ अनु, ३८, १५४

कृते यद्धचायतो भा

३१५, ८३३

कुतः पुनस्ते

भा

[[३४९]]

कृते शुक्ल-

भा

२६८ अनु

कुतो नु विद्या-

[[7]]

भा

२७४ कृतोपवासः

आ वराह

[[६७६]]

कुतोऽन्यत् काल-

भा

३०७, ३७७

कृत्तिवासास्ततो

ब्रह्माण्ड

[[८०८]]

कुमारः कपिलो

कपिलो

भा

२७५ कृत्यात्मकमिमं

ब्रह्माण्ड

[[८०७]]

कुयोगिनां

भा

७०५ कृत्यमस्ति गदाभृता

भा

[[६१३]]

कुररि विलपसि

भा

१८८ अनु

कृत्वा लिखति

[[२]]

कुरुतेऽचर्चा-

भा

२४४ कृत्वोड़ पं

भा

[[७२]]

कुर्य्यात् पापस्य

८६८ कृपणोऽपि

ब्रह्मवै

[[६०८]]

कुदेकादशो

विध

२६६ अनु

कृपया भूतजं

भा

[[७०५]]

कुर्य्याद्विपद-

पद्म

[[७९२]]

कृपापूरस्यन्द-

[[१०७५]]

कुर्युर्वेदानु-

दम

६७८ कृपालुरकृत-

भा

[[५७८]]

कुर्वन् भक्तचा

विर

८७६ कृष्ण कृष्णेत्य-

ब्रह्मवै

[[४३६]]

कुर्वन् सिद्धि-

गो

१९२ कृष्णच्छ ुरित-

हय प

[[५६२]]

कुर्वन् सिद्धिमवाप्नोति

७०६ कृष्णजन्माष्टमीं विर

[[६४६]]

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ १३

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

TH

कृष्णमेनमवेहि कृष्ण विष्णो

भा

८३ कोटिष्वपि महा-

विपु

४६६ कोऽतिप्रयासो-

FIR

कृष्णशस्त्रा-

कृष्णसन्तोष-

कृष्णाङ्घ्रिसेवा-

६७८ को नु कुर्य्यात्

ཐྭ ཛྱཱ ཙྭ

[[३६४]]

६८६ २१

स्कन्द

६६७ को नाम लोके

"

[[७६६]]

भा

८६ अनु

८६ अनु को निर्वृतो

[[19]]

[[७६७]]

कृष्णाधरामृता-

FF

११० अनु ११० अनु

को नु र (जन्निन्द्रिय-

[[11]]

[[५४८]]

कृष्णाय नो नमति

भा

[[३६०]]

कोऽन्योऽर्थोऽस्या-

फ्री

"

[[६६८]]

कृष्णाय परमात्मने

TH

[[11]]

[[१००८]]

को मूढ़ो

१७६ अनु

कृष्णे निवेश्य

८६ अनु, १०४४

को लाभः

TW

भा

११८ अनु

कृष्णे भक्तिहि

"

[[१६६]]

को वा भजेत्

भा

[[१०४६]]

कृष्णेऽमलां

"

[[७६१]]

को वार्थ आप्तो-

[[11]]

कृष्णे सर्व्वेश्वरे-

[[21]]

३२५ अनु

कौमार आचरेत्

[[३६]]

[[८८]]

"

कृष्णे स्वधामोप-

"

[[८४७]]

क्रतुराजेन

[[11]]

[[२३२]]

TH

कृष्णोपासन-

केचन ज्ञान- केचित् केवलया

केचित्तस्य महा- केचित् स्वदेहान्त-

[[99]]

५४७ क्रमेणैव प्रलोयेत

पद्म

[[३५३]]

"

[[६२०]]

क्रमोदितेन

ना प

[[६०६]]

"

३०६, ३४७

क्रान्त-व्युत्क्रान्त-

[[२]]

"

[[१०४०]]

क्रियते भक्ति-

भा

१४१, अनु ६२

"

२७ अनु, १७६ अनु

क्रियते भगवत्यद्धा

[[19]]

[[४७६]]

केनापि देवेन

गौत

२३६ अनु

क्रिययोत्पन्न-

भा

[[२५२]]

केवलं दाम्भिकः

पद्म

[[७३८]]

क्रियाक्रमेण

विर

[[८५७]]

केवलं रूप-

सत

६०२ क्रियायै कविभिः

भा

[[६१६]]

केवलं सततं

गौत

४६५ क्रियायोगरता

विर

[[८५७]]

केवलं सन्ततं

गौत

[[१०१०]]

केवलस्य मनो-

त्रं स त

[[४३४]]

क्रियायोगेन कद्दमः भा क्रियायोगेन शस्तेन

[[६६१]]

[[12]]

१०६ अनु, ६६६

केवलेन हि

भा

७३० क्रियार्थात्मा

[[19]]

[[२६३]]

केशवार्चा

स्कन्द

८७१ क्रियावसाने

"

[[४३]]

केशवो न हि

ब्रह्मवै

६६६ क्रियासमाप्ति-

[[19]]

[[६१५]]

केषाञ्चिदर्ह-

भा

[[६११]]

क्रीड़या नामभिः

पद्म

[[२३४]]

कैवल्यं सात्त्विकं

भा

२३३ अनु, ३६२ क्र ुध्यते याति

स्कन्द

[[८००]]

कैवल्यदः परं

स्कन्द

६१५ क्रोधं काम-

भा

[[७०३]]

कैवल्यम पुनर्भवम्

भा

५१० क्रोशमात्रं

पद्म

[[६२३]]

कैवल्यसम्मत–

भा

७६७ क्लिश्यन्ति यो

भा ५ अनु, ७१ अनु, १७६

कोटि-कोटि-गुणा-

कूर्म, राच

८१३, ८८००१

अनु, ११७, २०६

१४ ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

क्ल ेश सूर्य्यल्प

शोऽधिकतर-

भा

२२४ अनु. ६४१ गां दुग्ध-

भा

[[११८]]

मी

१११ अनु, २०३

गां पर्यटन

भा

२६६ अनु

क्वचित् संसार-

२८६ गाणपत्यादि-

रा च

[[८८०]]

क्षणार्द्धनापि-

भा

५४३, ७५७

गान्धर्वाभिमुखं

विध

[[८२६]]

क्षमते तस्य

स्कन्द

ε७३, ९७५, ९७७

गापयन् हरि-

भा

८४ अनु

क्षमते पुरुषोत्तमः

स्कन्द

[[६७६]]

गायन्त्युच्च मुद्दा-

नृ पु

[[८२६]]

क्षमाम्येव न क्षान्त्याजैव-

क्षिणोत्यभद्राणि

क्षिप्तो दुरुक्ति- क्षिप्रं भवति क्षीयन्ते चास्य क्षु तृट्प्रस्खलिता-

वि या

७६८ गायत्रनुस्मरन्

भा

[[१२३]]

मु टी

[[१०३]]

गायन् विलब्जो

भा

२६६ अनु. ६८

भा

१५६, ८५०

गायेथा मम

विध

[[८२६]]

[[31]]

[[६८१]]

गीताध्यायं

स्कन्द

[[६७३]]

मी

१७२ अनु, १७३ अनु

गीतानि नामानि

भा

२६६ अनु, ६८

भा

२७, १३३

गीयते पुरुषोत्तमः

ब्रह्माण्ड

[[८०६]]

विध

[[१८६]]

गीयते बहु

भा

[[६०६]]

क्षेत्रज्ञ एतां

क्षेत्रज्ञं सर्व्व

क्षेत्राणि नानु-

भा

क्षेमं न विन्दन्ति

भा

क्षेमं विधास्यति

भा

खं मनो बुद्धि-

गो

खं वायुमग्न

भा

गङ्गायां शुद्धि-

आ वराह विध

भा

६३२ गुणज्ञाः सार-

भा

२७३ अनु, ८३५

क्षेत्रज्ञाख्या तथा–

[[14]]

वि पु

गच्छं तिष्ठन्

गजो गृध्रो गतो. मकन्दं गत्यु स्मिते- गदितुं शीघ्र- गन्धरूपं

भा

[[19]]

[[11]]

६२७ गुणतो मे

५७५ गुणतोऽसानि

५७ गुणदोषदृशि- ३२१ गुणदोषोद्भवा

२३६ अन

५८८ गुणमय्याऽगुणो *१८८ अनु गुणसङ्ग

६७६ गुणस्तूभयवर्णितः ६१३ गुणात्मनस्तेऽपि

७२८ गुण नुकथने

[[13]]

आल स्तो

भा १७७ अनु, ३२१ अनु

"

३१२ अनु, ३२१ अनु

[[५१३]]

[[३७]]

[[३६८]]

[[11]]

भा

[[99]]

الله

१७७ अनु, ३२१ अनु ३०३ अनु

[[६६७]]

श्री १५५

४६१ गुणानुवाद-

[[5]]

११३ गुणमंत्र्यादि-

"

• १७६ अनु

गुणैविप्रा-

[[99]]

३५७ १०५, २६७

हय प

[[५६८]]

गुरुः शास्त्रं

पु

गन्धर्वाप्सरसो

भा

[[७२५]]

गुरुभक्तचा स

ब्रह्मवं

१०७५ ६२४

गमनं भगवद्–

३०० अनु

गुरुमेव प्रसादयेत्

[[७०८]]

गरदान-

भा

३३८ गुरुर्न स

भा

[[६२६]]

गर्भवास-

ब्रह्मवै

४२२ गुरुर्यस्य भवे-

वा क

[[७०७]]

गहितेना-

भा

१०२७ गुरुर्येन परित्यक्त-

ब्रह्मवै

[[६२०]]

७० अन

[[६६३]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ १५

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

गुरुशुश्रूषया

भा ५७ अनु, ३४० अनु,

ग्रन्थि विभेत्स्यसि

भा

[[३५४]]

[[७१४]]

ग्रहा बालग्रहा-

वृ नारद

[[३४१]]

गुरोरप्यवलिप्तस्य

७१७ ग्राम्यो राजस

भा

[[३७३]]

गुरोरवज्ञा

पद्म

७६५ ग्राहयेद् वैष्णवाद्-

ना प

[[६२१]]

गुरौ रुष्ट

७०८ ग्लानिर्भवति

ना प

[[८६४]]

७१५ धनागमे

गरुड़

ε३३

भा

[[७५०]]

[[६६५]]

[[७७४]]

गुरौ सन्निहिते

गुह्य ं विशुद्ध गुह्याद्गुह्य-

गुणतश्च स्व-

गृणन् पुत्रो-

गृहस्थशत-

गृहीतचेता गृहीत्वापीन्द्रियै-

गृहेषु गृह- गृहेषु जाया- गृह्णीयाद् वैष्णवं

गो

भा

"

नृ ता

भा

[[11]]

[[91]]

२७६ नन्तं बहु शपन्तं

१०५८ घ्राणश्च तत्पाद-

८२१ चकार भगवानृषिः

४८५ चक्रायुधस्य १०६ अनु चक्षुर्यथैवाञ्जन-

१८६ चक्षूषश्चक्षु-

५५० चञ्चलत्वाद्धि

[[४०]]

भा

"

[[19]]

स्कन्द, पद्म, विध २७३ अनु

भा

[[१३१]]

बृ

१३४ अनु

विध

[[७८५]]

बृ नारद

[[१८६]]

ई समु

[[७४४]]

विध

[[२२५]]

दह

चण्डालाः परि- ५३८ चण्डालोऽपि

८६६ चतुरात्मा हरिः

८१६ चतुर्थावरणं

६०२ चतुर्थी सा

३२० अनु चतुविधा भजन्ते

६६१ चतुर्होतत्या-

पद्म

མྦཱ ཚ ལླཕཟླཛཱ ; ;

गेयं गायस्व

स्कन्द

गोपवेशधरो

त्रै सत

गोपालं पूजयेद्

गौत

२४२ चतुर्भुजं

गोपालेषु न

सकु सं

८८४ चतुर्मुखः

गोपीनां तत्- गोप्तृत्वे वरणं

गोप्यः कामात् गोप्यो गावो

गोलोक एव गोविन्दचरण- गोविन्दभुज-

न सं

भा

भा

वं त

भा

३२५ अनु, १०३३

चतुष्पादस्ततो

[[99]]

२८६ अनु

७३० चत्वारो जज्ञिरे चन्द्रकोटिसम-

ब्रह्मवे

२७१ चरणाम्भोज-

१७६ अनु

२७ अनु ८१२

[[५६२]]

६२ अनु

[[२६०]]

हय प

१०५, २६७ ५६५

गौत

४६५, १०१०

गोविन्दानल-

गोविन्दाभिमुखी

ल भा

५४७ चलाचलेति

३६८ चाण्डाला अपि

भा

२८६ अनु

वृ नारद

[[१८६]]

विध

५२६ चामरव्यग्र

ना प

[[१००१]]

गोविन्देति सदा

विध

७८६ चिते पापसमुच्चये

विध

[[५२६]]

गोविन्देतिहरे-

स्कन्द

८१६ चिन्तयंस्तामथा-

विध

[[९१३]]

गोष्वङ्ग यवसा-

भा

६२५ चिन्तयित्वा पति

पद्म

[[६३७]]

गौर्यथा सुत

स्कन्द

८२३ चिन्तां कुर्य्यान्न

भवि

[[६६२]]

१६ ]

श्लोक प्रतीकानि

चिन्तां दीर्घ-

चिन्तामणिमय

चीर्णव्रतान्

[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्या

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

भा

३३६ जन्मकोटद्याप्यनु-

अ सं

[[१६८]]

चेत एते-

हय प

कर्म

मा

५६६ जन्मभूमि

८७८ जन्म-मृत्यु-जरा-

आ वराह

२८३ अनु

सहस्रनाम

[[४४७]]

२५ जन्ममृत्युसमा-

स्कन्द

[[३००]]

भी

चेतश्च न

"

[[३६०]]

जन्मलाभः

भा

[[४५१]]

चैतसा नारदः

अग्नि

[[२४७]]

जन्माद्यस्य यतः

સા

११४- अनु

[[716]]

चेत् परार्द्ध-

भ र सि

[[२७८]]

जन्मानि कर्माणि

हद

[[19]]

चैद्यः सिद्धि

भा

[[१०२४]]

जन्मान्तरशतै-

चोदनां प्रति-

६८६ जन्मान्तरसहस्र ेषु

स्कन्द

आ वराह, इ समु २२६,

[[४३०]]

P

३१२ अनु

[[३०९]]

४५६ जन्माप्ययक्षुद्-

F

भा

५३४ जपमात्रेण

रा च

चोदनां लक्षणो

च्युतं हरिकथा- छायेव कम्म- छिद्यन्ते सर्व- छिन्दन्ति कोविदा- छिन्द्याबसून पि

जगतां प्रभु- जगत् प्रहृष्यत्य- जगत् स्थावर-

जगदेतच्चर- जगद्गुरु जगद्धिताय जङ्गमाः स्थावरह

जनयत्याशु

जनस्य कृष्णाद् जनस्य तह्य च्युत जनाः सुकृतिनो-

जनानां पुण्य-

ཟༀ་༴ ཚ ཟླ་༴ ཟལླཾ ཟགྒཡཱ པ རེཝཾ མྦཝཱ,

गौं

जनार्द्दनानुस्मरणावि पु

जनेषु देहम्भर- जनेष्वभिज्ञेषु जन्तुभिश्च सम- जन्म कर्म च जन्मकोटि-

भा

[[11]]

निरुक्त

गी

वृ नारद

२७, १३३

[[२१]]

जप-स्वाध्याय-

भा

२१ जयन्ती सम्भवं

८०२ जराव्याधि-

५१६ जलस्थं विविधैः

५१६ जलस्य चुलुकेन

४०६, ६८४,

[[५५१]]

[[८८१]]

[[१६६]]

विर

[[६४५]]

ना प

२८६ अनु

[[715]]

गरुड़

[[६३२]]

२५० अनु

जलस्थं वै जनाद्दनम्

गरुड़

[[६३३]]

[[779]]

विध

[[४२४]]

८२ जलेनापि

नारद

[[६३१]]

१०२८ जागरं निशि

ना प

[[५६०]]

८३ जातश्चाहं

निरुक्त

१५१ अनु

भा

१७२ अनु, ४८०

[[77]]

१०६ अनु, १७२ अनु,

[[४८१]]

[[19]]

१८८ अनु, ७८२

[[५४]]

[[39]]

-६४५

हय प

1-

[[५७३]]

मोक्ष

[[५३२]]

भा

THE १०७०

१००७ ७५६

३५८ जातश्रद्धस्तु यः

११ जातश्रद्धो मत्-

५२३ ५२१ जातानुरागो ५६२ जातु नाम ५५२ जायते येन

५४४ ५४४ जायन्ते तत्-

५३८ जायमानं हि

१६० अनु. ७३५ जिघांसयापायय-

४१३ जिघांसयापि हरये

७६६ जिघ्रन्ति कर्ण-

[[७६६]]

१६७ जिज्ञासुः श्रेय

हरये,,

[[17]]

"

[[19]]

P ६०३

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ १७

श्लोकप्रतीकानि

जितमजित

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भा

१२० अनु ज्ञात्वा भूतादि-

गी

[[१०६५]]

जिह्वां प्रसह्य जिह्वा न वक्ति

जिह्वा वक्तुमिहा-

[[19]]

८०२ ज्ञात्वा स्वात्मा-

भा

[[२६१]]

[[99]]

१५३ अनु, ३६०

ज्ञानं कर्म

[[४७८]]

[[91]]

[[४५०]]

ज्ञानं केवल-

"

[[१०५२]]

जिह्वासती

[[19]]

५५ ज्ञानं तेऽहं

गो

E

[[५८७]]

जीवञ्छवो

[[21]]

५८ ज्ञानं यत्तदधीनं

भा

[[६५६]]

जीवनं भक्ति-

वृ नारद

१७४ ज्ञानं यदा

"

[[७६७]]

जीवनं सलिलं

व नारद

[[१७४]]

ज्ञानं विज्ञान-

गो

[[१०६२]]

जीवन्ति सम्मुख- जीवन्मुक्ता अपि

भा

२०४ ज्ञानं विशुद्ध-

भा

[[५०६]]

वा भा

२८८ ज्ञानं विशुद्धं परमार्थ-

भा

[[५३६]]

जीवन्मुक्ताः प्रपद्यन्ते

वा भा

[[२८६]]

ज्ञानं सतत्त्वाधि-

भा

[[६५]]

जीवभूतः सनातनः

गो

१६८ अनु

ज्ञानञ्च तत्त्व-

भा

[[२६८]]

जीवभूतां महा-

गो

५७६, ५८६

ज्ञानञ्च यद्

[[27]]

[[११]]

जीवराशिभि-

भा

२८७ अनु

ज्ञानञ्च विज्ञान-

"

१५६, ८५०

जीवलोकः

[[99]]

७७७ ज्ञानञ्चैकात्म-

जीव वा मर

जीवस्य तत्त्व

७६५ ज्ञानदीपप्रदे

TH

TIP

भा

जीवाः श्रेष्ठा

भा

जीवितं यस्य

जीवितं विष्णु-

जीवेत यो

भा

जीवंरहमिका-

जुगुप्सितं

भा

जुषतां तत्-

भा

जुषतां प्रपुनन्त्य-

"

जुषमाणश्च तान्

[[99]]

जुहोति च

पद्म

[[776]]

जोषयेत् सर्व-

गो

ज्ञातव्यमवशिष्यते

गो

पद्म

विध

ब्रह्मवै

१४ ज्ञानदोपेण २५८ ज्ञाननिष्ठाय

५६७ ज्ञानमात्रं

४१२ ज्ञान-विज्ञान- निष्ठुया ९८३ ज्ञान-विज्ञान- संतृप्तो ६२४ ज्ञान-विज्ञान-सन्तोषाः

२३ अनु, २१० अनु ज्ञान-विज्ञान-सम्पन्नो

५०३ ज्ञान-विज्ञान- सम्भवम्

१४६ ज्ञानवैराग्य-

७५३ ज्ञानाग्निदग्ध-

१७३ अनु, ४८२ ज्ञानापवादो

६४६ ज्ञानासिमादाय

५०२ ज्ञानिभ्योऽपि

५८७ ज्ञानि च भरतर्षभ

"

ज्ञातु ं द्रष्टुञ्च

गो

[[४६३]]

ज्ञानी त्वात्मैव

ज्ञात्वाज्ञात्वाथ

भा

११५ अनु, ३१२ अनु,

ज्ञाने कर्म्मणि

३२५ अनु, ५८५

ज्ञानेन दृष्ट-

༈ ཕྲ ཕྲ, སྠ 4 ཕྲ ལྤ, :` ་ ཚ

[[१७०]]

२८६ अनु, ६२१

[[५०६]]

"

[[१४७]]

[[19]]

[[६७४]]

मु टो

[[१८३]]

[[२६१]]

TH

[[३६८]]

१७, १३५

[[२६०]]

[[८१३]]

[[८५]]

[[२७६]]

[[५६२]]

[[५६४]]

[[१०६७]]

[[६६३]]

,, २१४ अनु २२६ अनु

[[19]]

गी

भा

__६२८

१८ ]

श्लोकप्रतीकानि

स्कन्द

विध

स्व.न्द

[[५६५]]

[[६११]]

[[६११]]

[

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

ज्ञानेन वैयासकि-

भा

ज्ञाने प्रयास-

ज्ञायतेऽत्यन्त-

ज्ञेयः सर्वोत्तमो-

ज्ञयस्तदा मनुष्येण ज्ञेयास्ते वैष्णवा ज्योत्स्नावत्यः

भा

ना प

भा

८६ अनु तज्जन्म तानि

२०४ तज्जोषणादाश्व- ८६७ तश्च ब्रह्मर्षयो

भा

६५ अनु, ७७

भा

[[४८४]]

१२७ अनु

[[11]]

१८५ ततः कलौ

"

[[१०१२]]

४८८ ततः कुरु

गी

[[१६३]]

ततः परां

भा

[[१०७४]]

ततः प्राण-

"

[[२५८]]

ज्वरमरणदशा-

"

१६२ अनु

ततः शब्द-

[[२५६]]

"

डाकिन्यो राक्षसा त एकदा निमेः

त एव पश्यन्त्य-

वृ नारद

[[३४१]]

ततः श्रेयान्

[[17]]

[[२६२]]

भा

१८१ अनु

ततः संपूज्य

भा

[[२३१]]

[[11]]

३८३ ततः सचित्ताः

[[21]]

[[२५८]]

निर

त एव ह्यच्युत-

[[11]]

[[३२६]]

ततः सद्यो

[[97]]

[[४१०]]

त एवात्म-

भा

[[६४६]]

ततः समाधि-

भा

[[६६१]]

तं क्लेशादुद्धरा-

नृसिंह

[[६६८]]

ततश्च दशमे

निरुक्त

१५१ अनु

तं तमेवैति

गी

४४८ ततश्चेन्द्रिय-

भा

[[२५८]]

तं त्वाखिलात्म-

भा

१०४६ ततश्चैव ममार्चनम्

[[७०६]]

तं दुराराध्य-

भा

४५६ ततश्चोभयतो-

भा

[[२६०]]

तं निर्वृतो

भा

६ ततो नापैति

भा

[[114]]

[[८०१]]

तं मन्ये वैष्णवं

पद्म

[[५६७]]

ततो भजेत

भा

[[४८२]]

तं वा एतं

ऐत

६२ अनु

ततो मुक्ता

पद्म

[[१०३१]]

तं विक्रीयात्म-

भा

६६६ ततो यासि

भा

[[१५१]]

तं विद्यात्

गरुड़

२८४ ततोऽचयान्

भा

२६१ अनु

तं विद्याद्ब्रह्म- तं सत्यमानन्द- तं साक्षात् प्रति-

म भा

भा

YO

२८१ ततो वक्ष्यामि

गी

[[१०५६]]

४२ ततो वर्णाश्च २०६ तत्कथाश्रवणे

भा

[[२६१]]

विध

[[६४२]]

तं सुखाराध्य-

भा

४४१ तत् कथ्यतां

भा

१५६, ७६२

तक्षकात् प्राण-

भा

१४८ तत् कत्तु

भा

३३ε

तच्चात्मने प्रति-

भा

४६८ तत् कर्मव

पद्म

[[६६५]]

तच्चापि चित्त-

भा

३२८ अनु

तत् कर्मसङ्कल्प-

भा

[[६७]]

तच्चिह्न रङ्कनं

५६० तत् कुरुष्व

गो

३१२, ६३८

तच्चेद्द ह-

पद्म

४२६ तत्क्षणादेव-

स्कन्द

[[३६१]]

तच्छेषेणैव

पद्म

६०६ तत्क्षेत्रस्य

स्कन्द

[[२३६]]

SP

तच्छ्रद्दधाना

भा

१७ तत्तत् कामस्य

२२४ अनु

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ १६

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

तत्तदेवावगच्छ

गो

तत्तद्गुणानु-

भा

तत्तन्निवेदये-

भा

८०३ तत्त्रमं क उपा-

१६२, ७७३ तत्रोपनीतवलयो

६२६ तत्रोपाय-

T

११५ अनु

भा

[[३८०]]

भा

[[६१]]

तत्तीर्थं योजन-

स्कन्द

६२२ तत्संस्पर्शाच्च

विध

[[४२०]]

तत्तेऽनुकम्पां

भा

६८३ तत्सङ्गभीतो

भा

[[४७१]]

तत्तेनैव विनि-

भा

७४० तत्सङ्गहत-

पद्म

[[३८८]]

तत्तेऽर्हत्तम

भा

३०४ अनु, ६०१

तत्सन्धानं

भा

‘६२२

तत्त्वं यज्ज्ञान

भा

[[१६]]

तत् सम्पादय

भा

[[२३२]]

तत्त्वं हरे-

भा

[[७२]]

तत्सर्वाङ्ग-

[[६१५]]

तत्वजिज्ञासुना-

भा

२६५ तत् सर्व्वं निर्दहत्याशु

ल भा

[[३६८]]

तत्त्वज्ञानार्थ

गो

१०५ अनु

तत् सर्वमेकतो

हय

[[१०]]

तत्वविद्भिविचारितः हय प

५७२ तत् साधुषर्थ्या

भा

[[६५]]

तत्त्वेनातश्च्यवन्ति

गो

२३६, ६५१

तत्स्थानमाश्रित- हभ वि

[[७००]]

तत्परस्य जनस्य

भा

[[८०१]]

तथा चैवोत्तमं

स्कन्द

[[८३२]]

तत्परेषु तथा

भा

२१३ तथा तथा पश्यति

भा

[[१३१]]

तत् पूरुष-

भा

३४८ तथा तथा हरौ

नृसिंह

[[३१७]]

तत्प्रसादात्

गो

१०५७ तथात्रादीक्षिता-

[[८७५]]

तत् फलं कोटि-

स्कन्द

३३१ तथा दहति

पद्म

[[३४५]]

तत् फलं भुञ्जतां

स्कन्द

७२४ तथा दीक्षा-

त सा

[[६४४]]

तत्र तत्र हरि-

स्कन्द

[[८२३]]

तथाद्धात्मा

भा

तत्र तिष्ठामि नारद

पद्म

[[८२७]]

तथा न ते

भा

[[२३३५]]

तत्र तु प्रथमे

भा दी

६० तथा न यस्य

भा

[[१०१८]]

तत्र दानं

स्कन्द

[[२२]]

तथा न स्पृशतो

अ सं

[[८६२]]

तत्र ब्रह्मात्मजा-

भा

[[१८]]

तथा नान्येन

गरुड़

‘६३३

तत्र भागवतान्

भा २१७ अनु, २२५ अनु

तथापरे चात्म-

भा

[[६७]]

[[६१८]]

