मातृकाक्रमेण-प्रतिचरणगत-श्लोक-प्रतीकानाम् अनुक्रमणिका
TW
ग्रन्थनाम
भा
श्लोकप्रतीकानि अकर्त्ता : सम- अकामः सर्व कामो
[[39]]
१२१ अनु, १६५ अनु, २१६ अनु, ४६
अजामिलोऽप्य-
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
[[२६३]]
अजस्य च भवस्य
भा
[[६१३]]
भा ६८ अनु, ११५ अनु,
अजस्रभावा
भा
[[१५७]]
[[४८५]]
अकामादपि
वृ नारद
४०१ अजितरुचिर-
[[91]]
१८७ अनु
अकारश्व. प्यकारश्व
पद्म
५१४ अज्ञानं यदतो-
गो
१०५ अनु
अकारेणैव चोच्यते
पद्म
५१६ अज्ञानञ्च निरस्तं
भा
[[१४७]]
अकारेणोच्यते
पद्म
F
५१५ अज्ञानां कर्म-
गी
[[५०२]]
अकालमृत्यु-
वृ नारद
५०० अज्ञानिनः सुर-
गरुड़
[[१०३६]]
अकिञ्चनप्रार्थ्य-
भा
८५६ अज्ञेषु ताप-
भा
[[१४३]]
अकिञ्चनानां
भा
४६० अञ्जः पुंसा-
भा
[[६३५]]
[[714]]
अकुवन् याति
अक्रीतलभ्येषु
वि र नृसिंह
६४५ अञ्जसा विन्दतें
भा
७४ अनु
[[२०५]]
अत आत्यन्तिकं
भा
५६ अनु
अक्र रस्त्वभिवन्दने
[[४७७]]
अत ऊर्ध्व
गो
[[१६०]]
अक्र रे क्र रके
भा
[[१०५३]]
अतः कलौ
ब्रह्मव
[[८३१]]
अक्षरं ब्रह्म अक्षीण वासनं
अखण्डरस
अग्निपुत्रा अग्निहोत्रादिना
गी
१७६ अनु
अतः पुंभि-
भा
३ अनु, १६
pe
CE
भा
[[१६७]]
अतः पृच्छामि
भा
[[१५०]]
ना प
८१७ अतिथौ हृदये
भा
[[१०३]]
कूर्म
१०२६ अतो गुरु
आ
[[८६६]]
भा
२३८ अनु
अतो व कवयो
भा
३ अनु, ६६ अनु,
अग्नेर्योनि-
THE
भा
[[६६४]]
१४० अनु, २८
अघं धुन्वति अर्घाच्छित् FRIE
अङ्गक्रियेब्वपूर्व
भा
३०६, ३४७ अत्र सर्वो
भा
व चि
८४२ अत्र स्यादुस-
हय प
११५ अनु ५७१
भा
२२२ अनु
अत्रानुवण्यते-
भा
८६ अन, १४०
अङ्गरागार्पणे
अङ्गस्यास्मत्पितुः
अचिरान्मुच्यते
अच्युतप्रिय-
TH
[[19]]
१०२५ अथ चित्तं
गी
[[१६१]]
[[37]]
६१२ अथ भागवतं
भा
[[५४२]]
अङ्गिरा भगवानृषिः
[[27]]
५३३ अथ भागवता यूयं
भा
१८६ अनु, २१६
"
१०३ अथ मां सव्व-
भा
[[१२५७]]
[[11]]
१६६१ अथर्व्वाङ्गीरस-
नृ ता
१०६ अनु
२ ]
श्लोकप्रतीकानि
P
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
अथवास्य पदा-
भा
१५६, ७६२ अनिन्दामन्यत्र
भा
१०६ अनु
अथात आनन्द-
भा
१०४७ अनिमित्तनिमित्तेन
भा
[[६६२]]
अथानघाङ -
भा
५३१ अनिवेद्य तु भुञ्जानः
तु भुञ्जानः
ब्रह्माण्ड
[[६६१]]
अथापि भूमन्
भा
१७६ अनु
अनिवेद्य न भुञ्जीत
ब्रह्माण्ड
[[६६०]]
अथापि मे दुर्भगस्य
भा
[[४४६]]
अनीहं हरि-
भा
[[४६४]]
अथैतत् परमं
भा
२४२ अनु, १२२ २४२ अनु, १२२
अनीहो मितभुक्
भा
[[५७६]]
अथैतदप्यशक्तो-
गो
[[१६३]]
अनुक्रमिष्ये
"
[[७६८]]
अथेनं मापनयत
भा
४५३ अनुग्रहा येह
[[19]]
[[५२३]]
अथो न पश्यन्त्यु-
[[19]]
अथो महाभाग
"
५२५ अनुग्रहेण शृणव
३२७ अनुजानीहि मां
[[६१०]]
"
भा
[[१४५]]
अदादन्यत्र भगवान्
स्कन्द
८११ अनुपनीत-
नृ ता
१०६ अनु
अदोग्धा धर्म
प
भा
२६२ अनु शर्व्वाव-
भा
१०६ अनु
अद्य प्रभृति
स्कन्द
६५२ अनेकजन्मजनित-
ब्रह्मव
[[६]]
अद्वेष्टा सव्व-
गो
२०० अनु अनेकजन्मसंसार-
विध
[[५२६]]
अधर्माद्य चतुष्कन्तु
ना प
२८६ अनु
अन्तं गतोऽपि
गरुड़
[[२८४]]
अधर्मशीलस्य
P
भा
५२३ अन्तरायतया-
भा
१६८ अनु
अधियज्ञोऽहमेवात्र
गो
१७६ अनु
अन्तर्व हिःस्नान
"
[[५३१]]
अधीतवान्
भा
अधीतास्तेन
विध
अध्यगान्महदा- अनन्तचरणेन
अनन्तरं त्ववहि- अनन्यचेताः
भा
[[५४६]]
७८८ अन्ते नारायण-
८१५ अन्तेवास्युत्तरा-
अन्नपानाद्य-
भा
[[४५१]]
[[६२२]]
[[91]]
ब्रह्माण्ड
[[६६०]]
भा
३२० अनु
अन्यत्र चैष एवं
भा
[[१०७३]]
殘
"
[[५३६]]
अन्यत्र धर्मा-
कठ
१८० अनु
अनन्यनिमित्त-
गो
भा
[[५०८]]
अन्यत्र ब्राह्मण-
भा
[[७३६]]
२३४ अनु
अन्यत्र भूताच्च
कठ
१८० अनु
अनन्यविषया
अनन्यव स्यानु- अनन्यशरण- अनन्याश्चिन्तयन्तो
"
"
७४ अन्यत्राच्युत-
भा
[[७३६]]
५८६ अन्यथा म्रियमाणस्य
"
[[४५०]]
भा
[[४४१]]
अन्यनाम्नां
वामन
[[८१०]]
गो
४५७, ४६६
अन्यायेन शृणोति
ना प
[[७१६]]
अनयोस्तीर्थयो-
अनर्थोपशमं
अनादिनिधनो
अनाशोः काम
TE
[[99]]
अनिच्छ्यापि
ब्रह्म
आ वराह
[[६८०]]
अन्ये च देवा
भा
[[२१२]]
भा
११४ अनु
अन्वयव्यतिरेका-
भा
[[२६५]]
१४२ अपराध सहस्राणि
स्कन्द
६७६, ६७८
५०५ अपराधसहस्रण
३६६ अपराधानु जहाति
स्कन्द
[[६७४]]
आ वराह
[[६८०]]
श्लोकप्रतीकान। मनुक्रमणिका ]
[ ३
विध
[[६८४]]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
अपरीक्ष्योपदिष्ट अपरेयमित-
ब्रह्मवै
मो
६०६ अभ्यासयोगेन ततो ५७६, ५८६ अभ्यासेऽप्यसमर्थो-
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
गो
अपरे हत- अपश्यतामात्म-
अपापमसुरः
अपारमभिधावताम्
[[19]]
भा
भा
१०४० अमात्सय्यं
[[१६१]]
[[१६२]]
म भा
[[१८२]]
४० अमानित्व-
गी
१०५ अनु
३३६ अमरनिना मानदेन
अमानी मानदः
भा
[[५८०]]
अपि चेत् सुदुरा-
मी १६५ अनु, १७२-७३
अमाययानुवृत्त्या
भा
[[६१८]]
अनु, २०० अनु, २४७
अमी हि पश्च-
पद्म
[[५८३]]
अनु, ३१२ अनु, ३०४
अयं देवो
गरुड़
[[१२४६२]]
अपि तुल्यार्थ-
भा
१३४ अन्
अयं भगवतो-
भा
[[६१]]
अपि धर्माय
पद्म
[[३६४]]
अयं यो मानसो
मा प
२८६ अनु
अपि पातक-
वृ नारद
८५३ अयं स्वस्त्ययनः
भा
[[८७०]]
अपुत्रोऽपि स वै
स्कन्द-१००२ अयं हि सर्व-
भा
[[१०५५]]
अपूज्य भोजनं
विध
अध्यजितरुचिर-
भा
२७९ अनु
८७२ अयुतस्य जपे- अयोनिविष्णु-
ख स त
[[४३५]]
म भा
[[१६५]]
अप्युत्तमाङ्ग
[[19]]
[[५६]]
५६ अरिश्चैव च
स कु सं
अप्रारब्धफलं
पद्म
अभक्तो नरके
अप्रमत्तो
अप्राप्य मां
[[21]]
गो
स्कन्द
५८० अर्चादावर्चयेत्तावत्
२०७ अर्चादावर्चयेद्यो
३५३ अर्चाय / मेव
[[३५३]]
३६३ अर्चनं मन्त्र-
[[३६३]]
भा
भा
१०६ अनु, २५४ ६७६
म २४५ अनु, २४६ ५४६
[[५६०]]
अभक्ष्येण समं
स्कन्द
८७१ अर्चनं वन्दनं
भा
[[४७५]]
अभजत् पुरुष-
भा
[[७१]]
७१ अर्चन्नुभयतः
भा
[[९३२]]
अभयं दर्शितं
भा
१४५ अर्चयन्ति सदा
वि र
[[८७७]]
अभयं सव्वंथा
राम, गरुड़ ४०८, ४०६
अभावे न ह्य
शब्द
अभिचाराव-
भा
अच्चयित्वा जगद्-
३२५ अनु अच्चयित्वा तु गोविन्दं
३३८ अच्चयेद्दानमाना-
पद्म २८५ अनु, ७३८
पद्म
[[६०५]]
भा
[[२५७]]
अभिमानोऽखिला-
भा
१०१८ अचदा हृदये
भा
२८६ अनु
अभिषेचयितुं
स्कन्द
१००३ अर्चायां स्थण्डिले-
[[99]]
[[६८७]]
अभिसन्धाय यो
भा
६७५ अच्चितश्चार्चये
ब्रह्म
[[४२३]]
अभेदेन मया
भा
६६५ अच्चिताः सर्व्व-
स्कन्द
[[३१४]]
अभेदेनोच्यते
हय प
३७२ अचिचते देव-
स्कन्द
[[३१४]]
अभ्यर्चती स्वलक- अभ्यासयोगयुक्त ेन
भा
३०८ अच्चेय विष्णौ
पद्म
[[२४८]]
गो
१७६ अनु अर्थज्ञात् संशय-
भा
[[२६२]]
श्लोक प्रती का नि अर्थपञ्चकविद्- अर्थवाद हरे-
अर्थानर्थेक्षया
ग्रन्थनाम
पा
का. स
भा
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
५५६ अवतातप्त-
४२५ अव्रतेन क्षिषेद्-
[ श्रीश्रीभक्तितन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
भा
[[७२६]]
स्कन्द
[[६४६]]
७० ३ अशक्यमुक्तं
[[10]]
विध
[[७८५]]
अर्थानारभते
[[13]]
कद अशोतिञ्चतुर-
ब्रह्मवं -ST
[[२७०]]
अर्वाक् पतन्त-
६८१ अशुभं विद्यते
सहस्रनाम
[[४४७]]
अलकुर्वीत
भा
६२१ अशेषजन्मोप-
भा १७२ अनु, ६१६,८४८
अवजानन्ति माँ
१०६३ अशेषोपनिषद्वेद्यं
स्कन्द
[[१००३]]
अवज्ञानात्मतां
भा
६१९ अश्नामि प्रयता-
बी
३१०, १०३६
अवतारकथां
T
७७० अश्रद्दधानः तुरुषा
गो
[[२०७]]
अवधारणवाच्येक
पद्म
-PE ५१६
५१६ अश्रद्दधाने विमुखे-
पद्म
१७३ अनु, ७६६
अवधूतेन
भा
१०२७ अश्रेयसि नियोजनम्
ना प
२८६ अनु
अवमन्य प्रयान्ति
पद्म
८१७ अश्रौष्म भक्तो
भा
[[१४४]]
अवरः श्रद्धयो-
भा
दद
अश्वमेधसहस्रा-
स्कन्द७७२
अवाङ्मुखः
निरुक्त
४१३ असङ्कल्पाज्जयेत्
भा
[[७०३]]
अवात्सोनारदो –
भा
[[५४७]]
५४७ असङ्गविज्ञान-
भा
[[६१७]]
अविचार्य गुरु ब्रह्म के
६०७ असज्जितात्मह
भा
[[८५]]
अविच्युतोऽर्थः
अविज्ञाय विधानो-
भा८२०
८२० असत्त्वात् कुमनीष्यसौ
किर८७६ असत्यपरि-
भा
[[१०२६]]
हि
ब्रह्मवै
[[५०१]]
अवितारमिवा
भा
३८१ असत्सु विहितो-
भा
[[७३२]]
अविद्यमानो-
भा
६७ असद्वद्यापारो
वि या
फ
[[६५१]]
अविद्यां निर्दहत्याशु
पद्म
३५५ असाकल्ये
अमर
१४१ अनु
अविद्याकर्म-
वितुः
५७५ असिते मुदिरें
चिन्ता
[[२२२]]
अविपक्ककषायान
भा ४४६, ५४० अस्ति यज्ञपति-
भा
[[६११]]
अविवेकेन
भा
१०१६ अस्ति को
भा
[[१५३]]
अविश्रान्ति
यद्म
४३३, ८१८ अस्तु तावत्
गौत
[[२४२]]
अविस्मितं तं
भा १०६ अनु, २०८
अस्त्वेवमङ्ग
THE
भ १४१ अनु, १४७ अनु,
अविस्मृतिः कृष्ण- अविस्मृतिः श्रीधर- अवैष्णवोपदिष्टेन
अव्यक्त पर्यु -
अव्यक्तासक्त-
अव्यक्ता हि अव्याहतबले-
भा
१५६, ८५०
of
२३६ अनु
नाप
भा१५५ अम्माल्लोकात्
२३८, ६२१ अस्मिल्ँलोकेऽथवा-
बृ
भा
६२ अनु
[[८८७]]
गो
[[२०१]]
अस्मिल्ँलोके वर्तमानः
भा
[[५०६]]
गौ १११ अनु, २०३
अस्मिन् देहे
हय प
[[६१०]]
गो
२०३ अस्याधिष्ठातृ-
TW … - २८५
भा
८४ अनु
अहं कृत्स्नस्य
गी
ཟྭ;
अनु
[[५६०]]
श्लोकप्रतीकानि
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
[ ५
श्लोकानुच्छेदाः
अहं त्वकाम
भा
[[३६७]]
अहो विरज्येत
भा
[[७६६]]
अहं त्वां सर्व-
गो
४६४, १०६१
अहो सुर णाञ्च
"
[[३२३]]
अहं पुरातीत-
भा
३४० अनु
अह्नापृनार्त्त-
[[99]]