तथापि भृत्येश-

भा

[[५८६]]

तत्र विघ्नो

तत्र सन्निहितो विष्णु-

वृ नारद इ समु

३४० तथापि मे दुर्भगस्य

भा

२६५ अनु

५२४ तथा भवन्ति

विर

[[८५७]]

तत्र सन्निहितो हरिः

२८६ अनु तथा भागवते-

गरुढ़ ज

[[१५७५२]]

तत्रान्वहं कृष्ण-

भा

तत्रापि

भा

६१० तथा मद्विषया ५८ अनु तथा मन्त्रप्रदे

भा

[[३४४]]

विध

[[९४०]]

तत्रापि स्पर्श-

भा

तत्रायासोऽनिरर्थः

भा

२५६ तथार्थवादो

१०६६ तथार्पयन्

पद्म

१५३ अन, ७६५

भवि

[[६६२]]

२० ]

लोकप्रतीकानि

FG

तथा विशुध्यत्य-

तथा समस्त–

ग्रन्थनाम

भा

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

७८७ तदुपाधिसमा-

श्लोकानुच्छेदाः

हय फ

[[५७३]]

वृ नारद

१७४ तदेव पुण्यं

तथैव मनसा तथैव सर्वार्हण

ह भ कि

७०० तदेव सत्यं

भा

भा

-८२२

[[८२२]]

भा

८४ तदेव ह्यामयं

भा

[[६४५]]

तदक्षयं भवेत्

स्कन्द

६४८ तदेव विलयं

स्कन्द

[[३५१]]

तदध्यवस्यत्

तदनुस्मरणं

BET

भा

१८, ४५

तदेवाच्युत

स्कन्द

[[२६४]]

विध

६४२ तद्भक्तजन-

विध

[[६४१]]

तदमेशाङ्घ्रि

भा

३५२ तद्भवश्वापि

हम प

[[५६८]]

तदप्यध व-

भा

८८ तद्भागवत-

गरुड़

[[४६२]]

तदप्यप्रार्थितं

गरुड़

१७८ तद्भावमापु-

भा

[[१०३५]]

तदध्यफलतां

ब्रह्मवै

२७१ तद्भृत्यगात्र

भा

[[६६५]]

तदयं तव

आल स्तो

६६३ तद्यथेह

छा

५ अनु

तदर्थमेव

भा

८२ तयुष्मान्

भा

[[२१८]]

तदर्थं चाङ्ग-

वि ध

६४२ तद्रसामृत-

भा

[[७७६]]

तदर्थे दम्भ-

गरुड़, विध ७४७,६४१

तद्वत्त्वां गतयो-

भा

[[६५३]]

तदश्मसारं

भा

५६, ४२७

तद्वघात् प्राणिनां

भा

[[१०१८]]

तदहं तेऽभि-

भा

[[७६०]]

तद्वन रिक्त-

भा

[[७१]]

तदहं भक्त्युप-

गो

३१०, १०३६

तद्बरिष्ठा

पद्म

[[७१२]]

तदात्मबन्धु-

वि पु

-१०४१ तद्वा ऐतत्

नृ ता

२८६ अनु

ताधारो यतो

ब्रह्माण्ड

८०६ तद्वाग्विसर्गो

भा

२६२ अनु

तदानन्त्याय

भा

२६ तद्विज्ञानार्थं

मु

२०८ अनु

तदायत्तात्म-

तदायुस्तन्मनो सदा रजस्तमो

तदाचर्चा बन्धु-

पद्म

[[६१४]]

तद्वृत्ति सम्यगा-

पद्म

[[५१८]]

भा

१५ अनु, ७७

तद्व्रतं वैष्णवं

अग्नि, मत्स्य, भविष्य, ६५५, ६५७

कृ भा

[[२५]]

तन्त्रोक्तेन

भा

[[१०२]]

विपु

३२५ अनु तन्नमस्करणञ्चैव

पद्म

[[५८४]]

तदावरण-

तदा श्रद्धा

1 पद्म

[[१०५]]

६०५ तन्नामग्रहणा-

भा

[[१६०]]

ब्रह्मवै

५०१ तन्निष्ठ विप्रा-

भा

२८३ अनु

तदीयानां समर्थनम्

पद्म

७३४ तम्मन्येऽधीत-

भा

३१० अनु, ४७६

संदीयान् नाच्र्चयेत्तु तदीयाराधन-

पद्म

२८५ अनु, ७३८

तन्माययातो

भा

[[७]]

५६१ तन्मुखे हरि-

[[८४३]]

तदुक्तं यत्नत-

कूर्म

[[८७८]]

तन्मुद्राङ्कित-

अग्नि

[[२४७]]

तदुक्तं हृन्न तदुत्तमश्लोक-

ब्रह्म के

६०५ तन्मे व ह्यञ्जसा-

भा

[[१०४५]]

भा

७८७ तन्मे भवान्

THAT

भा

३०६ अनुश्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ २१

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

तप ईक्षा

भा

१११ अनु

तव दासस्य

भा

[[४२८]]

तपः श्रीहरि-

स्कन्द

८३२ तव पुरुषं

भा

[[५२०]]

तपसा स्त्रीत्व-

कर्म

१०२६ तव मायां

भा

११०, ६८६

तपसोपशमेन

भा

७१४ तव विक्रीड़ितं

भा

[[४५४]]

तपस्विनो दान-

भा

[[३२१]]

तव विष्णो

स्कन्द

[[१५]]

तपस्विभ्योऽधिको

गो

[[२७६]]

तवाभक्त :

स्कन्द

[[३६३]]

तपोदान-

भा

[[३५२]]

तवास्मीति च

रा, गरुड़

४०८, ४०६

तपोनिष्ठा

भा

६२० तवास्मीति तदीयत्व-

[[६१५]]

तपोयज्ञ-

स्कन्द

तपोयुक्त ेन

भा

गु

६६३ तवाहिसादयो

तमनन्तं

स्कन्द

तमवज्ञाय

भा

३१३ तवास्मीति वदन्

३५१ तस्थौ तदङ्गुष्ठ-

२४४ तस्माज्ज्ञानेन

TH

ह भ वि

[[७००]]

स्कन्द

[[२६५]]

भा

४४५.

भा

[[२९१]]

तमसस्तु रज

भा

तमसो नाश-

विध

३० तस्मात् केनाप्यु ४३८ तस्मात् कोटि-

भा ३२३ अनु, ३२५ अनु

कर्म

[[८१३]]

तमापुरनु-

भा

[[१०२२]]

तस्मात्तु मनसा

पद्म

[[६६३]]

तमीश्वरं

भा

२१२ तस्मात्त्वं गच्छ

विध

[[२२५]]

तमेतं वेदानु-

वृ

६२ अनु

तस्मात्त्वमुद्धवो-

भा

[[६८६]]

तमेतमात्मानं

वृ

१८० अनु

तस्मात् परतरं

पद्म

[[७३४]]

तमेव नित्यं

भा

[[७६१]]

तस्मात् प्रियतमः

भा

[[८२]]

तमेव विदित्वा-

श्वे

८० अनु

तस्मात् सर्वं निवेद्य व ब्रह्माण्ड

[[६६१]]

तमेव शरणं

गो

१०५७ तस्मात् सर्व्वप्रयत्नेन

स्कन्द

३३१, १०८

तमेवात्मान-

भा

७६ तस्मात् सर्व्वात्मना

भा ११५ अनु, ४७, १५१

तमोद्धारं

भा

२४७ अनु

[[३२५]]

तया विना तद-

मोक्ष

१७६, ६५६ तस्मात् साध्यो

हय प

[[५७१]]

तयोरागमनं

भा

८५६ तस्मात् सेवा

[[६३४]]

तरङ्गात् कणिका

हय प

५७३ तस्मात् स्वसामर्थ्य-

पद्म

[[६६४]]

तरत्येव स

पद्म

७९३ तस्मादग्निस्त्रयी-

भा

[[३०]]

तरवः किं

भा

५३ तस्मादमूस्तनु-

भा

३१२ अनु

तरीव सव्ये-

भा

४४५ तस्मादर्थाश्च

भा

[[४६५]]

तरोरपि

शिक्षा

८३० तस्मादवैदिका-

पद्म

[[६०४]]

तर्कोऽप्रतिष्ठः

म भा

५२८ तस्मादेकान्तिनः

गरुड़

[[४६२]]

तपितानि

पद्म

१६२ अनु

तस्मादेकेन

भा १०२ अनु. २०, ६८४

तव गुणकृत-

भा

१६२ अनु

तस्माद्गुरु

भा

२०६ अनु, ६०३

२२ ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

८६८ तस्याहं सुलभः

तस्माद्दीक्षेति तस्माद्द हमिमं

गी

[[५०८]]

भा

३६८ तस्यैकदा तु

भा

[[५३३]]

तस्माद्भारत

भा

४१, ३४६

तस्यैते कथिता

श्वे

३६, ६२५

[[196]]

तस्माद्यज्ञश्च

पद्म

१९५ तस्यंव मे सौहृद-

भा

३०६ अनु

तस्माद्योगी

गो

२७६ तांस्तारयति

विध

[[४१६]]

तस्मादविष्णु

इ समु

७३७ ताः श्रद्धया

भा

[[६१०]]

तस्माद्विसज्या-

भा

२८२ अनु

ताननादृत्य

भा

[[८८]]

तस्माद्वरानु-

भा

३२१ अनु, १०१६

तानातिष्ठति

भा

[[८८८]]

तस्मान्मद्भक्ति-

भा

१७६ अनु, १३४, ४८३

तानानयध्वमसतो- भा

[[३६०]]

[[१०४]]

तस्मान्मय्यपिता-

भा

[[२६३]]

तान्न स्पृशन्त्यत

भा

[[७७६]]

तस्मिंस्तस्मिन्

भा

७२६ तान्येवार्थकराणि

पद्म

४३३, ८१८

तस्मस्तुष्टे

वि पु

१७५ तान् व ह्यसद्-

भा

  • ५२५

तस्मिन् कथं

भा

४ तापः पुण्डू

पद्म

१६८ अनु, ५८३

तस्मिन् न्यस्तभरः

पद्म

६६५ तापत्रयचिकित्-

भा

[[६४४]]

तस्मिन्महन्मुखरिता

भा

७७६ तापत्रयेणाभि-

भा

[[७०१]]

तस्म देयं

गरुड़

७४८, ७४६ तापादिपञ्च-

पद्म

[[५५६]]

तस्मै नमन्ति

भा

३५७ तामसं द्युत-

भा

-३७३

तस्म सुभद्र-

भा

३२१ तामसं मोह-

भा

३६ε

तस्य कृष्णः

विध

६४० तामसः स्मृति-

भा

[[३७४]]

तस्य तीर्थ-

भा

६८७ तामस्यधर्मे

भा

[[३७५]]

तस्य तुष्टो

वा क

७०७ तामेवाग्रे

विध

[[६१३]]

तस्य तुष्याम्यहं

ना प

६०६ ताम्र भवति

[[७१३]]

तस्य तूर्णं तस्य नित्या-

म भा

२५१ ता ये पिवन्त्य-

भा

[[७७६]]

पद्म

५१६ ता ये शृण्वन्ति भा

[[७५४]]

तस्य भिन्न-

भा

२५६ तारकं वादिभिः

स्कन्द

F

[[७००]]

तस्य यत्-

भा

५२ तावकैर्दुस्तरं

भा

-११२

तस्य व्यभिचर-

भा

तस्यां चित्तं

भा

तस्याः स्मरण-

पद्म

[[६६४]]

तस्याद्य ग्रन्थना-

तस्यान्तरायाः

पद्म

[[८८६]]

तावज्जरामरण-

६१२ तावत् कर्माणि

२ तावत् स्थवीयः ८६० तावन्ति हरि-

भा ६२ अनु, १०६ अनु

पद्म

[[४८६]]

भा

[[४३]]

[[८१४]]

तस्यान्न नव

स्कन्द

[[८७१]]

तावन्न संसृति भा

[[६६७]]

तस्यापराध-

वि या

७६८ तावांस्तेऽहं

-१०६७

श्लोकप्रतीकानामनुक्क म ष्पिका ]

[ २३

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

अन्यनाम

श्लोकानुच्छेदाः

तावुभौ नरकं

ना प

७१६ ते तु भागवता

बद्म

तासां कि

भा

१०२६ ते वेवसिद्ध-

भा

७४३, ६१६ १४८ अनु

तितिक्षुः सर्व्व-

[[10]]

५७८ ते द्वन्द्वमोह-

जो

[[५५२]]

तिरोभवित्री

[[21]]

[[६६४]]

तेन त्यक्तः

ब्रह्मदे

[[६२०]]

तिर्य्यग्जना

[[91]]

१७१ अनु, ३०२

तेन धर्मे

नृसिंह

[[६५]]

तिर्य्यग्योनिः

स्कन्द

[[६४६]]

तेन पापेन

पद्म

[[८१७]]

तीर्थस्नानैश्च तीर्थानि नियमा तीर्थेन मूधन्यधि

स्कन्द

३३० तेन प्रीति

‘पद्म

[[८२५]]

भा

[[७२०]]

तेन सन्दशिता-

भा

२८३ अनु, ६१६

[[19]]

११३ अनु, २६५ अनु,

ते न स्मरन्त्य-

भा

[[७३६]]

२८३ अनु

ते नाधीत-

भा

[[७२६]]

तीर्थ शौकर के तीव्रया मयि

आ वराह

६७६ तेनाहं कर्मणा

स्कन्द

[[२३७]]

भा

६६२ तेऽनुकम्प्या

भा

[[४४२]]

तीव्र ेण भक्ति- तीव्रणात्मसमाधिना तुलयाम लवे-

[[11]]

४६, ७०

तेऽनेकजन्म-

भा

[[४१६]]

[[19]]

[[६६३]]

तेने ब्रह्म

भा

११४ अनु

[[17]]

२४७ अनु, ३६७

तेनैव स्यान्न

इसम

[[७३७]]

तुलसीकाननं

स्कन्द

[[८६६]]

तेऽपि मामेव

ग्री

२३८, ४५८, ६५०

तुलसीदल-

विध

४२४ तेऽपि व

पद्म

[[३८८]]

तुलसीनाम-

स्कन्द

२८३ अनु

ते पुनन्त्य-

भर

[[५३५]]

तुलसीवनवाटिका

स्कन्द

८६७ तेषुस्तपस्ते

भा

[[३५०]]

तुलस्यवचय-

तुलस्या कुरुते

विया

स्कन्द

६५१ ते प्राप्नुवन्ति

भी

[[२०२]]

९७७ तेभ्यो गन्ध-

९७६ तेभ्योऽपीह नमो १०७३ ते मुक्ति-

भा

[[२५६]]

तुलस्या रोपणं

[[11]]

हयप, नास्त १८२, १००५

तुष्टिः पुष्टिः

भा

ब्रह्म

बीए ६६६

तुष्ट्यर्थं देवकी-

विर

६४५ ते मे भक्ततमा

भा

[[५८५]]

तुष्येदात्मात्मदो

भा

६१८ ते मे युक्त-

मो

Roo

तुष्येयं सर्व-

भा

७१४ ते यान्ति नरकं

पद्म

[[८१७]]

तृणादपि सुनीचेन

शिक्षा

८३० ते यान्ति परमं

इ सम्

[[४०४]]

तृतीया शक्ति-

त्रिपु

[[५७५]]

ते वै पाषण्डिनः

पद्म

[[१००६]]

तृतीये विष्णु-

भा दी

६२ ते वै प्राकृत-

पद्म

[[६०१]]

तृष्यन्ति तत्- तृषार्त्तः सुजले-

भा

८४ ते वै भागवतो-

ष्ट नारव

नारद

[[३१]]

तृष्णाहरः

चिन्ता

[[२२३]]

मृत्यु- ते वै विदन्त्य-

गरुड़

[[७०२]]

भा

१७१ अनु, ३०२

तेजः प्रभाव-

भा

१०० अनु, ३७८

तेषां के

गी

[[१६६]]

२४ ]

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्या

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

तेषां ज्ञानी

तेषां नित्याभि-

तेषां पूजादिकं

मी

५६३ त्यज चान्यान् ४५७, ४६६ त्यजत्यन्ते कले-

विध वि छ

[[६१२]]

मी

[[४४८]]

தர்

८२८ त्यजन्त्यन्यस्पृहां

भा

[[४५४]]

तेषां बहुपदः- तेषां ब्राह्मण तेषां भक्ति-

भा

२६० त्यजेत् सर्वमशेषतः

पद्म

[[६६४]]

[[17]]

२६१ त्रयाणामीप्सिते-

भा

६०२.

वृ नारद

१६७ श्रभ्यां विद्या-

५८ अनु

तेषां विकल्प-

भा

१२५ त्रायते महतो

मो

[[६४३]]

तेषां वै नरकं

गरुड़

६३३ त्रिकालं पूजयेद्-

विध

[[८७२]]

तेषां श्रमः

भा

६७ त्रिभुवनविभाव-

मा १४ अनु, २७८ अनु

तेषां हि वचनं

ਕਿ ਦ

[[८७७]]

[[५५६]]

तेषामशान्त-

भा

१०४ विरन्वीक्ष्य

[[99]]

११५ अनु, १८, ४५

तेषामसौ

भा

७१ अनु, १७६ अनु,

त्रिरुच्चैव्र्व्याज-

पद्म

[[१९६]]

११७, २०६

त्रिलोकनाथा-

भा

८.४५

लेषामात्माभि

ब्रह्म के

२७१ त्रिसप्तभिः पिता.

भा

[[४१८]]

तेषामेवानु-

मी

१७० त्रेतादिषु हरे-

भा

[[६१६]]

तेषु नित्यं

भा

७५३ त्रेतायां द्वापरें-

वि पु

[[८३४]]

तेष्वनिर्विण्ण-

तेष्वेव भगवान्

ते सन्तः-

ते सर्वे स्त्रीत्व-

"

[[19]]

४७६ त्रेतायां यजतो-

२८६ अनु

त्रैगुण्यविषया

भा

३१५, ८३३

गो

२२५ अनु

नृसिंह

यद्म

८२६ त्रवेद्यञ्च गुणा १०३१ त्वं तु राजन्

भा

१३८ अनु

भा

८६ अनु

ते स्वार्थकुशलाः

भा

४७४ त्वं प्रत्यगात्मनि

[[३५४]]

"

ते ह नाकं

पद्म

१०१ त्वं मे भृत्यः

[[७२२]]

[[97]]

ते हि विष्णु

विर

८७७ त्वग्वीजञ्चैब

हय प

[[५६६]]

तैरात्मा वञ्चित-

ब्रह्म कै

२६६ स्वश्च स्वाम्यनपा-

भा

[[४६७]]

तैरेव सद्भवति

भा

३७२ त्वत्पादाब्जं

[[६८८]]

[[17]]

तैस्तान्यधानि

ナラ

[[३५२]]

३५२ स्वत्पाटुके

[[१७३]]

"

तोष्यते तेन

तौ सन्तोषयता

वि पु

४८६ त्वत्प्रीत्याष्टौ

स्कन्द

[[६५४]]

कुन

१ त्वपतेहा-

भा

[[१६६]]

त्यक्तान्यभावस्य

४६३ स्वद्दर्शनान्नृणा-

४११, ७५८

त्यक्तोदमपि

श्रा

[[२४५६]]

४५६ त्वद्वार्त्तया

भा

[[११२]]

त्यक्त्वा देहं त्यक्त्वामृत त्वक्त्वा स्वधर्मं

गो

७६६ त्वन्तु राजन्

भा

८६ अनु

स्कन्द

[[२१०]]

त्वन्तु सर्व

भा

भा ५८ अनु, १०० अनु,

१७३ अनु, ३६ त्वन्माययामी

भा

[[१०४७]]

[[531]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

[ २५

श्लोकानुच्छेदाः

त्वमप्यदा-

भा

त्वमेव परमेशानि

३२८ दशत्वलं गायत २८५ अनु दस्युभिर्मुषिते-

भा

८६ अनु, १५५ अनु

गरुड़

[[८५२]]

त्वया गीत-

भा

५२७ दह्यमाना

भा

[[६६४]]

स्वयाभिगुप्ता

[[19]]

३३५ दाक्षिणात्येन

[[१]]

त्वयोपभुक्त

[[६८६]]

दाता फलाना-

[[८८५]]

स्वयोपयुक्त-

३३६ अनु, ११०

दान व्रत-तपो-

भा

१६६, ७३१

त्वय्यस्तभावाद्-

"

[[२८६]]

दावज्वालेव

पद्म

[[३५५]]

त्वां प्रपन्नो

नृसिंह

६६८ दासभूतमिदं

पद्म

[[५१६]]

त्वां सेवतां

भा

१२१ अनु, १०७ दासानामव-

भा

[[६८७]]

त्वाश्ञ्च माञ्च

"

त्वामत्तुमागतः

विध

[[४२०]]

५२७ वासेष्वनन्य-

दासोऽहं

[[19]]

[[१०४८]]

इ समु

४०६, ६८५

त्वामनुस्मरतः

वि पु

[[६३६]]

दास्यं पुन-

भा

३०६ अनु

त्वामेव धीराः

भा

६७ दास्यं सर्व्वं

पद्म

[[५१७]]

त्वाष्ट्रकायाधवा-

दण्डकारण्य- दण्डपारुष्ययो-

"

७२७ दास्येनात्म-

भा

३०६ अनु

पद्म

१०३० दिगगजै-

भा

[[३३८]]

भा

[[१०१७]]

दिनमेकं

पद्म

८६.३

ददाति मधुसूदनः

गरुड़

[[१७८]]

दिनानि कति-

भा

३२० अनु

ददाम्येतद्व्रतं मम

रा

[[४०८]]

दिविष्ठा यत्र

ब्रह्म

[[८६१]]

ददाम्येतद्व्रतं हरेः

गरुड़

४०६ दिविष्ठास्तव पश्यन्ति

ब्रह्म

१३५ अनु

दधति सकृन्मन-

भा

१४७ अनु

दिवौकसानां

पद्म

[[६०७]]

दध्यौ मुकुन्दा- दन्तवक्रश्व दन्ता गजानां

दमघोषसुतः

दम्भं महदुपासया दम्भं मात्सय्र्थ्य- दर्शनं सन्निधापनम्

दर्शनादेव साधवः दर्शनान्नो भवेद्- दर्शनालिङ्गना- दर्शने पतनानि दशकृत्वो जपे-

भा

"

[[11]]

८६ अनु

दिव्यं ज्ञानं

[[८६८]]

[[91]]

[[१०१५]]

दीक्षापूर्व

[[८६६]]

विध १२३ अनु, १५५

दीक्षामात्रेण

स्कन्द

[[४००]]

अनु, ४४४

दीनानामनु-

भा

[[६७१]]

१०१५ दीयमानं

भा

[[६८०]]

७०४ दुःखानि तानि

पद्म

[[२६६]]

[[13]]

६७५ दुःखोदर्कांश्च

भा

१७३ अनु, ४८२

६१५ दुरवगमात्म-

भा

२५५ अनु

भा

५३५ दुराराध्यं समा-

"

[[१०२६]]

"

५२२ दुराराध्यमसाधुभिः

[[11]]

[[४४१]]

"

३२५ अनु दुर्गसंसार-

विध

[[६८४]]

स्कन्द

८०० दुर्गां विनायकं

भा

[[६०३]]

त्रै सत

[[४३४]]

दुर्गेति गोवते

ना प

[[८६७]]

२६ ]

श्लोकप्रतीकानि

दुर्दर्शोऽहं

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

भा

दुर्भगेदमयाचत

"

४४६, ५४० देवबभूताप्त-

[[१०२५]]

भा

१७३ अनु, ३१२ अनु

[[४६१]]

दुर्लभं मानुषं दुर्लभै कान्तिनामपि

दुर्लभो माघ-

"

[[17]]

सौपर्ण

८८ देवर्हतसु

भा

[[६१८]]

१०१३ देवविश्व हो-

भा

[[३११]]

६६६ देवस्य परितो-

पद्म

[[६०५]]

दुष्टचित्तैरपि

वृ नारद

११५ अनु

देवस्य प्रतिमां

विध

[[४१६]]

दुस्तर्कमूलो-

दूरे चाच्युत-

भा

८७ देवा अपि

भा

[[५३४]]

[[19]]

४४२ देवानां शुद्ध-

भा

[[३६३]]

दूरे हरिकथाः

[[99]]

४४२ देवानामर्चनं

पद्म

[[६०४]]

दूरे हरिकथामृतात्

दृढ़भक्ति-

पद्या

स्कन्द

१२० देव्यस्तटित्य

चिन्ता

[[२२३]]

१८४ देशकालाद्य-

पद्म

[[५१७]]

दृश्यते क्वचि-

भा

१६७ देशिकैस्तत्व-

[[८६८]]

दृश्यादिभिः

"

दृष्ट ऐवा-

दृष्टं श्रुत- दृष्टः पश्ये-

दृष्टश्रुताभि- दृष्टा योगाः

दृष्टचार्द्रया

भा

[[19]]

५०६ देहं पराधीन- भा

२७ देहश्च नश्वर-

[[११८]]

[[31]]

१८७ अनु

T

६४६ देहवद्भिरवा

गो

[[२०३]]

ब्रह्म

४२३ देहात्मजादिषु

भा

[[३७२]]

भा

५५ अनु, ६७४

देहिनस्तस्य

स्कन्द

[[४३२]]

[[99]]

८८७ देहिनां भ्राम्य-

भा

[[८३६]]

६८१ देहिनां विषया-

भा

[[६४१]]

दृष्ट्वा तेषां

भा

६१६ देहोवाभाति

भा

[[८३]]

दृष्ट्वा भागवतं दूरात् स्कन्द

४३१ देहे देहभृता-

गो

१७६ अनु

दृष्ट्वा भागवतं विप्रं स्कन्द

४३२ देहेन्द्रियप्राण-

भा

१३४ अनु, ५५१

दृष्ट्वा रामं

पद्म

१०३० देहेन्द्रियासु-

भा

३१६ अनु

देवं नारायणं

पद्म

६०५ देहे वै स

[[५५४]]

देवगुह्यं

भा

१०७२ देव आसुर

अग्नि, विध

[[२८३]]

देव-तन्मन्त्रयो-

हय प

[[५७२]]

देवं जह्यात्

भा

[[७०५]]

देवतानामृषीणाञ्च

सौपर्ण

[[६६६]]

दैवं न तत्

[[19]]

[[६२६]]

देवतायाश्च मन्त्रे

विध

[[६४०]]

दैवमेवापरे

गो

१११ अनु

देवदत्तो

पद्म

२३४ दैवा हतार्थ-

भा

[[२७३]]

देवदेवं

नृसिंह

६६८ देवीं प्रकृति-

गी

[[१०६५]]

देवदेवे जनार्द्दने

वृ नारद

[[१६७]]

देवी ह्यषा

गो

देवदेवो जगत्- देवद्रोहाद्-

स्कन्द कर्म

[[८६६]]

दैवे च तदभावे

भा

[[६२१]]

८१३ दौरात्म्यं

[[६२०]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोकप्रतीकानि

दौहित्र्यादीनृते द्रवता चेतसा

भा

[ २७

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

६१४ द्विविधः परि-

ब्रह्मवै

[[६०५]]

[[19]]

३८६ द्विविधो भूत-

अग्नि, विध

[[२८३]]

द्रव्यं पुष्पा-

हय प

[[५६८]]

द्विषतः पर-

भा

[[२५०]]

द्रव्यतत्त्वं

हय प

५६७ द्विषन्नपि

"

[[१०२४]]

द्रव्येण भक्ति-

भा

द्रव्यैस्तोय-

[[19]]

६८७ देषाच्चैद्या- ह२६ धत्ते पदं

"