[[२७३]]
अहं भक्त-
"
१८१ अनु
आकल्पात् पुरुषाः
विध
[[४१६]]
अहंममादि-
पद्म
[[७६७]]
आख्यानं य-
भा
[[७८६]]
अहं वो ब न्धवो
वि पु
१०४२ आगमोक्तेन
पद्म
[[६३७]]
अहं स च
गो
५६३ आचरतु मदपा-
भा
[[१२४]]
अहं सर्वस्य
गी
६६ अनु
आचारश्चैव
मनु
[[६४]]
अहं सर्वेषु
भा
२४४ आचार्यं मां
भा
अह हि सर्व-
गी
-२३६, ६५१
आचार्यः पूर्व-
तं
अहङ्कार इतीयं
भी
५०८ आचार्य्यचेत्य-
भा
६२७ २०८ अनु १०५०
अहङ्कारनिवृत्तानां
ब्रह्मवै
६६६ आचार्य्यवान् पुरुषो
छा
२०८ अनु
अहङ्कारयुतानां
ब्रह्मव
६६६ आचार्योऽरणि-
भा
[[६२२]]
अहङ्कृतिर्मकारः
पद्म
६६३ आज्ञाच्छेदो
RE…
४६०, १००६
अहञ्च भगवान् अहञ्च संस्मारित
अहन्ते भविता-
भा
[[99]]
अहन्यहनि
६७३ आतिथ्येन
स्कन्द
२१७ आज्ञायैवं
[[१५८]]
३१२ अनु आततत्वाच्च
भा १७३ अनु, २३८ अनु,
[[५८१]]
तन्त्र
भा
२६ अनु -६२५
अहमज्ञानजं
गी
१७० आत्मजं योग-
भा
[[७०५]]
अहमद्यैव मया
आल स्तो
६६३ आत्मनश्च परस्यापि
भा
[[२५६]]
अहममरगणा- अहमुच्चावचै-
अहमेकैव
नृसिंह
३६६ आत्मनस्तुष्टि-
मन्
[[६४]]
भा
२५२ आत्मना रमणेन
भा
[[१०००]]
[[11]]
१७९ अनु आत्मनिक्षेप-
वै त
[[६६२]]
अहमेवम्विधो-
अहैतुक्यप्रति-
अहैतुक्यव्यवहिता
[[11]]
अहो अत्यद्भुतं
गो
भा
४६३ आत्मनैपुण्य-
१० आत्मप्रभव-
भा १८८ अनु, ६७६
आत्मप्रसाद
१०१३ आत्मभावं
भा
२२२ अनु
[[१०]]
[[97]]
१०६, २६८
भा
[[७६७]]
"
[[१५२]]
अहो क्षेत्रस्य
ब्रह्म
८६१ आत्मा च कर्मा- "
[[२६२]]
अहो नृजन्म-
भा
८६ आत्मा चायं
[[19]]
SEE
अहो मधुपुरी
पद्म
८६३ आत्मानं चिन्तयेदेक-
"
अहोरात्राणि
पद्म
५६७ आत्मानं विश्व-
[[99]]
६६५ ८५६
अहो वकी
भा
[[१०७०]]
आत्मानं शिव-
आ
अहो वत स्वपचो-
२४७ अनु, ३५७
आत्मानं सव-
भा
- ८७५
[[६६०]]
६]
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
आत्मानमखिला-
आत्मानमपि यच्छति
आत्मानमप्युपचया-
आत्मानमात्मन्य-
आत्मानश्च सहस्रशः आत्मापरिज्ञान- आत्मा प्रियो-
आत्मा यथा
आत्मारामं पूर्ण-
आत्मारामाश्च मुनयः
आत्मारामोऽनया
आत्मापितश्च
आत्मा वा अरे
आत्मा हि परमो
आत्मा ह्यवधि आत्यन्तिक
आहतो वानु आदेहपाताद्-
भा
[[19]]
[[31]]
८३ आभीर कङ्का
भा
[[१८८]]
[[199]]
८५१ आमयो यश्च
भा
[[79]]
२६७ आयुघृतम्
६३२ आयुर्हरति
भा
हय प
५७४ आरब्धाश्व
[[६४५]]
१३५ अतु १४६ अनु, ५२
[[८८]]
"
भा
३ आरम्भ कल-
[[11]]
[[१०१५]]
[[12]]
६ आराधनं
[[४७४]]
[[97]]
४२ अराधनानां
पद्म
[[७३४]]
[[12]]
[[३८०]]
आराध्य कस्त्वां
भा
[[८५६]]
"
११५ अनु १३४ अनु
आरुरोह हरेः
"
[[७७१]]
"
[[११४]]
आरुह्य कृच्छ्र
ेण
,, ५ अनु, ११० अनु, २८६
३०६ अनु
आर्जवेनायं-
[[11]]
[[६७२]]
वृ
७ अनु
आर्तो जिज्ञासु-
गी
[[५६२]]
तन्त्र
२६ अनु
आर्य्या नताः
भा
[[६५७]]
भा
[[८१]]
अ.लोड्य सर्व-
स्कन्द, पद्म, लिङ्ग २६५ अनु
"
[[६८१]]
१६४, ३०१
"
३११ आवर्त्तलक्षित-
भा
ना प
८६५ आवाहनञ्चादरेण
आ
आद्यन्तवन्त
भा
आद्योऽवतारः
आधयो व्याधयो
स्कन्द
आधारं सर्व-
हय प
आध्यात्मिकानु-
भा
६०० आवृत्तिरसकृदुप- ब्र सु
आवेश्य तदघं
२५४ अनु
३५१ आशासते यदि
५६६ अशासानो न
६७२ आश्रमाणाञ्च
[[19]]
भा
[[19]]
१८८ अनु
६१४-
१५३ अनु
[[१०२३]]
[[१७३]]
भा
[[४६६]]
[[६३६]]
[[५७४]]
[[२८२]]
आनन्दमात्र उप–
आनन्दसंप्लवे
[[31]]
३५४ आश्लेषादुभ्यो-
यह प
५४१ आसुरं भाव-
गो
आनन्दानुभवा-
आनुकूल्यस्य
अन्विक्षिक्या
७५५ आसुरस्तद्विपर्ययः अग्नि, विध२८३
बं त
भा
१७३ अनु, ६६१ आस्थितः स
गी
७०४ आहोष्यतामिह
भा
[[५६४]]
३२० अनु
आपत्कल्पेन
त्रे स त
४३४ इच्छतामकुतो-
[[19]]
आपन्नः संसृति आपाययति आपीय कर्णा- आपीयतां कर्ण-
भा
१५५ अन, ४१०
[[99]]
[[१७६]]
"
[[७६६]]
१७६ इच्छन् यो
इच्छाकाङ्क्षा
१६८ अनु, २७५ अनु,
३१८ ७६१
[[४६६]]
[[11]]
[[७६८]]
७६८ इच्छाविधानं
अमर
१६५ अनु
भा
[[१७७]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ७
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
इज्येत हविषा
भा
७२३ इष्ट दत्तं
भा
[[६६७]]
इतरे ब्रह्म-
पद्म
२४१ इष्टापर्सेन
भा
[[७२१]]
इतरेभ्यो यथा-
भा
२१ इष्टोऽसि मे
गो
[[१०५६]]
इतरेषाञ्च
ना प
[[६५६]]
इह निःश्रेयसो-
भा
५१, १७४ अनु
इति ते ज्ञान-
गो
[[१०५८]]
इह लोके
स्कन्द
[[३३३]]
इति नूर्गात
भा
११५ अनु. ५२०
इहामुत्र च मोदते
भा
[[६४७]]
इति पुंसा-
"
[[४७६]]
इहामुत्र च लक्ष्यन्ते
"
[[६११]]
[[19]]
[[46]]
नृ पु
भा
इति भागवतान् इति मे त्रिविधो
इति मे निश्चिता इति यः शरणं इति विद्यातपो- इति वेद स
इति सङ्कल्प्य
[[91]]
म भा
६६८ ईदृशानामथा १६५ ईशनादेव
६०४ ईशयोर्जगदा- ३२६ ईशादपेतस्य
२१७ अनु
ईक्षा त्रयी
[[99]]
[[६०]]
[[६०२]]
ईक्षिता अपि
वृ नारद
[[४१४]]
१०२० ईक्षेतात्मनि
भा
[[१०५१]]
[[23]]
[[६१३]]
ब्रह्माण्ड
[[८०५]]
भा
[[८५६]]
[[99]]
[[७]]
इति सर्वाणि
"
१०५२ ईश्वरं मां
[[19]]
[[२५४]]
इति स्वरूप-
पद्म
[[५१८]]
ईश्वरः सर्व- गी
[[१०५६]]
इत्यच्युत घ्रि
भा
[[१०७४]]
ईश्वरस्य तु सामर्थ्या- पद्म
[[६६५]]
इत्यस्या हृदयं
[[19]]
४६ ईश्वरे तदधीनेषु भा
२६५ अनु, ५४४
इत्याख्या जायते
गरुड़
[[४६२]]
ईश्वरो जीव–
भा
[[२६४]]
इत्याह राजा
वि पु
[[४६६]]
ईहमाना निरा-
[[19]]
[[४७४]]
इदं जपत
इदं तु ते इदं भागवतं
इदं वक्षाम्य-
भा
[[७५]]
उकारः कैश्चिदिष्यते पद्म
[[५१६]]
गो
१०६२ उक्तं पुरस्ता-
भा
[[१०२४]]
भा
७७४, ७८८
उग्रो भस्मधरो
ब्रह्म
[[८१२]]
गो
[[५८७]]
उच्चैस्तरां
भा
२२३ अनु
इदं हि पुंस-
भा ६६ अनु, ११४ अनु,
उच्छिष्टभोजिनो
[[11]]
११०, ६८६
८२० उच्छेषितं
[[11]]
[[३०८]]
इदमेकं
स्कन्द, पद्म
३०१ उञ्छवृत्तिः
[[21]]
[[१३८]]
इहमेव सुनिष्कृतम्
भा
७८० उताहो एक-
भा
[[१२५]]
इदमेव सुनिष्पन्नं
इदानीं शृणु इन्द्रमिन्द्रिय- इन्द्रो महेश्वरो
इयेष तदधिष्ठातु
वं सत
स्कन्द, लिङ्ग
१६४ उत्तमश्लोकचरितं
भा
[[७७४]]
४०४ उत्तमश्लोक- लीलया भा
[[७]]
भा
३२ अनु उत्तमश्लोकवार्त्तया
भा
[[५२]]
स्कन्द
भा
२६३ उत्तिष्ठता प्रस्वपता विध ७७२ उत्पथप्रति-
[[७८६]]
[[७१७]]
ड
I
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
[
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्थ
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
८८६ ऋषीणाञ्चामला-
उत्पातायैव उदाराः सर्व उद्दिश्य देवता
ब्र या
भा
[[३६३]]
मो
[[५६४]]
एक एव त्रिविक्रमः
ब्रह्माण्ड
-८०६
पद्म
६४६ एक एक प्रकीर्तितः वामन
[[८१०]]
उद्धवात्म-
भा
[[६६८]]
६६८ एक एवेश्वरः PF हय फ
[[५६२]]
उद्धवैनांसि
[[३४४]]
एकः कृष्णे नमस्कारो विध
[[६८४]]
उद्यज्ञस्तश्च
उद्यानोपवना- उद्वहन्तो दिवं
उद्विग्नबुद्धे–
१४६ अनु, ५२
एककाल
TR
वि ध
[[८७२]]
"
२३८ अ
एकतः कात्तिको-
स्कन्द
[[६४८]]
नृसिंह
३१७ एकतः सर्व-
स्कन्द
२६६ अनु
भा
उन्मादवन्नृत्यति
भा
६६ एकभक्ति-
७८२ एकविगणैः सार्द्धं
गो
[[५६३]]
भविष्य
[[६६८]]
उपदेशं करोत्येक
ब्रह्मवं
६०६ एकस्मिन्नप्यति-
गरुड़
[[८५२]]
उपनय मां
भा
३१२ अनु
एकांशेन
गो
[[1]]
३३० अनु
उपनीतशत-
नृ त
१०६ अनु
एकाग्रमनस-
वै
चैत
[[२१४]]
उपप्लवाच्च
ना प
[[८६४]]
एकादशी महा-
भविष्य
[[६६५]]
उषयग्मुर्यदृच्छयह
भा
१८१ अनु
एकादश्यां न नारद
ना प
[[६५६]]
उपय्यधस्तथा
वि ध
[[६१३]]
एकादश्यां न भुञ्जीत ना प
[[६५०]]
उपागच्छद्यद्- उपायान् पूर्व-
उपाया ह्यात्म-
उपारमेत उपासकं
उपासने स्वे उपास्तापि
उपास्यममरो-
उपेयान् विन्दते–
उभयोरेष
भा
[[५३३]]
एकादश्यां न भोक्तव्यं स्कन्द अग्नि ६५१, ६५५
places
एकादश्यां निराहारो मत्स्य, भविष्य ६५७
५६ अनु, ६३५
"
[[१२१]]
एकादश्यां प्रमादतः एकादश्यान्तु यो
गौत
[[1६५६]]
स्कन्द
TET ६५८
अ८१२
भा
एकान्तं भाव- कर्म
- एकान्तभक्ता
[[२४३]]
भा
[[२१६]]
२६१ अनु
एकान्तभक्तचा को
[[99]]
[[४५६]]
"
५४८ एकान्तित्वाद्भगवति
[[19]]
[[४६१]]
एकान्तिनो यस्य
[[39]]
१६५ अनु
[[77]]
"
[[५०७]]
एकान्तेन सदा
गरुड़
[[४६२]]
उरुक्रमस्या-
13.97
२७६ अनु, ३२७
एकान्त्येको विशिष्यते गरुड़
[[५१२]]
उरुगायोरु
१०३४ एकोऽहं पञ्चधा
पद्य
[[१२३४]]
ऊर्ध्वामेव गति
गरुड़
३०३ ऐतज्ज्ञान-गी
१०५ अनु
ऋग्वेदो हि
विध
८१५ एतत्ते कथितं भा
[[१४१]]
ऋतम्भरध्यान-
ऋते नारायणा–
भा स्कन्द
१२७ अनु एतत् संसूचितं
भा
-६४४
८११ एतत् सव
भा
ऋषित्व वासुरा-
भा
४६६ एतदुक्तः प्रत्युवाच
विध
७०६ २२४
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
एतद्योनीनि
गो
५६० एवं विहारैः
भा
[ €
श्लोकानृच्छेदाः
T
२=६ अनु
एतद्वेदितुमिच्छामः
भा
१०१४ एवं व्रतः
भा
१८८ अनु, ७८२
एतद्वं सर्व्व-
भा
[[६३६]]
एवं सतत
गो
११४ भनु, १६६
एतसिविद्यमाना-
भा १६८ अनु, २६५ अनु,
एवं सदा
भा
२८३ अनु
२७३ अनु, २७५ अनु, ३१८, ७६१
एवं सन्दर्शिता
भा
एतयोरेव
३२५ अनु
पद्म
१६३, ३२४
एवं स्वचित्ते
भा
ह
एताः परं
भा
३२० अनु
एव प्रेमादि
ब्रह्मव
[[६]]
एतावदेव जिज्ञास्यं
भा
[[२६५]]
एवमग्न्यर्क-
भा
[[१०३]]
एतावानेव यजतामिह
एतावानेव लोके-
भा
१७४ अनु, ५१
एवमघटमान-
भा
१५७ अनु
भा ११५ अनु, १२१ अनु.