[[१०३३]]

[[19]]

द्रष्टव्यस्तेन

ब्रह्म

[[२२१]]

धनदस्य

"

७१ अनु, १०७ १०६ अनु

द्रष्टु ं न

पद्म

१०३८ धमः प्रोज्झित-

[[21]]

५८ अनु, ११५ अनु,

द्रागेव गोपालक-

द्वन्द्वम्

भा

द्वन्द्वातपत्रा-

द्वात्रिंशदपराधांश्च

[[19]]

स्कन्द

[[८८५]]

१०६ अनु धर्मः सत्य-

[[७०१]]

६७७ धर्मः स्वनुष्ठितः

भा

"

२१७ अनु

१४७ अनु, २८७,

[[१३०]]

३ अनु, ६५ अनु, १२

१३८ अनु, २७६

[[८४७]]

द्वात्रिंशदपराधांस्तु

स्कन्द ि

६७३ धर्मं भागवतं

[[19]]

द्वात्रिंशदपराधानि

स्कन्द

६७५ धर्मज्ञानादिभिः

"

द्वादशीव्रत-

पद्म

२६६ अनु

धर्मन्तु साक्षाद्-

[[39]]

१६५ अनु, २७४

द्वादशैते

भा

[[२७६]]

धर्म- व्रत-त्याग-

पद्म

[[७६६]]

द्वादश्यां जागरं प्रति

स्कन्द

[[९६३]]

धर्मस्यास्य परन्तप

गी

[[२०७]]

द्वादश्यां जागरे विष्णो- स्कन्द

[[६७५]]

धर्मान् सन्त्यज्य

भा

[[५८१]]

द्वादश्यां व्रत-

स्कन्द

[[६५४]]

धर्मार्थं जीवितं

स्कन्द

[[५६५]]

द्वादश्याश्व दिवा-

वि या

[[६५१]]

धर्मावितयं-

भा

[[८०२]]

द्वादश्याश्च विधा-

पद्म

९६४ धर्माश्च यदपाश्रयाः

[[11]]

[[४६५]]

द्वापरे परि-

भा

३१५, ८३३

धर्मञ्च सत्यञ्च

म भा

[[१८२]]

द्वारकावासिनः

स्कन्द

८६२ धर्ममूलं हि

भा

[[६३]]

द्वारवत्यां

भा

५४७ धर्मशीलतया

स्कन्द

[[२३६]]

द्विजगोद्वेषिण-

वृ नारद

[[२८५]]

धर्मस्य तत्त्वं

म भा

[[५२८]]

द्विजत्वं जायते

त सा

[[६४४]]

धर्मस्य ह्यापवर्ग्यस्य

भा

[[१३]]

द्विजत्वं प्राप्य

भा

६८६ धर्मान् भागवतानिह

भा

५६ अनु, दद

द्विजातिः श्वपचा

नारद

१८७ धर्मान् भागवतान् ब्रूत

भा

द्विजातेर्गृह-

भा

[[८७०]]

धर्माय यशसे

"

द्विजानामनुपनीता

[[८७४]]

धर्मार्थकामः

[[12]]

२१७ अनु ६४७

६०, ३०६ अनु

द्विजंस्तमसि पातितः

भा

१०१४ धर्मो मद्भक्तिकृत्

[[19]]

२२५ अन

द्विजोपसृष्टः

,, ८६ अनु १५५ अनु धर्मो यस्यां

[[11]]

१२७, २६६, ६३६

द्वितीये तु

भा दो

[[६१]]

धर्मो विष्ण्वच्चनं

स्कन्द

الله

[[३३०]]

२८ ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः

धर्मो हर्ध्यर्थ

पद्म

५६७ ध्येयो नारायणः

स्कन्द, लिङ्ग, पद्म १६४, ३०१

धारणातो जितं

भा दी

६१ ध्रुवस्यानि

T

[[६१२]]

धारणाद्यात्मलक्षणम् धावन् निमील्य

पद्म

[[५८४]]

न ऋते तत्

ॠक

१३४ अनु

भा १२१ अनु, ३१२ अनु,

न कथ्यते यद्-

भा

[[८२२]]

[[६४२]]

न करोति पुमान्

वि पु

[[४८६]]

धिक् कुलं

भा

[[१८६]]

न करोति हरे-

भा

[[६७७]]

धिग्जन्म

[[19]]

[[१८६]]

न कामकर्म्म-

[[५५३]]

[[19]]

धिग्व्रतं

[[11]]

१८६ न कामये नाथ

[[91]]

२५७ अनु

धिया भिन्न

पद्म

७६४ न कामयेऽन्यं

[[८५६]]

[[99]]

धिष्ण्येष्वित्येषु धुनोति सव्वं

भा

६२८ न कारस्तन्निषेध-

१७२ अनु, ३१२ अनु

न कालनियम-

पद्म विध

[[६६३]]

-८३८

४६३ न किङ्करो

भा

[[४६१]]

धूपाद्यैः क्रियते

पद्म

८२८ न किश्चित् साधवो

भा

१७२ अनु, ५१०

धूमधूम्रा-

भा

१७६ न कुर्य्याश

भा

F

[[११४]]

धृतिमान् जित-

"

५८० नक्तं दिवा

ना कौ

[[७८३]]

धमातं पुनः ध्याता चैवोप- ध्यातुधिया ध्यानं नापि

[[39]]

भा

विध

गौत

ध्यानं निद्वन्द्व-

नृसिंह

ध्यानं मे वक्तु-

भा

२६२ न क्रोधो

६१२ नखमणि-

६७ न खादन्ति ४६५, १०१० न गृह्णाति

८५५ न घटत

१०६६ नक्ष्यत्य दूरा-

[[४५५]]

भा

[[५५७]]

[[५३]]

[[95]]

स्कन्द

[[४३१]]

भा

१६८ अनु

[[६७२]]

[[99]]

ध्यानयोग-

गरुड़

७०२ न च दुर्वाससः

गरुड़

[[३४३]]

ध्यानसङ्गति-

२२६ अनु न चलति निज-

वि पु

[[५६६]]

ध्यानिनः संप्रवर्त्तते

विर

८५७ न चलति भगवत्-

भा

११५ अनु, ५५६

ध्यायन् कृते

विपु

८३४ न च वेदो-

पद्म

[[१००६]]

ध्यायन्त आकृति-

भा

१०३५ न च व क्षमते

स्कन्द

[[४३२]]

ध्यायन्तश्चा-

भा

७६ न चान्यदेवता-

स्कन्द

[[२३५]]

ध्यायन्ति परमात्मानं

हय प

५८२ न चापितं

भा

३ अनु, ३८, १५४

ध्यायन्त्यभद्र-

भा

१७३ न चेज्यया

भा

[[५३७]]

ध्यायन्नच्र्चेत्

भा

६२८ न चोपगाय-

भा

[[५५]]

ध्यायेन्मुमुक्षु-

भा

१०६६ न छन्दसा

भा

[[५३७]]

ध्येयं गेयं

जा सं

८४६ न जपो नार्चनं

गौत

४६५, १०१०

ध्येयः पूज्यश्च

२०, ६८४ न जातु कामः

भा

६८ अनु

श्लोक प्रलोकनि

न जातु मर्यो-

भा

न ज्ञानं न

भा

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

ग्रन्थनाम श्लोकातुच्छेदाः श्लोकप्रतीकनि ग्रन्थनाम

५८ न निष्कृते-

T २६

श्लोकानुच्छेदाः

[[७८७]]

-११५

भर

१३४, ४८३ न निष्णात्

भा

न तत् फल-

स्कन्द

३३२ नन्दः किमकरोद्- भा

३२५ अनु

न तथा तप्यते

भव

[[२५३]]

नन्वञ्जसा

भा

१६२, ७७३

न तथा भक्ति-

भा

[[१०२०]]

नन्वस्य

भा

२६३ अनु

न तथा मम

पद्म

८२८ न परविद्या- 1

भा

५८ अनु

न तथा ाघवान्

भा

३४८ न परीक्षां

ब्रह्म

[[६०६]]

न तथैवापितं

भा

६४१ न पश्यामि

भा

[[२६३]]

न तद्भक्तेषु

भा

२४६, ५४६

न पारमेष्ठ्य

भव

१६८ अनु, ३६०

न तां सर्वेऽपि

पद्म

४६८ न पारये-

भा

३२० अनु

न तिष्ठति

स्कन्द

८७१ न पुत्रमभ्य-

स्कन्द

[[१००४]]

न तु कल्प-

विध

४१२ न पुनरुपासते

भा

१४७ अनु

न तु नारायणा-

वामन

८१० न पुनाति

भर

[[६४५]]

न तु मच्छरणा-

ब्रह्म वै

१८० न प्रमाद्येत

भा

[[६४२]]

न तु मामभि-

यो

२३६, ६५१ न प्रायेण

भा

[[३२६]]

न ते मय्य-

भा

२१८ न प्रायेणोप-

भा

[[३६३]]

न ते यमं

भा

३६५ न प्रीति-

भा

[[५३८]]

न तेषां

वृ नारद

४०१ न बाधन्ते-

वृ नाश्व

[[३४१]]

न ते स्युः

स्कन्द

२६५ न बुद्धि-

गो

[[५०२]]

न त्वष्टादश-

स्कन्द

१८४ न ब्रह्मा

स्कन्द

[[३६७]]

न दानं

भा

११५ अनु, ४७०

म ब्राह्मो न

स्कन्द

[[२३५]]

न देवा मूच्छिला-

भा

[[५३५]]

न भजति

भा

[[६७१]]

न देशकाला-

स्कन्द

[[८३६]]

न भजन्त्यव-

भा

२०६, २६६

न देशनियम-

विध

८३८ न भजन्त्यात्म-

भा

[[१०४]]

नद्यस्तदा

भा

१८८ अनु न भजेत् सर्वतो

भा

[[५४८]]

न द्रष्टव्या

पद्म

७४१ न भवन्त्यभयो

पद्म

[[८६०]]

न धनैर्धरणी-

नारद

६३० न मद्भागवता-

भा

[[२१६]]

न ध्यायेत् साध्व-

भा

११४ न मनः शान्ति-

भा

[[२५०]]

न नाकपृष्ठ

भा

९६८ अनु न मन्यते तस्य

भा

५-०३

न नाम तत्रार्द्ध-

भा

४४५ न मय्येकान्त-

भा ३१२ अनु, ३२१ अनु

न नित्यास्त्रिदशे-

पद्म

[[६०१]]

[[५१३]]

न निर्विण्णो

भा

१७२ अनु, ४८०

न मर्त्यबुद्धया-

भा

[[६२७]]

न निविद्येत

भा

[[४८६]]

नमस्कारः स्मृतो

नृसिंह

[[६८२]]

नमष्कुरुत नित्यशः

३० ]

श्लोकप्रतीकानि

नमस्कारेण बँकेन

नमस्कारेण नार्चयेत्

भा

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

नृसिंह

६८२ नरके भृश-

मा

२६५ अनु

स्कन्द

४३२ न राति

भा

[[५०४]]

७५० नरा नार्य-

स्कन्द

[[८६२]]

नमस्तस्मं

पद्म

[[४५२]]

नरा मोक्षं

स्कन्द

[[४००]]

न महाजनो-

भा

११० अनु

नरेष्वभीक्ष्णम्

भा

-१३१ अनु

न मां दुष्कृतिनो

गी

११५ अनु, २८२

न रोधयति

भा

२३८ अनु, ७१६

न मुच्यते

मा

१८७ अनु

नरो नारायणा-

मोक्ष

१७६, ६५६

न मुह्यन्ति

भा

[[१०५४]]

न लभेयुः

बं त

[[२१४]]

न मे तोषाय

भा

१७२ अनु, ६७०

न लोभो

[[४५५]]

न मे ध्यान-

विर

[[८५७]]

नवकर्म्म-

[[५६१]]

न मेऽभक्त-

२८६ अनु

न वक्तव्याः

पद्म

[[७४१]]

न मे भक्त-

गरुड़

७४६ न वक्तयज्ञाय

भा

-५०४

न मोचयेद्-

भा

६२६ नवधा भिद्यते

[[५६१]]

नमोऽस्तु ते

भा

१०६८ः नवमे सर्व्वाङ्ग-

निरुक्त

१५१ अनु

न यक्षो

वि पु

१०४२ न वर्णाश्रम-

भा

-५५४

न यत्-कर्ण-

५४ नवायुतं

विध

[[४१७]]

न यत् प्रसादा-

भा

नयत्यच्युत-

विध

२१२ न वासुदेव-

४१५ न विक्रिया विश्व

सहस्रनाम

[[४४७]]

भा

[[६७२]]

न यत्र नक्षत्राणि

नृ त

२८६ अनु न विक्रियेताथ

भा

५६, ४२७

न यत्र माया

भा

२८५ अनु न विद्यते

पद्म

१७२ अनु, ७६५

म यत्र यज्ञेश-

भा

३२२ न विष्णुभक्तो

विध

[[४८७]]

म यत्र वैकुण्ठ-

भा

[[३२२]]

नवृत्तं

भा

[[४६६]]

न यत्र श्रवणादीनि

भा

१२३ अनु

नवेज्याकर्म्म-

पद्म

[[५५६]]

न यत्रात्मप्रदो

भा

[[५०]]

न वेद रुद्ध-

भा

-८५६

म यद्धृषीकेश-

भा

[[८६]]

८६ न व जातु

भा

३१ अनु, ३३७

म यस्य जन्म-

भा

५५४ न वं विदु-

भा

१६५ अनु, २७४

न यस्य स्वः

भा

५५५ नव्यवद्धृदये

भा

[[१०५४]]

न याति स्वर्ग-

भा

५०५ न शक्नोषि ब्रवीमि

विध

[[७८४]]

न युज्य-

भा

६६ न शक्नोषि मयि

गी

[[१६१]]

न योग-

भा

३६० न शशाक

भा

  • ३३६

न योग्या केशव

विध

४३८ न शास्त्रे

ब्रह्मवै

५.

नरकं घोर-

गौत

६५६ न शूद्रा भगवद्-

पद्म

७४३, ६१६

नरकानि

विध

८७२ न शृण्वतः

भा

५५यो

भा

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोक प्रतीकानि

न शोचति न शोभते न शौचं

ग्रन्थनाम

[[79]]

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

भा

[ ३१

श्लोकानुच्छेदाः

१३४ अनु

न ह्यस्मयानि

[[५३५]]

३८, १५४

न हो कस्माद्-

[[६०६]]

"

न श्रद्दधाति

न सं

नष्टप्रायेष्व-

भा

न संमुमोहो-

भा

न संसृति

भा

४७० नाक्षीणे जायते

४२६ नाचरेद्यस्तु

२४ नाचरेद्यस्तु सिद्धो-

१४८ नातश्चिन्त्य-

६१७ नातिहिंस्र ेण

विध

[[५२६]]

भा

[[१००]]

ना प

[[८६४]]

वि पु

[[१०४२]]

भा

१०६ अनु, ६६६

न स भागवतो

पद्म

  • ७३८ नात्मनश्च

भा

[[२१८]]

न समर्थो

ब्रह्म

६६६ नात्यद्भुतमहं

भा

[[१४३]]

न सम्यक्

भा

१३०, २८७

नात्यन्तिकं

भा ११५ अनु, १३४ अनु,

न स लिप्येत्

स्कन्द

[[६७४]]

२३४ अनु

न साङ ख्यं धर्म्म

भा

१२६, ७१६

नात्यभीष्टान्

भा

[[८५१]]

न साधयति

[[19]]

१०३ अनु, १४७, अनु,

नादेवो देव

३०६ अनु

३२७ अनु, १२६

नाधम्र्मजं

भा

[[३५२]]

न साधवो-

[[97]]

३२२ नाधिकारो-

[[८७५]]

न सार्व्वभौमं

[[99]]

३६० नानागति-

भा

२३४ अनु

न सिद्धमुख्या

[[91]]

-२७४

न सौरो

स्कन्द

न स्खलेन्न

भा

न स्वर्ग

[[39]]

३६७, ५४५, ७५७

नानात्व-भ्रम-

२३५ नानामनोरथ

६४२ नानावर्णाभि-

नानाशक्त्यु-

[[१२१]]

[[01]]

[[२७३]]

[[१०८]]

[[17]]

हय प

[[५६४]]

न स्वाध्याय-

[[91]]

१२६, ७१६

नानुव्रजति

२८६ अनु, २६०

न स्वामी

[[४६६]]

नानैव विधि-

भा

[[१०८]]

न हरति

वि पु

५६६ नान्यः प्लवो

११६, १३६

न हि तस्या-

स्कन्द

[[९६३]]

नान्यज्जगाद

[[77]]

विपु

[[४६७]]

न ह्यतोऽन्यः

न हि भगवत्- न हृष्यन्ति न ह्यग्निमुखतो- न ह्यतः परमो

[[19]]

[[19]]

भा

भा ८६ अनु, ११५ अनु,४४

भा

४११, ७५८

नान्यत्र सज्जेद्

भा

[[४२]]

[[१०५४]]

नान्यत्र स्याद्-

[[७७६]]

"

७२३ नान्यथे हावयो-

भा

[[४६७]]

८३६ नान्यद्यथा

भा

११७, २०६

नान्यस्त्वदस्य

भा

१७६ अनु

न ह्यद्भुतं

भा

[[८७]]

नान्यस्य वर्हिषि

भा

[[१०७]]

न ह्यन्तोऽनन्त

भा

२८४ अनु

नान्यो मद्वेद 39

भा

[[४६]]

न हापुण्य-

स्कन्द

४३६ नापश्यमुभयं

भा

[[५४१]]

न ह्यभूत-

हय प

५७० नापैषि नाथ

भा

[[७५६]]

श्लोक प्रतीकानि

नाप्नोति सुकृती

नाभक्तचा दृश्यते।

पद्म

[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्यनाम लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

६४६ नारायणमिहाचर्च्चयेत् स्कन्द

१०३८ नारायणाय हरये

1 भ

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

[[३३१]]

[[३७६]]

नामकामित-

स्कन्द

८३६ नारायणायेति

[[19]]

[[६३७]]

नामभेदः

सत

[[६०२]]

नारायणे भगवति

३६५.

नाम मात्रैक-

पद्म

[[४६८]]

नारीषु नाना-

[[८८५]]

नामव्याहरणं

भा

[[७८०]]

नार्थस्य धर्मे-

[[१३]]

नामसङ्कीर्त्तनं

५६० नार्थो यश्चेह

[[99]]

[[१४]]

नामसङ्कीर्तनाच्च

भा

६७२ नार्थोऽर्थायो-

[[19]]

[[१३]]

नामानि तद्रति-

ना क

७८३ नालं. द्विजत्कं

" १४१ अनु, १६८ अनु,

नामानि पुरुषोत्तमः

स्कन्द

=११

[[४६६]]

नामानि ये-

४१६ नालभ्यं तस्या

पद्म

[[६६५]]

नामान्यनन्तस्य

[[97]]

२६५ अनु

नावज्ञेयाः

षद्म

[[२४१]]

नामान्येव हरन्त्य-

पद्म

४३३, ८१८

नावमन्येत

भः

[[६२७]]

नामापराधा-

षद्म

४३३, ८१८

नावसीदितु-

[[19]]

१८२ अनु

नामाश्रयः

पद्म

७६३ नाशयाम्यात्म-

[[१७०]]

नामैक

पद्म

२६५ अनु, ४२९

नम्शुचेवृषली-

भा

[[४५०]]

नाम्नामन्यत्र

बामन

[[८१०]]

नाशुभं विद्यते

स्कन्द

[[३३३]]

नाम्ना वै देवता-

पद्म

१३८ नासावृषिर्यस्य

म भा

[[५२८]]

नाम्नि सोऽप्य-

पद्म

७६७ नास्ति भक्तिः

यं त

[[८७]]

नाम्नोऽपि सर्व-

पद्म

[[७९३]]

नास्त्येक गति-

[[८४४]]

नाम्नो बलाद्-

मायं सुखाको

नाराधनं

नाराधनाय हि नारायणं देव-

नारायणकलाः

[[19]]

नारायणपदाश्रयाः इ समु

पद्म १७२ अनु, १७३ अनु

नास्पदं मधुसूदने

विध

[[४३७]]

[[७९५]]

नाहं त्यक्ष्यामि

वि ध, स्कन्द

[[८२४]]

२८६ अनु

नाहं देवो

विपु

[[१०४२]]

""

"

[[77]]

नारायण-परायणः

भा १८६ अनु, २७३ अनु,

[[862]]

[[177]]

नारायणपरायणाः

भा

नारायणपरा वेदाः

भा

नारायणमतन्द्रितः

पद्म

२६८ नाहं नान्ये

३७८ नाहं प्रकाशः

१५७ नाहं वसामि

-३२ नाहमिन्या-

४०४ निःशेषधर्म-

निःसङ्गश्वाय ३६४ निःसङ्गा भृत- १६१, ८३७ निःसङ्गोऽपत-

स्कन्द

[[३६७]]

गो

३१६ अनु

पद्म

[[८२७]]

भा

[[७१४]]

स्कन्द

[[३६३]]

भा

[[७३२]]

भा

[[२१६]]

भा २१७ अनु, २२४, अनु

४२ अनु

[[१०१]]

४०२ निक्षिप्तं स्यान्न

पद्म

[[४२६]]

श्लोकप्रतीक नामनुक्रमणिका ]

[ ३३

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

निगमकल्पतरो-

भा २५० अनु, २५७ अनु

निर्गुणस्य हुदाहृतम् भा

[[६७६]]

निगमकृदुप-

भा

२६ अनु

निर्गुणो मदपाश्रयः

"

२३४ अनु, ३७४

निजपुरुष-

२२३ अनु

निजिहीर्ष :

[[37]]

[[१०२]]

निजलाभेन

नित्य आत्माव्ययः

नित्यं भागवत-

नित्यं विष्णुजन- नित्यं सन्निहितो नित्यं हरति

[[19]]

[[19]]

[[19]]

[[३८०]]

निर्णीते केवलम्

अमर

५ अनु

१७६ अनु

निर्मुक्तः स्वेन

भा

[[६७४]]

[[२४]]

निर्विण्ण ईक्षित-

ना कौ

[[७८३]]

[[17]]

५४६ निर्विण्णः सर्वकर्मसु

भा

[[४८१]]

[[19]]

२८६ अनु

निर्विण्णानां ज्ञान-

[[33]]

[[४७६]]

६७८ निर्वृतीबंहुधे-

जा सं

[[८४६]]

नित्यः सर्व्वगतः

हय प

[[५६४]]

निर्वेदं प्रापितः

विध

[[४२१]]

नित्ययुक्तस्य

गी

[[५०८]]

निर्वैरः सर्व-

गो

[[४६४]]

नित्ययुक्ता उपासते

गो

२०० निर्वैराः सम-

भा

[[२१६]]

नित्याः सर्वे

पद्म

[[६००]]

निर्वैरेण भयेन

[[१०१६]]

निदानं तोषणे

पद्म

[[१६५]]

निर्वाणमधि-

पद्म

[[४०२]]

निद्रां सत्त्व-

भा

७०५ निलायनः

भा

२८६ अनु

निधाय याताः

[[99]]

५३० निवसिष्यसि

गी

[[१६०]]

निन्दन-स्तव-

[[19]]

निन्दयेदन्य-

गौत

१०१६ निवृत्ततर्षे-

२४२ निवृत्ता विधि-

भा

[[91]]

७६४.

[[६६७]]

निन्दां कुर्वन्ति

स्कन्द

७६६ निवेदितात्मा

[[19]]

३०६ अनु

निन्दां भगवतः

भा

८०१ निवेशितं

भा

[[३६५]]

निभृतमरु-

"

१०७२ निश्चला त्वयि

स्कन्द

[[१५]]

निमेषार्द्धा-

ब्र सं

६०८ निषादं श्वपचं

इ समु

[[७४५]]

निम्नमाप

भा

३५७ निषेवितानिमित्तेन

भा

६६ε

निरञ्जनम्

,,

२८२ अनु

निषेव्यमाणो-

[[19]]

[[७६३]]

निरन्धसां

[[19]]

६५८ निष्किञ्चनानां

[[19]]

३६६, ५२६

निरपेक्षः

[[99]]

१२२ निस्तीर्य्य ब्रह्म-

"

[[१०३७]]

निरये पतति निरस्य सर्वतः

निरहंक्रियया

भा

का सं

४२५ नीहारमिव

[[99]]

३०६, ३४७

१२६ नृणां परम-

"

६७२ नृणां भक्ति-

[[29]]

४५४ ३२६, ४४०

निरीक्षिता

स्कन्द

८६७ नृणां येन

[[19]]

[[७७]]

निरुपाधिक-

निगु णं निरपेक्ष-

निर्गुणं मदपा-

नृसिंह

८२६ नृणां श्रेयो-

"

[[४७८]]

भा

"

६८२ नृणां सन्ति ३६६ नृपते नात्र

[[४०]]

[[31]]

इ समु

[[५२४]]

३४ ]

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

नृसिंहार्क- नेच्छन्ति सेवया

तन्त्र

८८३ नोद्वेजयति

म भा

[[२५१]]

भा

३०७, ३७७ नोपायोऽन्यो-

भा

[[४७८]]

नेत्रे जलं

[[11]]

६, ४२७

नोपासित-

[[७२६]]

[[23]]

नेन्दार्लेखा

विध

[[४३८]]

न्यक्कारार्थं

"

नेष्टापूतं

भा

[[७१६]]

न्यपतत् पाञ्च-

[[17]]

[[१०१६]]

[[५३६]]

नेहाभिक्रम-

गो

[[६४३]]

न्यास - स्वाध्याय-

"

[[८०]]

नैकात्मतां

भा

३४० अनु

न्यासिनामिह

[[11]]

[[४७६]]

नैच्छत्तानसुरो

भा

४६१ न्यूनं सम्पूर्णतां

स्कन्द

[[३१३]]

नैतत् परस्मा नैतन्मनस्तव नेतान् विहाय नैति भक्ति-

[[19]]

[[17]]

"

१०७२ पक्षयोरुभयो-

ना प

[[६५०]]

४ पचनं विप्र-

स्कन्द

[[५६५]]

११६ अनु

पच्यते पाप-

ब्रह्मवै

[[४२२]]

भ र सि

२७८ पञ्चधा विभजन्

भा

[[६४७]]

नैति मामेति

गी

७६६ पञ्चरात्रविधि

याम, व्र या ३१२ अनु, ८८६

नैते गुणा

भा

६७० पञ्चविंशः

पद्म

[[५१५]]

नैऋतं वारुणं

पद्म

८६६ पञ्चानाम्

भा

३२१ अनु, ३२२ अनु

नैगुण्यस्था

भा

६६७ पठध्वं ध्यात

हरि

[[२३०]]

नैव तुष्ये-

भा

[[२५२]]

पठितानि

[[८१४]]

नंव द्रुह्यत

भा

[[७५०]]

पतन्ति पितृभिः स्कन्द

[[७६६]]

नंव विष्णुः

पद्म

[[१६५]]

पतन्त्यधोह-

भा

५ अनु, २८६

नैवात्मनः

भा

[[४६८]]

पतत् स्खलन्

भा

[[८४६]]

नैवार्थदो

भा

१७७ पतावेकत्वं

छ प

३१० अनु

नैवेच्छत्या

भा

२२० पतिपुत्र-

ना स्त

३२० अनु, १००५

नवोपयन्त्य-

भा

नंषां मति-

भा

३६६, ५२६

१०५० पतिप्रिय-

पत्रं पुष्पं

पद्म

[[६३६]]

ब्रह्माण्ड, भा, गी ३१०, ६६०,

नैषा तर्केण

कठ

२०८ अनु

[[१०३६]]

नैषातिदुःसहा

भा

[[४५६]]

पत्र-स्रग्गन्ध-

भा

[[६११]]

नैष्कर्म्य मध्यच्युत-

भा ३ अनु, ५ अनु, ११५ अनु,

पत्त्रेषु पुष्पेषु

नृसिंह

[[२०५]]

११६ अनु, २१७ अनु, ३८, १५४

पदे पदे

भा

[[६८]]

नैष्कम्र्म्यं लभते

भा

२७४ अनु. १०१

पद्मगर्भारुणे-

भा

३२८ अनु

नोच्छिष्टादौ

विध

[[८३८]]

पन्थाः क्षेमो-

भा

१२१ अनु, १६१

नोत्तमश्लोक-

भा

१४६ परं ब्रह्म तदैव

भा

[[२६३]]

नोत्पादयेद्- भा

१२ परं ब्रह्मति

भा

[[३७१]]

नोद्धवोऽण्वपि

भा

६६ अनु परं भगवतः

भा

[[१४७]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

[ ३५

श्लोकानुच्छेदाः

परं भाव- परपत्नी- परब्रह्म ेति

गो

१०६३ पर्जन्यापुरिता

भा

[[६५३]]

वि पु

१७३ अनु, ४८६ पर्यालोच्याथ

[[२]]

भा

६४ पर्व्वताक्रमणे-

भा

[[३३६]]

परमकारुणिको

पद्या

२३६ अनु

पलार्द्धनापि

स्कन्द

[[६५३]]

परमशोच्य-

पद्या

२३६ अनु पश्यन्तीनां

भा

१०३४-

परमाणुतुला

भ र सि

परमात्मनि

भा

२७८ पश्यन्त्यात्मनि ६ अनु पश्यामि नान्य-

[[27]]

"

१७.