एवमेतन्निगदितम्
भा
TH
८६ अनु
२१६ अनु, ७०, १६०, २७७
एष एव हि
भा
[[२२६]]
एतावान् योग
भा
[[८४८]]
एष ब्रह्मा
गरुड़
[[४६२]]
एतावान् सांख्य-
भा
[[४५१]]
एष भागवतो-
भा
[[५४३]]
एते न ह्यद्भुता
स्कन्द
२६५ एष व भगवान्
भा
एतैरुपद्र तो
[[६२६]]
भा
७७७ एषा बुद्धि-
भा
[[१३७]]
एवं कर्म
भा
२२३-२२४ अनु
ऐकान्तिकी
ब्र या
[[८८६]]
एवं कुविति
ना प
१००१ ऐन्द्रकाग्नेय-
पद्म
[[८६६]]
एवं कृष्णे
भा
१०२२ ऐश्वर्य्यादिन्द्र
ब्रह्माण्ड
[[८०८]]
एवं क्रिया-
भा
६३४ ओष्ठस्पन्दन-
व चि
[[८४२]]
एवं जिज्ञासया-
भा
[[१२१]]
क उत्तम-
भा
[[31]]
[[७६४]]
एवं त्रयी-
गी
१३८ अनु
क उ दिनु-
भा
- ११५ अनु
एवं धम्मै
भा
३०६ अनु, ६६८
कं वा दयालु
भा
[[१०७०]]
एवं नानाविधः
ब्रह्माण्ड
एवं निर्जित-
25 from 50&
कः पण्डित-
भा
[[२६७]]
भा
१४१ अनु, ६२
कः संशयः
गरुड़
[[१०३६]]
एवं नृणां
भा
[[६४६]]
कठिनांशञ्च
हय प
[[५६६]]
एवं प्रलभ्य-
भा
[[४६१]]
कतमोऽपि
भा
३२२ अनु
एवं प्रसन्न-
भा
२६ कथं तं क्षुल्लधी-
वृ नारद
[[८१६]]
एवं यः पूजयेत
भा
६८५, ६३५
कथं विना रोम-
भा
[[३८६]]
एव ं यो वेत्ति
गो
७६६ कथञ्चिद्यदि
भा
[[१३८]]
एवं विदित्वा
पद्म
५१८ कथञ्चिन्नेक्षते
भा
एवं विविच्य
[[१०१६]]
भा
[[६००]]
कथमस्यावतारस्य
गो ता
३३१ अनु
कथमासीद्द्ढ़ा
भा
[[३६५]]
कथयस्व महाभाग
भा
[[१०४४]]
१० ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
कथा इमास्ते
भा
७६० कर्म ग्रन्थि-
भा
[[२१]]
कथामृतं श्रवण-
भा
४८ कर्म्मण्यस्मिन्नना-
भा
१४० अनु, १७६
कथामृतनिधौ
भा
७७७ कम्मनिहर-
भा
[[६७७]]
कथा लोक-
भा
१०४४ कर्मनिष्ठा द्विजाः
भा
[[६२०]]
कदा गम्भीरया
ना प
१००१ कर्म्मबन्धात्
भा
[[५२७]]
कदाचित् कर्द्दमा-
विध
४३७ कर्मभिर्भगवत्
[[२८६]]
कदाचिदपि जायते
वृ नारद
४०१ कर्म्मभिर्वा त्रयी-
भा
[[७८]]
कपालीति
ब्रह्म
८१२ कम्र्ममोक्षाय
भा
[[६६]]
कम्पाश्रु पुलका-
पद्या
१२० कम्मयोगश्च
भा
[[४७६]]
करिष्यति भवान्
विध
७८४ कर्म्मश्रद्धा
भा
[[३७५]]
करोति यद्यत्
भा
६३७ कर्म्मस्मृति-
भा
[[६०१]]
करोति विधि-
पद्म
८६० कम्मिभ्यश्चाधिको
गो
[[२७६]]
करोति सततं
कूर्म
६५४ कलाविच्छन्ति
भा
[[८३७]]
करोत्येधांसि
भा, पद्म
३४४, ३४५
कलि सभाजय-
भा २७३ अनु, ८३५
करौ हरे-
भा
६६४ कलिकाले
स्कन्द
[[८६६]]
कर्ण पीयूष -
भा
कर्णौ पिधाय
भा
कर्त्तव्यं वित्ता-
विर
६४५ कलेर्दोष-
कर्त्तव्यं श्रद्धया
पद्म
४५४ कलिरित्येषु
८०२ कलिस्तस्य कृते
६३७ कलौ कलुष-
भा
[[१०८]]
विध
[[८४०]]
भा
[[१५३]]
ब्रह्मव
[[१८०]]
कर्त्तव्यो जागरः
स्कन्द
६५२ कलौ कुर्वन्ति
स्कन्द
२७२ अनु
कत्तु मद्योग-
गो
[[१६३]]
कलौ कृत-
विध
[[८४०]]
कत्तु समेताः
TH
भा
[[२१२]]
कलौ खलु
भा
[[८३७]]
कई मो ब्रह्मणो-
भा
[[६६०]]
कलौ तद्धरि-
भा
३१५ ८३३
कर्म चाभिनयत्
भा
[[१२३]]
कलौ न राजन्
भा
८.४५
कर्मणः पुरुषस्य
६४८ कलौ नष्टदृशा–
भा
[[८४७]]
कर्मणानेन
कर्म
६५४ कलौ नास्त्येव
[[८४४]]
कर्मणा मनसा
ब्रह्म
६६६ कलौ युगे
स्कन्द
[[८३२]]
कर्मणामेतदप्या
कर्म
६५५ कलौ संकीर्त्य
वि पु
[[८३४]]
कम ब्रह्मणि
भा
६४४ कल्पन्ते कल्पिताः
भा
[[६४६]]
कर्मभ्यः प्रागयोग्यस्य
[[६४८]]
कलान्ते येऽन
भा
[[३१]]
कर्माणि विफलानि
भा
[[६४१]]
कल्प्यते निष्फलाय
भा
[[१०६६]]
कर्माण्यनन्य-
भा
७१ कविभिः पात्र-
भा
६ १७श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ११
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
कव्यान्यानन्त्य-
भा
२१ कि जन्मभिस्त्रिभि-
भा
१०१ अनु, ७८
कस्मिन् काले
भा
६५ अनु
कि जन्मभिस्त्वपर-
कस्मै येन
भा
११४ अनु
कि तदस्ति
भा वि पु
[[८६]]
[[१७५]]
कांस्यं रस-
त सा
[[६४४]]
कि तपोभिः
ब्रु नारद, पद्म
३१६-२०
का निष्ठा-
भा
[[१०४]]
कि तस्य बहुभिः
वृ नारद, पद्म
[[३२०]]
कामं भवः
भा
२६६ अनु
कि न्वर्थकामान्
भा
[[८५१]]
कामक्रोधादि युक्ती-
ब्रह्मवै
[[६०८]]
कि पुनः श्रद्धया
भा
[[२००८]]
कामश्च दास्ये
भा
३०४ अनु, ६६६
कि पुनर्ज्ञानि-
गरुड़
[[३०३]]
कामतो वा सुरां
ब्रह्मवै
[[४३६]]
कि पुनर्भगवद्
ना प
[[१७११]]
कामलोभहतो
भा
१६८ कि पुनर्ये सदा
स्कन्द
[[४००]]
कामलोभादयश्च
भा
२५ कि पुनस्तद्गत-
इ समु ३०४ अनु, ४०७
कामस्य नेन्द्रिय-
भा
१४ कि भूयः
भा
[[१४१]]
कामातुरं
भा
[[४]]
कि मया पथि
अग्नि
[[२४६]]
कामाद्वेषात्
भा ३२०-२१ अनु, १०२३
कि वर्णये
भा
[[३८२]]
कामानां हृद्य-
भा
[[३७२]]
कि वर्णितेन
भा
__१७७ अनु
कामाय स्वजनाय
भा
६४७ किंवा तीर्थ-
व नारद, पद्म ३१६
कामा हृदय्या
भा
[[१३२]]
किवापर-
भा
१ अनु
कामंरहतधी-
भा
[[५७६]]
किंवा भवेश
भा
[[१०४६]]
कामो लाभाय
भा
१३ किंवा भागवता
भा
[[३२६]]
कायक्लेशः
स्कन्द
[[१७२]]
कि वा योगेन
भा
[[८०]]
कायेन वाचा
भा
६० अनु, ६३७
कि वा श्रेयो-
भा
[[८०]]
कारणं मोपयाति
भा
३८४ कि विधत्ते
भा
[[४६]]
कारयन् भगवद्धाम
विध
४१५ कि वेदः
वृ नारद, पद्म
[[३१६]]
कार्याकार्य्य–
1 ..
७१७ कि सत्यमनृत-
ब्रह्मवै
[[५०१]]
काले च देशे
भा
[[६३१]]
कालेन नष्टा
भा ६८ अनु, ११५ अनु,
किश्वित् स्वप्नान्तरे- किञ्चिदस्ति धनञ्जय
वि पु
[[४६७]]
गो
[[५६१]]
१२१, २६६, ६३६
किन्तु स्वतन्त्र-
स्कन्द
[[८३६]]
कालेन नाति- कालेनाल्पीयसा
भा
[[८२१]]
किन्त्वस्याः सङ्ग-
विध
[[४२१]]
भ
१०४१ किमत्र बहुनोक्त ेन
पद्म
[[७४१]]
का सा रक्षा
कि ग्रामे किं चित्रं यदघं
कि चित्रमच्युत
विध
[[४२१]]
किमनूद्य विकल्पयेत्
भा
[[४६]]
भा
५३ किमनेन कृतं
भा
[[१०२७]]
वि पु
८४१ किमन्यदवशिष्यते
भा
[[७५५]]
भा
१०४८ किमिदं कुत
भा
१०६ अनु
१.२ ]
E
[ श्रीश्री भक्तिसन्दर्भस्य
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थन हम
किमुत श्रद्धया
भा
किमुता धोक्षज-
भा
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
४५८ कुर्व्वतः शार्ङ्ग-
१०२४ कुर्वन्त्यात्म-
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
स्कन्द
[[३६१]]
भा
[[२८]]
किरात हूना-
भ
१८८ कुलं शीलनथा-
ब्रह्म
[[६०७]]
कोकटेषु भविष्यति
भ
१०१२ कुलकोटि
स्कन्द
[[३३३]]
की कटोsपि
पद्म
६२३ कुलाचारविहीनो-
स्कन्द
[[१८४]]
कीटः पेशस्कृत
भा
१०२१ कुलानां शत-
विध
[[४१५]]
कीटपक्षि-
गरुड़
३०३ कुशलैरपि
ब्रह्मवै
[[८३१]]
कीर्तनं स्मरणां
स्कन्द
४३९ कूटं बीजं
पद्म
[[३५३]]
कीर्त्तनन्तु ततो
बँकि
१८४२ कूट थमचलं
[[२०१]]
कीर्तन श्रवणा
भा दी
[[६०]]
कटस्थस्य मधु-
भा
[[७३३]]
कीर्तनादेव कृष्णस्य
भा१५३ कृच्छ्रो महानिह
भा ४८ अनु. १०४ अनु, ७२
कोर्त्तनीयः सदा
८३० कृतं त्रेता
भा
[[१०८]]
कीर्तनीयश्व वहुधा
जा सं
८४६ कृतज्ञः को
भा
[[४४१]]
कीर्त्तयन्ति स्म
100 नृसिंह
●३१७ कृतस्वस्त्ययनो
भा
[[७७२]]
कोर्तितर्शन न
८१४ कृतादिषु
भा
[[८३७]]
कीर्तिमान् स
विध
६४३ कृतानि गदितानि
भा
[[११३]]
कीर्त्यते वसुधे
वराह
[[६६६]]
कृतानुयात्रा
पद्म
[[३५५]]
कुंडचायां तमनु-
भा
[[१०२१]]
कृतः शेषाघ-
भा
[[४५३]]
कुतः पुनः शश्वद-
भा
३ अनु, ३८, १५४
कृते यद्धचायतो भा
३१५, ८३३
कुतः पुनस्ते
भा
[[३४९]]
कृते शुक्ल-
भा
२६८ अनु
कुतो नु विद्या-
[[7]]
भा
२७४ कृतोपवासः
आ वराह
[[६७६]]
कुतोऽन्यत् काल-
भा
३०७, ३७७
कृत्तिवासास्ततो
ब्रह्माण्ड
[[८०८]]
कुमारः कपिलो
कपिलो
भा
२७५ कृत्यात्मकमिमं
ब्रह्माण्ड
[[८०७]]
कुयोगिनां
भा
७०५ कृत्यमस्ति गदाभृता
भा
[[६१३]]
कुररि विलपसि
भा
१८८ अनु
कृत्वा लिखति
म
[[२]]
कुरुतेऽचर्चा-
भा
२४४ कृत्वोड़ पं
भा
[[७२]]
कुर्य्यात् पापस्य
आ
८६८ कृपणोऽपि
ब्रह्मवै
[[६०८]]
कुदेकादशो
विध
२६६ अनु
कृपया भूतजं
भा
[[७०५]]
कुर्य्याद्विपद-
पद्म
[[७९२]]
कृपापूरस्यन्द-
[[१०७५]]
कुर्युर्वेदानु-
दम
६७८ कृपालुरकृत-
भा
[[५७८]]
कुर्वन् भक्तचा
विर
८७६ कृष्ण कृष्णेत्य-
ब्रह्मवै
[[४३६]]
कुर्वन् सिद्धि-
गो
१९२ कृष्णच्छ ुरित-
हय प
[[५६२]]
कुर्वन् सिद्धिमवाप्नोति
७०६ कृष्णजन्माष्टमीं विर
[[६४६]]
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ १३
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
TH
कृष्णमेनमवेहि कृष्ण विष्णो
भा
८३ कोटिष्वपि महा-
विपु
४६६ कोऽतिप्रयासो-
FIR
कृष्णशस्त्रा-
कृष्णसन्तोष-
कृष्णाङ्घ्रिसेवा-
६७८ को नु कुर्य्यात्
ཐྭ ཛྱཱ ཙྭ
[[३६४]]
६८६ २१
स्कन्द
६६७ को नाम लोके
"
[[७६६]]
भा
८६ अनु
८६ अनु को निर्वृतो
防
[[19]]
[[७६७]]
कृष्णाधरामृता-
FF
११० अनु ११० अनु
को नु र (जन्निन्द्रिय-
[[11]]
[[५४८]]
कृष्णाय नो नमति
भा
[[३६०]]
कोऽन्योऽर्थोऽस्या-
फ्री
"
[[६६८]]
कृष्णाय परमात्मने
TH
[[11]]
[[१००८]]
को मूढ़ो
१७६ अनु
कृष्णे निवेश्य
८६ अनु, १०४४
को लाभः
TW
भा
११८ अनु
कृष्णे भक्तिहि
"
[[१६६]]
को वा भजेत्
भा
[[१०४६]]
कृष्णेऽमलां
"
[[७६१]]
को वार्थ आप्तो-
[[11]]
कृष्णे सर्व्वेश्वरे-
[[21]]
३२५ अनु
कौमार आचरेत्
[[३६]]
[[८८]]
"
कृष्णे स्वधामोप-
"
[[८४७]]
क्रतुराजेन
[[11]]
[[२३२]]
TH
कृष्णोपासन-
केचन ज्ञान- केचित् केवलया
केचित्तस्य महा- केचित् स्वदेहान्त-
[[99]]
५४७ क्रमेणैव प्रलोयेत
पद्म
[[३५३]]
"
[[६२०]]
क्रमोदितेन
ना प
[[६०६]]
"
३०६, ३४७
क्रान्त-व्युत्क्रान्त-
म
[[२]]
"
[[१०४०]]
क्रियते भक्ति-
भा
१४१, अनु ६२
"
२७ अनु, १७६ अनु
क्रियते भगवत्यद्धा
[[19]]
[[४७६]]
केनापि देवेन
गौत
२३६ अनु
क्रिययोत्पन्न-
भा
[[२५२]]
केवलं दाम्भिकः
पद्म
[[७३८]]
क्रियाक्रमेण
विर
[[८५७]]
केवलं रूप-
सत
६०२ क्रियायै कविभिः
भा
[[६१६]]
केवलं सततं
गौत
४६५ क्रियायोगरता
विर
[[८५७]]
केवलं सन्ततं
गौत
[[१०१०]]
केवलस्य मनो-
त्रं स त
[[४३४]]
क्रियायोगेन कद्दमः भा क्रियायोगेन शस्तेन
[[६६१]]
[[12]]
१०६ अनु, ६६६
केवलेन हि
भा
७३० क्रियार्थात्मा
[[19]]
[[२६३]]
केशवार्चा
स्कन्द
८७१ क्रियावसाने
"
[[४३]]
केशवो न हि
ब्रह्मवै
६६६ क्रियासमाप्ति-
[[19]]
[[६१५]]
केषाञ्चिदर्ह-
भा
[[६११]]
क्रीड़या नामभिः
पद्म
[[२३४]]
कैवल्यं सात्त्विकं
भा
२३३ अनु, ३६२ क्र ुध्यते याति
स्कन्द
[[८००]]
कैवल्यदः परं
स्कन्द
६१५ क्रोधं काम-
भा
[[७०३]]
कैवल्यम पुनर्भवम्
भा
५१० क्रोशमात्रं
पद्म
[[६२३]]
कैवल्यसम्मत–
भा
७६७ क्लिश्यन्ति यो
भा ५ अनु, ७१ अनु, १७६
कोटि-कोटि-गुणा-
कूर्म, राच
८१३, ८८००१
अनु, ११७, २०६
१४ ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
क्ल ेश सूर्य्यल्प
शोऽधिकतर-
भा
२२४ अनु. ६४१ गां दुग्ध-
भा
[[११८]]
मी
१११ अनु, २०३
गां पर्यटन
भा
२६६ अनु
क्वचित् संसार-
२८६ गाणपत्यादि-
रा च
[[८८०]]
क्षणार्द्धनापि-
भा
५४३, ७५७
गान्धर्वाभिमुखं
विध
[[८२६]]
क्षमते तस्य
स्कन्द
ε७३, ९७५, ९७७
गापयन् हरि-
भा
८४ अनु
क्षमते पुरुषोत्तमः
स्कन्द
[[६७६]]
गायन्त्युच्च मुद्दा-
नृ पु
[[८२६]]
क्षमाम्येव न क्षान्त्याजैव-
क्षिणोत्यभद्राणि
क्षिप्तो दुरुक्ति- क्षिप्रं भवति क्षीयन्ते चास्य क्षु तृट्प्रस्खलिता-
वि या
७६८ गायत्रनुस्मरन्
भा
[[१२३]]
मु टी
[[१०३]]
गायन् विलब्जो
भा
२६६ अनु. ६८
भा
१५६, ८५०
गायेथा मम
विध
[[८२६]]
[[31]]
[[६८१]]
गीताध्यायं
स्कन्द
[[६७३]]
मी
१७२ अनु, १७३ अनु
गीतानि नामानि
भा
२६६ अनु, ६८
भा
२७, १३३
गीयते पुरुषोत्तमः
ब्रह्माण्ड
[[८०६]]
विध
[[१८६]]
गीयते बहु
भा
[[६०६]]
क्षेत्रज्ञ एतां
क्षेत्रज्ञं सर्व्व
क्षेत्राणि नानु-
भा
क्षेमं न विन्दन्ति
भा
क्षेमं विधास्यति
भा
खं मनो बुद्धि-
गो
खं वायुमग्न
भा
गङ्गायां शुद्धि-
आ वराह विध
भा
६३२ गुणज्ञाः सार-
भा
२७३ अनु, ८३५
क्षेत्रज्ञाख्या तथा–
[[14]]
वि पु
गच्छं तिष्ठन्
गजो गृध्रो गतो. मकन्दं गत्यु स्मिते- गदितुं शीघ्र- गन्धरूपं
भा
[[19]]
[[11]]
६२७ गुणतो मे
५७५ गुणतोऽसानि
५७ गुणदोषदृशि- ३२१ गुणदोषोद्भवा
२३६ अन
५८८ गुणमय्याऽगुणो *१८८ अनु गुणसङ्ग
६७६ गुणस्तूभयवर्णितः ६१३ गुणात्मनस्तेऽपि
७२८ गुण नुकथने
[[13]]
आल स्तो
भा १७७ अनु, ३२१ अनु
"
३१२ अनु, ३२१ अनु
[[५१३]]
[[३७]]
[[३६८]]
[[11]]
भा
[[99]]
الله
१७७ अनु, ३२१ अनु ३०३ अनु
[[६६७]]
श्री १५५
४६१ गुणानुवाद-
[[5]]
११३ गुणमंत्र्यादि-
"
• १७६ अनु
गुणैविप्रा-
[[99]]
३५७ १०५, २६७
हय प
[[५६८]]
गुरुः शास्त्रं
पु
गन्धर्वाप्सरसो
भा
[[७२५]]
गुरुभक्तचा स
ब्रह्मवं
१०७५ ६२४
गमनं भगवद्–
आ
३०० अनु
गुरुमेव प्रसादयेत्
[[७०८]]
गरदान-
भा
३३८ गुरुर्न स
भा
[[६२६]]
गर्भवास-
ब्रह्मवै
४२२ गुरुर्यस्य भवे-
वा क
[[७०७]]
गहितेना-
भा
१०२७ गुरुर्येन परित्यक्त-
ब्रह्मवै
[[६२०]]
७० अन
[[६६३]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ १५
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
गुरुशुश्रूषया
भा ५७ अनु, ३४० अनु,
ग्रन्थि विभेत्स्यसि
भा
[[३५४]]
[[७१४]]
ग्रहा बालग्रहा-
वृ नारद
[[३४१]]
गुरोरप्यवलिप्तस्य
७१७ ग्राम्यो राजस
भा
[[३७३]]
गुरोरवज्ञा
पद्म
७६५ ग्राहयेद् वैष्णवाद्-
ना प
[[६२१]]
गुरौ रुष्ट
७०८ ग्लानिर्भवति
ना प
[[८६४]]
७१५ धनागमे
गरुड़
ε३३
भा
[[७५०]]
[[६६५]]
[[७७४]]
गुरौ सन्निहिते
गुह्य ं विशुद्ध गुह्याद्गुह्य-
गुणतश्च स्व-
गृणन् पुत्रो-
गृहस्थशत-
गृहीतचेता गृहीत्वापीन्द्रियै-
गृहेषु गृह- गृहेषु जाया- गृह्णीयाद् वैष्णवं
गो
भा
"
नृ ता
भा
[[11]]
[[91]]
आ
२७६ नन्तं बहु शपन्तं
१०५८ घ्राणश्च तत्पाद-
८२१ चकार भगवानृषिः
४८५ चक्रायुधस्य १०६ अनु चक्षुर्यथैवाञ्जन-
१८६ चक्षूषश्चक्षु-
५५० चञ्चलत्वाद्धि
[[४०]]
भा
"
[[19]]
स्कन्द, पद्म, विध २७३ अनु
भा
[[१३१]]
बृ
१३४ अनु
विध
[[७८५]]
बृ नारद
[[१८६]]
ई समु
[[७४४]]
विध
[[२२५]]
दह
चण्डालाः परि- ५३८ चण्डालोऽपि
८६६ चतुरात्मा हरिः
८१६ चतुर्थावरणं
६०२ चतुर्थी सा
३२० अनु चतुविधा भजन्ते
६६१ चतुर्होतत्या-
पद्म
མྦཱ ཚ ལླཕཟླཛཱ ; ;
गेयं गायस्व
स्कन्द
गोपवेशधरो
त्रै सत
गोपालं पूजयेद्
गौत
२४२ चतुर्भुजं
गोपालेषु न
सकु सं
८८४ चतुर्मुखः
गोपीनां तत्- गोप्तृत्वे वरणं
गोप्यः कामात् गोप्यो गावो
गोलोक एव गोविन्दचरण- गोविन्दभुज-
न सं
भा
भा
वं त
भा
३२५ अनु, १०३३
चतुष्पादस्ततो
[[99]]
२८६ अनु
७३० चत्वारो जज्ञिरे चन्द्रकोटिसम-
ब्रह्मवे
२७१ चरणाम्भोज-
१७६ अनु
२७ अनु ८१२
[[५६२]]
६२ अनु
[[२६०]]
हय प
१०५, २६७ ५६५
गौत
४६५, १०१०
गोविन्दानल-
गोविन्दाभिमुखी
ल भा
५४७ चलाचलेति
३६८ चाण्डाला अपि
भा
२८६ अनु
वृ नारद
[[१८६]]
विध
५२६ चामरव्यग्र
ना प
[[१००१]]
गोविन्देति सदा
विध
७८६ चिते पापसमुच्चये
विध
[[५२६]]
गोविन्देतिहरे-
स्कन्द
८१६ चिन्तयंस्तामथा-
विध
[[९१३]]
गोष्वङ्ग यवसा-
भा
६२५ चिन्तयित्वा पति
पद्म
[[६३७]]
गौर्यथा सुत
स्कन्द
८२३ चिन्तां कुर्य्यान्न
भवि
[[६६२]]
१६ ]
श्लोक प्रतीकानि
चिन्तां दीर्घ-
चिन्तामणिमय
चीर्णव्रतान्
[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्या
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
भा
३३६ जन्मकोटद्याप्यनु-
अ सं
[[१६८]]
चेत एते-
हय प
कर्म
मा
५६६ जन्मभूमि
८७८ जन्म-मृत्यु-जरा-
आ वराह
२८३ अनु
सहस्रनाम
[[४४७]]
२५ जन्ममृत्युसमा-
स्कन्द
[[३००]]
भी
चेतश्च न
"
[[३६०]]
जन्मलाभः
भा
[[४५१]]
चैतसा नारदः
अग्नि
[[२४७]]
जन्माद्यस्य यतः
સા
११४- अनु
[[716]]
चेत् परार्द्ध-
भ र सि
[[२७८]]
जन्मानि कर्माणि
हद
[[19]]
चैद्यः सिद्धि
भा
[[१०२४]]
जन्मान्तरशतै-
चोदनां प्रति-
६८६ जन्मान्तरसहस्र ेषु
स्कन्द
आ वराह, इ समु २२६,
[[४३०]]
P
क
३१२ अनु
[[३०९]]
४५६ जन्माप्ययक्षुद्-
F
भा
५३४ जपमात्रेण
रा च
चोदनां लक्षणो
च्युतं हरिकथा- छायेव कम्म- छिद्यन्ते सर्व- छिन्दन्ति कोविदा- छिन्द्याबसून पि
जगतां प्रभु- जगत् प्रहृष्यत्य- जगत् स्थावर-
जगदेतच्चर- जगद्गुरु जगद्धिताय जङ्गमाः स्थावरह
जनयत्याशु
जनस्य कृष्णाद् जनस्य तह्य च्युत जनाः सुकृतिनो-
जनानां पुण्य-
ཟༀ་༴ ཚ ཟླ་༴ ཟལླཾ ཟགྒཡཱ པ རེཝཾ མྦཝཱ,
गौं
जनार्द्दनानुस्मरणावि पु
जनेषु देहम्भर- जनेष्वभिज्ञेषु जन्तुभिश्च सम- जन्म कर्म च जन्मकोटि-
भा
[[11]]
निरुक्त
गी
वृ नारद
२७, १३३
[[२१]]
जप-स्वाध्याय-
भा
२१ जयन्ती सम्भवं
८०२ जराव्याधि-
५१६ जलस्थं विविधैः
५१६ जलस्य चुलुकेन
४०६, ६८४,
[[५५१]]
[[८८१]]
[[१६६]]
विर
[[६४५]]
ना प
२८६ अनु
[[715]]
गरुड़
[[६३२]]
२५० अनु
जलस्थं वै जनाद्दनम्
गरुड़
[[६३३]]
[[779]]
विध
[[४२४]]
८२ जलेनापि
नारद
[[६३१]]
१०२८ जागरं निशि
ना प
[[५६०]]
८३ जातश्चाहं
निरुक्त
१५१ अनु
भा
१७२ अनु, ४८०
[[77]]
१०६ अनु, १७२ अनु,
[[४८१]]
[[19]]
१८८ अनु, ७८२
[[५४]]
[[39]]
-६४५
हय प
1-
[[५७३]]
मोक्ष
[[५३२]]
भा
THE १०७०
१००७ ७५६
३५८ जातश्रद्धस्तु यः
११ जातश्रद्धो मत्-
५२३ ५२१ जातानुरागो ५६२ जातु नाम ५५२ जायते येन
●
५४४ ५४४ जायन्ते तत्-
५३८ जायमानं हि
१६० अनु. ७३५ जिघांसयापायय-
४१३ जिघांसयापि हरये
७६६ जिघ्रन्ति कर्ण-
[[७६६]]
१६७ जिज्ञासुः श्रेय
हरये,,
[[17]]
"
[[19]]
P ६०३
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ १७
श्लोकप्रतीकानि
जितमजित
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
भा
१२० अनु ज्ञात्वा भूतादि-
गी
[[१०६५]]
जिह्वां प्रसह्य जिह्वा न वक्ति
जिह्वा वक्तुमिहा-
[[19]]
८०२ ज्ञात्वा स्वात्मा-
भा
[[२६१]]
[[99]]
१५३ अनु, ३६०
ज्ञानं कर्म
[[४७८]]
[[91]]
[[४५०]]
ज्ञानं केवल-
"
[[१०५२]]
जिह्वासती
[[19]]
५५ ज्ञानं तेऽहं
गो
E
[[५८७]]
जीवञ्छवो
[[21]]
५८ ज्ञानं यत्तदधीनं
भा
[[६५६]]
जीवनं भक्ति-
वृ नारद
१७४ ज्ञानं यदा
"
[[७६७]]
जीवनं सलिलं
व नारद
[[१७४]]
ज्ञानं विज्ञान-
गो
[[१०६२]]
जीवन्ति सम्मुख- जीवन्मुक्ता अपि
भा
२०४ ज्ञानं विशुद्ध-
भा
[[५०६]]
वा भा
२८८ ज्ञानं विशुद्धं परमार्थ-
भा
[[५३६]]
जीवन्मुक्ताः प्रपद्यन्ते
वा भा
[[२८६]]
ज्ञानं सतत्त्वाधि-
भा
[[६५]]
जीवभूतः सनातनः
गो
१६८ अनु
ज्ञानञ्च तत्त्व-
भा
[[२६८]]
जीवभूतां महा-
गो
५७६, ५८६
ज्ञानञ्च यद्
[[27]]
[[११]]
जीवराशिभि-
भा
२८७ अनु
ज्ञानञ्च विज्ञान-
"
१५६, ८५०
जीवलोकः
[[99]]
७७७ ज्ञानञ्चैकात्म-
जीव वा मर
जीवस्य तत्त्व
७६५ ज्ञानदीपप्रदे
TH
TIP
भा
जीवाः श्रेष्ठा
भा
जीवितं यस्य
जीवितं विष्णु-
जीवेत यो
भा
जीवंरहमिका-
जुगुप्सितं
भा
जुषतां तत्-
भा
जुषतां प्रपुनन्त्य-
"
जुषमाणश्च तान्
[[99]]
जुहोति च
पद्म
[[776]]
जोषयेत् सर्व-
गो
ज्ञातव्यमवशिष्यते
गो
पद्म
विध
ब्रह्मवै
१४ ज्ञानदोपेण २५८ ज्ञाननिष्ठाय
५६७ ज्ञानमात्रं
४१२ ज्ञान-विज्ञान- निष्ठुया ९८३ ज्ञान-विज्ञान- संतृप्तो ६२४ ज्ञान-विज्ञान-सन्तोषाः
२३ अनु, २१० अनु ज्ञान-विज्ञान-सम्पन्नो
५०३ ज्ञान-विज्ञान- सम्भवम्
१४६ ज्ञानवैराग्य-
७५३ ज्ञानाग्निदग्ध-
१७३ अनु, ४८२ ज्ञानापवादो
६४६ ज्ञानासिमादाय
५०२ ज्ञानिभ्योऽपि
५८७ ज्ञानि च भरतर्षभ
"
ज्ञातु ं द्रष्टुञ्च
गो
[[४६३]]
ज्ञानी त्वात्मैव
ज्ञात्वाज्ञात्वाथ
भा
११५ अनु, ३१२ अनु,
ज्ञाने कर्म्मणि
३२५ अनु, ५८५
ज्ञानेन दृष्ट-
༈ ཕྲ ཕྲ, སྠ 4 ཕྲ ལྤ, :` ་ ཚ
[[१७०]]
२८६ अनु, ६२१
[[५०६]]
"
[[१४७]]
[[19]]
[[६७४]]
मु टो
[[१८३]]
[[२६१]]
TH
[[३६८]]
१७, १३५
[[२६०]]
[[८१३]]
[[८५]]
[[२७६]]
[[५६२]]
[[५६४]]
[[१०६७]]
[[६६३]]
,, २१४ अनु २२६ अनु
[[19]]
गी
भा
__६२८
१८ ]
श्लोकप्रतीकानि
स्कन्द
विध
स्व.न्द
[[५६५]]
[[६११]]
[[६११]]
[
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
ज्ञानेन वैयासकि-
भा
ज्ञाने प्रयास-
ज्ञायतेऽत्यन्त-
ज्ञेयः सर्वोत्तमो-
ज्ञयस्तदा मनुष्येण ज्ञेयास्ते वैष्णवा ज्योत्स्नावत्यः
भा
ना प
भा
८६ अनु तज्जन्म तानि
२०४ तज्जोषणादाश्व- ८६७ तश्च ब्रह्मर्षयो
भा
६५ अनु, ७७
भा
[[४८४]]
१२७ अनु
[[11]]
१८५ ततः कलौ
"
[[१०१२]]
४८८ ततः कुरु
गी
[[१६३]]
ततः परां
भा
[[१०७४]]
ततः प्राण-
"
[[२५८]]
ज्वरमरणदशा-
"
१६२ अनु
ततः शब्द-
[[२५६]]
"
डाकिन्यो राक्षसा त एकदा निमेः
त एव पश्यन्त्य-
वृ नारद
[[३४१]]
ततः श्रेयान्
[[17]]
[[२६२]]
भा
१८१ अनु
ततः संपूज्य
भा
[[२३१]]
[[11]]
३८३ ततः सचित्ताः
[[21]]
[[२५८]]
निर
त एव ह्यच्युत-
[[11]]
[[३२६]]
ततः सद्यो
[[97]]
[[४१०]]
त एवात्म-
भा
[[६४६]]
ततः समाधि-
भा
[[६६१]]
तं क्लेशादुद्धरा-
नृसिंह
[[६६८]]
ततश्च दशमे
निरुक्त
१५१ अनु
तं तमेवैति
गी
४४८ ततश्चेन्द्रिय-
भा
[[२५८]]
तं त्वाखिलात्म-
भा
१०४६ ततश्चैव ममार्चनम्
[[७०६]]
तं दुराराध्य-
भा
४५६ ततश्चोभयतो-
भा
[[२६०]]
तं निर्वृतो
भा
६ ततो नापैति
भा
[[114]]
[[८०१]]
तं मन्ये वैष्णवं
पद्म
[[५६७]]
ततो भजेत
भा
[[४८२]]
तं वा एतं
ऐत
६२ अनु
ततो मुक्ता
पद्म
[[१०३१]]
तं विक्रीयात्म-
भा
६६६ ततो यासि
भा
[[१५१]]
तं विद्यात्
गरुड़
२८४ ततोऽचयान्
भा
२६१ अनु
तं विद्याद्ब्रह्म- तं सत्यमानन्द- तं साक्षात् प्रति-
म भा
भा
YO
२८१ ततो वक्ष्यामि
गी
[[१०५६]]
४२ ततो वर्णाश्च २०६ तत्कथाश्रवणे
भा
[[२६१]]
विध
[[६४२]]
तं सुखाराध्य-
भा
४४१ तत् कथ्यतां
भा
१५६, ७६२
तक्षकात् प्राण-
भा
१४८ तत् कत्तु
भा
३३ε
तच्चात्मने प्रति-
भा
४६८ तत् कर्मव
पद्म
[[६६५]]
तच्चापि चित्त-
भा
३२८ अनु
तत् कर्मसङ्कल्प-
भा
[[६७]]
तच्चिह्न रङ्कनं
५६० तत् कुरुष्व
गो
३१२, ६३८
तच्चेद्द ह-
पद्म
४२६ तत्क्षणादेव-
स्कन्द
[[३६१]]
तच्छेषेणैव
पद्म
६०६ तत्क्षेत्रस्य
स्कन्द
[[२३६]]
SP
तच्छ्रद्दधाना
भा
१७ तत्तत् कामस्य
२२४ अनु
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ १६
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
तत्तदेवावगच्छ
गो
तत्तद्गुणानु-
भा
तत्तन्निवेदये-
भा
८०३ तत्त्रमं क उपा-
१६२, ७७३ तत्रोपनीतवलयो
६२६ तत्रोपाय-
T
११५ अनु
भा
[[३८०]]
भा
[[६१]]
तत्तीर्थं योजन-
स्कन्द
६२२ तत्संस्पर्शाच्च
विध
[[४२०]]
तत्तेऽनुकम्पां
भा
६८३ तत्सङ्गभीतो
भा
[[४७१]]
तत्तेनैव विनि-