[[७०१]]

परमात्मेश्वरः परमार्थंगति-

[[59]]

५०६ पश्येद् यं

मोक्ष

[[५३२]]

भविष्य

६६५ पांशुराशि

म भा

[[२११]]

परमैकान्ति- परस्मिन् वा

पद्म

भा

५८३ पात्रं त्वत्र

भा

२८६ अनु, ६१७

६७७ पादपद्मासवं

भा

[[१७६]]

परस्य दम-

[[19]]

१०१८ पादपा कल्प-

हय प

[[५६७]]

पहिंसासु

वि पु

४८६ पादमूलं

भा

[[४५६]]

पराकृतान्त-

भा

५२५ पादयोर्व्यसना-

[[७३३]]

परावरेशे

[[19]]

परा सापूर्व-

परिचर्य हरि

परिचर्थ्यापराः केचित् राच

५२१ पादसम्वाहनं चक्र : ६४८ पादसम्वाहनादिभिः भा

३०६ पादाम्बुजो-

६८८ पादारविन्दं हृदयेषु

[[19]]

[[99]]

[[१०४०]]

[[१०२८]]

[[६६]]

"

१६२, ७७३,

परिचर्थ्यापरायणैः

वृ नारद

४१४ पादारविन्द विमुखात् भा

१११ अनु, १८१

परितोषं

नारद

[[६३१]]

पादावनत-

भा

[[३५६]]

परित्यागेऽप्य-

भा

१२२ अनु, ४८१

पादौ नृणां

भा

परित्यागो विधीयते

[[१७१]]

पादौ स्पृश-

भा

[[५७]]

[[३२३]]

परिनिष्ठा च

भा

६६६ पादौ हरेः

भा

[[६६६]]

परिनिष्ठितोऽपि

भा

७८६ पानेन ते

भा

१०४ अनु, ६६

परिपाति

भा

८०४ पापं भधति

स्कन्द

[[३६३]]

परिरभ्य

भा

३२० अनु

पापं स्यान्मत्-

पद्म

[[३६४]]

परिष्वज्याह

भा

३५६ पापाचार - रताः

इ समु

[[४०४]]

परिसंशुद्ध

भा

६७३ पापानि भगवद्-

पद्म

[[३४५]]

परीत्याभ्यच्यं

भा

७७२ पापिनोऽपि परां

वृ नारद

[[४१४]]

परे ब्रह्मणि

भा

२२२ अनु

पापिनोऽपि प्रसङ्गेन नृसिंह

[[८५५]]

परेऽवाङ्मनसात

भा

३०६ पारं गन्तु-

वृ नारद

[[८१६]]

परोक्षप्रिया

ऐत

६२ अनु

परोक्षवादो

भा

पारङ्गतोऽपि ६६ पार्थिवाद्दारुणो

गरुड़

११५ अनु

भा

१०६ अनु, ३०

३६ ]

श्लोकप्रतीकानि

पाषण्डिनस्ते पितरं सर्व्व- पितर्युपरते

पिता न स पितुद्वैपायना-

भा

"

"

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकामुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

२२८ पुत्रीकृत्य

स्कन्द

[[१००३]]

३८१ पुनः संसार-

वा भा

[[३३६]]

[[19]]

५८ अनु

पुनन्ति ते

भा

[[४८]]

[[91]]

६२६ पुनन्ति सकलान्

इ समु

[[४०५]]

[[७८८]]

पुनरेतद्वि-

[[१]]

पितृभिः सह पितृभूत-

[[19]]

[[४१८]]

पुनश्च विधिना

ना प

[[६२१]]

[[27]]

[[३३]]

पुनाति भगवद्भक्त-

इ समु

[[७४४]]

पितृवन्मातृ-

ना स्त

[[१००५]]

पुनाति भुवन-

पद्म

[[७४२]]

पितृणां तर्पण-

वि या

[[८६६]]

पुनाति सकलान्

गरुड़

[[७५१]]

पितृ न यान्ति

गो

[[२४०]]

पुमान्नार्हति

भा

१२५ अनु

पितेव पुत्रं

म भा

[[२५१]]

पुमान् वाणै-

[[२५३]]

पिनाकोति

ब्रह्माण्ड

[[८०६]]

पुमान् भवति

-६८७

[[99]]

पिबन्तं त्वन्मुखा-

भा

[[४५६]]

पुमान् विरज्येत

भा

[[७६४]]

पिबन्ति ये

भा

८६ अनु, ४८

पुमान् वैदिक-

भा

[[६३४]]

पिबन्ति ये नरा

ब्रह्माण्ड

[[८०६]]

पुरश्चर्थ्यां

रा च

[[८८१]]

पीयूषशेष-

भा

७७६ पुराकथानां

भा

[[७६६]]

पुंसां धर्मः

"

१६०, २७७

पुंसां निःश्रेय-

[[91]]

पुराणं ब्रह्म- ७० पुराणसंहिता

"

७७४, ७८८

पुंसां भावो पुसां श्रेयः

"

६८३ पुराणार्को-

[[12]]

८८७ पुराण्यनेन

[[29]]

[[१४४]]

[[८४७]]

२८८ अनु

पुंसोऽक्ष्णोः

पुंसोऽपि

[[31]]

५२२ पुरा महर्षयः

पद्म

[[१०३०]]

[[37]]

७८ पुरुषं तमजं

वि पु

[[३३४]]

पुंसो भवेद्वि-

पुंसो वर्णाभि- पुक्कशाऽपि पुण्डरीक-

"

"

११६, १३६

पुरुषं वा पश्च-

निरुक्त

[[४१३]]

[[७४०]]

पुरुषः स परः

गो

१४६ अनु

[[19]]

४११, ७५८

पुरुषश्चाधि-

गो

१७६ अनु

हय प

[[५६२]]

पुरुषस्याञ्जसा-

भा

[[६७३]]

पुण्यं यैः

वृ न.रद

[[१६७]]

पुरुषस्याश्रमः

भा

१०५, २६७

पुण्यतीर्थ- पुण्यराशिफलं

भा

२२, ३७०, ८६०

पुरुषस्येह यत्

[[19]]

[[१५०]]

ब्रह्मवै

६ पुरुषाः पुरुष-

[[99]]

[[१२८]]

पुण्यश्रवण-

भा

२३ पुरुषाः संयते-

इ समु

३०४ अनु. ४०७

पुत्रं कर्मानु-

स्कन्द

१००२ पुरुषार्थचतु-

मोक्ष

१७६, ६५६

पुत्रशोको

अग्नि

२४७ पुरुषावयवे-

भा

२२२ अनु

पुत्रादिजन-

पद्म

The pop

२३४ पुरुषेष्वपि

भा

२६२ अनु

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ३७

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

पुरुषो नात्र

इ सम

४०७ प्रकुर्यात्

कूर्म

‘६५५

पुरुषो ह्यञ्जसा

भा

[[७०६]]

प्रकृति मोहिनरें

गो

[[१०६४]]

पुरेह भूमन्

भा

[[१६६]]

प्रकृति विद्धि

मी

५७६, ५८६

पुलकाङ्गोऽति-

भा

[[५४१]]

प्रकृतिः पुरुषस्येह

भा

[[६६४]]

पूजनं तस्य

[[७१५]]

प्रकृतेः परमव्ययम्

हम प

  • ५६५

पूजनं वासुदेवस्य

स्कन्द

[[३००]]

प्रख्याहि दुःखे-

भा

[[३२८]]

पूजने केशवस्य

स्कन्द

६६३ प्रजाः सृजेति

[[६६०]]

पूजयध्वं

भा

७६ प्रजाध्यक्ष

भा

३१ अनु, ३३७

पूजयन्त्यच्युतं

स्कन्द

४०० प्रणमेद्बहु-

भा

[[२६४]]

पूजयामश्च

विध

२२५ प्रणयरशनया

भा

१८६ अनु, ५५८

पूजयेत् प्रोक्षणा-

भा

९०३ प्रणवं ब्रह्मणः

पद्म

[[५१४]]

पूजयेदन्यमग्रतः

७१५ प्रणामपूत्रं

गरुड़

-७५२

पूजयेद्वाङ्मनः-

ना प

७१० प्रतिजाने

गो

[[१०६०]]

पूजां तैः

भा

८६३ प्रतिमायां

अग्नि

२६६ अनु, २४६

पूजां द्वादश-

स्कन्द

४३१ प्रतिमा स्वरूप-

नृसिंह

२६० अनु

पूजां यः श्रद्धये-

भा

२४६, ५४६

प्रतिष्ठा जीव-

भा

२८६ अनु

पूजायां चानु-

विध

०६४१ प्रतिष्ठिताच

हय प

[[२५५]]

पूजाय ञ्चानु-

गरुड़

७४६ प्रत्यक् प्रशान्तं

भन

[[५३६]]

पूजा-स्तुत्यभि-

भा

६७० प्रत्यवायो न

गो

[[६४३]]

पूजितं पूज्य-

अग्नि

८७३ प्रस्यहं

स्कन्द

[[६५३]]

पूजितः क्लेशहा

नारद

६३१ प्रत्याक्रष्टु

भा

२६६ अनु

पूजिता संव

विध

पूजितो भगवान्

स्कन्द

पूजितो वा

इ सम्

६१२ प्रत्येष्यतं

४३० प्रथमन्तु

७४४ प्रददाति

भा

[[१०३७]]

[[७०६]]

नारद

[[०६३०]]

पूतना लोक-

भा

३३८ अनु, १००७ प्रधानपरयो

भा

[[१०१६]]

पूयेत तप-

भा

३४८ प्रधानपुरुषेश्वरः

भा

[[६२६]]

पूर्णात् कामा-

भा

२१३ प्रपद्यन्ते नरा-

गी

[[२८२]]

पूर्व्वधम्र्मोऽपि

गौत

२४२ प्रपद्यमानस्य

भा

[[१०७३]]

पूषा प्रपिष्ट-

यजु

१२५ अनु प्रपन्नमनुशाधि

भा

[[१०६८]]

पृथग्भावः

भा

६७६, ६७७

प्रपन्नवरदा-

भा

[[६६१]]

पृष्ठयापि

भा

१०१२ प्रपेदिरे

भा

[[१६६]]

पौण्ड्रादयो

भा

१०३५ प्रभवः प्रलय-

गो

[[५६०]]

प्रकाशन्ते

श्वे

३६, ६२५ प्रभवति चन्द्र

भा

[[५५७]]

३८ ]

[ श्रीश्री भक्तिसन्दर्भस्या

[[

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक नि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

प्रयाणे चा प्रयाणे

पद्म

प्रयाति परमां

पद्म

४५२ प्रातिकूल्य- ४०३ प्रादुर्भाव-

बैत

[[६६१]]

वि ध

२२५.

प्रयुज्यमाने

भा

२१ अनु, ५३६ प्रादेशमात्र

भा

२७ अनु, १७६ अनु

प्रवक्ष्यामि समा-

हय फ

प्रवक्ष्याम्यनसूयके

गो

प्रवरा रस-

भा

प्रविष्टो ब्रह्म

19"

प्रविष्टो भगवानिति

[[27]]

प्रवृत्तश्व

प्रवृत्त्याख्ये

प्रवृद्धभक्तचा

प्रवेश्य विसृजा- प्रवेष्टुञ्च प्रशस्तः सर्व-

प्रसन्नः स्यान्न

प्रसन्नवदना- प्रसह्या कर्षते

प्रसादप्रणवस्य

स्कन्द

बृ नारद

भा

"

[[६६]]

"

[[19]]

नृसिंह

५६७ प्राधान्यतो

१०६२ प्राप्तिश्चंद्यस्य

२५६ प्राप्नुयाद्यत्न-

१४५ प्राप्नुवन्त्येक

[[१४५]]

२६४ प्राप्नोति यक्षयन्ति ६८६ प्राप्य दुष्प्राप-

६५ प्राप्यापि दुर्लभ-

प्राभवं पद-

१४६ प्रायः परं

४६३ प्रायः प्रगल्भया

१८४ प्रायः श्रेयो

ケダ

[[73]]

[[७६८]]

[[१०१३]]

[[17]]

[[७३१]]

ब्रह्मक

[[१८०]]

[[८४६]]

[[१०२५]]

ब्रह्मवै

२६ε

१७६ अनु

[[४७३]]

"

[[३०५]]

[[19]]

१३४, ४८३

८५३ प्रायशः पुण्डरीकाक्ष

[[१०४६]]

३२८ अनु

प्रायश्चित्तं

[[71]]

१२७ अनु

१०३४ प्रायश्चित्तोभवे-

ब्रह्माण्ड

[[६६१]]

तन्त्र

ब८३ प्रायेण मत्र्या

भा

[[८४५]]

प्रसादसुमुखो

इ सम्मु

७३७ प्रायेण मुनयो

भा

[[६६७]]

प्रसादान्नं.

ना प

[[६५६]]

प्रायेण वेद

[[21]]

११० अनु

प्रसीदति

स्कन्द

४३० प्रायेणैकात्म्य-

[[६१४]]

प्रस्तूयते प्रस्थितेन प्रह्लादः स्मरणे

प्रह्लादस्य बले-

प्रह्लादो जनको प्रह्लादो भगवत्

प्राकृतं तामसं

भा

७६३ प्रायोपवेशे

[[71]]

[[१५८]]

वि ध

७८६ प्रारब्धकर्म-

[[97]]

५३६.

४७७ प्रासादादिषु

रा च

[[६८८]]

भह

६१३ प्राहास्मान्

पद्म

[[३८७]]

TT

३७५ प्रिय आत्मेश्वरः

भा

[[19]]

२३१ प्रियव्रतस्य

[[६१२]]

भा

३६२ प्रियश्रवस्यङ्ग

"

६१०.

प्राणं पुनाति

gr

१८१ प्रियस्य सख्युः

१०६ अनु, ६३०

प्राणस्य प्राणमुत प्राणान् नियच्छे- प्राणायामादि-

प्राणोपहाराच्च

भा

१३४ अनु

प्रियाः परम-

[[97]]

३२६.

६३१ प्रियाः स्थ भगवान्

"

१८६ अनु, २१६

[[77]]

[[17]]

TH

१६७ प्रिया तथैव

८४ प्रियो हि ज्ञानिनो-

गरुड़

[[८६५]]

गो

[[५६३]]

श्लोकप्र तोकानामनुक्रमणिका ]

[ ३८

श्लोक प्रतीका नि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक नि

ग्रन्थनाम

श्लोकस्नुच्छेवाः

प्रीणनाथ

भा

४६६ बलेन जित्वा भा

प्रीणातु भगवानोशः कूर्म

६५४ बलेनेन्द्रिय-

[[91]]

प्रीणात्य सुर-

स्कन्द

२८३ अनु

बहवस्तद्र्मांत

[[६७]]

[[७६]]

३२१ अनु, १०२७

प्रीतिः स्वयं

भा

[[३७६]]

बहवो मत्पदं

[[29]]

प्रीतिर्न यावन्मयि

[[91]]

१८७ अनु

बहूनि ब्रह्म-

[[91]]

प्रीतिर्मे मनसो

पद्म

[[७८१]]

बह्वायासेन

वैचि

प्रीते हरौ

भा

१०६ अनु

बाधेरन् हरि-

भा

[[७२७]]

[[१२५]]

[[८४२]]

[[७४२]]

प्रीत्युत फुल्ल- श्रीयतां मे

[[19]]

३८१ बाध्यमानोऽपि

[[79]]

१६५.

प्रीयतेऽमलया

भा

२१७ अनु, ४७०

बान्धवाः

विपु

१२२ अनु, १४७ अनु

१७३ अनु, ३०५ ३२५ अनु

प्रीयेत सद्यः प्रोयेऽहं

[[27]]

३७६ बालानामनु-

भा

&&

[[97]]

१०६ अनु बालिशेषु

भा

[[५४४]]

प्रेताः पिशाचाः

वृ नारद

३४१ बिचद्रूपं

भा

[[७७२]]

प्रेममंत्री-

भा

५४४ बुद्धिर्बः क्रियतां

वि पु

[[१०४१]]

प्रेमातिभर-

भा

५४१ बुद्धेः परमुपे-

भा

[[५१३]]

प्रेम्णा हरि

शत

२३४ अनु

बुद्धो नाम्ना-

भा

[[१०१२]]

प्रेयानन्यो-

भा

२१६ बुद्धचात्मना

भा

[[६३७]]

प्रेयान् न ते-

[[81]]

५८६ बुद्धया वा कि

[[७६]]

[[29]]

प्रेष्यान्विता

प्रोक्तेन भक्ति-

भा

३०८ बुध आभजेत्तं

५६ अनु

भा

१३२ बुधो निरुन्ध्या-

भा

[[६७]]

फलमत उपपत्तेः

ब्र स

२०४ अनु

बोधः कलुषित-

ब्रह्मवै

[[६२०]]

फलमिन्द्रादि-

म भा

५० ब्रह्मकोपो-

भा

फलमेवोप-

६४७ ब्रह्मज्ञस्तपते

[[१४८]]

[[१६५]]

[[13]]

वणिज इव ज

भा

६२३ ब्रह्मणः पद्मभू-

ब्रह्म

[[८१२]]

बद्धो मुक्त

भा

७० अनु

ब्रह्मणि भगवति

भा

२२३ अनु

बध्नाति न रति

विध

४३७ ब्रह्मणो हि

गो

११४ अनु

बन्धको भव-

स्कन्द

६१५ ब्रह्मण्यस्य

भा

बन्धनं यान्ति

[[२८८]]

ब्रह्मण्युपशमा-

भा

[[४२८]]

[[६०३]]

बन्ध्यां गिरन्तां

भा

[[११६]]

ब्रह्मण्येऽर्के

भा

[[१०५३]]

बभूविथेहा-

भा

[[६८]]

ब्रह्मण्यो भगवद्-

भा

१८२ अनु

बर्हायिते

भा

[[५७]]

ब्रह्मदण्डं

भा

[[२२७]]

बलि तेभ्यो

पद्म

[[९०६]]

ब्रह्मन् वृत्रस्य

भा

[[३६५]]

बलिवैयासकि-

भा

२७५ ब्रह्मभावेन

भा

३२५ अनु

४० ]

श्लोकप्रतीकानि

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक इनि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

ब्रह्मभूतः

अही

८३ अनु, ८४ अनु, १३४ अनु, २५३ अनु

भक्ति परमया भक्त परां

१४० अनु, २८

भा ११० अनु, २७८ अनु

ब्रह्मरुद्रादि-

के त

२१५, ५६६

२२०, १०७१

ब्रह्मर्षिर्मोक्ष-

[[२२०]]

भक्त लब्धवतः

जा

[[७५५]]

ब्रह्मवर्चस-

[[99]]

३१ अनु

भक्त विधाय

[[३५४]]

ब्रह्मविदाप्नोति

तं

४८ अनु, ८० अनु

भक्त विन्दन्ति

[[12]]

[[७५४]]

ब्रह्महा पि

स्कन्द

* ३६३

भक्तिः परेशा-

[[17]]

२६३ अनु, १०७३

ब्रह्माख्यं

भा

[[१११]]

भक्तिः पुनाति

[[715]]

"

१२८ भनु

ब्रह्माणं वा

ब्रह्म

[[२२१]]

ब्रह्मानन्दो Sexy

भ र सि

२२१ भक्तिः साधन-

२८ भक्तिग्राह्यो

[[६३४]]

नारद

[[६३०]]

ब्रह्मानूचुर्नाम

भा

३५० भक्तियोगं

भा

६८५, ६३५

ब्रह्मा भवो-

२६५ अनु

ब्रह्मायुषोऽपि

[[17]]

कर्म

कूर्म

ब्रह्मव

स्कन्द

भक्तियोगः प्रयो- १०५० भक्तियोगसमन्वितम्

६५५ भक्तियोगस्य तत्

६५४ भक्तियोगेन मनसि ४२२ भक्तियोगेन विन्दति

[[१६]]

भक्तियोगोऽन-

२६४ भक्तियोगो वहु-

"

[[19]]

"

६०६ भक्तियोगो भगवति भा

१०५४ भक्तियोगो यतो

१८५ भक्तियोगोऽस्य

भा

[[11]]

[[११]]

[[६५६]]

TH

ब्रह्मार्पणमनु-

ब्रह्मार्पणमिदं

, ११८ अनु, १७६ अनु

ब्रह्माहमिति

६८५, ६३५,

ब्रह्म ेति परमा-

भा

[[१२६]]

ब्रह्म ेशानादयः

[[६८३]]

ब्रह्म तदद्वितीयं

भा

[[१६०]]

ब्रह्म तद्ब्रह्म-

[[17]]

[[४४]]

ब्राह्मणः क्षत्रियो

स्कन्द

[[४८०]]

ब्राह्मणाः साधकः

भा

१०६ अनु, २१६

भक्तिरव्यभिचारिणी गो

१०५ अनु

ब्राह्मणानां

गरुड़

५११ भक्तिरष्टविधा यस्य

विध

[[६४०]]

ब्राह्मणा येऽप्य-

पद्म

ब्राह्मणा विविदि-

७४१ भक्तिरष्टविधा ह्येषा गरुड़, विध ६२ अनु भक्तिरस्य भजनं

७४८, ६४३

गो ता

१६६ अनु

ब्राह्मणे पुक्कशे

ब्राह्मणेष्वपि

भा

[[१०५३]]

२३४ अनु

२६१ भक्तिरेव परं

पद्म

[[१६५]]

F

भक्तक्षणः

म भा

५० भक्तिर्भगवति

भा

[[७४]]

भक्तप्रिया-

भा

२६७ भक्तिभंजन-

ना प

[[८६७]]

भक्तानां

भक्तास्त्वां

ཟྭ ;

४५५ भक्तिर्भवति

अगस्त्य सं

[[१६८]]

११४ अनु, १६६

भक्तिर्भवति गोविन्दे

स्कन्द

[[४३६]]

भक्ता ह्यो कान्तिनो भा

भक्त जनः

N

भा

[[५१०]]

भक्तिर्भवति नैष्ठिकी ६०१ भक्तिर्भवेद्भगवति

भा

[[२४]]

भा

[[८२५]]

[[27]]

१६८ अनुश्लोकप्रतीकानि

भक्तिर्मुकुन्द-

भा

भक्तिर्यथा

पद्म

भक्तिर्यस्य

वृ नारद, पद्म

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ४१

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

३६३ भगवत्परतन्त्रो- ७१२ भगवत्परितोषणम् भा

३२० भगवत्यखिल :-

[[६६४]]

[[६५६]]

पद्म

ि

[[17]]

भक्तिविरक्ति-

P.PRI

१०७४ भगवत्यचलो

[[19]]

भक्तिश्चेन्नव-

भा

४७६ भगवत्यच्युतां

भक्तिहीनस्य

भक्तिहीनो द्विजः

विध

स्कन्द

४१२ भगवत्यपराधिनः १८४ भगवर्त्यपिता-

भक्तेन मम

भक्तेभ्यो भक्त-

भा विध

१७२ अनु, ६७० भगवत्युत्तम-

[[19]]

[[६५]]

[[५१]]

[[29]]

[[२१३]]

वा भा

२८८, ३३६

भा

७५, १४८

[[२४]]

M

३२४ भगवत्सङ्गि-

[[11]]

भक्तस्तु दीपनी

भविष्य

६६५ भगवद्धर्मान्

[[19]]

३६७, ५४५, ७५७

२३८ अनु

भक्तो यस्तव भक्तघा गृहीत- भक्तघा तुतोष

भक्तचा त्वनन्यया

स्कन्द

३६२ भगवद्धर्मिणः

[[21]]

[[12]]

७५६ भगवद्भक्तियोगतः

[[11]]

[[७४]]

[[२६]]

गो

४६३ भगवद्वीर्य्य-

भक्तचा निवेशनं

३७८ भगवद्भावमात्मनः

६१५ भगवन्तं विभावसुम्,,

[[19]]

"

१०६ अनु ५४३

६३ ७५६

भक्तया पुमान्

भा

३४० अनु

भगवन्तं हरि

[[१०४]]

भक्तचा भक्त-

वि र

• ६४५

भगवन्तमधोक्षजम् "

भक्तचा लभ्य-

गो

१४६ अनु

भगवशिन्दया

[[19]]

भक्तया श्रुत-

भा

ing a

१७ भगवाननुवर्ण्यते

[[19]]

[[३१]]

-१०१४

[[१४४]]

भक्तचा संपूजितो

नारद

६३० भगवानात्मभावितः

[[11]]

[[८६१]]

भक्तचा सुलभ्ये

नृसिंह

२०५ भगवानात्ममायया

[[176]]

[[19]]

[[३७]]

भक्त चाहमेकया

भा १४७ अनु, २४१ अनु भगवानिति

"

[[१६]]

भक्त्युद्र केण

भक्तंचकं नारदं

भवत्यैकयेशं

भक्तयोद्धवा-

भगवंस्तक्षका-

भगवच्चरण-

[[19]]

[[19]]

दी

६२ भगवानीश्वरो

[[12]]

[[४१]]

नृसिंह

[[६५]]

भगवानेक

"

[[५०६]]

भा

५६ अनु, ७

भगवान् परमेश्वरः

[[१५२]]

कोर ३८४

[[३८४]]

भगवान् वादरायणिः

"

[[५४६]]

[[१४५]]

[[१४५]]

भगवान् ब्रह्म

[[99]]

६४ अनु, ११५ अनु,

नृसिंह

८५५ 999

२०४ अनु, १८, ४५

भगवच्छेषरूपो-

पद्म

[[99]]

पद्म

भा

भगवत उरु-

भगवतः कर्म- भगवत् कीर्त्तनं भगवत्तत्त्व-विज्ञानं

भा

१७८ अनु भगवान् विशते

५५७ भगवान् सव ५८ अनु भगवान् सात्त्वतां ८१७ भगवान् हरि-

२६ भगो मे

[[19]]

[[८२१]]

[[21]]

[[७२३]]

२०, ६८४

"

[[३४६]]

[[99]]

११८ अनु

४२ ]

श्लोकप्रतीकानि

प्रन्थनाम

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

६३४ भवद्भिर्वेष्णव- पद्म

भज इत्येष

भजतानीहया- भजते प्रकृतिः

भजते मामनन्य-

भजतो माऽसकृन्-

भजन्ति ये यथा

भजन्ति ह्यन्- भजन्ते मां भजन्त्यनन्यभावेन

भजन्त्यनन्यमनसो

भा

"

“1

गो

गरुड़

[[३८७]]

भा

४६५ भवद्विधे-

भा

[[३३७]]

ना प

[[८६७]]

भवन्ति कृत-

[[४५५]]

गी

१६५ अनु ३०४

भवन्ति तादृशा

हय प

[[५६८]]

[[१३२]]

भवन्ति वर्णा-

ब्रह्मवै

[[१८०]]

[[५३४]]

भवन्ति वै

भा

[[१०७४]]

गी

३२ भवन्ति हृत्कर्ण-

५५२ भवपाशाच्च

११ अनु, ४८४

स्कन्द

[[६१५]]

५८५ भवप्रवाहोप-

भा

[[३८३]]

१०६५ भवव्रतधरा

[[२२८]]

भजनपक्वो

भा ५८ अनु, १७३ अनु, ३६

भवान् वै

[[४१८]]

"

भज मां

[[91]]

२६१ भवापवर्गो

[[५२१]]

"

भजेत श्रवणा-

ब्रह्मवै

६०७ भवार्णवं

[[11]]

[[५३०]]

भजे श्वेत-

ब्र सं

६०८ भवितव्यं

[[४४६]]

[[11]]

भद्र पूजा-

भयं तत्त्वा- भयं द्वितीया-

भयञ्चाप्युप- भयादेरिव

भा

[[41]]

६२४ भवेद्भागवतो

स्कन्द

[[२३५]]

७०३ भवेन्मोक्षार्थ-

क्षमो

[[५३२]]

"

५६ अनु, ११४ अनु, ७

भवौषधाच्छ्रोल-

भा

[[७६४]]

सहस्रनाम

[[४४७]]

भस्त्राः कि

[[५३]]

भा

१०६६ भस्मन्येव जुहोति

[[19]]

[[२४५]]

भर्त्तारश्च

कूर्म

१०२६ भाजनं यत्र

वि पु

[[३३४]]

भवं प्रजा- भवत उपासते-

भवतस्तु वृणे

भवतां शासना–

भवता करुणा- भवता दर्शितं

भा

२३१ भारः परं

प्रभा

[[11]]

[[19]]

विध

भा

५२० भावयत्येषः

४७२ भास्करस्य

४१७ भिक्षोर्धर्मः

[[19]]

भवतानुदित-

भवतोबाहुतः

"

भवत्पदाम्भोज- भवत्पदाम्भोरुह-

[[29]]

[[27]]

[[21]]

२५४ अनु

१२६ भीताः शनैः

७७५ भुङ्क्त े हाला-

५३० भुञ्जान एवात्म-

[[१४७]]

१४२ भिद्यते हृदय - भिन्ना प्रकृति-

भिषक्तमं

भा

ཝཱ ཟ༴ ཝྃ 』 ༔ ཕྲ

[[५६]]

२५५ अनु ५१६

१११ अनु

२७, १३३

[[५८८]]

[[५३०]]

[[11]]

३२० अनु

स्कन्द

[[२१०]]

भा

[[६८३]]

भवत्सन्दर्शना- भवद्भिः सत्व- भवद्भिर्लोक-

[[४२८]]

भुवि पुरु-

[[11]]

११ अनु

हरि

[[२३०]]

भूतग्रामाव-

भा

[[२५२]]

"

१०४३ भूतभावोद्भव-

गी

२२५ अनु

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ४३

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भूतात्मानं

भूतात्मावस्थितः

भूतानि भगवत्या- भूतानि भव्यानि भूतानि यान्ति

भा

२५७ मकारस्तु तयो-

पद्म

२४४ मकाराख्यः स-

पद्म

५१५ १७८ अनु

[[५४३]]

मच्छिष्येः

भा

[[19]]

[[५२३]]

मणिवत् स्यात्

हरि सु

[[७१८]]

गो

२४० मतः पात्र-

भा

[[१८]]

सूतान्यलब्ध-

भा

१०६ अनु

मति सत

[[७६३]]

सूतेषु बद्ध-

भूतेषु मद्भावनया

भूतेषु यदनु-

[[99]]

[[99]]

[[19]]

१४३ मत्कथाप्रीति-

२५० मतिनं कृष्णे

६७० मतिर्न जायते

[[91]]

स्कन्द विध, स्कन्द

१८० अनु ६६३

[[८२४]]

भूतेष्वनुक्रोश-

भूमिरापो- भूरात्मा सर्व- भूर्य्यप्यभक्तो-

भृगुः प्रत्य-

भृगुवर नर-

भेजिरे मुनयो- भेजे खगेन्द्र-

भोक्ता च

[[19]]

गो

[[19]]

५३१ मत्कथावाचक

विधा, स्कन्द

[[२४]]

मत्कथा-श्रवणादौ

भव

१७२ अनु, १७३ अनु

भा

[[६२४]]

[[४८६]]

[[99]]

१७२ अनु, ६७०

मत्कथाश्रवणे प्रीतिः गरुड़

[[७४६]]

[[99]]

[[२२७]]

मत्कथाश्रवणे रतम्

बिध, स्कन्द

[[८२४]]

स्कन्द

१७२ अनु

मत्कर्मकृन्मत्–

मी

[[४६४]]

[[३३]]

मत्कर्म परमो

गो

[[१६२]]

[[99]]

८६ अनु

मत्तः परतरं

मी

११४, अनु, ५६१

गो

२३६, ६५१

मत्तः परावृत्त-

भा

[[३]]

भोक्तुमैच्छन्

पद्म

१०३० मत्तोऽप्यनन्तात्

[[99]]

५३ अनु, ४६०

भोगस्य च

भा

[[६६७]]

मत्तो विन्दत्य-

[[91]]

[[१६३४]]

भोगान् त्यक्त्वा

भविष्य

[[९६८]]

मत्पराः श्रद्दधानाश्च,”

[[७५४]]

भोगैरात्मा-

भा

२७ मत्परौ मत्-

स्कन्द

[[२३६]]

भोजानां

[[19]]

१८६ अनु मत्पुण्यगाथा-

भौतिकं स्वादु-

हय प

भौतिकाश्च कथं

भा

भ्रमद्भिः पुरुषः

ब्रह्मवै

भ्रमन्तः कर्म-

भा

भ्रश्यते सुकृतं

स्कन्द

भ्रश्यन्ति मार्गात्-

भा

भ्रातृहा गुरुहा

स्कन्द

भ्रामयन् सर्व-

गो

५७० मत्सङ्गान्मामुपा

३४२ मत्सराच्च- २७० मत्सेवया प्रतीतं

११२ मत्सेवायान्तु निर्गुणा

ह६२ मत्स्मृतिः

३३५ मथुराञ्च परि-

६५८ मथुरा भगवान् १०५६ मथुरायां

[[19]]

भा

[[19]]

१४७ अनु, १३१

[[७२६]]

पद्म

[[१०३८]]

३०७, ३७७

[[३७५]]

भा

[[७२१]]

आ वराह

[[८६४]]

भा

२८६ अन

३ ॥ वराह

aimeso

मकरन्द लिहां

भा

१५६, ७६२

मदर्थं यद्-

भा

[[६६७]]

मकारश्च ततः

पद्म

५१४ मदर्थमपि

गी

[[१९२]]

88 1

]

श्लोक प्रती का नि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः लोकप्रलोक इनि

[ श्रीश्री भक्ति सन्दर्भस्या

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

मदर्थे धर्म- मदर्थेऽर्थपरि- मदर्पणं

मदीयं महिम- मद्गतेना-

Afte

  • १२४ मध्ये पर्वत-

ब्रह्मवै

[[६६६]]

[[६६७]]

मनः कल्पन-

गोता १६६ अनु, २३४ अनु

[[३६१]]

मनः कृष्णे

भा

३२३ अनु, ३२५ अनु

६४, ३७१

मनः स्वबुध्या-

"

[[६३२]]

मीं

[[२८०]]

मनवोऽपि

वृ नारक

[[८१६]]

मद्गुणश्रुति-

भः २२६ अनु. २७८ अनु,

मनसेतानि

भा

[[२६४]]

BTS OP?

[[६७८]]

मनसो धारणो-

भा दी

[[६०]]

मद्धर्म्मणो गुणे-

[[६७३]]

मनसो मनः

वृ

१३४ अनु

मद्धिष्ण्यदर्शन-

-६७० मनसो यन्त्र

मरुड़

[[१७८]]

मद्भक्त एतद्विज्ञाय

गो

१०५ अनु

मनस्त्यक्ष्ये

भा

८६ अनु. १०४४

मद्भक्तः पुरुषो

भा

५५ अनु, ६७४

मनस्विनो

भा

[[३२१]]

मद्भक्तः श्वपचः

मरुड़

[[७४६]]

मनीषा च

THE

[[१३७]]

मद्भक्तः सङ्ग- मद्भक्तजन-

४६४ मनुष्यमिक

मनुष्यमिक

रा च

दक

गरुड़

[[७४६]]

मनुष्य विरुत्

भा

[[३७६]]

मद्भक्तपूजा-

भा २३८ अनु, २४४ अनु

मनोमति-

भा

[[६७८]]

मद्भुक्ता यत्र

पद्म

८२७ मनोनिग्रह-

[[17]]

[[१०४६]]

मद्भक्ति वहाँ मद्भक्तिञ्च यदृच्छया

स्कन्द

३३३ मनो ब्रह्मणि

[[१२२]]

भा

-५०६

५०६ मनोऽभिरमते

पद्म

[[६४०]]

मद्भक्तियुक्तो

१४७ अनु

मनो मय्यपितं

भा

७०, १२१

मद्भक्तियोगेन

[[17]]

२९२ मनो मे रमतां

पद्म

[[६४०]]

मद्भक्तैर्यदवा-

स्कन्द

३३२ मनोरथेना-

मद्भक्तोऽपि न

मद्भक्तो मां

HI

मद्भक्तो यो

पद्म

मद्भक्तो लभतें-

भा

मद्भक्तचापेत- मद्भावः सर्व-

मद्भाव- विमला मद्भावायोप- मद्भावेन मद्य मांस-

[[19]]

[[19]]

[[179]]

"

मन्त्राणामर्थ-

२२२ अनु

भा

[[१०५२]]

मन्त्रेण निरयं

[[६२१]]

पद्म

[[९०७]]

मन्त्रो योगश्च

पद्म

[[५८३]]

मद्याजी

गी

१७३ अनु, १०६०

मन्नामकीर्तन-

15 सं

ब्र

[[४२६]]

मधुर-मधुर-

…fts

२६५ अनु मनिकेतन्तु

PHI

[[३७३]]

४९०, १००६ मनोरुत्तान-

९११ मनोवाक्काय कर्मणा पद्म pr८६० मनोवाक्कायकर्मभिः वि र

१३६ मनोवाक्कायवृत्तिभिः भा १३०, २८७ मन्त्रतस्तन्त्रत-

१०५५ मन्त्रदेवार्चना-

६६५ मन्त्रराजा-

गो, मा १०५ अनु, ६८१

[[17]]

नृ ता

1 भा

ना प

-pion

[[८७७]]

६७ अनु

१०६ अनु

भा

२७२, ३५६

[[31]]

[[६१२]]

[[१६६]]

[[१०५५]]

[[८७५]]

श्लोकप्रतीकानि

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

[ ४५

श्लोकानुच्छेदाः

मन्निमित्तं

पद्म

२६४ मयि संरम्भ-

भा

[[१०३७]]

मन्त्रिष्ठं निर्गुणं

भा

[[३६२]]

मयि सञ्जायते

"

[[६६८]]

मन्मना भव

गो

११५ अनु, १७३ अनु,

मयि सर्वमिदं

गो

[[५६१]]

[[१०६३]]

मयि सर्वाणि

भा

[[१२२]]

मन्मायामोहित-

भा

[[१२८]]

मथि सर्वगुहा-

भा

[[६७८]]

मन्येऽकुतश्चिद्-

भा

६६ मध्यद्धावेश्यते

[[८४८]]

"

मन्ये तदपत-

मन्ये तदेतदखिलं

मन्ये धनाभि-

[[19]]

१८१ मय्यनन्तगुणे

"

[[७५५]]

"

६० मय्यपितात्मनः

[[99]]

[[२६३]]

[[19]]

१०० अनु, ३७८

मर्थ्यापितात्मेच्छति

[[99]]

[[३६०]]

मन्येऽसुरान्

"

३२४ अनु

मय्यावेश्य मनः सम्यक्,

[[१०६]]

मम तादृङ्-

चिन्ता

[[२२२]]

मय्यावेश्य मनो ये गी

[[२००]]

मम तेजो-

गो

[[८०३]]

मय्युद्धव

भा

[[१२४]]

मम नामानि

वि या

७६८ मय्येव प्रविलीयते

[[11]]

[[८५४]]

मम भूत-

गी

[[१०६३]]

मय्येव मन

गी

[[१६०]]

मम माया

गी

८ मरुत्सागर-

हय प

[[५७३]]

मम शास्त्रं

वराह

ममाचर्चना-

वराह

३०० अनु मर्कटोत्प्लव-

६६६ मर्यस्तन्मयता-

भा

२८६ अनु

भा

[[१०२०]]

ममास्ति तेन

पद्म

७११ मर्त्यानां किमुता-

[[19]]

३६७, ५४५, ७५७

ममाहमिति

भा

ममैवांशो

गी

१६८ अनु

मयश्चाथ

भा

मयादिष्ट नपि

भा

[[५८१]]

मय दौ ब्रह्मणे

[[19]]

१२७, २६६, ६३६

मया स्या ह्यकुतो-

"

गो

भा

मर्त्स्न्येनाप्नोति ७२७ मर्यो मृत्यु-

मर्यो यदा मर्यादाश्च ६६० मल्लानामशनिः

६७५ महतां वहु-

१०५ अनु महतामच्युता-

[[99]]

[[६२८]]

[[१३७]]

[[६८८]]

[[91]]

३०६ अनु

विध

१७३ अनु, ४५७

भा

३२५ अनु

मयि कुर्य्यात्

"

[[19]]

[[६७१]]

मयि चानन्य-

[[17]]

[[१४३]]

मयि दृष्टे-

१३३ महत्सेवां

[[17]]

२४७ अनु

मयि निबंद्ध-

"

६६० महदपराधस्य

ना कौ

२६५ अनु

मयि बुद्धि मयि बुद्धि समा-

गी

१६० महद्विमानात्

भा

[[६७२]]

विध

८२६ महाजनो

म भा

[[५२८]]

मयि मां स मयि संगृभिता- मयि संन्यस्त-

[[11]]

भा

७३ अनु

महात्मनां वः

भा

[[८६]]

"

३३७ महात्मानस्तु मां

गो

[[१०६५]]

२६३ महादेवो

ब्रह्माण्ड

[[८०५]]

१०१७ मसद्धीः

भा

४६ ]

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः

महान्तस्ते सम- महापातकनाशनम् महापातकवानपि महापुरुषमभ्य-

महापौरुषिको

भा

[[५३८]]

मामनुस्मरत-

भा

[[८५४]]

तं स त

४३५ मा मां द्रष्टु-

[[11]]

४४६, ५४०

वृ नारद

[[३८६]]

मा मां प्रलोभयो-

"

[[४७१]]

भा

२०२ अनु. ६१६

मामिच्छाप्तु

गो

[[१९१]]

[[19]]

[[७६०]]

मामेकं शरणं

गी

४६४, १०६१

महाभक्तयात्र

स्कन्द

[[६५३]]

मामेकमेव

भा

[[६६०]]

महाभागवतः स्मृतः

पद्म

[[५५६]]

मामेव नैर-

"

६८५, ६३५

महाभागवता नित्यं

स्कन्द

२७२ अनु

मामेव प्राप्नु-

पद्म

[[२३३]]

महाभागेषु मत्-

भा

७५३ मामेव ये

गो

[[८]]

महारौरव-

स्कन्द

७६६ मामेव सर्व-

भा

[[१०५१]]

महाविपत्पात-

वि पु

४४४ मामेवानुत्तमां

गो

[[५६४]]

महिम्नामपि

वृ नारद

८१६ मामेवैष्यसि

गो

[[१०६३]]

महीयसां

भा

३६६, ५२६

माययापहृत-

गो

[[२८२]]

मा ऋचो मा

मां भजन्ति गुणाः मां भजन्तु विचक्षणाः मां भजेत् स माघमास्युषसि

माघस्नानं

"

स्कन्द

भा

८१६ मायाबलं

भा

[[६६७]]

६८२ मायाभिः सन्नि-

[[91]]

[[३३८]]

३६६ मायामनुज

[[39]]

[[१०२२]]

[[11]]

५८१ मायामात्रं तु

ब्र स

भविष्य

६६८ मायामेतां

गो

२६ अनु

[[८]]

स्कन्द

६६७ मायासुखाय

भा

१८६ अनु

मा जोव

७६५ मार्गैर्भाविनि

"

[[६८३]]

मातृवत् परि-

म भा

[[२८१]]

मासं दामोदर-

स्कन्द

[[६४६]]

मातृहा पितृहा

स्कन्द

[[६५८]]

मासं मासार्द्ध-

स्कन्द

[[८६२]]

माधवस्याति-

सौपर्ण

६६६ मा साम पठ

स्कन्द

[[८१६]]

माधवानन्त-

वि पु

४६६ मिथोऽभिपद्य ेत

भा

१८० अनु

मानं जना-

भा

४६८ मिथ्याचारो-

गरुड़

[[७५१]]

मानसेज्या

पद्म

२८३ अनु

मिलितोऽपि

ब्रह्मवै

[[६२४]]

मानसेनोप-

३०६ मुकुन्दचरणा-

भा

[[५४८]]

मानिनो भिन्न-

भा

२५० मुकुन्द लिङ्गालय-

भा

[[६६५]]

मानुषीं तनु-

गी

१०६३ मुकुन्दसेवया

[[27]]

[[१६८]]

मानुष्यं जन्म

ब्रह्मवं

२७० मुक्त नवोप-

अ सं

[[८६२]]

मानुष्यं विबुधे-

ब्रह्मवै

२६६ मुक्तकामाशयं

भा

[[१४६]]

मापत्यबुद्धि-

भा

३२५ अनु

मुक्तबन्धः परं

भा

[[१५३]]

मामनादृत्य

पद्म

३६४ मुक्तसङ्गस्ततो

भा

[[२६२]]

श्लोकप्रतोकानामनुक्रमणिका ]

[ ४७

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

इलो कानुच्छेदाः

मुक्तसङ्गस्य

मुक्ता अपि प्रपद्यन्ते

भा

२६ मूढ़ानां कुटिला-

स्कन्द

[[४३६]]

वा भा

३३६ मूढ़ो भ्रमति

आ वराह

[[८६४]]

मुक्ता अपि लीलया

स मु

११२ अनु

मूर्त्तामूर्त-

हय प

[[५७४]]

मुक्ता एव

स्कन्द

१५ मूर्खाभिमतया-

भा

२०२ अनु, २६२ अनु,

मुक्ताः संसार-

ब्रह्माण्ड

[[८०६]]

२८६ अनु, ६१६

मुक्तानामपि

भा १८६ अनु, २७३ अनु

मूलं तच्चरणा-

भा

२२६ अनु, १७१

२८६ अनु, ३६४

मृतश्चाहं

निरुक्त

१५१ अनु

मुक्ति गताः

गरुड़

[[१०३६]]

मृत्युपाश-

भा

[[५७७०]]

मुक्ति चेतसि

वि पु

[[८४१]]

मृत्युभ्यो न

भा

[[१४५]]

मुक्ति ददाति

भा १४१ अनु, १४७ अनु,

मृत्युसंसार-

गो

[[२०७]]

२३६ अनु

मृत्योः कृत्वैव

भा

[[७७१]]

मुक्तिकृत् स्याद्-

ब्रह्मवै

[[३६६]]

मृत्योमृत्यु-

[[71]]

[[१००]]

मुक्तितीरस्य

विध

९८४ मृदुः शुचि-

भा

[[५७६]]

मुक्तौ किमर्थं

नृसिंह

[[२०५]]

मृषा गिरस्ता

[[८२२]]

मुखबाहूरु-

भा ६७ अनु, १११ अनु,

मैत्रः कारुणिकः

"

[[५८०]]

१४८ अनु, १०५, २६७

मुख्यं दास्य-

पद्म

[[५१८]]

मैत्रया चैवात्म- मंत्र्याभिन्नेन

[[71]]

‘६७१

[[२५७]]

सुच्यते महते- म ुच्यते सर्व्व-

नं स त

४३५ मोक्तव्यं वासरं

स्कन्द

[[६५३]]

वृ नारद

३८६ मोक्षकाम

भा

११५ अनु, ४६

म ुच्यते हरि- मुच्यन्ते यम-

पद्म

७६२ मोक्षयिष्यामि

गी

४६४, १०६१

गरुड़

९३२ मोघज्ञाना

गी

[[१०६४]]

मुच्येत यन्नाम्न्यु-

मुदमभ्येति

भा

११५ अनु

मोघाशा मोघ-

जी

[[१०६४]]

चिन्ता

२२२ मोदते शरणागतः

ह भ वि

[[७००]]

मुनय उपासते

भा

१०३२ मोहादन्य-

म भा

[[२११]]

मुनयः साधु मुनिना गीतया-

[[19]]

१०४३ मोहिता मम

आ वराह

[[८६४]]

[[19]]

७७१ मौनव्रत-

भा

[[४७३]]

मुनिभिस्तत्त्व-

[[99]]

मुनिविवक्षु-

८८७ मौहूत्तिकाद्- ११४ अनु स्त्रियमाणः सम-

[[21]]

[[८]]

"

[[४५३]]

मुनीनां सुर- मुमुक्षवो घोर-

मुमुक्षुस्त्वामुपा-

[[37]]

सौपर्ण

[[६६६]]

स्त्रियमाणस्य सर्व्वथा

[[91]]

भा

११५ अनु, ३२

म्रियमाणैरभि-

[[97]]

[[१५०]]

[[१५२]]

भा

४७१ म्रियमाणो हरे-

मुहूत ध्यान-

गरुड़

मुहान्त्याम्नाय-

भा

४४३ य आशु हृदय-

"

[[४८५]]

८५२ त्रियमाणो ह्यवहित-

[[१५१]]

[[19]]

२८४ अनु, १०२

8= 1

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोकप्रतीकाहि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

य इह यतन्ति

य एतत्

य एषां

इभा

६२३ यजन्ति हि

भा

२७३ अनु

५२७ यजन्ते श्रद्धया-

गी

TY

१०६ अनु, १७३ अनु

[[17]]

१०६, २६८

२३८, ४५८, ६५०

यं ज्ञात्वा-

[[17]]

२७६ यजन्त्यविधि-

गो

२३८, ४५८, ६५०

यं न योगेन

[[19]]

[[७३१]]

यजेत पुरुषं

भा

[[૪]]

यं पापिनो-

गरुड़

[[१०३६]]

यजेत ब्रह्मणः भा

३१ अनु

यं पूर्व

STT

२२६ यजेदीश्वर-

"

[[१०३]]

यं यं वापि

यः करोति स

यः करोति हरेः यः करोत्यन्तरो-

भा

गी

४४८ यजेद्यष्टव्य-

[[६७७]]

५४४ यज्जिह्वाग्र

[[79]]

यः कृष्णः

गौ-त

६७८ यज्जुहोषि

२५६ यज्ञदानादिकं २८५ अनु यज्ञपत्न्यस्तथा-

F

गो

[[19]]

२४७ अनु, ३५०

३१२, ६३८

पद्म

[[१६४]]

भा

[[७२८]]

यः पठेच्छ्रणु-

स्कन्द

यः पठेत्तुलसी-

स्कन्द

६७४ यज्ञश्च दानश्च ६७५ यज्ञाय धर्म-

म भा

[[१८२]]

भा

[[३७६]]

यः पश्येद्भक्ति-

अम्नि

८७३ यज्ञेन दानेन

वृ

१८० अनु

घः पूज्यः

ना फ

यः प्रीति-

पद्म

[[७६७]]

७११ यज्ञेशाच्युत

यज्ञः संङ्कीर्तन-

१.वि पु

[[४६६]]

भा

२७३ अनु

यः स मामेति

गो

४६४ यज्ञैश्च विविधैः

असं

[[१६८]]

यः सेवेत्

आ वराह

६८० यज्ज्ञात्वा नेह

गी

[[५८७]]

यः स्मरेत्

गरुड़

१७३ अनु

यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसे- गी

[[१०६२]]

यक्षाणाञ्च

पद्म

६०७ यतः ख्याति

पद्म

[[७६४]]

यक्ष्यन्ति पाषण्ड-

भा

८४५ यतः सर्व्व-

स्कन्द

[[३१४]]

यक्ष्ये विभूती-

भा

२३२ यतन्तश्च

गो

१०५ अनु

यच्च ज्ञान-

हय प

६१० यतस्तद्विषया

भा

[[७८०]]

यच्च ते परमं

हय प

६१० यतीनां विष्णु-

वृ नारद

यच्च व्रजन्त्य-

भा

८४ अनु

यतीनान्तु शतं

नृ ता

[[४१४]]

१०६ अनु

यच्चातिप्रिय-

भा

६२९ यतो न भय-

भा

[[६०४]]

यच्छक्यं तदुदीरय

विध

७८५ यतो भक्ति-

भा

यच्छन् प्रिय-

भा

१००८ यतो वस्ते

ब्रह्माण्ड

यच्छौचनिःसृत-

भा

११३ अनु यतो विन्देत

भा

यच्छ्रद्धयाप्त-

भा

८७० यत् करोषि

गो

यच्छ्रीर्वाचाँ

भा

२६६ अनु

यत् कर्मभिर्यत्-

भा

यच्छ्रोतव्यम्

भा

३० अनु

[[१०]]

[[८०७]]

[[८३६]]

३१२, ६३८

१३२ अनु, १७२ अनु,

१७६ अनु, ३२८ अनु, १३५

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ४६

श्लोक प्रतीका नि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

यत्किञ्चित्

यत्कृतः कृष्ण-

यत्तटस्थन्तु

स्कन्द

६४८ यत्स्पर्द्धया

पद्म

[[१६४]]

भा

[[१०४३]]

यत् स्यात् सर्व्वत्र

भा

[[२६५]]

यत्तपस्यपि

ना प गी

[[५७७]]

यथाकर्म यथा-

भा

[[१२८]]

३१२, ६३८

यथा काञ्चनतां

त सा

[[६४४]]

यत्तीर्थबुद्धिः

भा

१६० अनु, ७३५

यथा कृष्णापित-

भा

[[३४८]]

यत्ते सुजात-

भा

३२० अनु

यथा खममला-

भा

[[१०५१]]

यत्त्वं पृच्छसि

भा

[[७७०]]

यथा गङ्गाम्भसो-

भा

[[६७८]]

यत् पत्यपत्य- यत्पादनिःसृत-

भा

३२० अनु

यथाग्निः सुसमिद्धा-

भा, पद्म १४७ अनु, ३४४ ३४५

भा २६५ अनु, २८३ अनु

यथाग्निना हेम-

भा

[[२६२]]

यत्पादपङ्कज-

भा

[[७१]]

यथाचरति

भा

[[५४२]]

यत्पादसेवा-

भा १७२ अनु, ६१६,८५८

यथाञ्जसान्वीयु-

भा

[[६६]]

यत्प्रमाणं

भा

[[२२६]]

यथाञ्जसा पुमान्

भा

[[१०४५]]

यत् प्रह्वणाद्-

भा

३४६ यथा तरोर्मूल-

यत् प्रीणन द्

भा

[[३७६]]

भा ६२ अनु, १०६ अनु, ११५

अनु, १३१ अनु, १७३ अनु, २४५ अनु ८४

यत् फलं

स्कन्द

[[७२४]]

यथा तुदन्ति

भा

यत्र क्व वाभद्र-

भा

३६ यथा त्वच्चरणाम्भोजे भा

यत्र न चन्द्रमा-

नृ ता

२८६ अनु

यथा त्वामरविन्दाक्ष भा

[[२५३]]

१०६८.