भा
७४० तत्सङ्गहत-
पद्म
[[३८८]]
तत्तेऽर्हत्तम
भा
३०४ अनु, ६०१
तत्सन्धानं
भा
‘६२२
तत्त्वं यज्ज्ञान
भा
[[१६]]
तत् सम्पादय
भा
[[२३२]]
तत्त्वं हरे-
भा
[[७२]]
तत्सर्वाङ्ग-
आ
[[६१५]]
तत्वजिज्ञासुना-
भा
२६५ तत् सर्व्वं निर्दहत्याशु
ल भा
[[३६८]]
तत्त्वज्ञानार्थ
गो
१०५ अनु
तत् सर्वमेकतो
हय
प
[[१०]]
तत्वविद्भिविचारितः हय प
५७२ तत् साधुषर्थ्या
भा
[[६५]]
तत्त्वेनातश्च्यवन्ति
गो
२३६, ६५१
तत्स्थानमाश्रित- हभ वि
[[७००]]
तत्परस्य जनस्य
भा
[[८०१]]
तथा चैवोत्तमं
स्कन्द
[[८३२]]
तत्परेषु तथा
भा
२१३ तथा तथा पश्यति
भा
[[१३१]]
तत् पूरुष-
भा
३४८ तथा तथा हरौ
नृसिंह
[[३१७]]
तत्प्रसादात्
गो
१०५७ तथात्रादीक्षिता-
आ
[[८७५]]
तत् फलं कोटि-
स्कन्द
३३१ तथा दहति
पद्म
[[३४५]]
तत् फलं भुञ्जतां
स्कन्द
७२४ तथा दीक्षा-
त सा
[[६४४]]
तत्र तत्र हरि-
स्कन्द
[[८२३]]
तथाद्धात्मा
भा
तत्र तिष्ठामि नारद
पद्म
[[८२७]]
तथा न ते
भा
[[२३३५]]
तत्र तु प्रथमे
भा दी
६० तथा न यस्य
भा
[[१०१८]]
तत्र दानं
स्कन्द
[[२२]]
तथा न स्पृशतो
अ सं
[[८६२]]
तत्र ब्रह्मात्मजा-
भा
[[१८]]
तथा नान्येन
गरुड़
‘६३३
तत्र भागवतान्
भा २१७ अनु, २२५ अनु
तथापरे चात्म-
भा
[[६७]]
[[६१८]]
तथापि भृत्येश-
भा
[[५८६]]
तत्र विघ्नो
तत्र सन्निहितो विष्णु-
वृ नारद इ समु
३४० तथापि मे दुर्भगस्य
भा
२६५ अनु
५२४ तथा भवन्ति
विर
[[८५७]]
तत्र सन्निहितो हरिः
२८६ अनु तथा भागवते-
गरुढ़ ज
[[१५७५२]]
तत्रान्वहं कृष्ण-
भा
तत्रापि
भा
६१० तथा मद्विषया ५८ अनु तथा मन्त्रप्रदे
भा
[[३४४]]
विध
[[९४०]]
तत्रापि स्पर्श-
भा
तत्रायासोऽनिरर्थः
भा
२५६ तथार्थवादो
१०६६ तथार्पयन्
पद्म
१५३ अन, ७६५
भवि
[[६६२]]
२० ]
लोकप्रतीकानि
FG
तथा विशुध्यत्य-
तथा समस्त–
ग्रन्थनाम
भा
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
७८७ तदुपाधिसमा-
श्लोकानुच्छेदाः
हय फ
[[५७३]]
वृ नारद
१७४ तदेव पुण्यं
तथैव मनसा तथैव सर्वार्हण
ह भ कि
७०० तदेव सत्यं
भा
भा
-८२२
[[८२२]]
भा
८४ तदेव ह्यामयं
भा
[[६४५]]
तदक्षयं भवेत्
स्कन्द
६४८ तदेव विलयं
स्कन्द
[[३५१]]
तदध्यवस्यत्
तदनुस्मरणं
BET
भा
१८, ४५
तदेवाच्युत
स्कन्द
[[२६४]]
विध
६४२ तद्भक्तजन-
विध
[[६४१]]
तदमेशाङ्घ्रि
भा
३५२ तद्भवश्वापि
हम प
[[५६८]]
तदप्यध व-
भा
८८ तद्भागवत-
गरुड़
[[४६२]]
तदप्यप्रार्थितं
गरुड़
१७८ तद्भावमापु-
भा
[[१०३५]]
तदध्यफलतां
ब्रह्मवै
२७१ तद्भृत्यगात्र
भा
[[६६५]]
तदयं तव
आल स्तो
६६३ तद्यथेह
छा
५ अनु
तदर्थमेव
भा
८२ तयुष्मान्
भा
[[२१८]]
तदर्थं चाङ्ग-
वि ध
६४२ तद्रसामृत-
भा
[[७७६]]
तदर्थे दम्भ-
गरुड़, विध ७४७,६४१
तद्वत्त्वां गतयो-
भा
[[६५३]]
तदश्मसारं
भा
५६, ४२७
तद्वघात् प्राणिनां
भा
[[१०१८]]
तदहं तेऽभि-
भा
[[७६०]]
तद्वन रिक्त-
भा
[[७१]]
तदहं भक्त्युप-
गो
३१०, १०३६
तद्बरिष्ठा
पद्म
[[७१२]]
तदात्मबन्धु-
वि पु
-१०४१ तद्वा ऐतत्
नृ ता
२८६ अनु
ताधारो यतो
ब्रह्माण्ड
८०६ तद्वाग्विसर्गो
भा
२६२ अनु
तदानन्त्याय
भा
२६ तद्विज्ञानार्थं
मु
२०८ अनु
तदायत्तात्म-
तदायुस्तन्मनो सदा रजस्तमो
तदाचर्चा बन्धु-
पद्म
[[६१४]]
तद्वृत्ति सम्यगा-
पद्म
[[५१८]]
भा
१५ अनु, ७७
तद्व्रतं वैष्णवं
अग्नि, मत्स्य, भविष्य, ६५५, ६५७
कृ भा
[[२५]]
तन्त्रोक्तेन
भा
[[१०२]]
विपु
३२५ अनु तन्नमस्करणञ्चैव
पद्म
[[५८४]]
तदावरण-
तदा श्रद्धा
1 पद्म
[[१०५]]
६०५ तन्नामग्रहणा-
भा
[[१६०]]
ब्रह्मवै
५०१ तन्निष्ठ विप्रा-
भा
२८३ अनु
तदीयानां समर्थनम्
पद्म
७३४ तम्मन्येऽधीत-
भा
३१० अनु, ४७६
संदीयान् नाच्र्चयेत्तु तदीयाराधन-
पद्म
२८५ अनु, ७३८
तन्माययातो
भा
[[७]]
५६१ तन्मुखे हरि-
[[८४३]]
तदुक्तं यत्नत-
कूर्म
[[८७८]]
तन्मुद्राङ्कित-
अग्नि
[[२४७]]
तदुक्तं हृन्न तदुत्तमश्लोक-
ब्रह्म के
६०५ तन्मे व ह्यञ्जसा-
भा
[[१०४५]]
भा
७८७ तन्मे भवान्
THAT
भा
३०६ अनुश्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ २१
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
तप ईक्षा
भा
१११ अनु
तव दासस्य
भा
[[४२८]]
तपः श्रीहरि-
स्कन्द
८३२ तव पुरुषं
भा
[[५२०]]
तपसा स्त्रीत्व-
कर्म
१०२६ तव मायां
भा
११०, ६८६
तपसोपशमेन
भा
७१४ तव विक्रीड़ितं
भा
[[४५४]]
तपस्विनो दान-
भा
[[३२१]]
तव विष्णो
स्कन्द
[[१५]]
तपस्विभ्योऽधिको
गो
[[२७६]]
तवाभक्त :
स्कन्द
[[३६३]]
तपोदान-
भा
[[३५२]]
तवास्मीति च
रा, गरुड़
४०८, ४०६
तपोनिष्ठा
भा
६२० तवास्मीति तदीयत्व-
आ
[[६१५]]
तपोयज्ञ-
स्कन्द
तपोयुक्त ेन
भा
गु
६६३ तवाहिसादयो
तमनन्तं
स्कन्द
तमवज्ञाय
भा
३१३ तवास्मीति वदन्
३५१ तस्थौ तदङ्गुष्ठ-
२४४ तस्माज्ज्ञानेन
TH
ह भ वि
[[७००]]
स्कन्द
[[२६५]]
भा
४४५.
भा
[[२९१]]
तमसस्तु रज
भा
तमसो नाश-
विध
३० तस्मात् केनाप्यु ४३८ तस्मात् कोटि-
भा ३२३ अनु, ३२५ अनु
कर्म
[[८१३]]
तमापुरनु-
भा
[[१०२२]]
तस्मात्तु मनसा
पद्म
[[६६३]]
तमीश्वरं
भा
२१२ तस्मात्त्वं गच्छ
विध
[[२२५]]
तमेतं वेदानु-
वृ
६२ अनु
तस्मात्त्वमुद्धवो-
भा
[[६८६]]
तमेतमात्मानं
वृ
१८० अनु
तस्मात् परतरं
पद्म
[[७३४]]
तमेव नित्यं
भा
[[७६१]]
तस्मात् प्रियतमः
भा
[[८२]]
तमेव विदित्वा-
श्वे
८० अनु
तस्मात् सर्वं निवेद्य व ब्रह्माण्ड
[[६६१]]
तमेव शरणं
गो
१०५७ तस्मात् सर्व्वप्रयत्नेन
स्कन्द
३३१, १०८
तमेवात्मान-
भा
७६ तस्मात् सर्व्वात्मना
भा ११५ अनु, ४७, १५१
तमोद्धारं
भा
२४७ अनु
[[३२५]]
तया विना तद-
मोक्ष
१७६, ६५६ तस्मात् साध्यो
हय प
[[५७१]]
तयोरागमनं
भा
८५६ तस्मात् सेवा
[[६३४]]
तरङ्गात् कणिका
हय प
५७३ तस्मात् स्वसामर्थ्य-
पद्म
[[६६४]]
तरत्येव स
पद्म
७९३ तस्मादग्निस्त्रयी-
भा
[[३०]]
तरवः किं
भा
५३ तस्मादमूस्तनु-
भा
३१२ अनु
तरीव सव्ये-
भा
४४५ तस्मादर्थाश्च
भा
[[४६५]]
तरोरपि
शिक्षा
८३० तस्मादवैदिका-
पद्म
[[६०४]]
तर्कोऽप्रतिष्ठः
म भा
५२८ तस्मादेकान्तिनः
गरुड़
[[४६२]]
तपितानि
पद्म
१६२ अनु
तस्मादेकेन
भा १०२ अनु. २०, ६८४
तव गुणकृत-
भा
१६२ अनु
तस्माद्गुरु
भा
२०६ अनु, ६०३
२२ ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
८६८ तस्याहं सुलभः
तस्माद्दीक्षेति तस्माद्द हमिमं
आ
गी
[[५०८]]
भा
३६८ तस्यैकदा तु
भा
[[५३३]]
तस्माद्भारत
भा
४१, ३४६
तस्यैते कथिता
श्वे
३६, ६२५
[[196]]
तस्माद्यज्ञश्च
पद्म
१९५ तस्यंव मे सौहृद-
भा
३०६ अनु
तस्माद्योगी
गो
२७६ तांस्तारयति
विध
[[४१६]]
तस्मादविष्णु
इ समु
७३७ ताः श्रद्धया
भा
[[६१०]]
तस्माद्विसज्या-
भा
२८२ अनु
ताननादृत्य
भा
[[८८]]
तस्माद्वरानु-
भा
३२१ अनु, १०१६
तानातिष्ठति
भा
[[८८८]]
तस्मान्मद्भक्ति-
भा
१७६ अनु, १३४, ४८३
तानानयध्वमसतो- भा
[[३६०]]
[[१०४]]
तस्मान्मय्यपिता-
भा
[[२६३]]
तान्न स्पृशन्त्यत
भा
[[७७६]]
तस्मिंस्तस्मिन्
भा
७२६ तान्येवार्थकराणि
पद्म
४३३, ८१८
तस्मस्तुष्टे
वि पु
१७५ तान् व ह्यसद्-
भा
- ५२५
तस्मिन् कथं
भा
४ तापः पुण्डू
पद्म
१६८ अनु, ५८३
तस्मिन् न्यस्तभरः
पद्म
६६५ तापत्रयचिकित्-
भा
[[६४४]]
तस्मिन्महन्मुखरिता
भा
७७६ तापत्रयेणाभि-
भा
[[७०१]]
तस्म देयं
गरुड़
७४८, ७४६ तापादिपञ्च-
पद्म
[[५५६]]
तस्मै नमन्ति
भा
३५७ तामसं द्युत-
भा
-३७३
तस्म सुभद्र-
भा
३२१ तामसं मोह-
भा
३६ε
तस्य कृष्णः
विध
६४० तामसः स्मृति-
भा
[[३७४]]
तस्य तीर्थ-
भा
६८७ तामस्यधर्मे
भा
[[३७५]]
तस्य तुष्टो
वा क
७०७ तामेवाग्रे
विध
[[६१३]]
तस्य तुष्याम्यहं
ना प
६०६ ताम्र भवति
आ
[[७१३]]
तस्य तूर्णं तस्य नित्या-
म भा
२५१ ता ये पिवन्त्य-
भा
[[७७६]]
पद्म
५१६ ता ये शृण्वन्ति भा
[[७५४]]
तस्य भिन्न-
भा
२५६ तारकं वादिभिः
स्कन्द
F
[[७००]]
तस्य यत्-
भा
५२ तावकैर्दुस्तरं
भा
-११२
तस्य व्यभिचर-
भा
तस्यां चित्तं
भा
तस्याः स्मरण-
पद्म
[[६६४]]
तस्याद्य ग्रन्थना-
म
तस्यान्तरायाः
पद्म
[[८८६]]
तावज्जरामरण-
६१२ तावत् कर्माणि
२ तावत् स्थवीयः ८६० तावन्ति हरि-
भा ६२ अनु, १०६ अनु
पद्म
[[४८६]]
भा
[[४३]]
[[८१४]]
तस्यान्न नव
स्कन्द
[[८७१]]
तावन्न संसृति भा
[[६६७]]
तस्यापराध-
वि या
७६८ तावांस्तेऽहं
भ
-१०६७
श्लोकप्रतीकानामनुक्क म ष्पिका ]
[ २३
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
अन्यनाम
श्लोकानुच्छेदाः
तावुभौ नरकं
ना प
७१६ ते तु भागवता
बद्म
तासां कि
भा
१०२६ ते वेवसिद्ध-
भा
७४३, ६१६ १४८ अनु
तितिक्षुः सर्व्व-
[[10]]
५७८ ते द्वन्द्वमोह-
जो
[[५५२]]
तिरोभवित्री
[[21]]
[[६६४]]
तेन त्यक्तः
ब्रह्मदे
[[६२०]]
तिर्य्यग्जना
[[91]]
१७१ अनु, ३०२
तेन धर्मे
नृसिंह
[[६५]]
तिर्य्यग्योनिः
स्कन्द
[[६४६]]
तेन पापेन
पद्म
[[८१७]]
तीर्थस्नानैश्च तीर्थानि नियमा तीर्थेन मूधन्यधि
स्कन्द
३३० तेन प्रीति
‘पद्म
[[८२५]]
भा
[[७२०]]
तेन सन्दशिता-
भा
२८३ अनु, ६१६
[[19]]
११३ अनु, २६५ अनु,
ते न स्मरन्त्य-
भा
[[७३६]]
२८३ अनु
ते नाधीत-
भा
[[७२६]]
तीर्थ शौकर के तीव्रया मयि
आ वराह
६७६ तेनाहं कर्मणा
स्कन्द
[[२३७]]
भा
६६२ तेऽनुकम्प्या
भा
[[४४२]]
तीव्र ेण भक्ति- तीव्रणात्मसमाधिना तुलयाम लवे-
[[11]]
४६, ७०
तेऽनेकजन्म-
भा
[[४१६]]
[[19]]
[[६६३]]
तेने ब्रह्म
भा
११४ अनु
[[17]]
२४७ अनु, ३६७
तेनैव स्यान्न
इसम
[[७३७]]
तुलसीकाननं
स्कन्द
[[८६६]]
तेऽपि मामेव
ग्री
२३८, ४५८, ६५०
तुलसीदल-
विध
४२४ तेऽपि व
पद्म
[[३८८]]
तुलसीनाम-
स्कन्द
२८३ अनु
ते पुनन्त्य-
भर
[[५३५]]
तुलसीवनवाटिका
स्कन्द
८६७ तेषुस्तपस्ते
भा
[[३५०]]
तुलस्यवचय-
तुलस्या कुरुते
विया
स्कन्द
६५१ ते प्राप्नुवन्ति
भी
[[२०२]]
९७७ तेभ्यो गन्ध-
९७६ तेभ्योऽपीह नमो १०७३ ते मुक्ति-
भा
[[२५६]]
तुलस्या रोपणं
[[11]]
हयप, नास्त १८२, १००५
तुष्टिः पुष्टिः
भा
ब्रह्म
बीए ६६६
तुष्ट्यर्थं देवकी-
विर
६४५ ते मे भक्ततमा
भा
[[५८५]]
तुष्येदात्मात्मदो
भा
६१८ ते मे युक्त-
मो
Roo
तुष्येयं सर्व-
भा
७१४ ते यान्ति नरकं
पद्म
[[८१७]]
तृणादपि सुनीचेन
शिक्षा
८३० ते यान्ति परमं
इ सम्
[[४०४]]
तृतीया शक्ति-
त्रिपु
[[५७५]]
ते वै पाषण्डिनः
पद्म
[[१००६]]
तृतीये विष्णु-
भा दी
६२ ते वै प्राकृत-
पद्म
[[६०१]]
तृष्यन्ति तत्- तृषार्त्तः सुजले-
भा
८४ ते वै भागवतो-
ष्ट नारव
नारद
[[३१]]
तृष्णाहरः
चिन्ता
[[२२३]]
मृत्यु- ते वै विदन्त्य-
गरुड़
[[७०२]]
भा
१७१ अनु, ३०२
तेजः प्रभाव-
भा
१०० अनु, ३७८
तेषां के
गी
[[१६६]]
२४ ]
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्या
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
तेषां ज्ञानी
तेषां नित्याभि-
तेषां पूजादिकं
मी
५६३ त्यज चान्यान् ४५७, ४६६ त्यजत्यन्ते कले-
विध वि छ
[[६१२]]
मी
[[४४८]]
प
தர்
८२८ त्यजन्त्यन्यस्पृहां
भा
[[४५४]]
तेषां बहुपदः- तेषां ब्राह्मण तेषां भक्ति-
भा
२६० त्यजेत् सर्वमशेषतः
पद्म
[[६६४]]
[[17]]
२६१ त्रयाणामीप्सिते-
भा
६०२.
वृ नारद
१६७ श्रभ्यां विद्या-
५८ अनु
तेषां विकल्प-
भा
१२५ त्रायते महतो
मो
[[६४३]]
तेषां वै नरकं
गरुड़
६३३ त्रिकालं पूजयेद्-
विध
[[८७२]]
तेषां श्रमः
भा
६७ त्रिभुवनविभाव-
मा १४ अनु, २७८ अनु
तेषां हि वचनं
ਕਿ ਦ
[[८७७]]
[[५५६]]
तेषामशान्त-
भा
१०४ विरन्वीक्ष्य
[[99]]
११५ अनु, १८, ४५
तेषामसौ
भा
७१ अनु, १७६ अनु,
त्रिरुच्चैव्र्व्याज-
पद्म
[[१९६]]
११७, २०६
त्रिलोकनाथा-
भा
८.४५
लेषामात्माभि
ब्रह्म के
२७१ त्रिसप्तभिः पिता.
भा
[[४१८]]
तेषामेवानु-
मी
१७० त्रेतादिषु हरे-
भा
[[६१६]]
तेषु नित्यं
भा
७५३ त्रेतायां द्वापरें-
वि पु
[[८३४]]
तेष्वनिर्विण्ण-
तेष्वेव भगवान्
ते सन्तः-
ते सर्वे स्त्रीत्व-
"
[[19]]
४७६ त्रेतायां यजतो-
२८६ अनु
त्रैगुण्यविषया
भा
३१५, ८३३
गो
२२५ अनु
नृसिंह
यद्म
८२६ त्रवेद्यञ्च गुणा १०३१ त्वं तु राजन्
भा
१३८ अनु
भा
८६ अनु
ते स्वार्थकुशलाः
भा
४७४ त्वं प्रत्यगात्मनि
[[३५४]]
"
ते ह नाकं
पद्म
१०१ त्वं मे भृत्यः
[[७२२]]
[[97]]
ते हि विष्णु
विर
८७७ त्वग्वीजञ्चैब
हय प
[[५६६]]
तैरात्मा वञ्चित-
ब्रह्म कै
२६६ स्वश्च स्वाम्यनपा-
भा
[[४६७]]
तैरेव सद्भवति
भा
३७२ त्वत्पादाब्जं
[[६८८]]
[[17]]
तैस्तान्यधानि
ナラ
[[३५२]]
३५२ स्वत्पाटुके
[[१७३]]
"
तोष्यते तेन
तौ सन्तोषयता
वि पु
४८६ त्वत्प्रीत्याष्टौ
स्कन्द
[[६५४]]
कुन
१ त्वपतेहा-
भा
[[१६६]]
त्यक्तान्यभावस्य
भ
४६३ स्वद्दर्शनान्नृणा-
४११, ७५८
त्यक्तोदमपि
श्रा
[[२४५६]]
४५६ त्वद्वार्त्तया
भा
[[११२]]
त्यक्त्वा देहं त्यक्त्वामृत त्वक्त्वा स्वधर्मं
गो
७६६ त्वन्तु राजन्
भा
८६ अनु
स्कन्द
[[२१०]]
त्वन्तु सर्व
भा
भा ५८ अनु, १०० अनु,
१७३ अनु, ३६ त्वन्माययामी
भा
[[१०४७]]
[[531]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
[ २५
श्लोकानुच्छेदाः
त्वमप्यदा-
भा
त्वमेव परमेशानि
३२८ दशत्वलं गायत २८५ अनु दस्युभिर्मुषिते-
भा
८६ अनु, १५५ अनु
गरुड़
[[८५२]]
त्वया गीत-
भा
५२७ दह्यमाना
भा
[[६६४]]
स्वयाभिगुप्ता
[[19]]
३३५ दाक्षिणात्येन
म
[[१]]
त्वयोपभुक्त
[[६८६]]
दाता फलाना-
घ
[[८८५]]
स्वयोपयुक्त-
३३६ अनु, ११०
दान व्रत-तपो-
भा
१६६, ७३१
त्वय्यस्तभावाद्-
"
[[२८६]]
दावज्वालेव
पद्म
[[३५५]]
त्वां प्रपन्नो
नृसिंह
६६८ दासभूतमिदं
पद्म
[[५१६]]
त्वां सेवतां
भा
१२१ अनु, १०७ दासानामव-
भा
[[६८७]]
त्वाश्ञ्च माञ्च
"
त्वामत्तुमागतः
विध
[[४२०]]
५२७ वासेष्वनन्य-
दासोऽहं
[[19]]
[[१०४८]]
इ समु
४०६, ६८५
त्वामनुस्मरतः
वि पु
[[६३६]]
दास्यं पुन-
भा
३०६ अनु
त्वामेव धीराः
भा
६७ दास्यं सर्व्वं
पद्म
[[५१७]]
त्वाष्ट्रकायाधवा-
दण्डकारण्य- दण्डपारुष्ययो-
"
७२७ दास्येनात्म-
भा
३०६ अनु
पद्म
१०३० दिगगजै-
भा
[[३३८]]
भा
[[१०१७]]
दिनमेकं
पद्म
८६.३
ददाति मधुसूदनः
गरुड़
[[१७८]]
दिनानि कति-
भा
३२० अनु
ददाम्येतद्व्रतं मम
रा
[[४०८]]
दिविष्ठा यत्र
ब्रह्म
[[८६१]]
ददाम्येतद्व्रतं हरेः
गरुड़
४०६ दिविष्ठास्तव पश्यन्ति
ब्रह्म
१३५ अनु
दधति सकृन्मन-
भा
१४७ अनु
दिवौकसानां
पद्म
[[६०७]]
दध्यौ मुकुन्दा- दन्तवक्रश्व दन्ता गजानां
दमघोषसुतः
दम्भं महदुपासया दम्भं मात्सय्र्थ्य- दर्शनं सन्निधापनम्
दर्शनादेव साधवः दर्शनान्नो भवेद्- दर्शनालिङ्गना- दर्शने पतनानि दशकृत्वो जपे-
भा
"
[[11]]
८६ अनु
दिव्यं ज्ञानं
अ
[[८६८]]
[[91]]
[[१०१५]]
दीक्षापूर्व
आ
[[८६६]]
विध १२३ अनु, १५५
दीक्षामात्रेण
स्कन्द
[[४००]]
अनु, ४४४
दीनानामनु-
भा
[[६७१]]
१०१५ दीयमानं
भा
[[६८०]]
७०४ दुःखानि तानि
पद्म
[[२६६]]
[[13]]
६७५ दुःखोदर्कांश्च
भा
१७३ अनु, ४८२
आ
६१५ दुरवगमात्म-
भा
२५५ अनु
भा
५३५ दुराराध्यं समा-
"
[[१०२६]]
"
५२२ दुराराध्यमसाधुभिः
[[11]]
[[४४१]]
"
३२५ अनु दुर्गसंसार-
विध
[[६८४]]
स्कन्द
८०० दुर्गां विनायकं
भा
[[६०३]]
त्रै सत
[[४३४]]
दुर्गेति गोवते
ना प
[[८६७]]
२६ ]
श्लोकप्रतीकानि
दुर्दर्शोऽहं
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
भा
दुर्भगेदमयाचत
"
४४६, ५४० देवबभूताप्त-
[[१०२५]]
भा
१७३ अनु, ३१२ अनु
[[४६१]]
दुर्लभं मानुषं दुर्लभै कान्तिनामपि
दुर्लभो माघ-
"
[[17]]
सौपर्ण
८८ देवर्हतसु
भा
[[६१८]]
१०१३ देवविश्व हो-
भा
[[३११]]
६६६ देवस्य परितो-
पद्म
[[६०५]]
दुष्टचित्तैरपि
वृ नारद
११५ अनु
देवस्य प्रतिमां
विध
[[४१६]]
दुस्तर्कमूलो-
दूरे चाच्युत-
भा
८७ देवा अपि
भा
[[५३४]]
[[19]]
४४२ देवानां शुद्ध-
भा
[[३६३]]
दूरे हरिकथाः
[[99]]
४४२ देवानामर्चनं
पद्म
[[६०४]]
दूरे हरिकथामृतात्
दृढ़भक्ति-
पद्या
स्कन्द
१२० देव्यस्तटित्य
चिन्ता
[[२२३]]
१८४ देशकालाद्य-
पद्म
[[५१७]]
दृश्यते क्वचि-
भा
१६७ देशिकैस्तत्व-
आ
[[८६८]]
दृश्यादिभिः
"
दृष्ट ऐवा-
दृष्टं श्रुत- दृष्टः पश्ये-
दृष्टश्रुताभि- दृष्टा योगाः
दृष्टचार्द्रया
भा
[[19]]
५०६ देहं पराधीन- भा
२७ देहश्च नश्वर-
[[११८]]
[[31]]
१८७ अनु
T
६४६ देहवद्भिरवा
गो
[[२०३]]
ब्रह्म
४२३ देहात्मजादिषु
भा
[[३७२]]
भा
५५ अनु, ६७४
देहिनस्तस्य
स्कन्द
[[४३२]]
[[99]]
८८७ देहिनां भ्राम्य-
भा
[[८३६]]
६८१ देहिनां विषया-
भा
[[६४१]]
दृष्ट्वा तेषां
भा
६१६ देहोवाभाति
भा
[[८३]]
दृष्ट्वा भागवतं दूरात् स्कन्द
४३१ देहे देहभृता-
गो
१७६ अनु
दृष्ट्वा भागवतं विप्रं स्कन्द
४३२ देहेन्द्रियप्राण-
भा
१३४ अनु, ५५१
दृष्ट्वा रामं
पद्म
१०३० देहेन्द्रियासु-
भा
३१६ अनु
देवं नारायणं
पद्म
६०५ देहे वै स
[[५५४]]
देवगुह्यं
भा
१०७२ देव आसुर
अग्नि, विध
[[२८३]]
देव-तन्मन्त्रयो-
हय प
[[५७२]]
देवं जह्यात्
भा
[[७०५]]
देवतानामृषीणाञ्च
सौपर्ण
[[६६६]]
दैवं न तत्
[[19]]
[[६२६]]
देवतायाश्च मन्त्रे
विध
[[६४०]]
दैवमेवापरे
गो
१११ अनु
देवदत्तो
पद्म
२३४ दैवा हतार्थ-
भा
[[२७३]]
देवदेवं
नृसिंह
६६८ देवीं प्रकृति-
गी
[[१०६५]]
देवदेवे जनार्द्दने
वृ नारद
[[१६७]]
देवी ह्यषा
गो
देवदेवो जगत्- देवद्रोहाद्-
स्कन्द कर्म
[[८६६]]
दैवे च तदभावे
भा
[[६२१]]
८१३ दौरात्म्यं
[[६२०]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोकप्रतीकानि
दौहित्र्यादीनृते द्रवता चेतसा
भा
[ २७
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
६१४ द्विविधः परि-
ब्रह्मवै
[[६०५]]
[[19]]
३८६ द्विविधो भूत-
अग्नि, विध
[[२८३]]
द्रव्यं पुष्पा-
हय प
[[५६८]]
द्विषतः पर-
भा
[[२५०]]
द्रव्यतत्त्वं
हय प
५६७ द्विषन्नपि
"
[[१०२४]]
द्रव्येण भक्ति-
भा
द्रव्यैस्तोय-
[[19]]
६८७ देषाच्चैद्या- ह२६ धत्ते पदं
"
[[१०३३]]
[[19]]
द्रष्टव्यस्तेन
ब्रह्म
[[२२१]]
धनदस्य
"
७१ अनु, १०७ १०६ अनु
द्रष्टु ं न
पद्म
१०३८ धमः प्रोज्झित-
[[21]]
५८ अनु, ११५ अनु,
द्रागेव गोपालक-
द्वन्द्वम्
भा
द्वन्द्वातपत्रा-
द्वात्रिंशदपराधांश्च
[[19]]
स्कन्द
[[८८५]]
१०६ अनु धर्मः सत्य-
[[७०१]]
६७७ धर्मः स्वनुष्ठितः
भा
"
२१७ अनु
१४७ अनु, २८७,
[[१३०]]
३ अनु, ६५ अनु, १२
१३८ अनु, २७६
[[८४७]]
द्वात्रिंशदपराधांस्तु
स्कन्द ि
६७३ धर्मं भागवतं
[[19]]
द्वात्रिंशदपराधानि
स्कन्द
६७५ धर्मज्ञानादिभिः
"
द्वादशीव्रत-
पद्म
२६६ अनु
धर्मन्तु साक्षाद्-
[[39]]
१६५ अनु, २७४
द्वादशैते
भा
[[२७६]]
धर्म- व्रत-त्याग-
पद्म
[[७६६]]
द्वादश्यां जागरं प्रति
स्कन्द
[[९६३]]
धर्मस्यास्य परन्तप
गी
[[२०७]]
द्वादश्यां जागरे विष्णो- स्कन्द
[[६७५]]
धर्मान् सन्त्यज्य
भा
[[५८१]]
द्वादश्यां व्रत-
स्कन्द
[[६५४]]
धर्मार्थं जीवितं
स्कन्द
[[५६५]]
द्वादश्याश्व दिवा-
वि या
[[६५१]]
धर्मावितयं-
भा
[[८०२]]
द्वादश्याश्च विधा-
पद्म
९६४ धर्माश्च यदपाश्रयाः
[[11]]
[[४६५]]
द्वापरे परि-
भा
३१५, ८३३
धर्मञ्च सत्यञ्च
म भा
[[१८२]]
द्वारकावासिनः
स्कन्द
८६२ धर्ममूलं हि
भा
[[६३]]
द्वारवत्यां
भा
५४७ धर्मशीलतया
स्कन्द
[[२३६]]
द्विजगोद्वेषिण-
वृ नारद
[[२८५]]
धर्मस्य तत्त्वं
म भा
[[५२८]]
द्विजत्वं जायते
त सा
[[६४४]]
धर्मस्य ह्यापवर्ग्यस्य
भा
[[१३]]
द्विजत्वं प्राप्य
भा
६८६ धर्मान् भागवतानिह
भा
५६ अनु, दद
द्विजातिः श्वपचा
नारद
१८७ धर्मान् भागवतान् ब्रूत
भा
द्विजातेर्गृह-
भा
[[८७०]]
धर्माय यशसे
"
द्विजानामनुपनीता
आ
[[८७४]]
धर्मार्थकामः
[[12]]
२१७ अनु ६४७
६०, ३०६ अनु
द्विजंस्तमसि पातितः
भा
१०१४ धर्मो मद्भक्तिकृत्
[[19]]
२२५ अन
द्विजोपसृष्टः
,, ८६ अनु १५५ अनु धर्मो यस्यां
[[11]]
१२७, २६६, ६३६
द्वितीये तु
भा दो
[[६१]]
धर्मो विष्ण्वच्चनं
स्कन्द
الله
[[३३०]]
२८ ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः
धर्मो हर्ध्यर्थ
पद्म
५६७ ध्येयो नारायणः