[[१०६६]]

यत्र न दुःखादि

यत्र न दोषः

لدم لله

नृ ता

२८६ अनु

यथा देवे

श्वे

नृ ता

२८६ अनु

यथाद्रिप्रभवा

भा

यत्र न मृत्युः

नृ ता

२८६ अनु

यथाधिकारो

यत्र न वायु-

नृ ता

२८६ अनु

यथा नियुक्तो-

गौत

३६, ६२५.

[[६५३]]

[[८७४]]

२३६ अनु

यत्र न सूर्यो

नृ ता

२८६ अनु

यथा पदाङ, गुष्ठ-

भा

६१६, ८५८

यत्र नाग्नि-

नृ ता

२८६ अनु

यथा भक्तिर्ममो-

भा

[[१२६]]

यत्र पूजा-

वृ नारद

[[३४०]]

यथा भक्तचा हरि- गरुड़

[[६३३]]

यत्र यत्र मही-

स्कन्द

८२३ यथा भक्तेचश्वरे

भा

[[१०२३]]

यत्र रागादि-

इ समु

५२४ यथा यजेत

भा

[[६८६]]

यत्र संङ्कीर्त्तने

भा

८५३ यथा यथात्मा

भा

१४७ अनु, १३१

यत्रानुरक्ताः

भा

२६६ यथा यथा हरे-

नृसिंह

यत्रोत्तमश्लोक-

भा

७६३ यथा यैरञ्जसा

भा

यत् शश्वदात्म-

भा

१५७ यथालब्धोप-

भा

[[३१७]]

[[६१]]

२८६ अनु

यत् सत्यमनृते-

भा

१३७ यथालाभेन

भा

यत् साधोऽस्य

भा

४१८ यथावरुन्धे

भा

यत्सेवया

भा

७३३ यथावर्णविधान

भा

[[१०००]]

२४१ अनु, ७२०

६ अनु, २३४ अनु

५० ]

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

यथा विधि-

अ सं

८६२ यदि कृष्णकथा-

भा

१५६, ७६२

यथा विप्रमुखे

भा

[[७२३]]

यदि वास्यसि

भा

[[४७२]]

यथा वैरानु-

भा

३२४ अनु, १०२०

यदि देवं

[[१०११]]

यथा समस्त-

वृ नारद

[[१७०]]

यदि प्रयास्यन्नृप

भा

२८ अनु

यथा सिद्धरस-

७१३ यदि मां प्राप्न-

ब्रह्मवै

[[१८०]]

यथाहम खिला-

भा

१०४४ यदि वेदाः

यथा हरेर्नाम-

भा

७८७ यदि वोऽस्ति

वि पु

यथा हरौ भगवति

भा

[[३२६]]

यदीयते तत्र

भा

६४ अनु

१०४१ १८६ अनु

यथा हि पुरुष-

भा

८६ यदीश्वरे भगवति

भा

६१, ६४४

यथाहि यूयम्

भा

५८ अनु यदुत्तमश्लोक-गुणा- भा

[[८२०]]

यथेच्छसि

गी

१०५८ यदुत्तमश्लोकयशो-

२६६ अनु

"

यथोत्तमश्लोक-

भा

६६६ यहुच्छया-मत्-

[[11]]

१७२ अनु, १७३ अनु,

यथोपश्रय-

[[७५६]]

[[४८०]]

यदंशविद्धा

१३४ अनु

यदृच्छयेशः

१७६ अनु

[[11]]

यदक्षरं

यदङ्घ्रिमूले यदत्र क्रियते

गी

भा

१७६ अनु

यदृच्छा स्वैरिता अमर

१८१ अनु

[[६१७]]

यदेतत्तत् सव्वं

उप

[[१०७५]]

"

६५६ यदेष सर्व-

भा

[[58]]

यदनुध्यासिना

तदन्यत्रापि

यदसौ भगवन्नाम यदहं चोदितः

"

२१ यदैकपादेन

[[४४५]]

[[12]]

[[७४०]]

यदैव त्वं

स्कन्द

[[२६४]]

"

[[४५३]]

"

यद्गृह्यमान-

भा

५६, ४२७

[[19]]

[[६३]]

यदुलभं

गरुड़

[[१७८]]

यदाग्नेयोऽष्टा-

यजुः

-१२५ अनु

यद्धर्म्मो यादृशो

भा

• ५४२

यदा जिहासु-

भा

६३१ यद्भागवत-

भा

[[५१]]

यदा तुष्टोऽसि

स्कन्द

२६३ यद्भुङ्क्त े

मत्स्य, भविष्य

T

[[६५७]]

यदात्मा पृष्ट-

भा

यदा नेच्छति

विध

यदा पुण्यानि

विध

यदाप्नोति

यदा यस्यानु- यदा स्वनिगमे- यदाह भागवतं

यदाहाराय

यदा हि महापुरुष-

भा

ब्रह्माण्ड

भा

वि पु

८३४ ययज्जनो

भा

"

१४१ यद्भूतं

४८८ यद्यचिन्त्य महा-

४८८ यद्यच्युते भगवति

८६१ यद्यदिष्टतमं

६८६ यद्यद्धि कुरुते

१२० अनु यद्यद्भुतक्रम-

ल भा

वा भा

[[३६८]]

२८८, ३३६

ना को

[[७८३]]

भा

[[४६८]]

[[99]]

२६५ अनु, ६२६

२२४ अनु

६६० यद्यद्विभूति-

६ अनु

यद्यनीशो

भा

गो

TH

भा

[[३०२]]

[[८०२]]

११२श्लोकप्रतीकानि

विध

[[७८४]]

यद्वाक्यतो

यद्वा फलानां

यद्वासुदेवं

यद्विभेति यन्त्रारूढानि

[[५०३]]

[[६५५]]

[[५३६]]

[[६५७]]

[[11]]

[[३४६]]

श्लोकप्रती करनामनुक्रमणिका ]

[ 29

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

यद्यन्यन्न समा-

यद्यप्यन्यधियः

यद्युज्यते यद्येतदखिलं

यन्न सुतप्त

यन्त्र स्वधीतं

यन्त्र सन्ति द्रब-

यन्नामधेयं स्त्रियमाण भा

यन्नामधेयश्रवणा-

』་ ཝ ཟ ཕོ』, ༄གླ མྦ

५०५ ययोत्तानपदः

६५२ यल्लोकपालो ३७२ यश ऐश्वर्य्य-

भा

[[७७१]]

[[19]]

[[६८]]

[[६७६]]

[[99]]

यशः श्रियामेव

भा ६५ अनु, ६६ अनु, १५५

यशो भगवतो-

[[199]]

२५४ अनु

यश्चंतत् परया

जा प

[[६०६]]

यश्चोपदेशः

पद्म

१७३ अनु, ७६६

४१० यष्टव्यं देवता-

वि या

[[८६६]]

१०५६ यस्तन्नामोप-

वि ध

ε४२

६५८ यस्तु नारायणं

बँ त

२१५, ५६६

यस्तु पूजयते

पद्म

[[४०३]]

१२० यस्तु विष्णु ८४६ यस्तुत्तमश्लोक-

म भा

[[२११]]

भा

[[७६१]]

वस्ते उल्लङ्घ्य

४६०, १००६

यन्नाम विवशो

१५५ अनु, ४१०

यस्त्वङ्ग गायति

भा

[[८२५]]

यन्नामश्रुति-

६८७ यस्माच्चरु

३१० अनु

यन्नाम सकृच्छ्रवणात्,”

यन्नाम-स्मरणा-

यन्निबद्धो-

पद्म

४११, ७५८ यस्मादेव

४५२ यस्मिन्नहिसो-

गरुड़

[[४६२]]

भा

[[२६६]]

भा

१०१८ यस्मिन् व्यस्त-

वि पु

[[८४१]]

यन्मूहूर्तं

यन्नृलोक- यन्मयं वं

यन्मया कृष्ण

यन्मित्रं परमा-

यम इति लोक-

[[99]]

[[19]]

१९१३ यस्मिन् म्लेच्छे-

गरुड़, विध

७४८, ४७

*१७ यस्य चेतसि गोविन्दो

विध

[[८४०]]

स्कन्द

६५२ यस्य चेतसि सम्भवः

भा

[[५५३]]

भा

३०६ अनु यस्य देवे

श्वे

५ अनु, ३६, ६२५

वि

fa g

पु

३१६ यस्य प्रसन्नो

भा

[[३५७]]

नृसिंह

३६६ यस्य प्रसादजो

यमादिभि-

यमाहाध्यात्मिकं

भा

१६८ यस्य यत्सङ्गतिः

2 ho

[[१४०]]

PPP D

ह सु

[[७१८]]

भा

७३ यस्य यल्लक्षणं

भा

[[७४०]]

यमेन नियमेन

[[६७१]]

यस्य श्रद्दधता-

[[७६०]]

[[17]]

ययाच अनम्य

[[19]]

[[३२३]]

यस्य साक्षाद्भगवति "

[[६२८]]

ययात्मा सुप्रसीदति

"

५८ अनु, १०

यस्य स्मृत्या

स्कन्द

[[३१३]]

यया संलभते

[[19]]

[[६२]]

यस्य स्यान्मति-

इ समु

४०६, ६८५

यया सर्वमवा-

गरुड़

[[६३३]]

यस्यां खलु

भा

[[१४४]]

ययेदं धाय्र्यते

गी

५७६, ५८६

यस्यां न मे

[[११६]]

५२ ]

[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्था

श्लोक प्रतीकर्मन

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक इनि

ग्रन्थनाम

श्लोकानु च्छेबहः

यस्यात्मबुद्धिः

यस्यावतार-

यस्यास्ति भक्ति-

मा १६० अनु, २८५ अनु, ७३५

या वं साधन-

मोक्ष

१७६, ६५९

भा

[[४१६]]

या हि कार्यस्य

१७६ अनु

भा ४ अनु, २२८ अनु, २७२

याहि सर्वात्म-

भा

[[६६०]]

[[३५६]]

युक्त चतुर्भुजं

भा

[[६२८]]

घाः सम्पय्र्यचरन् यागादेव

भा

[[१०२८]]

युक्तः परः

भा

२ε

याति वैकुण्ठ-

यातुधाना

यात्यधः सुकृता-

भा

ཚ སྠཽ རྞྞ ;

४७ युक्तमाक्रन्दितं

गरुड़

[[८५२]]

[[१९४]]

युञ्जन्तो योगिनो

भा

[[१०४६]]

७२५ युञ्जानाना-

भा

[[१६७]]

८०१ युवतीनां

पद्म

[[६४०]]

या दुर्गा

मौत

२८५ अनु

युवां महं

भा

३२५ अनु

यादृशं वा

भा

[[१०६६]]

युष्मत् प्रसङ्ग-

भा

[[२७३]]

याना स्थाय

भा

१२५ अनु, ६४२

यूनाञ्च युवतौ

पद्म

[[६४०]]

यानीह विश्व-

भा

[[८२५]]

यूयं द्विजाग्रया

भा

[[१५७]]

या नैर्वा पादुक

३०० अनु

यूयं भक्तचा

भा

[[१०३३]]

यान्ति तद्वेष्ण कं

मरुड़

७०२ ये च तान्

भा

[[२२८]]

यान्ति देवव्रता

मी

२४० ये चान्ये

पद्म

यान्ति मयाजि-

मी

२४० ये चान्वदः

भा

[[७३६]]

यात्यञ्जसा–

भा

६६१ ये चाप्यक्षर-

[[१६६]]

या प्रीति-

वि पु

[[६३६]]

येऽच्युतं

ब्रह्म

[[६६६]]

या भक्तिः

भा

[[६७६]]

ये जनाः पय्र्यु -

गो

४५७, ४६६

यावज्जनो

पद्म

२६६ ये जना नृपति-

गरुड़

[[६३३]]

यावज्जीवं सम-

हय फ

२५५ ये त त्वदीय–

तु

भा

[[७५६]]

यावज्जीवन्तु यत्-

स्कन्द

२३७ ये तु नेच्छन्त्यपि

भा

[[४७४]]

याक्त

भा

३३१ अनु ये ते पद-

भा

[[५२५]]

यावत् पापस्तु

ब्रह्मव

५ ये त्यक्त

हय प

[[५८२]]

यावत् पृथकृत्व-

भा

६९७ ये त्वक्षर-

गो

[[२०१]]

यावदाहूत-

१०११ ये त्वब्जनाभ

भा

[[७३६]]

TH

यावदिन्द्रा-

विर

६४५ ये त्वात्मराम-

भा

१०६ अनु

यावन्न जायेत

भा

४३ ये ध्यायन्ति

ना स्त

[[१००५]]

यावत्र वेद

भा

२५४ येन कर्म-

अग्नि

[[२४७]]

यावन्नार्चयते

गरुड़

४६२ ये न कुर्वन्ति

स्कन्द

[[६६२]]

यावानर्थो

भा

१०६७ येन केनाप्यु-

वृ नारद

[[८५३]]

यावान् यश्चास्मि

भा

५८५ येन चात्मा

भा

[[६३]]

श्लोकप्रतीकानि

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ ५३

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

येन जन्म-

८४३ यैलिङ्ग-

भा

[[५४२]]

येन त्वय्याविशे-

भा

[[१२६]]

योगं तेनैव

[[17]]

[[७३]]

ये न भक्ता

पद्म

७४३, ६१६

योगः सन्नहनो-

२२६ अनु

येन येना-

भा

३३८ अनु योगक्षेमं

गो

४५७, ४६६

येनातिव्रज्य

[[12]]

६८१ योगचर्य्या

भा

येनात्मा मे

"

४४६ योगमाया-

गो

येनात्मा सुप्रसीदति भा

१०४३ योगान्तरायान्

भा

१०४५ ३१६ अनु

[[७०४]]

येनाचितो

पद्म

[[३५८]]

योगाय सांख्य-

"

येनाचर्चा

विध

[[४१७]]

योगास्त्रयो

ये नृशंस ।

इ समु

[[४०४]]

योगिनः परि-

ये नृसिंह

नृसिंह

८२६ योगिनः पर्यु-

येऽन्ये च पापा

येऽन्ये मूढधियो येऽन्येऽरविन्दाक्ष येऽप्यन्यदेवता-

भा

[[१८८]]

योगिनां नृप

[[17]]

[[७३०]]

योगिनां परमं

[[19]]

१२१ अनु, २८६

योगिनां ब्रह्म-

गी, भा २३८, ४५८, ६५०

योगिनां हृदये

[[६५२]]

योगिनामपि

पद्म गो

ཁྐྲ་ ་ རྐ ཀྐ མ ་ -

[[३७६]]

[[४७८]]

वि रः

[[८५७]]

१११ अन्

३१८, ७६१

[[१५०]]

[[६६]]

[[८२७]]

[[२८०]]

ये प्रायशो-

भा

[[२०४]]

योगिनो व

वा भा

[[२८६]]

ये भविष्यन्ति

विध

[[४१६]]

योगिनो वै मदा-

भा

१३४, ४८३

येsयिथता-

भा

१६५ अनु, २६८

योगिभिर्दृश्यते

पद्म

[[१०३८]]

ये मे तनु- ये यथा मां

भा

१०६ अन

यो गुरुः

वा क

[[७०७]]

गो

३२५ अनु

योगेन दान-

भा

[[१३५]]

येऽर्चयिष्यन्ति

गरुड़

[[९३२]]

योगे यः

वि पु

[[१७५]]

ये वा मयोशे

भा ५३ अनु, १८७ अनु

योगेश्वरै-

भा

[[६२६]]

[[५३८]]

योगो यागो

[[५६०]]

ये वै भगवता

भा ५६ अनु, २१७ अनु,

योग्यता शास्त्र-

[[६४८]]

३२२ अनु, ६३५

यो न द्वेष्टि

भा

[[५५०]]

ये शास्त्र-

येषां किमु येषां गुरौ

गो १०६ अनु, १७३ अनु

यो न भक्त–

स्कन्द

[[३६२]]

भा

[[४६०]]

यो न सर्व्वेश्वरे

गरुड़

[[२८४]]

वैत

८७६ योऽनादृतो

भा

१११ अनु, २४६ अनु

येषां त्वन्तगतं

गी

५५२ यो नार्च्चयति

म भा

[[२८१]]

येषां वैष्णव-

पद्म

येषामहं

भा

यैराश्रितो न

ब्रह्मवै

३८८ योऽन्तवहि

३१० अनु योऽन्यत्र कुरुते

२६६ योऽन्यदेव-

भा

[[१०५०]]

आ वराह

स्कन्द

[[८६४]]

२०६, २१०

५४ ]

श्लोकप्रतीकानि

योऽन्यद्व्रत-

यो भिनक्ति

कूर्म

भा

गो

ब्र सं

भा

यो मन्त्रः

यो मां सम- यो मां सर्व्वेषु यो मां स्मरति

यो मानुष- योऽमायया

विध

बा क

७०७ रतिः स्यादन-

२४३ रतिरात्मन्

स्कन्द

भा

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

९४६ रञ्जितं गुण- ४८७ रति बध्नाति

ना प

[ श्रीश्रीभक्ति सन्दर्भस्य

श्लोकानुच्छेदाः

[[५७७]]

[[८६६]]

[[१०६८]]

[[19]]

१८, ४५

२४५ रतिरासो

[[19]]

[[७३३]]

५०८ रमस्व

[[19]]

३२० अनु

४२६ रमादिसर्व-

ना प

[[६५६]]

२८३ अनु

रमेऽनेन

भा

[[६६६]]

यो मे भक्तचा

गी, भा ३१०, १०३६

रवेर्दीपमिवा-

भा

[[३८०]]

यो यजेत

भा

[[७२१]]

रसः स्याद्-

हय प

[[५७१]]

यो यज्ञपुरुषो

विपु

[[१७५]]

रसरूपं

हय प

[[५६६]]

यो यो मयि

भा

१४८ अतु, १०६६ रसवद्भौतिकं

हय प

[[५७१]]

योऽरोचयत्

भा

[[१०४८]]

रसस्य योगतो

हय प

[[५७०]]

यो वक्ति न्याय

ना प

७१६ रसायां

भा

[[१७१]]

यो वदेद्-

गरुड़

७५२ रहूगण त्वमपि

भा

[[८५]]

यो वा ऐतद्-

वृ

६२ अनु

रहूगणतत्तपसा

भा

[[५३७]]

यो विद्याद्विष्णु-

ना प

७१० राक्षसाः परि-

वृ नारद

[[२८५]]

यो विद्वान्

भा

[[६०४]]

राक्षसीमासुरी–

गो

[[१०६४]]

यो विष्णु

गरुड़

[[७४७]]

राक्षसी रुधिरा-

भा

[[१००७]]

यो वृणीते

भा

[[१०२६]]

रागादिदूषितं

विध

[[४३७]]

योऽसौ भगवति

भा

६ अनु, २३४ अनु

रागान्धो राजसः

भा

[[३७४]]

योऽसौ मयाविदित-

भा

[[६८१]]

रागेणाकृष्यते

विध

[[८२६]]

यो हिमां

ब्रह्म

[[२२१]]

राजन् यदग्र-

भा

[[६१८]]

रकारादीनि

पद्म

[[७८१]]

राजपुत्र

[[७६५]]

रक्तास्तन्मातरो

भा

[[१००८]]

राजविद्या

गो

३३२ अनु

रक्षणीयः

ना प

[[८६५]]

राजसं फल-

भा

[[३६१]]

रक्षया कृतया

विध

[[४२०]]

राजसयेन

भा

[[२३२]]

रक्षिष्यतीति

वै त

[[६६१]]

राजसेवकयो-

भा

[[४६७]]

रजस्तमः प्रकृतयः

भा १०६ अनु, ३३, ७२६

राजा च

वृ नारद

[[३४०]]

[[2009]]

रजस्तमः स्वभावस्य

भा

[[३६५]]

राजान्नभक्षणं

वराह

३०० अनु

रजस्तमश्च सत्त्वेन

भा

[[७०६]]

राजेवर्त्त

स्कन्द

[[८११]]

रजो वैकल्पिकन्तु

भा

३६२ रामनाम-

पद्म

७८ १

रज्यन्ति जन्तव-

पद्म

३५८ राममन्त्राः

रा च

[[८८०]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ५५

श्लोक प्रतीकानि

प्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

रामस्य जनका-

गरुड़

८६५ लोकाननुचर-

भा

[[५३३]]

रामेण सार्द्धम्

भा

२४२ अनु लोकान् सर्व्वान्

भा

[[६८५]]

रुक्षाक्षरन्तु

रुजं द्रावयते

गरुड़

ब्रह्माण्ड

७५२ लोके विप्र-

पद्म

[[७४२]]

८०५ लोकोऽयं

भा

[[६२६]]

रुद्रः क्रोध-

भा

[[१४०]]

लौकिकं

ला प

[[८६४]]

रुद्रजापक-

नृ ता

१०६ अनु

वक्ता सरांगो

ब्रह्मवं

‘६०५

रुद्रस्तस्मा-

ब्रह्माण्ड

८०५ वचनं परि-

वं त

[[८७६]]

रूढ़ियोंग-

१२८ अनु

वचांसि

भा

[[६६४]]

रूपभेद-

भा

२६० वचोभिश्चित्त–

भा

[[७६]]

रेमे विद्या-

भा

८४ अनु

वचो विभूतीर्न

भा

[[७६०]]

रोचनार्था

भा

१०१ वज्रञ्चापि

गरुड

[[३४३]]

रोपिता यैस्तु

स्कन्द

८६७ वत्स ते

भा

[[६३]]

लक्षणं भक्ति-

भा

६७६ वदन्ति कृष्ण

भा

१४७ अनु, १२५

लक्षांस्तान्

ब्रह्मवै

२७० वदन्ति तत्तत्व-

भा

[[१६]]

लब्धवान्

भा

[[२२०]]

वनन्तु सात्विको

भा

[[३७३]]

लब्धानुग्रह-

भा

२८३ अनु, ६१६

वनमालिनि

चिन्ता

[[२२२]]

लब्धोपशान्ति-

भा

६३२ वनलतास्तरव

भा

१८८ अनु

लभते निश्चलां

भा

१२४ वन्दन्त्यचन्तु -

भा

[[२१७]]

लभते मयि

भा

[[७२१]]

वपुरादिषु

आल स्तो

ह६३

लवनिमिषार्द्ध-

भा

११५ अनु, ५५६

वयन्तु साक्षाद्-

भा

१०६ अनु, ६३०

लाभो जीवेत

भा

१४ वयन्त्विह महा-

भा

[[११२]]

लाभो मद्भुक्ति-

भा

११८ अनु

वयमपि ते

भा

[[१०३२]]

लिङ्गानि विष्णोर्न भा

५७ वयमेकान्तिनः

विध

[[२२४]]

लिप्यन्ते व

इ समु

४०५ वरं पश्च

विध

[[४१२]]

लोलया चित्-

हय प

५६३ वरं प्राण-

हथ प

[[२५५]]

लीलाकथा–

भा

११६, १३६

वरमेकं

भा

[[२१३]]

लेभे गति

लीलावतारानुरतः भा

लीलावतारात् पुरुषस्य भा

लोलावतारेप्सित- भा

भा

२५५ अनु वरांस्त्वं वरद-

भा

[[४७२]]

७६८ वराकाणामना-

ब्रह्मवे

[[२७१]]

११६ वरैर्लोक-

भा

[[४६१]]

१०७० वर्गस्वर्गा-

भा

[[६१४]]

लोकनाशाय

ब्रह्मवै

६०६ वर्जनीयाः

बराह

[[६६६]]

लोकवत्तु

ब्र सू

३२० अनु वर्णाश्रमविभाग-

भा

[[१६]]

लोकाचारो

ना प

८६५ वर्णाश्रमाचारतपः-

भा

[[१५५]]

२६ ]

श्लोकप्रतीकानि

वर्त्तमानञ्च

[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

ल भा

३६८ वासुदेवः समा-

[[८४३]]

वर्षापः सागरं

पद्म

२३३ वासुदेवकथारुचि-

भा

२२. ३७०, ८६०

बर्षे वर्षे

स्कन्द

६६७ वासुदेवकथासु यः

भा

[[१२]]

ववन्दे पर -

भा

[[२३१]]

वासुदेवपरं ज्ञानं

भा

[[३५]]

बश कान्तौ

अमर

१५२ अनु

वासुदेवपरं तपः

भा

३५.

वशे कुर्वन्ति

भा

२४१ अनु, ६६०

वासुदेवपराः क्रिया-

भा

[[३४]]

वस्त्रोपवीता-

भा

२६५ अनु, ६११

वासुदेवपरा गतिः

भा

३५.

वहिरन्तरपाः-

भा

[[१०५१]]

वासुदेवपरा मखाः

भा

[[३४]]

बाक्शरीर-

विध

७८५ वासुदेवपरायणाः

भा, इ सम् ३०६, ३४७, ५२४

बागदुष्टा

विध

[[४३८]]

४३८ वासुदेवपरा योगो

भा

[[३४]]

वाचं यच्छाम्य-

भा

१४६ वासुदेवपरा वेदा

भा

६४ अनु, ३४

वाचस्तु नस्तुलसि -

भा

२६६ अनु

वासुदेवपरो धर्मो

भा

३५.