स्कन्द, लिङ्ग, पद्म १६४, ३०१
धारणातो जितं
भा दी
६१ ध्रुवस्यानि
T
[[६१२]]
धारणाद्यात्मलक्षणम् धावन् निमील्य
पद्म
[[५८४]]
न ऋते तत्
ॠक
१३४ अनु
भा १२१ अनु, ३१२ अनु,
न कथ्यते यद्-
भा
[[८२२]]
[[६४२]]
न करोति पुमान्
वि पु
[[४८६]]
धिक् कुलं
भा
[[१८६]]
न करोति हरे-
भा
[[६७७]]
धिग्जन्म
[[19]]
[[१८६]]
न कामकर्म्म-
[[५५३]]
[[19]]
धिग्व्रतं
[[11]]
१८६ न कामये नाथ
[[91]]
२५७ अनु
धिया भिन्न
पद्म
७६४ न कामयेऽन्यं
[[८५६]]
[[99]]
धिष्ण्येष्वित्येषु धुनोति सव्वं
भा
६२८ न कारस्तन्निषेध-
१७२ अनु, ३१२ अनु
न कालनियम-
पद्म विध
[[६६३]]
-८३८
४६३ न किङ्करो
भा
[[४६१]]
धूपाद्यैः क्रियते
पद्म
८२८ न किश्चित् साधवो
भा
१७२ अनु, ५१०
धूमधूम्रा-
भा
१७६ न कुर्य्याश
भा
F
[[११४]]
धृतिमान् जित-
"
५८० नक्तं दिवा
ना कौ
[[७८३]]
धमातं पुनः ध्याता चैवोप- ध्यातुधिया ध्यानं नापि
[[39]]
भा
विध
गौत
ध्यानं निद्वन्द्व-
नृसिंह
ध्यानं मे वक्तु-
भा
२६२ न क्रोधो
६१२ नखमणि-
६७ न खादन्ति ४६५, १०१० न गृह्णाति
८५५ न घटत
१०६६ नक्ष्यत्य दूरा-
[[४५५]]
भा
[[५५७]]
[[५३]]
[[95]]
स्कन्द
[[४३१]]
भा
१६८ अनु
[[६७२]]
[[99]]
ध्यानयोग-
गरुड़
७०२ न च दुर्वाससः
गरुड़
[[३४३]]
ध्यानसङ्गति-
२२६ अनु न चलति निज-
वि पु
[[५६६]]
ध्यानिनः संप्रवर्त्तते
विर
८५७ न चलति भगवत्-
भा
११५ अनु, ५५६
ध्यायन् कृते
विपु
८३४ न च वेदो-
पद्म
[[१००६]]
ध्यायन्त आकृति-
भा
१०३५ न च व क्षमते
स्कन्द
[[४३२]]
ध्यायन्तश्चा-
भा
७६ न चान्यदेवता-
स्कन्द
[[२३५]]
ध्यायन्ति परमात्मानं
हय प
५८२ न चापितं
भा
३ अनु, ३८, १५४
ध्यायन्त्यभद्र-
भा
१७३ न चेज्यया
भा
[[५३७]]
ध्यायन्नच्र्चेत्
भा
६२८ न चोपगाय-
भा
[[५५]]
ध्यायेन्मुमुक्षु-
भा
१०६६ न छन्दसा
भा
[[५३७]]
ध्येयं गेयं
जा सं
८४६ न जपो नार्चनं
गौत
४६५, १०१०
ध्येयः पूज्यश्च
२०, ६८४ न जातु कामः
भा
६८ अनु
श्लोक प्रलोकनि
न जातु मर्यो-
भा
न ज्ञानं न
भा
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
ग्रन्थनाम श्लोकातुच्छेदाः श्लोकप्रतीकनि ग्रन्थनाम
५८ न निष्कृते-
T २६
श्लोकानुच्छेदाः
[[७८७]]
-११५
भर
१३४, ४८३ न निष्णात्
भा
न तत् फल-
स्कन्द
३३२ नन्दः किमकरोद्- भा
३२५ अनु
न तथा तप्यते
भव
[[२५३]]
नन्वञ्जसा
भा
१६२, ७७३
न तथा भक्ति-
भा
[[१०२०]]
नन्वस्य
भा
२६३ अनु
न तथा मम
पद्म
८२८ न परविद्या- 1
भा
५८ अनु
न तथा ाघवान्
भा
३४८ न परीक्षां
ब्रह्म
[[६०६]]
न तथैवापितं
भा
६४१ न पश्यामि
भा
[[२६३]]
न तद्भक्तेषु
भा
२४६, ५४६
न पारमेष्ठ्य
भव
१६८ अनु, ३६०
न तां सर्वेऽपि
पद्म
४६८ न पारये-
भा
३२० अनु
न तिष्ठति
स्कन्द
८७१ न पुत्रमभ्य-
स्कन्द
[[१००४]]
न तु कल्प-
विध
४१२ न पुनरुपासते
भा
१४७ अनु
न तु नारायणा-
वामन
८१० न पुनाति
भर
[[६४५]]
न तु मच्छरणा-
ब्रह्म वै
१८० न प्रमाद्येत
भा
[[६४२]]
न तु मामभि-
यो
२३६, ६५१ न प्रायेण
भा
[[३२६]]
न ते मय्य-
भा
२१८ न प्रायेणोप-
भा
[[३६३]]
न ते यमं
भा
३६५ न प्रीति-
भा
[[५३८]]
न तेषां
वृ नारद
४०१ न बाधन्ते-
वृ नाश्व
[[३४१]]
न ते स्युः
स्कन्द
२६५ न बुद्धि-
गो
[[५०२]]
न त्वष्टादश-
स्कन्द
१८४ न ब्रह्मा
स्कन्द
[[३६७]]
न दानं
भा
११५ अनु, ४७०
म ब्राह्मो न
स्कन्द
[[२३५]]
न देवा मूच्छिला-
भा
[[५३५]]
न भजति
भा
[[६७१]]
न देशकाला-
स्कन्द
[[८३६]]
न भजन्त्यव-
भा
२०६, २६६
न देशनियम-
विध
८३८ न भजन्त्यात्म-
भा
[[१०४]]
नद्यस्तदा
भा
१८८ अनु न भजेत् सर्वतो
भा
[[५४८]]
न द्रष्टव्या
पद्म
७४१ न भवन्त्यभयो
पद्म
[[८६०]]
न धनैर्धरणी-
नारद
६३० न मद्भागवता-
भा
[[२१६]]
न ध्यायेत् साध्व-
भा
११४ न मनः शान्ति-
भा
[[२५०]]
न नाकपृष्ठ
भा
९६८ अनु न मन्यते तस्य
भा
५-०३
न नाम तत्रार्द्ध-
भा
४४५ न मय्येकान्त-
भा ३१२ अनु, ३२१ अनु
न नित्यास्त्रिदशे-
पद्म
[[६०१]]
[[५१३]]
न निर्विण्णो
भा
१७२ अनु, ४८०
न मर्त्यबुद्धया-
भा
[[६२७]]
न निविद्येत
भा
[[४८६]]
नमस्कारः स्मृतो
नृसिंह
[[६८२]]
नमष्कुरुत नित्यशः
३० ]
श्लोकप्रतीकानि
नमस्कारेण बँकेन
नमस्कारेण नार्चयेत्
भा
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
नृसिंह
६८२ नरके भृश-
मा
२६५ अनु
स्कन्द
४३२ न राति
भा
[[५०४]]
७५० नरा नार्य-
स्कन्द
[[८६२]]
नमस्तस्मं
पद्म
[[४५२]]
नरा मोक्षं
स्कन्द
[[४००]]
न महाजनो-
भा
११० अनु
नरेष्वभीक्ष्णम्
भा
-१३१ अनु
न मां दुष्कृतिनो
गी
११५ अनु, २८२
न रोधयति
भा
२३८ अनु, ७१६
न मुच्यते
मा
१८७ अनु
नरो नारायणा-
मोक्ष
१७६, ६५६
न मुह्यन्ति
भा
[[१०५४]]
न लभेयुः
बं त
[[२१४]]
न मे तोषाय
भा
१७२ अनु, ६७०
न लोभो
[[४५५]]
न मे ध्यान-
विर
[[८५७]]
नवकर्म्म-
[[५६१]]
न मेऽभक्त-
२८६ अनु
न वक्तव्याः
पद्म
[[७४१]]
न मे भक्त-
गरुड़
७४६ न वक्तयज्ञाय
भा
-५०४
न मोचयेद्-
भा
६२६ नवधा भिद्यते
[[५६१]]
नमोऽस्तु ते
भा
१०६८ः नवमे सर्व्वाङ्ग-
निरुक्त
१५१ अनु
न यक्षो
वि पु
१०४२ न वर्णाश्रम-
भा
-५५४
न यत्-कर्ण-
आ
५४ नवायुतं
विध
[[४१७]]
न यत् प्रसादा-
भा
नयत्यच्युत-
विध
२१२ न वासुदेव-
४१५ न विक्रिया विश्व
सहस्रनाम
[[४४७]]
भा
[[६७२]]
न यत्र नक्षत्राणि
नृ त
२८६ अनु न विक्रियेताथ
भा
५६, ४२७
न यत्र माया
भा
२८५ अनु न विद्यते
पद्म
१७२ अनु, ७६५
म यत्र यज्ञेश-
भा
३२२ न विष्णुभक्तो
विध
[[४८७]]
म यत्र वैकुण्ठ-
भा
[[३२२]]
नवृत्तं
भा
[[४६६]]
न यत्र श्रवणादीनि
भा
१२३ अनु
नवेज्याकर्म्म-
पद्म
[[५५६]]
न यत्रात्मप्रदो
भा
[[५०]]
न वेद रुद्ध-
भा
-८५६
म यद्धृषीकेश-
भा
[[८६]]
८६ न व जातु
भा
३१ अनु, ३३७
म यस्य जन्म-
भा
५५४ न वं विदु-
भा
१६५ अनु, २७४
न यस्य स्वः
भा
५५५ नव्यवद्धृदये
भा
[[१०५४]]
न याति स्वर्ग-
भा
५०५ न शक्नोषि ब्रवीमि
विध
[[७८४]]
न युज्य-
भा
६६ न शक्नोषि मयि
गी
[[१६१]]
न योग-
भा
३६० न शशाक
भा
- ३३६
न योग्या केशव
विध
४३८ न शास्त्रे
ब्रह्मवै
५.
नरकं घोर-
गौत
६५६ न शूद्रा भगवद्-
पद्म
७४३, ६१६
नरकानि
विध
८७२ न शृण्वतः
भा
५५यो
भा
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोक प्रतीकानि
न शोचति न शोभते न शौचं
ग्रन्थनाम
[[79]]
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
भा
[ ३१
श्लोकानुच्छेदाः
१३४ अनु
न ह्यस्मयानि
[[५३५]]
३८, १५४
न हो कस्माद्-
[[६०६]]
"
न श्रद्दधाति
न सं
नष्टप्रायेष्व-
भा
न संमुमोहो-
भा
न संसृति
भा
४७० नाक्षीणे जायते
४२६ नाचरेद्यस्तु
२४ नाचरेद्यस्तु सिद्धो-
१४८ नातश्चिन्त्य-
६१७ नातिहिंस्र ेण
विध
[[५२६]]
भा
[[१००]]
ना प
[[८६४]]
वि पु
[[१०४२]]
भा
१०६ अनु, ६६६
न स भागवतो
पद्म
- ७३८ नात्मनश्च
भा
[[२१८]]
न समर्थो
ब्रह्म
६६६ नात्यद्भुतमहं
भा
[[१४३]]
न सम्यक्
भा
१३०, २८७
नात्यन्तिकं
भा ११५ अनु, १३४ अनु,
न स लिप्येत्
स्कन्द
[[६७४]]
२३४ अनु
न साङ ख्यं धर्म्म
भा
१२६, ७१६
नात्यभीष्टान्
भा
[[८५१]]
न साधयति
[[19]]
१०३ अनु, १४७, अनु,
नादेवो देव
३०६ अनु
३२७ अनु, १२६
नाधम्र्मजं
भा
[[३५२]]
न साधवो-
[[97]]
३२२ नाधिकारो-
अ
[[८७५]]
न सार्व्वभौमं
[[99]]
३६० नानागति-
भा
२३४ अनु
न सिद्धमुख्या
[[91]]
-२७४
न सौरो
स्कन्द
न स्खलेन्न
भा
न स्वर्ग
[[39]]
३६७, ५४५, ७५७
नानात्व-भ्रम-
२३५ नानामनोरथ
६४२ नानावर्णाभि-
नानाशक्त्यु-
[[१२१]]
[[01]]
[[२७३]]
[[१०८]]
[[17]]
हय प
[[५६४]]
न स्वाध्याय-
[[91]]
१२६, ७१६
नानुव्रजति
२८६ अनु, २६०
न स्वामी
[[४६६]]
नानैव विधि-
भा
[[१०८]]
न हरति
वि पु
५६६ नान्यः प्लवो
११६, १३६
न हि तस्या-
स्कन्द
[[९६३]]
नान्यज्जगाद
[[77]]
विपु
[[४६७]]
न ह्यतोऽन्यः
न हि भगवत्- न हृष्यन्ति न ह्यग्निमुखतो- न ह्यतः परमो
[[19]]
[[19]]
भा
भा ८६ अनु, ११५ अनु,४४
भा
४११, ७५८
नान्यत्र सज्जेद्
भा
[[४२]]
[[१०५४]]
नान्यत्र स्याद्-
[[७७६]]
"
७२३ नान्यथे हावयो-
भा
[[४६७]]
८३६ नान्यद्यथा
भा
११७, २०६
नान्यस्त्वदस्य
भा
१७६ अनु
न ह्यद्भुतं
भा
[[८७]]
नान्यस्य वर्हिषि
भा
[[१०७]]
न ह्यन्तोऽनन्त
भा
२८४ अनु
नान्यो मद्वेद 39
भा
[[४६]]
न हापुण्य-
स्कन्द
४३६ नापश्यमुभयं
भा
[[५४१]]
न ह्यभूत-
हय प
५७० नापैषि नाथ
भा
[[७५६]]
श्लोक प्रतीकानि
नाप्नोति सुकृती
नाभक्तचा दृश्यते।
पद्म
[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्यनाम लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
६४६ नारायणमिहाचर्च्चयेत् स्कन्द
१०३८ नारायणाय हरये
1 भ
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
[[३३१]]
[[३७६]]
नामकामित-
स्कन्द
८३६ नारायणायेति
[[19]]
[[६३७]]
नामभेदः
सत
[[६०२]]
नारायणे भगवति
३६५.