वाच्यत्वं

हय प

[[५७२]]

वासुदेवमजं

कमं

[[१०२६]]

वाजपेय-

वृ नारद, पद्म

[[३२०]]

वासुदेवस्य कारिता

विध

[[४१७]]

वाञ्छतोऽपि

भा

[[५०४]]

वासुदेवे परे

भा

[[१०१३]]

बाञ्छन्ति ये

भा

१६५ अनु

वासुदेवे भगवति

भा

११, २८, ४४, ६२

वाञ्छन्त्यपि मया

भा

[[५१०]]

वासुदेवेक-

भा

[[५५३]]

बाणीयं वेद-

भा

११५ अनु, १२७

वासुदेवो न

वि पु

[[३१६]]

२६६, ६३६

वासोऽलङ्कार-

भा

११०, ६८६

वातवसना

भा

१११ विकर्म यच्चोत्- भा १७२ अनु, ३१२ अनु, ४६३

वानप्रस्थ-

नृ ता

१०६ अनु विकम्र्म्मणा

भा

[[१००]]

वापीषु विद्रम-

भा

३०८ विक्रीड़ितं

भा

११० अनु, १०७१

वायव्यं सौम्य-

पद्म

८६६ विक्रीणीते

विध

[[४२४]]

वायौ मुख्य-

ε२६ विक्रीतस्य

भवि

[[६६२]]

वारुणी दिग्-

कि पु

३८५ विग्रहं कृत्वा

स मु

११२ अनु

वार्त्ता भवन्तुयत

भा

४७३ विघ्नायुतेन

विध

[[४४०]]

वार्त्तायां

भा

१०६७ विघ्नो यत्र

वि पु

[[८४१]]

वार्त्तासुधा-

पद्म

२६६ विचरेज्जड़-

भा

[[११४]]

वाष्पगद्गदया

भा

३५६ विचारः सम्प्रवर्तते

ब्रह्मवै

[[५०१]]

वासुदेव एव

भा

२२२ अनु

वासुदेवं जगन्नाथं

स्कन

विचारपरि-

१००२ विचारेऽपि कृते

म प्र

[[८८२]]

ब्रह्मवै

[[५०१]]

वासुदेवं परित्यज्य

स्कन्द

२०६, २१०

विचार्य्यं च

स्कन्द, पद्म, लिङ्ग २७५ अनु,

वासुदेवः प्रतापः

ब्रह्म

[[२२१]]

१६४, ३०१

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोक प्रतीकानि

विजितहृषीक- विज्ञान-वैराग्य- विताय लोकेषु वित्तं त्वतीर्थी- वित्तेष्वात्मनि

[ ५७

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भा

"

[[११८]]

६२३ विप्राणां सततं

७६० विप्राद्विषड़- ७६० विप्राश्च वृद्धाश्च-

विप्रो राजन्य-

[[५६१]]

भा

१११ अनु, १८१

"

[[६५७]]

"

[[४४३]]

"

५५५ विबुधोत्तम-

"

[[४४६]]

६७१ विबुध्य भक्तंचव

[[11]]

१६ε

विदधति पाप-

[[11]]

विदधे भय-

२५६ विमन्यवः

[[11]]

विदन्तस्ते सन्तः

ब्र सं

९०८ विमुक्तकर्मा-

"

५३८ ८४६

विदेहानां

भा

१७६ अनु

विमुखा ये

"

[[१८६]]

विद्धि भागवतान्

भा

६३५ विमृश्येतद-

गी

[[१०५८]]

विद्याधरा

भा

७२६ विरक्तिमन्यत्र

भा

[[६६८]]

विद्यायज्ञा-

ब्रह्मवै

८३१ विरमेदस्य

भवि

[[६६२]]

विद्या वा तपसा-

भा

१३०, २८७ विरिञ्चिश्च

ब्रह्माण्ड

[[८०८]]

विद्या सन्धिः

६२२ विले बतोरु-

भा

१०८ अनु, ५५

विद्वान् युक्तः

गी

५०२ विविक्तक्षेम-

भा

[[६६५]]

विधत्ते हागदं

भा

६६ विवेकज्ञैरतः

ना प

[[८६५]]

विधिना मां

भा

६०२ विशतः संसृता-

भा

[[४४]]

विधिनोपचरे-

भा

[[१०२]]

विशन्ति सर्वतः

भा

[[६५३]]

विधुनोति

[[19]]

[[२३]]

विशिष्टः सर्व्व-

स्कन्द

[[३३०]]

विनानन्दाश्रु-

[[17]]

३८६ विशुद्धस्य

म भा

[[२५१]]

विना मत्सेवनं

विना महत्पाद- विनायकानीकप- विनिन्दन् देव- विनिर्धु ताशेष-

[[99]]

[[11]]

६८० विशुद्धा नृप-

भा

[[७५]]

५३७ विशेषनामानि

ब्रह्म

[[८१२]]

[[39]]

[[759]]

३३५ विशेषाच्चार्चयेद्-

ना प

[[६५०]]

कुर्म

[[716]]

२४३ विशेषेण

सौपर्ण

[[६६६]]

भा

६१७ विश्वं पुरुष-

भा

[[८०४]]

विनैव दीक्षां

रारा च

विनैव न्यास-

रा च

८८१ विश्वात्मना यत्र

८८१ विश्वात्मनीक्षेन्न

[[19]]

[[६६]]

[[19]]

[[५८६]]

विनैव भगवत्-

पद्म

१००६ विश्वात्मा भगवान्

[[१४०]]

विनोपसर्पत्य-

भा

२०८ विश्व देवा

पद्म

[[६००]]

विन्दते तत्- विन्दन्ति ते विपर्य्ययस्तु

[[19]]

१०२१ विश्वेश्वरे द्रष्टरि

भा

[[४३]]

[[99]]

१७३ विश्वेश्वरोऽयं

चिन्ता

[[२२३]]

[[11]]

विप्रं कृता-

[[39]]

५०७ विषयस्नेह-

७५० विषयानभिसन्धाय

ब्रह्मवं

[[४२२]]

भा

[[६७६]]

५८ ]

श्लोकप्रतीकानि

विषयान ध्यायत-

विषयाविष्ट- विषयेषु विषज्जते

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भा

वि पु

८५४ विष्णोः पादो- ३८५ विष्णोः सर्व-

भा

[[58]]

वि या

२६५ अनु

भा

८५४ विष्णोराराधनं

पद्म

[[७३४]]

विषयेष्वनपायिनो

वि पु

विषयैरजिते-

भा

६३६ विष्णोराराधनादिषु पद्म

३०५ विष्णोरेकैक-

[[६३६]]

पद्म

३६५ अनु

विषर्नाभि-

भा

३०५ विष्णोनिवेदिता-

वि या

[[८६६]]

विषयोत्थन्तु

[[19]]

३६६ विष्णोर्नैवेद्य-

स्कन्द

[[७२४]]

विषीदन्त्य-

विष्टभ्याहमिदं

“1

गो

१०४६ विष्णोर्भक्तो

नारद

[[१८७]]

३३० अनु

विष्णोर्भुञ्जोत

ब्रह्माण्ड

[[६६५]]

विष्णु यो नोप-

[[114]]

गरुड़

१६८ अनु विष्णोर्माया-

भा

[[५५०]]

विष्णु सम्पूज्य

स्कन्द

३३१ विष्णोर्वा

पद्म

[[२४८]]

विष्णु सर्व्वेश्वरे-

भा

१०२६ विष्णोश्च कारणं

गरुड़

[[७४७]]

विष्णुञ्चेद्भजते

पद्म

[[३८७]]

विष्णो सन्निहितो

हय प

२८६ अनु

विष्णुपादोदके-

वि या

[[८६६]]

विष्णोस्त्रैलोक्य-

गरुड़

[[८६५]]

विष्णप्रीत्यं

स्कन्द

[[८३२]]

विष्णो च

वृ नारद, वै त ५६८, ८७

विष्णु भक्तस्य

अग्नि

२४६ विष्णौ धाय्र्य-

भा दो

[[६१]]

विष्णुभक्त

गरुड़

[[६३३]]

विष्णौ भक्ति

पद्म

[[१६६]]

विष्णु भक्तिपरो

अग्नि, विध२८३

विष्णौ सर्व्वे

पद्म

[[२४८]]

विष्णु भक्तिरता-

पद्म

[[३५३]]

विष्ण्वचर्चनं

गौत

[[६५६]]

विष्णुभक्तिवशं

हय प

. ५८२

विष्ण्वावेशः

वि पु

[[३८५]]

विष्णुभक्तिविहीनानां वृनारद, पद्म, स्कन्द १७२,३१६

विष्वक्सेनं गुरुन्

भा

[[६०३]]

विष्णुभक्तिविहीना ये

वृ नारद

[[१८६]]

विष्वक्सेन- गजा-

पद्म

[[८८]]

विष्णुभक्तिविहोनो यो नारव

[[१८७]]

विसर्गः कर्म-

गो

२२५ अनु

विष्णुभक्तिसमा- स्कन्द, गरुड़ १८५, ७५१

विसृजति

भा

[[५५८]]

विष्णुभक्तो विशिष्यते

गरुड़

५१२ विसृज्य

भा

३३१ अनु

विष्णुमन्त्रं

हरि

२३० विस्मर्तव्यो

पद्म

१६३, ३२४

विष्णुमु द्दश्य

स्कन्द

६४८ विहराम्यमुनै-

भा

[[१०००]]

विष्णुरेव

स्कन्द

६१५ विहाय चिन्तामणि

चिन्ता

[[२२३]]

विष्णुलोकं स

विष्णुलोकच्युतो

भविष्य

६६८ विहितं

मसिंह

[[८५५]]

स्कन्द

६५८ वीक्षते जाति-

इ समु

[[७४५]]

विष्णुशक्तिः

वि पु

५७५ वृंहणाद-

ब्रह्माण्ड

[[८०८]]

विष्णशास्त्र-

कूर्म

८७८ वृणीत आय

भा

[[८५६]]

विष्णु सामान्य- व त

२१४ वृणीमहे

भा

[[६५८]]

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

श्लोकप्रतीकानि

वृथायुः वृषपर्वा

ब्रह्मवै

भा

[ ५६

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

FR १८० वैशिष्टय

भा दो

[[६२]]

७२७ वैश्याः शूद्राः

भर

[[७२६]]

वेत्स्यस्यतु-

[[99]]

६४, ३७१

वैषम्यमिह

भा

[[१०१७]]

वेदगुह्यो वेदत्रयात्मकं

हय प

[[५६४]]

वैष्णव ज्ञान

ना प

[[७१०]]

पद्म

[[५१४]]

वैष्णवः खं

भा

[[६२४]]

वेद दुःखा-

भा

१२२ अनु, ४८१

वष्णवत्वं लभे-

आ वराह

[[२२६]]

वेदधर्म-

१०११ वैष्णवत्वमिहो-

पद्म

‘५८४

वेदप्रणिहितो

भा

२२५ अनु

वंष्णवाः शक्ति-

पद्म

[[२३३]]

वेदविद्वेषि-

व नारद

२८५ वष्णवानां महा-

स्कन्द

३६७, ७६६

वेदाक्षराणि

८१४ वैष्णवानां यथा

भा

१०६ अनु

चेदे च

भा

८६१ वैष्णवानां सह-

गरुड़

[[५१२]]

वेदेनाचोदितानि

भा

८६३ वैष्णवानाञ्च निन्दया

स्कन्द

DE

[[६६२]]

वेदेषु च

ब्रह्माण्ड

८०६ वैष्णवानामति-

सौपर्ण

[[६६६]]

वेदोक्तमेव

भा २१७ अनु, २२४ अनु,

वणवा नार-

म प्र

[[८८२]]

[[१०१]]

वष्णवान् नाभि-

स्कन्द

[[८००]]

वेदोऽखिलो

मनु

६४ वैष्णवान् परि-

इ समु

[[१७३७]]

वेद्मि नास्याः

विध

[[४२१]]

वैष्णवा वीत-

इ सम्

४०.५

वेद्य वास्तव-

भा

५८ अनु

वैष्णवी वर्तते

स्कन्द

[[८२३]]

वैकुण्ठनाम-

भा

४५० वैष्णवे चाव-

स्कन्द

[[४३०]]

वैकुण्ठपुर-

[[11]]

३१६ अनुः वैष्णवेन सदा

बराह

[[९६६]]

वैकुण्ठभवनं नीतौ स्कन्द

२३६ वैष्णवे बन्धु-

भा

[[६२६]]

वैकुण्ठभुवनं नरः

पद्म

६२३ वेष्ववेष्वपि

रा च

[[८८०]]

वैकुण्ठाच्च

पद्म

८६३ वैष्णवो यदि

गौत

[[६५६]]

वैकुण्ठाधिपति

हय प

५६३ वैष्णवो यद्गृहे

पद्म

वैदिकस्तान्त्रिको भा

जि

[[३८८]]

६०२ वैष्णवो वर्ण-

पद्म

[[७४२]]

वैदिकस्य च

तन्त्र

[[८८३]]

वैष्णवो वाथ शैवो

सौर

वैदिकानामपि

पद्म

[[६०४]]

वैष्णवो वाथ सौरो

विध

२६६ अनु २६६ अनु

HOPE

वैयासे ये

भा

[[३४२]]

व्यजनः सम-

भा

वैराग्य सारं

भा

[[६६]]

व्यञ्जयन्त

भा

वैराग्येण वैरेण पूत-

[[29]]

[[६६३]]

व्यपोह्य देहा-

[[99]]

"

[[१०२२]]

व्यर्थापि दुःख-

[[99]]

वरेण यं वैवस्वतं

[[19]]

[[१०३५]]

व्यर्थोऽपि नैवोप-

Fe

[[19]]

T

१०४० १८८ अनू

[[२६६]]

[[६६७]]

[[11]]

१४८ अनु व्यवहर्त्ता’श्च

रा च

[[३]]

हदद

६० ]

श्लोकप्रतीकानि

[ श्री श्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम

इलोकानुच्छेदाः

व्यसनशता-

व्याख्या - रहो-

व्याख्या-स्वाध्याय- व्याधः कपोत्तो

व्याधः कुब्जा व्याध मा जीव

व्याधयश्च

भा

"

[[६२३]]

शाठ्येनापि

स्कन्द

[[३६१]]

[[४७३]]

शान्ताः सन्नचासिनो भा

[[१११]]

T

$9

:७३१

[[७३१]]

शान्ताः समदृशः

भा

[[६६१]]

[[१३८]]

शान्ति नश्यित

[[17]]

[[८३६]]

७२८ शाब्दे परे

भा

२३८ अनु, ६०३

७६५ शारीरा मानसा

भा

[[३४२]]

बृ नारक

  • ३४०

३४० शालग्रामशिला यत्र

स्कन्द

२८६ अनु, २२

व्यापकः सर्व्व-

हय प

५६४ शालग्राम शिलार्चनम् स्कन्द

[[६७७]]

व्रजतः काल-

ना फ

७१६ शालग्रामसमीपे

व्रजन्तं पर-

२६० शावौ करौ

पद्म

भा

[[६२७]]

[[५६]]

व्रजन्ति तच्चरण-

भा

व्रजन्ति तत्

भा

व्रजन्नंन्द्रों

वि पु

व्रजामि शरणं

वि पु

व्रतानि चेरे

४८ शिक्षन् भक्तया २६६ शिक्षेद्गुर्व्वात्म- ३८५ शिरसो वापि ३३४ शिरो हृषीकेश-

शिलाबुद्धिः

भा २३८ अनु, २६६ अनु

२१७ अनु

[[17]]

२१७ अनु, ६१८

हय प

[[२५५]]

भा

[[६६६]]

अग्नि

२८६ अनु, २४६

व्रतानि यज्ञ-

AT

[[७२०]]

शिवः पन्थाः

भा

[[२२६]]

व्रतानि वै

म भा

१८२ शिवः सुखा-

ब्रह्माण्ड

[[८०७]]

व्रतोपवास-

अ सं

[[१६८]]

शिवस्य श्रीविष्णोर्य

पद्म

[[७६४]]

शक्तास्तु निग्रहं

स्कन्द

[[३६७]]

शिवे च परमे-

वृ

व नारद

[[५६८]]

शक्तिद्वारेण

६४७ शिष्यो विष्णु-

[[७१३]]

शक्तौ फलादि-

विया

६५१ शीतं भयं 296

भा

[[७५६]]

शङ्खचक्र-गदाधरे

स्कन्द

[[३१४]]

शीर्णा यदेते

वि पु

[[४४४]]

शङ्खचक्र-गदाम्बुजेः

भा

६२८ शुकमुखा-

भा

२५७ अनु

शङ्खचक्राद्यूर्ध्व-

पद्म

५८४ शुक्लाकृष्णा-

वि या

[[६५१]]

शङ्ख- पद्मनिधी

पद्म

दह

शुक्ला वा यदि

मत्स्य, भविष्य

[[६५७]]

शतजन्मार्जितं

स्कन्द

३९१ शुक्लेनेज्येत

भा

[[८७०]]

शतभागं

विर

८७६ शुचि-शुक्र-

गरुड़

ε३२

शब्दब्रह्मणि

भा

११५ शुचिश्रवाः

भा

[[३२७]]

शमो दम-

मु टो

शमो मन्निष्ठता

भा १७७ अनु, २७२ अनु

१८३ शुद्धं वाशुद्ध-

शुद्धसत्त्वमयं

पद्म

[[४२६]]

[[134]]

हय प

[[५६६]]

शरणं तं

शश्वच्छान्ति

गरुड़

[[७०२]]

शुद्धां भागवत

भा

३२१ अनु, ५३६

गो

१७३ अनु

शुद्धान्तः करणो

पद्म

[[४०२]]

शश्वन्मदनु-

भा

३०६ अनु, ६६६

शुद्धे तन्नाम्नि

पद्म

२४८श्लोकप्रतीकानि

शुद्धयादिक- शुध्यन्ति तस्मै

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ६१

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

स्कन्द

भा

८३९ श्रद्धालुहढ़-

भा

[[४८२]]

१८८ श्रद्धालु मंत्-

[[27]]

[[१२३]]

शुध्ये द्भक्तघा

[[99]]

३८६ श्रद्धावान्

गी

[[२८०]]

शुभ क्रिया-

शुश्रूषोः श्रद्दधानस्य

पद्म

भा

[[७६६]]

१५३ अनु, १७१ अनु,

श्रम एव हि श्रमणा ऊर्ध्व-

भा

[[१२]]

[[19]]

[[१११]]

२०२ अनु, ३४० अनु,२२, ३७०, ८६०

श्रमस्तस्य

"

[[११५]]

शूद्र वा

इ समु

[[७४५]]

श्रवणं कीर्त्तनं विष्णोः

"

शूद्राणाञ्चैव

२१७ अनु, ४७५

पद्म

९३८ श्रवणं कीर्तनञ्चास्य

शूद्रो वा शृणु देवि

"

५८ अनु. १११ अनु

स्कन्द

[[१८५]]

१४८ अनु

पद्म

६६४ श्रवणादर

भा दी

[[६२]]

शृणु

मे

शृण्वतः श्रद्धया

शृण्वतां स्वकथाः

शृण्वतो देवि

བླླ ་ ལྷ ཟ,

१०५६ श्रवणेन विशेषतः

स्कन्द

[[६७६]]

८२१ श्राद्धञ्चैकादशी-

वि या

[[६५१]]

२३ श्रावितो यच्च

भा

[[१४२]]

[[७८१]]

श्रिया युक्तो

ना प

[[१००१]]

शृण्वन्ति गायन्ति

भा

२४२ अनु, ७२२

श्रिया होनेन

भा

[[१०२७]]

शृण्वन्ति गायन्ति शृण्वन् सुभद्राणि

[[३८३]]

श्रियैश्वय्य-

[[19]]

[[३३]]

"

१८७ अनु, २१७ अनु,

श्रीभागवता-

[[19]]

[[७७६]]

२६३ अनु, ६८

श्रीमते विष्णवे

पद्म

[[५१७]]

शोचे ततो चोच्यान् धर्म-

भा

१८६ अनु

श्रीमकिरीट-

भा

[[१०४८]]

भा

६१४ श्रीमत्त लस्या

भा

[[६६५]]

शौक़-सावित्र

"

७८ श्रीमदूजितमेव

गो

[[८०३]]

श्रद्धया तन्निबोध

[[19]]

६८६ श्रीमद्भागवते

भा

[[७७८]]

श्रद्धयात्मा प्रियः

भा

१४७ अनु श्रीमन्नारायणः

पद्म

[[५१६]]

श्रद्धया परयो-

गी

२०० श्रीरुकारेण

पद्म

[[५१५]]

श्रद्धया मोदयेद्-

अग्नि

८७३ श्रील-रूप-

[[१]]

श्रद्धया यतत-

भा

७४ श्रीवत्सकौस्तुभ-

भा

२२३ अनु

श्रद्धया यस्तु

वि या

७६८ श्रीविष्णुपद्या

भा

[[५८]]

श्रद्धयोपाहृतं

भा

१७२ अनु, ६७०

श्रीविष्णोः श्रवणे

[[४७७]]

श्रद्धां भागवते

भा

१०६ अनु

श्रीश्च तत्पक्ष-

पद्म

[[५१६]]

श्रद्धान्वितोऽनु-

भा

[[१०७१]]

श्रुतं पुरा

भा

[[१५८]]

श्रद्धामृत-

भा

३०६ अनु, ६६६

श्रुत-धन-कुल-

भा

[[६७१]]

श्रद्धा यावत्र

भा

४८६ श्रुतमप्यौप-

पद्या

श्रद्धा रति-

[[१२०]]

भा

४८४ श्रुतमात्रगुणं

भा

[[६७३]]

६२ ]

श्लोक प्रतीकानि

श्रुतमात्रोऽपि

श्रुतसम्भृतया श्रुतस्य पुंसां

श्रुतिं चकारा- श्रुतिरेषा

भा

भा

[[19]]

[[19]]

पद्म

श्रुति स्मृति-पुराणादि- व्र या

श्रुति - स्मृति-पुराणोक्त- या म

१०३४ श्वपचोऽपि महीपाल नारद

६६२ श्वपाकमिव

१६२, ७७३ श्वपाकानपि

६६४ श्वलाङ्गुलेनाति- ६३६ श्वविड़ वराहो-

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोका नुच्छेदाः

१११ अनु, १८७

पद्म

[[७४२]]

भा

१२८ अनु

[[२०८]]

[[५४]]

"

८८६ श्वसञ्छ्वो

[[५८]]

[[39]]

३१२ अनु

श्वादोऽपि

[[29]]

[[३४६]]

श्रुति स्मृती ममैवाज्ञे

४६०, १००६

षड़ भिर्मासो-

स्कन्द

[[७२४]]

श्रुतेन तपसा

भा

[[७६]]

षड़ वर्गनक्र-

भा

[[७२]]

श्रुतोऽनुपठितो

भा

१४८ अनु, ३११

षडू विधा शरणा-

वै त

[[६६२]]

श्रुत्वापि नाम- श्रुत्वा विकाश-

पद्म

[[७६१]]

स आदि-

भा

१०६ अनु

ब्रह्मवै

[[६०८]]

स उत्तम-

[[७७५]]

"

श्रेय सृति

श्रेयसामपि श्रेयसामुत्तमं

श्रेयांसि तत्र श्रेयोभिरितरै- श्रेयोभिविविधै-

श्रेयो वदन्त्य-

श्रोतव्यं श्रुत- श्रोतव्यः कीर्ति-

श्रोतव्यादीनि

भा

५ अनु, ७१ अनु,

स एव भक्ति-

[[६८१]]

[[19]]

१७६ अनु, ११७, २०६

स एव साधुषु

[[93]]

[[७३२]]

"

[[८१]]

स एवेदं

[[३७]]

"

६३६ स ऐक्षत

वृ

२६ अनु

"

२६ संक्लेशनिर्वाण-

भा

[[३२८]]

[[19]]

१३५ संगीयतेऽ

भा

[[७६१]]

१६६ संनियम्येन्द्रिय-

गी

[[२०२]]

"

१२८ संन्यस्तदण्डः

भा

[[८५]]

[[19]]

[[६८६]]

संपृष्ट वा

कर्म

[[८७८]]

भा

२०, ४१, ४७, ३२५

संप्रचरत्सु

भा

२२२ अनु

३४६, ६८४

संप्रश्नैविवृतं

भा

[[६६१]]

[[99]]

४० संप्रश्नविवृतं

भा

६४, ३७१

श्रोतव्यो मन्तव्यो

७ अनु

संप्राप्त

स्कन्द

[[८६७]]

श्रोत्रस्य श्रोत्रं

श्रौताः स्मार्त्ताश्च

श्रौतेन जन्म-

श्लाघ्योऽहं

श्लोकपादस्य

१७४ अनु, १४४ अन

संप्रीयते

भा

स्कन्द

१७२ संयान्त्यपा-

भा

[[४१६]]

भा

४४७ संरम्भभय-

भा

[[१०२१]]

वि पु

[[१०४१]]

संरम्भी भिन्ना-

भा

[[६७५]]

ना प

७११ संराधितो

भा

[[६५]]

श्वपचादप-

स्कन्द

[[२६४]]

संवत्सरं वा

स्कन्द

[[८६२]]

श्वपचों वन्दते

स्कन्द

[[२०६]]

संवत्सरस्य मध्ये

आ वराह

[[६७६]]

श्वपचोऽपि भवत्येव स्कन्द

[[२६३]]

संश्रितः प्रति-

ब्रह्म

[[४३२]]

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ६३

श्लोक प्रतीकनि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

संसरत्विह

भा

१०३ अनु

सङ्गो यः

भा

[[७३२]]

संसारघोर-

न सं

४२६ सचन्त इति

पद्म

[[६०१]]

संसारधम्मै-

भा

५५१ स च पूज्यो

गरुड़

७४८,७४६

संसारसिन्धु-

भा

८६ अतु, ११६, १३६ सच्चिदानन्दलक्षणम् हय प

[[५६६]]

संसारहेतु-

भा

६ सच्चिदानन्दविग्रहः हय प

[[५६२]]

संसारेऽस्मिन्

स्कन्द

३०० सच्छास्त्रपरि-

भा

[[२२८]]

संसिद्धिर्हरि-

भा

१६ स जहाति

भा

[[८६१]]

ससेवया

भा

६०१ स जीव

ना प

[[५७७]]

संस्तुतः

भा

५४ सज्जतेऽस्मिन्

भा

[[५५४]]

संस्थापन-

६१४ सज्जातिधार्मिक-

स्कन्द

[[१८४]]

संस्पन्दते

भा

३८२ सज्ञानी

गरुड़

[[७४८]]

संस्पृष्टो दहति

ब्रह्मवै

३६६ सञ्जाताः सर्व्वतो

हय प

‘६७४

स कर्त्ता सर्व्व- सकल निगम-

सकलीकरणं

स कारणं

स्कन्द

३६२ सततं कीर्त्तयन्तो

गो

१०५ अनु

२६५ अनु

सतां निन्दा

पद्म

[[७६४]]

६१५ सतां प्रसङ्गा

भा

११ अनु, २०२ अनु

श्वे

१७८ अनु

३४० अनु, ४८४

सकृत् कुर्य्या- सकृत् पूजां सकृदपि परि-

ना प

[[६०६]]

सतामपि

भा

[[४५६]]

वृ नारद

४०१ सत्वं यद्ब्रह्म-

भा

[[३०]]

स्कन्द

१७२ अनु सत्त्वं रजस्तमः

भा

सकृदुच्चारयेद्-

पद्म

४०२ सत्वं विशुद्धं

भा

१०६ अनु, २६ १८६ अनु, ३१

सकृदेव प्रपन्नो

रा. गरुड़

४०८, ४०६ सत्वश्ञ्चोपशमेन

[[19]]

[[७०६]]

सकृद्यदङ्गः

भा

३१७ अनु

सत्वस्य शुद्धि

[[97]]

१५६, ८५०

सकृन्मनः

भा

[[३६५]]

सत्त्वात् सञ्जायते गो

स कृपणः

वृ

६२ अनु

सत्वेनासङ्ग-

भा

१७४ अनु

[[६७०]]

सक्त कामेषु

भा

[[४७१]]

सत्यं विशत्य-

भा १४१ अनु, २१८ अनु, १७७

सखा गुरुः

भा

३१० अनु

सत्यं परं

भा

११४ अनु

सखापि ते

भा

११४ अनु

सत्यं शतेन

विध

[[४४०]]

सख्यमात्म-

भा

४७५ सत्यसारोऽन-

भा

[[५७८]]

भा

स गुणः सङ्कल्पः कर्म-

सङ्कीर्य शुचिता-

सङ्गिनां सङ्ग- सङ्गेन साधु-

[[19]]

“1

ब्रह्मवै

वृ नारद

३८६ सत्रयाजिसहस्र ेभ्यः गरुड़ २०० अनु सत्रयाजी विशिष्यते गरुड़

[[५०७]]

सत्याच्युतानन्त- पद्म

[[८८]]

८६३ सत्यास्तिक्ये

मु टी

[[१८३]]

४३६ सत्योक्त तव

स्कन्द

[[885]]

[[५११]]

[[५११]]

-६४ ]

श्लोकप्रतीकानि

सत्सङ्गमो यह

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

भा

५२१ सन्दर्शयतु

पद्म

[[७१२]]

सत्सङ्गलब्धया

भा

७३ अनु

सन्ध्ये सृष्टि

ब्रस

  • २६ अनु

सत्सङ्ग -शास्त्र-

ब्रह्मवै

६ सन्ध्योपास्त्यादि-

भा

[[८६३]]

सत्सङ्गेन हि

भा

७२५ सन्निधानाद्-

[[७१३]]

सत्. से बनी यो

भा

[[६८]]

स पापिष्ठो

का सं

[[४२५]]

सस्त्रियः

भा

२४१ अनु, ६६०

स पाषण्डीति

षद्म

[[६४६]]

सदसद्र पया

[[३७]]

[[३७]]

स पाषण्डी भवेद्-

वैल

२१५, ५६६

सदसृचषीणां

भा

१५८ सप्तद्वीपैक-

भा

[[७३६]]

सदा तद्भाव- सदा तिष्ठति सदा तिष्ठन्ति

गो

४४८ सप्तमं मुनिभिः

पद्म

[[८६६]]

स्कन्द -

३९३ स भक्तः

भा

२४६, ५४६

८४३ स भवति

भा

[[५५८]]

सदा राधा- सदा सर्वत्र

स दुर्गति- सदृशोऽस्ति स देवो

१०७५ स भवेद्ब्रह्म-

[[२६०]]

स्कन्द, पद्म, विध २७३ अनु

सभाजयन्

भा

[[१०५२]]

[[७१५]]

समः प्रियः

भा

१३४ अनु

भा

६६ समः सर्व्वेप-

भा

[[५७८]]

सद्बुद्धिः

ब्रह्म ब्रह्मवै

[[४२३]]

समतीतं

विध

[[४१५]]

५ समत्वेन यजेत

भा

[[६२७]]

सद्यः क्षिणोत्य-

भा १७२ अनु, ६१६, ८५८

समत्वेनैव वीक्षेत

वं त

२१५, ५६६

सद्यः पुनाति

भा

[[३११]]

समदृक् पण्डितो

भ।

[[१०५३]]

सद्यो नश्यति

पद्म

४५२ समदृग् विचरस्व

भा

[[१०६]]

सद्यो वन्दे

स्कन्द

[[३१३]]

समन्ताद्दश-

ब्रह्म

[[८६१]]

सद्यो हृद्यव-

भा

१ अनु, ७७८

समबुद्धया

वृ नारद

[[५६८]]

सद्वेषादिव

भा

p

३१२ अनु

सममतिरात्म-

वि पु

[[५६६]]

सध्रीचीनो मतो

भा

[[१०५५]]

समयांश्च

ना प

२६६ अनु

सध्रीचीनो ह्ययं

भा

१२१ अनु, १६१

समशीला

भा

[[३३]]

सनकादयो

नृसिंह

7 ६५ समस्तदुःखा-

भा

[[६६८]]

सनत्कुमारो

भा

७३ समाधिनानु-

भा

२५४ अनु, २७६ अनु,

सन्तप्यमानस्य

भा

[[७०१]]

[[३२७]]

सन्तमात्मान-

भा

२४५ समाधेविरतो

भा

१०६ अनु

सन्तानार्थश्च

स्कन्द

५९५ समाप्यते

भा

[[३२८]]

सन्तुष्टा श्रद्दधत्ये-

भा

१००० समाराध्य

आ वराह

[[२२६]]

सन्तुष्टोऽभू-

पद्म

६६४ समुद्भूताश्च

पद्म

[[१०३१]]

सन्तोऽनपेक्षा

भा

२४७ अनु स मुनिः

विध

[[६४३]]

श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ६५

श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

स मे

युक्त-

गी

२८० सर्वकर्मफल-

गी

[[१६३]]

स मोहः

वि पु

३१६ सर्वतो मन आकृष्य

भा

[[८४८]]

समोऽहम्

गो

१०६ अनु

सर्वतो मनसो-

भा

२१७ अनु

सम्पर्काद्-

पद्म

४०३ सर्वत्रगमचिन्त्यञ्च

गी

[[२०१]]

सम्प्रत्यमर्षो

भा

१०१५ सर्वत्र देव-

वं सत

[[६०२]]

सम्प्राप्त वासरे

स्कन्द

[[६६२]]

सर्वत्र सम-

गो

[[२०२]]

सम्बन्धाद्-

भा

१०३३ सर्वदा केशव-

स्कन्द

[[६४८]]

सम्भवन्ति हि

भा

७५३ सर्वदुःखो-

वृ नारद

[[५००]]

सम्भावयति यो

का सं

४२५ सर्वदेवमयेश्वरम्

भा

[[६५२]]

सम्मुखीकरणं

६१४ सवं देवमयो गुरुः

भा

[[६२७]]

सम्मुखे नोप-

स्कन्द

४३१ सर्वधमवहिष्कृतः

स्कन्द

[[६४६]]

सम्मोहाय सुर-

भा

१०१२ सर्वधर्मोज्झिता

पद्म

[[४६८]]

सम्मोहिता

भा

२६८ सर्व धर्मान् परि-

गी २३६ अनु, ४६४, १०६१

सम्यक्कारुणिक-

भा

६३ सर्वपापक्षये

आ वराह

[[२२६]]

सम्यग्व्यवसितो

गो

३०४ सर्वपापविनाशाय

स्कन्द

[[६६७]]

स यजमानो

भा

२२२ अनु सर्वपापविनाशिनी

भविष्य

[[६६५]]

स यत्र क्षीराब्धिः

ब्र सं

६०८ सर्वभावेन

गी

[[१०५७]]

स याति नरकं

कूर्म, इ समु

२४३, ७४५

सर्वभूतहिते

गो

[[२०२]]

१०११ सर्व भूतानुरञ्जनाः

भा

[[६६१]]

स याति विष्णु-

इ समु

४०७ सर्वाम्

भा

३३१ अनु

स योग-

भा

१५७ अनु सर्वयज्ञेषु

नृसिंह

[[६८२]]

सरसं सार-

ब्रह्मव

६०७ सर्वलोकैक-

गरुड़

[[८६५]]

सरस्वत्यां

सरागो लोलुपः

सर्व एव यजन्ति

भा

६६० सर्व वेदमयो

भा

[[६३]]

ब्रह्मव

६०५ सर्व वेदान्तपारगः

गरुड़

[[५११]]

भा

६५२ सर्व व्याधि-

व नारद

[[५००]]

सर्व एव वयं

भा

१०१४ सर्व संरोधना-

ब्रह्माण्ड

[[८०७]]

सव कुञ्जर-

भा

६२८ सर्वसङ्गापहो

भा

[[७२०]]

सर्व कोटिगुणं

स्कन्द

६२२ सर्वसाक्षिणि

भा दी

[[६१]]

सर्वं तदेतत्

भा

६५८ सर्वस्वं विनिवेद्य

[[८६६]]

सर्व तद्भौतिकं

हय प

५७० सर्व स्वात्मनिवेदने

[[४७७]]

सर्व मद्भक्ति-

भा

१३६ सर्वाणि भूतान्य-

भा

[[६५७]]

सर्व सम्पद्यते

भा

१०७२ सर्वाणीत्युप-

गो

[[५६०]]

सर्वः स्वार्थी-

भा

८३५ सर्वात्मा सर्व-

भा

[[१५२]]

६६ ]

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

श्लोक प्रतीकानि

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

सर्वापराध-

पद्म

२७३ अनु, ७६२

सर्व्वान् ददाति

भा

[[२६७]]

सर्वासामपि

भा

१२१ अनु, १७१

सर्व्वान् लोकान्

इ समु

४०६, ६८५

सर्वासामेव

भा

२२६ अनु

सर्व्वार्थदं

भा

[[१०४६]]

सर्वे चागम-

पद्म

[[६३८]]

सव्र्वासु कमला-

पद्म

[[५१७]]

सर्वे मयि

भा

[[१३२]]

सर्व्वे मनः

भा

[[६००]]

सर्वे विधि-

पद्म १४८ अनु,१६३, ३२४ सर्व्वेषां मदुपा-

भा

१११ अनु, १४८ अनु

सर्वेषामपि भूतानां

भा

८१ सर्वोत्पत्य-

भा

[[३८४]]

सर्वषामप्यध-

भा

[[७८०]]

स लक्षं

भा

८४ अनु

सर्वेषामेव देहिनाम्

भा

८२ सलोका लोक-

भा

[[२१७]]

सर्वेषु वर्णेषु

८८५ स वक्त /

ब्रह्मवै

[[६०८]]

सर्व संसृति-

भा

६४६ स वाह्या-

गरुड़

१७३ अनु

सर्वगुणे-

भा ४ अनु २७२, ३५६

स विपेन्द्रो

गरुड़

[[७४८]]

सर्व्वा गुह्यतमं

गी

१०५६ स विष्णुरूप-

पद्म

[[१९४]]

सर्व्वत्रास्खलिता- भा

७३६ स व पुंसां

भा

३ अनु, २८ अनु

सव्वदेवेश्वरे-

सर्व्व प्रलय-

पद्म

[[२४१]]

सर्व्वपापविनिर्मुक्तः पद्म

४०३ स वै प्रियतम-

भा

३२५ अनु, १०

[[६०४]]

हय प

[[५६६]]

स व भागवतो-

भा

५५०, ५५३, ५५५

सर्व्वमूतसुहृच्छान्तः भा

सर्व्वभूतेषु यः सर्व्वभूतेष्ववस्थितम्

[[५५५]]

स व मनः

भा

३०४ अनु, ६६४

भा

१०६ अनु, ५४३

स वै मे

भा

७४ अनु

[[19]]

७६, २५४ स शास्त्रज्ञः स

ना प

[[७१०]]

सर्व्वभोगप्रदा

[[19]]

५६७स समाराधितो

ब्रह्मवं

[[३६६]]

सर्व्वयज्ञतपो-

स्कन्द

३३० स सबंधी-

भा

[[४२]]

सव्र्व्वलोक-महेश्वरम् भा

[[३८४]]

सहस्र ं यः

स्कन्द

[[३३२]]

सर्व्ववर्णेषु ते

पद्म

७४३, ६१६

सहस्र जन्म-

आ वराह

[[६८०]]

सर्व्ववेदाधिकं

पद्म

[[२६५]]

सहस्रजप्त ेन

त्रै स त

[[४३५]]

सर्व्ववेदान्तवित्-

गरुड़

५१२ सहस्रनाम-

स्कन्द

[[६७४]]

सर्व्ववेदान्तसारं भा

७७६ सहस्रांशुरिवो-

इ सम् गरड़

४०५, ७५१.

सर्व्वशास्त्रार्थ-

गरुड़

[[२८४]]

सहस्राणां समा

भा

[[६६०]]

सर्व्वस्य तद्भवति

भा

[[३७२]]

सहस्रेण तथा

विध

[[४४०]]

सर्वात्मना यः

भा

[[४९१]]

स हेमराशि-

म भा

[[२११]]

सर्वात्मन्यखिला-

भा

३२६ स होवाच

शन

२३० अनु

सर्वात्मानं

स्कन्द

१००२ सांख्यं योगं

निरुक्त

सर्वानेव चतुर्भुजान् ब्रह्म १३५ अनु ८६१ साक्षाद्भूता-

सन्द

[[४१३]]

[[१००४]]

श्लोकप्रतीकानि

श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

[ ६७

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

साक्षान्मन्मथ-

भा

३२० अनु सा हानि-

वि

g

[[३१६]]

साङ्गा भवन्ति

ब्रह्मवै

८३१ सिद्धं भवति

ब्रह्मवै

[[५०१]]

सात्त्विकं निज-

भा

[[३६१]]

सिद्धादोन्नंव

तन्त्र

[[८८३]]

सात्त्विकं

सुख-

भा

२३३ अनु, ३६९

सिद्धा मामीषु-

भा

[[७३०]]

सात्त्विकः कारको-

भा २३३ अनु, २३४ अनु, ३७४

सिद्धार्थ एतेन

भा

[[३२३]]

सात्त्विकः स तु

मोक्ष

[[५३२]]

सिद्धाश्चारण-

[[11]]

[[७२५]]

सात्विक्याध्यात्मिकी भा

३७५ सिद्धो न पश्यति

[[12]]

१८७ अनु

सादरं हि

पद्म

३८७ सिद्धोऽस्म्यनु-

[[99]]

साधवः समा-

भा

६६० सुखं नु

[[19]]

साधवो दीन-

भा

५३४ सुखेन यां

पद्म

साधारणं हि

पद्म

२८३ अनु सुगोप्यमपि

भा

[[१४२]]

[[१०४७]]

[[४६८]]

[[७२२]]

साधुधर्मार्चनो

विध

४८७ सुग्रीवो

"

[[७२८]]

साधुरेव स

गो

३०४ सुतरां मत्-

[[19]]

[[५२२]]

साधु वोर त्वया

भा

७७० सुदुर्लभः

[[19]]

२७३ अनु, ३६४

साधूनां सम-

भा

५१३ ’ ५२२

सुदुश्चरामिमां

[[19]]

[[१०४५]]

साधून् संसेवत-

[[19]]

साध्यः सिद्धः

स कु सं

७५६ सुदुश्चिकित्स्यस्य

८८४ सुप्रीतो ह्यभवं

"

[[६३०]]

स्कन्द

[[२३७]]

साध्य सिद्ध-

म प्र

८५२ सुभद्रा लोक-

भा

[[१२३]]

साध्या मरुद्गणा-

पद्म

६०० सुमना अच्र्चये-

विध

[[६४१]]

साध्वेतन्मनसि

विध

४२० सुरापान-

पद्य

[[६०७]]

Tee

सानङ्गतप्त-

भा

३२० अनु

सुरुचिस्तं

भा

[[३५६]]

सापराधः

आ वराह

६८० सुरेश-लोको-

भा

[[३२२]]

सामवेदो-

सामान्यतः

विध

भा

८१५ सुशीलाः

भा

[[१६१]]

६८६ सुस्थिरं

भा

[[६०६]]

साम्यासङ्गादयो

[[19]]

६-२ सुहृत् प्रेष्ठ-

भा

SEE

साम्येन वीताभि-

भा

६७२ सुहृदं सर्व-

भा

[[६८२]]

सारूप्येकत्व-

भा

[[६८०]]

सूक्ष्मशक्तया-

[[६४७]]

सालोक्यसाष्टि-

भा ११५ अनु, १७६ अनु

सूत्रे मणिगणा

गी

[[५६१]]

[[६८०]]

सूर्य्यपूजा-

स्कन्द

[[२३७]]

सालोक्यादि-

भा

३०७, ३७७

सूर्ये तु विद्यया

भा

[[६२५]]

सा वाग् यया

भा

४० अनु

सूर्य्यं वाप्सु

भा

[[६८७]]

सा श्रद्दधानस्य

भा

६६८ सूर्य्योऽग्नि-

भा

[[६२४]]

साष्टाङ्गेन

नृसिंह

६८२ सृजामि तन्नियुक्तो भ

[[८०४]]

६८ ]

श्लोकप्रतीकानि

[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

सृष्टिसंहार-

म भा

[[२८१]]

स्थिरं सुख-

भा

२८ अनु, ६३१

सेयं प्रकृति-

ना प

[[८६७]]

स्थिरो मच्छरणो

[[५७६]]

सेवायां परि-

[[६३४]]

स्नेहं स्वजन-

“1 19

सेव्यते हरि-

भा

७७ स्नेहात् कामेन

“IF

१०६ १०१६

TR

सैवं कैवल्य-

"

[[१०२५]]

स्पन्दन्ति वै

[[३८२]]

सैव मुक्ति- सोऽपि योग-

सोऽभिवन्द्याः सोऽहं व्यक्त

सौगन्ध्यलुब्ध- सौरमन्त्राश्च सौराश्च शैवा सौरोऽप्येतत्

स्कन्द

१५ स्पृशत्यनर्था-

[[19]]

३६६, ५२६

अग्नि

[[८७३]]

[[८७३]]

स्मरणं पाद-

[[11]]

[[४८५]]

भा

१८६ अनु

स्मरणं महतां

"

५८ अन्

स्तनं दत्त्वाप

ཝཱ ཝཱ བྲཱ ཟྭ ཚྭ ྂ

२६५ अनु

स्मरणात् सेव्यते

ब्रह्मवै

TE ६२४

[[७३६]]

[[७३६]]

स्मरणान्नाम-

स्कन्द

[[३५१]]

८८२ स्मरतः पाद-

भा

[[८५१]]

[[२३३]]

स्मरतां तत्-

भा

[[१४६]]

२६६ अनु

भा

स्तुतिभिः स्तवनं

भा

स्त्रिय उरगेन्द्र-

भा

स्त्रियः शूद्रादय-

भा

स्त्रीणामप्य-

पद्म

स्त्रीभिः शूद्रैश्च

पद्म

स्मरन्तः कीर्तयन्तश्च भा

१००७ स्मरन्ति नन्दन्ति भा

६६६ स्मरेवृन्दावने १०३२ स्मर्त्तव्यः सततं पद्म ४४२ स्मर्त्तव्यश्चेच्छता- भा ६३६ स्मर्त्तव्यो भगवान् भा ६३७ स्मृतः सम्भाषितो

-११३

[[३८३]]

THE

  • २८६ अनु

१६३, ३२४

४१, ३४६

RP

४, ३२५

इसमु

स्त्री शूद्र हून-

भा

३०२ स्मृतञ्च तद्विदां

भा

स्त्री शूद्राणाञ्च

भा

६३६ स्मृति पुन-

भा

[[७४४]]

[[६३]]

[[७७५]]

TH

स्थण्डिले मन्त्र-

T

भा

६२७ स्मृतिः सेवा

म भा

[[५०]]

स्थविष्ठे

भा दो

६० स्मृतिरजितात्म- भा

[[५५६]]

फ्र

स्थानं प्राप्स्यसि

गो

१०५७ स्मृतिर्नाद्यापि

भा

[[४२८]]

स्थानतत्त्वमतो

[[177]]

हय प

५६५ स्मृतिशीले

मनु

[[६४]]

स्थानाभ्रष्टाः

भा

१०६, २६८

स्मृते सकल-

वि पु

[[३३४]]

स्थाने स्थिताः

[[110]]

भा

२०४ स्मृतो नारायणो-

[[5015]]

1-

वृ नारव

[[८५३]]

स्थाने हृषीकेश

गी

२५० अनु

स्मृत्या हरे-

–५५१

स्थापनं

६१५ स्याच्चोपनयना-

[[८७४]]

स्थितं सत्त्वे

भा

२५ स्यात् संभ्रमो-

भा

[[१४६]]

TW

स्थितमनसं

वि पु

५६६ स्यात् सङ्गमो-

भा

TTC

THE

[[५३१]]

स्थित्यादये

भा

TWO

स्थित्युद्भव-

भा

२६ स्यान्महत्सेवया भा

११६ स्यान्मुकुन्दे

२२, ३७०, ८६०

भा

[[७६०]]

लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]

[ ६

BIEDER

श्लोक प्रतीका दि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेवाः लोकतानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच् छे वाः

स्रोतोगणा-

भा

७१ स्वर-नेत्रादि-

‘गरुड़

[[७४६]]

स्वकम्मध्यमना-

८७४ स्वराज्य उप

स्कन्द

“१००३

स्वकीयान्यपि

ब्रह्म

  • ८१२

स्वरूपं विलनोति

ना प

[[७११]]

स्वकुलद्वैच

सु

[[७१८]]

स्वर्गकामो

६२ अनु

स्वकृत पुरे-

भा

११३ अनु, ५२०

स्वर्गापवर्ग

भा

[[१३६]]

स्वगुरु

भा

[[६८७]]

स्वर्गापवर्णन र के-

भा

१३४ अनु

स्वतन्त्रपूजनं

पद्म

६०४ स्वर्गापवर्गयोः

भा

-१७१

स्वतन्त्रो वापि

पद्म

६४९ स्वर्गापवर्गाधि-

भा

[[४६०]]

स्वधर्मपरि-

भा

४५१ स्वर्णकान्त्या

हय प

[[५६३]]

स्वधर्ममनु-

७५ स्वल्पमम्यन्मयो –

बिध

[[७८४]]

स्वधर्मस्थोऽनघः

भा

५०६ स्वल्पमप्यस्य

गी

[[६४३]]

स्वधर्मस्थो यजन्

भा

५०५ स्वसम्वेद्याद्

ना पं

[[५७७]]

स्वधर्मेण महायसा

भा

६६९ स्वसाधुकृत्यं

भा

३२० अनु

स्वधर्मेणामला-

भा

६६२ स्वसुखनिभृत

भा

१८७, अनु, २७६ अन्

स्वधीः कलत्रा-

भा

१६० अनु, ७३५

स्वस्थः शेते

भा

[[६८८]]

स्वनुष्ठितस्य

भा

३ अनु, १६

स्वस्यात्मनः

भा

[[६८६]]

स्वपादमूलं

भा

४९३ स्वस्याप्यथापि

भा

[[३८२]]

स्वप्नेऽपि पश्यन्ति

भा

३६५ स्वातन्त्र्यं प्रति-

पद्म

[[६६३]]

स्वप्रकाशो

स कु सं

८८४ स्वातन्त्र्यात् क्रियते

पद्म

[[२००६]]

स्वभावगुण-

भा

स्वभावरक्तस्य

भा २३ अनु, २१० अनु. ५०३

६८३ स्वात्मार्पणं

स्वाध्यायेऽस्ये

भा

[[६०]]

MT

[[२०]]

स्वभावाद्गाढ़-

हथ प

५६३ स्वाभाविकी

श्वे

२६ अनु

स्वभावोऽध्यात्म-

भो

२१६ अनु स्वामिन्याशिष-

भा

[[४६६]]

स्वभोज्यस्या-

म भा

५० स्व. रज्धकर्मणा

भा

१५७ अनु

स्वमातरं

स्कन्द

२०६ स्विष्टस्य सूक्तस्य

भा

[[८२०]]

स्वयं निःश्रेयसं

भा

५०४ स्वेच्छामयस्य

भा

१८१ अनु, ३२५ असु

स्वय विधत्ते

भा

१७७ स्वेनैव लाभेन

भा

[[२०८]]

स्वयं समुत्तीयं

भा

५३७ स्वे स्वैऽधिकारे

भा

[[५०७]]

स्वयञ्च हरि-

भा

१०६ अनु. २१७

स्थे स्वे स्थाने

भा

[[९०३]]

स्वयमज्ञो-

भा

१०० स्वैरिणी-

स्कन्द

[[१७२]]

स्वयमभ्यर्चनं

गरुड़

७४७ स्वौको विलङ्घय

भा

[[१०७]]

स्वयम्भूर्नारदः स्वयूथ्यानेव

भा

२७५ हंपाः श्रयेरन्

भा

[[१०४७]]

ह सु

७१८ हतांहसो

भा

[[८७]]

[[७०]]

श्लोकप्रती का नि

[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य

अन्यनाम

श्रीमानुच्छेदाः श्लोकप्रतीका नि

ग्रन्थनाम

श्लोकानु च्छेदाः

हैनन् ब्राह्मण- हन्त ते

ब्रह्म

४३६ हरेर्गुणा-

३३० अनु

हरेर्नामानि

भा विध

[[५४६]]

[[८३८]]

हन्तास्मिन्

भा

४४६, ५४०

हरेर्नाम पर

जा

[[८४६]]

हन्ति निन्दति

स्कन्द

८०० हरेनाम हरे-

[[८४४]]

हन्तु समर्थ

गरुड़

हृयशीर्षा मां

भा

हरावभक्तस्य

हरि संप्राप्य हरिः सर्व्वत्र हरिगुरु- हरिचरण -

हरिपादोदकं हरिपूजाविधि-

पद्म

३४३ हरेनामानु-

१०६ अनु हरेर्नामेव

२७१, ३५६ हरेभुक्त

१०३१ हरेर्लसन-

भा ११५ अनु, ४७, ३२५ हरेविश्वात्मन-

मूसिंह नृसिंह

वृ नारद

विर

हरिपूजाविहीना- बृ नारद

हरिभक्तिपराणान्तु वृ नारद हरिभक्तिपरायणाः बृ नारद

पद्म

३६६ हरो हरति ३६६ हरौ भक्तिः १०० हरौ रुष्टे

1: ཟླཝཱ ཚྭམྦྷ ཟླ ! ཝཾ;

३१८, ७६१

[[८४४]]

[[६०६]]

[[५६]]

[[१४१]]

नृ८०४

[[८६३]]

[[७०८]]

८७६ हरौ सम्न्यस्त-

मरुड़

[[३०३]]

२८५ हर्षगद्गदया

भा

[[३८१]]

३८६ हविषान्नौ

भा

२३८ अनु, ६२५

१८६ हसत्यथो

भा

[[७८२]]

हरिभक्तिरनुत्तमा हरिभक्तौ प्रवृत्ता

३५५ हास्यन् मृगस्व-

भा

[[३७६]]

स्कन्द

२६५ हिंसां कामाद्य-

भा

[[७०४]]

हरिरधनात्म-

भा

[[६७९]]

हिंसा केनास्य

भा

[[१०१८]]

हरिरन्यद्विडम्बनाम्

भा

२१७ अनु, ४७०

हिंसा तदभि-

भा

[[१०१७]]

हरिरक्शामि-

भा

५५६ हिंसाप्रायादि

[[३६१]]

हरिरात्मात्मदः

भा

८१ हित्वा भूत-

भा

[[३२]]

हरिरित्यक्षरः

विध

८१५ हित्वाची

भा

[[२४५]]

हरिरित्यवशे-

भा

१२५ अनु

हिमवाय्वग्नि-

भा

[[३३६]]

हरिरेव सदा

हरि, पद्म

२३०, २४१ होनां मया

भा

[[११८]]

हरिरेवंक

भा

६१७ हृदयं तावदेव

ब्रह्मव

हरिहरति

११५ अनु हृवयान्नाप-

वि पु

[[६३६]]

हरिश्चन्द्रो

भा

१३८ हृदये यस्य

विध

[[८४०]]

हरेः पदानु-

भा

६१८ हृदि कथमुप-

भा

[[५५७]]

हरेः प्राप्ताः

भा

४४३ हृदि खे ध्यान-

भा

[[६२६]]

हरेर मृत -

भा

१०४४ हृदि तस्य

वि भ

[[४८८]]

हरेरप्यपराधान्

पद्म

७९२ हृदिस्थं

भा

*१५१

हरेरैकान्तिकों

वैत

२१४ हृदि स्थितो

भा

६५श्लोक प्रतीकान मनुक्रमणिका ]

[ ७

श्लोकप्रतीक ि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि

ग्रन्थनाम

श्लोकानुच्छेदाः

हृदिस्थे

गरुड़

३४३ ह्यधेनुमिव

भा

[[११५]]

हृद्द ेशेऽज्जुन

जो

१०५६ हाघ्रवेण

भा

[[१३८]]

हृद्यन्तःस्थो

भा

२३ ह्यनुमोदन्ति

भव

[[७५४]]

हृद्रोगमाश्व–

भा

१०७१ हान्यथा निष्फलं

[[७०६]]

हृद्वाग्वपु-

१८३ ह्यपराधात्

पद्म

[[४७६३]]

हेयांशा-

हम प

५६६ ह्यर्थज्ञोऽस्य-

भा

[[२६१]]

हेलनं

भा

१०६ अनु ह्यसतां परुषे-

भा

[[२५३]]

होमकुण्डा-

पद्म

१६६ ह्यस्तीति नास्तीति

भा

[[३]]

होमञ्चैव

पद्म

९०६ ह्यस्माक यः

बराह

३०० अनु

नरेन्द्र सरोवर में सपरिकर श्रीमद् भागवती कथा श्रवणरत श्रीश्रीचैतन्य महाप्रभु प्रवक्ता - श्रीलगदाधर पण्डित गोस्वामी ।

* श्रीश्री गौराङ्ग महाप्रभु

श्रीश्रीगौरगदाधरौ विजयेताम्

श्रील-श्रीजीवगोस्वामि-प्रभुपाद - विरचिते

श्रीभागवत सन्दर्भे

पञ्चमः