नाम मात्रैक-
पद्म
[[४६८]]
नारीषु नाना-
…
[[८८५]]
नामव्याहरणं
भा
[[७८०]]
नार्थस्य धर्मे-
भ
[[१३]]
नामसङ्कीर्त्तनं
५६० नार्थो यश्चेह
[[99]]
[[१४]]
नामसङ्कीर्तनाच्च
भा
६७२ नार्थोऽर्थायो-
[[19]]
[[१३]]
नामानि तद्रति-
ना क
७८३ नालं. द्विजत्कं
" १४१ अनु, १६८ अनु,
नामानि पुरुषोत्तमः
स्कन्द
=११
[[४६६]]
नामानि ये-
४१६ नालभ्यं तस्या
पद्म
[[६६५]]
नामान्यनन्तस्य
[[97]]
२६५ अनु
नावज्ञेयाः
षद्म
[[२४१]]
नामान्येव हरन्त्य-
पद्म
४३३, ८१८
नावमन्येत
भः
[[६२७]]
नामापराधा-
षद्म
४३३, ८१८
नावसीदितु-
[[19]]
१८२ अनु
नामाश्रयः
पद्म
७६३ नाशयाम्यात्म-
[[१७०]]
नामैक
पद्म
२६५ अनु, ४२९
नम्शुचेवृषली-
भा
[[४५०]]
नाम्नामन्यत्र
बामन
[[८१०]]
नाशुभं विद्यते
स्कन्द
[[३३३]]
नाम्ना वै देवता-
पद्म
१३८ नासावृषिर्यस्य
म भा
[[५२८]]
नाम्नि सोऽप्य-
पद्म
७६७ नास्ति भक्तिः
यं त
[[८७]]
नाम्नोऽपि सर्व-
पद्म
[[७९३]]
नास्त्येक गति-
[[८४४]]
नाम्नो बलाद्-
मायं सुखाको
नाराधनं
नाराधनाय हि नारायणं देव-
नारायणकलाः
[[19]]
नारायणपदाश्रयाः इ समु
पद्म १७२ अनु, १७३ अनु
नास्पदं मधुसूदने
विध
[[४३७]]
[[७९५]]
नाहं त्यक्ष्यामि
वि ध, स्कन्द
[[८२४]]
賞
२८६ अनु
नाहं देवो
विपु
[[१०४२]]
""
"
[[77]]
नारायण-परायणः
भा १८६ अनु, २७३ अनु,
[[862]]
[[177]]
नारायणपरायणाः
भा
नारायणपरा वेदाः
भा
नारायणमतन्द्रितः
पद्म
२६८ नाहं नान्ये
३७८ नाहं प्रकाशः
१५७ नाहं वसामि
-३२ नाहमिन्या-
४०४ निःशेषधर्म-
निःसङ्गश्वाय ३६४ निःसङ्गा भृत- १६१, ८३७ निःसङ्गोऽपत-
स्कन्द
[[३६७]]
गो
३१६ अनु
पद्म
[[८२७]]
भा
[[७१४]]
स्कन्द
[[३६३]]
भा
[[७३२]]
भा
[[२१६]]
भा २१७ अनु, २२४, अनु
४२ अनु
[[१०१]]
४०२ निक्षिप्तं स्यान्न
पद्म
[[४२६]]
श्लोकप्रतीक नामनुक्रमणिका ]
[ ३३
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
निगमकल्पतरो-
भा २५० अनु, २५७ अनु
निर्गुणस्य हुदाहृतम् भा
[[६७६]]
निगमकृदुप-
भा
२६ अनु
निर्गुणो मदपाश्रयः
"
२३४ अनु, ३७४
निजपुरुष-
२२३ अनु
निजिहीर्ष :
[[37]]
[[१०२]]
निजलाभेन
नित्य आत्माव्ययः
नित्यं भागवत-
नित्यं विष्णुजन- नित्यं सन्निहितो नित्यं हरति
[[19]]
[[19]]
[[19]]
[[३८०]]
निर्णीते केवलम्
अमर
५ अनु
१७६ अनु
निर्मुक्तः स्वेन
भा
[[६७४]]
[[२४]]
निर्विण्ण ईक्षित-
ना कौ
[[७८३]]
[[17]]
५४६ निर्विण्णः सर्वकर्मसु
भा
[[४८१]]
[[19]]
२८६ अनु
निर्विण्णानां ज्ञान-
[[33]]
[[४७६]]
६७८ निर्वृतीबंहुधे-
जा सं
[[८४६]]
नित्यः सर्व्वगतः
हय प
[[५६४]]
निर्वेदं प्रापितः
विध
[[४२१]]
नित्ययुक्तस्य
गी
[[५०८]]
निर्वैरः सर्व-
गो
[[४६४]]
नित्ययुक्ता उपासते
गो
२०० निर्वैराः सम-
भा
[[२१६]]
नित्याः सर्वे
पद्म
[[६००]]
निर्वैरेण भयेन
[[१०१६]]
निदानं तोषणे
पद्म
[[१६५]]
निर्वाणमधि-
पद्म
[[४०२]]
निद्रां सत्त्व-
भा
७०५ निलायनः
भा
२८६ अनु
निधाय याताः
[[99]]
५३० निवसिष्यसि
गी
[[१६०]]
निन्दन-स्तव-
[[19]]
निन्दयेदन्य-
गौत
१०१६ निवृत्ततर्षे-
२४२ निवृत्ता विधि-
भा
[[91]]
७६४.
[[६६७]]
निन्दां कुर्वन्ति
स्कन्द
७६६ निवेदितात्मा
[[19]]
३०६ अनु
निन्दां भगवतः
भा
८०१ निवेशितं
भा
[[३६५]]
निभृतमरु-
"
१०७२ निश्चला त्वयि
स्कन्द
[[१५]]
निमेषार्द्धा-
ब्र सं
६०८ निषादं श्वपचं
इ समु
[[७४५]]
निम्नमाप
भा
३५७ निषेवितानिमित्तेन
भा
६६ε
निरञ्जनम्
,,
२८२ अनु
निषेव्यमाणो-
[[19]]
[[७६३]]
निरन्धसां
[[19]]
६५८ निष्किञ्चनानां
[[19]]
३६६, ५२६
निरपेक्षः
[[99]]
१२२ निस्तीर्य्य ब्रह्म-
"
[[१०३७]]
निरये पतति निरस्य सर्वतः
निरहंक्रियया
भा
का सं
४२५ नीहारमिव
[[99]]
३०६, ३४७
१२६ नृणां परम-
"
६७२ नृणां भक्ति-
[[29]]
४५४ ३२६, ४४०
निरीक्षिता
स्कन्द
८६७ नृणां येन
[[19]]
[[७७]]
निरुपाधिक-
निगु णं निरपेक्ष-
निर्गुणं मदपा-
नृसिंह
८२६ नृणां श्रेयो-
"
[[४७८]]
भा
"
६८२ नृणां सन्ति ३६६ नृपते नात्र
[[४०]]
[[31]]
इ समु
[[५२४]]
३४ ]
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
नृसिंहार्क- नेच्छन्ति सेवया
तन्त्र
८८३ नोद्वेजयति
म भा
[[२५१]]
भा
३०७, ३७७ नोपायोऽन्यो-
भा
[[४७८]]
नेत्रे जलं
[[11]]
६, ४२७
नोपासित-
[[७२६]]
[[23]]
नेन्दार्लेखा
विध
[[४३८]]
न्यक्कारार्थं
"
नेष्टापूतं
भा
[[७१६]]
न्यपतत् पाञ्च-
[[17]]
[[१०१६]]
[[५३६]]
नेहाभिक्रम-
गो
[[६४३]]
न्यास - स्वाध्याय-
"
[[८०]]
नैकात्मतां
भा
३४० अनु
न्यासिनामिह
[[11]]
[[४७६]]
नैच्छत्तानसुरो
भा
४६१ न्यूनं सम्पूर्णतां
स्कन्द
[[३१३]]
नैतत् परस्मा नैतन्मनस्तव नेतान् विहाय नैति भक्ति-
[[19]]
[[17]]
"
१०७२ पक्षयोरुभयो-
ना प
[[६५०]]
४ पचनं विप्र-
स्कन्द
[[५६५]]
११६ अनु
पच्यते पाप-
ब्रह्मवै
[[४२२]]
भ र सि
२७८ पञ्चधा विभजन्
भा
[[६४७]]
नैति मामेति
गी
७६६ पञ्चरात्रविधि
याम, व्र या ३१२ अनु, ८८६
नैते गुणा
भा
६७० पञ्चविंशः
पद्म
[[५१५]]
नैऋतं वारुणं
पद्म
८६६ पञ्चानाम्
भा
३२१ अनु, ३२२ अनु
नैगुण्यस्था
भा
६६७ पठध्वं ध्यात
हरि
[[२३०]]
नैव तुष्ये-
भा
[[२५२]]
पठितानि
[[८१४]]
नंव द्रुह्यत
भा
[[७५०]]
पतन्ति पितृभिः स्कन्द
[[७६६]]
नंव विष्णुः
पद्म
[[१६५]]
पतन्त्यधोह-
भा
५ अनु, २८६
नैवात्मनः
भा
[[४६८]]
पतत् स्खलन्
भा
[[८४६]]
नैवार्थदो
भा
१७७ पतावेकत्वं
छ प
३१० अनु
नैवेच्छत्या
भा
२२० पतिपुत्र-
ना स्त
३२० अनु, १००५
नवोपयन्त्य-
भा
नंषां मति-
भा
३६६, ५२६
१०५० पतिप्रिय-
पत्रं पुष्पं
पद्म
[[६३६]]
ब्रह्माण्ड, भा, गी ३१०, ६६०,
नैषा तर्केण
कठ
२०८ अनु
[[१०३६]]
नैषातिदुःसहा
भा
[[४५६]]
पत्र-स्रग्गन्ध-
भा
[[६११]]
नैष्कर्म्य मध्यच्युत-
भा ३ अनु, ५ अनु, ११५ अनु,
पत्त्रेषु पुष्पेषु
नृसिंह
[[२०५]]
११६ अनु, २१७ अनु, ३८, १५४
पदे पदे
भा
[[६८]]
नैष्कम्र्म्यं लभते
भा
२७४ अनु. १०१
पद्मगर्भारुणे-
भा
३२८ अनु
नोच्छिष्टादौ
विध
[[८३८]]
पन्थाः क्षेमो-
भा
१२१ अनु, १६१
नोत्तमश्लोक-
भा
१४६ परं ब्रह्म तदैव
भा
[[२६३]]
नोत्पादयेद्- भा
१२ परं ब्रह्मति
भा
[[३७१]]
नोद्धवोऽण्वपि
भा
६६ अनु परं भगवतः
भा
[[१४७]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
[ ३५
श्लोकानुच्छेदाः
परं भाव- परपत्नी- परब्रह्म ेति
गो
१०६३ पर्जन्यापुरिता
भा
[[६५३]]
वि पु
१७३ अनु, ४८६ पर्यालोच्याथ
म
[[२]]
भा
६४ पर्व्वताक्रमणे-
भा
[[३३६]]
परमकारुणिको
पद्या
२३६ अनु
पलार्द्धनापि
स्कन्द
[[६५३]]
परमशोच्य-
पद्या
२३६ अनु पश्यन्तीनां
भा
१०३४-
परमाणुतुला
भ र सि
परमात्मनि
भा
२७८ पश्यन्त्यात्मनि ६ अनु पश्यामि नान्य-
[[27]]
"
१७.
[[७०१]]
परमात्मेश्वरः परमार्थंगति-
[[59]]
५०६ पश्येद् यं
मोक्ष
[[५३२]]
भविष्य
६६५ पांशुराशि
म भा
[[२११]]
परमैकान्ति- परस्मिन् वा
पद्म
भा
५८३ पात्रं त्वत्र
भा
२८६ अनु, ६१७
६७७ पादपद्मासवं
भा
[[१७६]]
परस्य दम-
[[19]]
१०१८ पादपा कल्प-
हय प
[[५६७]]
पहिंसासु
वि पु
४८६ पादमूलं
भा
[[४५६]]
पराकृतान्त-
भा
५२५ पादयोर्व्यसना-
[[७३३]]
परावरेशे
[[19]]
परा सापूर्व-
परिचर्य हरि
परिचर्थ्यापराः केचित् राच
५२१ पादसम्वाहनं चक्र : ६४८ पादसम्वाहनादिभिः भा
३०६ पादाम्बुजो-
६८८ पादारविन्दं हृदयेषु
[[19]]
[[99]]
[[१०४०]]
[[१०२८]]
[[६६]]
"
१६२, ७७३,
परिचर्थ्यापरायणैः
वृ नारद
४१४ पादारविन्द विमुखात् भा
१११ अनु, १८१
परितोषं
नारद
[[६३१]]
पादावनत-
भा
[[३५६]]
परित्यागेऽप्य-
भा
१२२ अनु, ४८१
पादौ नृणां
भा
परित्यागो विधीयते
[[१७१]]
पादौ स्पृश-
भा
[[५७]]
[[३२३]]
परिनिष्ठा च
भा
६६६ पादौ हरेः
भा
[[६६६]]
परिनिष्ठितोऽपि
भा
७८६ पानेन ते
भा
१०४ अनु, ६६
परिपाति
भा
८०४ पापं भधति
स्कन्द
[[३६३]]
परिरभ्य
भा
३२० अनु
पापं स्यान्मत्-
पद्म
[[३६४]]
परिष्वज्याह
भा
३५६ पापाचार - रताः
इ समु
[[४०४]]
परिसंशुद्ध
भा
६७३ पापानि भगवद्-
पद्म
[[३४५]]
परीत्याभ्यच्यं
भा
७७२ पापिनोऽपि परां
वृ नारद
[[४१४]]
परे ब्रह्मणि
भा
२२२ अनु
पापिनोऽपि प्रसङ्गेन नृसिंह
[[८५५]]
परेऽवाङ्मनसात
भा
३०६ पारं गन्तु-
वृ नारद
[[८१६]]
परोक्षप्रिया
ऐत
६२ अनु
परोक्षवादो
भा
पारङ्गतोऽपि ६६ पार्थिवाद्दारुणो
गरुड़
११५ अनु
भा
१०६ अनु, ३०
३६ ]
श्लोकप्रतीकानि
पाषण्डिनस्ते पितरं सर्व्व- पितर्युपरते
पिता न स पितुद्वैपायना-
भा
"
"
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकामुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
२२८ पुत्रीकृत्य
स्कन्द
[[१००३]]
३८१ पुनः संसार-
वा भा
[[३३६]]
[[19]]
५८ अनु
पुनन्ति ते
भा
[[४८]]
[[91]]
६२६ पुनन्ति सकलान्
इ समु
[[४०५]]
[[७८८]]
पुनरेतद्वि-
म
[[१]]
पितृभिः सह पितृभूत-
[[19]]
[[४१८]]
पुनश्च विधिना
ना प
[[६२१]]
[[27]]
[[३३]]
पुनाति भगवद्भक्त-
इ समु
[[७४४]]
पितृवन्मातृ-
ना स्त
[[१००५]]
पुनाति भुवन-
पद्म
[[७४२]]
पितृणां तर्पण-
वि या
[[८६६]]
पुनाति सकलान्
गरुड़
[[७५१]]
पितृ न यान्ति
गो
[[२४०]]
पुमान्नार्हति
भा
१२५ अनु
पितेव पुत्रं
म भा
[[२५१]]
पुमान् वाणै-
[[२५३]]
पिनाकोति
ब्रह्माण्ड
[[८०६]]
पुमान् भवति
-६८७
[[99]]
पिबन्तं त्वन्मुखा-
भा
[[४५६]]
पुमान् विरज्येत
भा
[[७६४]]
पिबन्ति ये
भा
८६ अनु, ४८
पुमान् वैदिक-
भा
[[६३४]]
पिबन्ति ये नरा
ब्रह्माण्ड
[[८०६]]
पुरश्चर्थ्यां
रा च
[[८८१]]
पीयूषशेष-
भा
७७६ पुराकथानां
भा
[[७६६]]
पुंसां धर्मः
"
१६०, २७७
पुंसां निःश्रेय-
[[91]]
पुराणं ब्रह्म- ७० पुराणसंहिता
"
७७४, ७८८
पुंसां भावो पुसां श्रेयः
"
६८३ पुराणार्को-
[[12]]
८८७ पुराण्यनेन
[[29]]
[[१४४]]
[[८४७]]
२८८ अनु
पुंसोऽक्ष्णोः
पुंसोऽपि
[[31]]
५२२ पुरा महर्षयः
पद्म
[[१०३०]]
[[37]]
७८ पुरुषं तमजं
वि पु
[[३३४]]
पुंसो भवेद्वि-
पुंसो वर्णाभि- पुक्कशाऽपि पुण्डरीक-
"
"
११६, १३६
पुरुषं वा पश्च-
निरुक्त
[[४१३]]
[[७४०]]
पुरुषः स परः
गो
१४६ अनु
[[19]]
४११, ७५८
पुरुषश्चाधि-
गो
१७६ अनु
हय प
[[५६२]]
पुरुषस्याञ्जसा-
भा
[[६७३]]
पुण्यं यैः
वृ न.रद
[[१६७]]
पुरुषस्याश्रमः
भा
१०५, २६७
पुण्यतीर्थ- पुण्यराशिफलं
भा
२२, ३७०, ८६०
पुरुषस्येह यत्
[[19]]
[[१५०]]
ब्रह्मवै
६ पुरुषाः पुरुष-
[[99]]
[[१२८]]
पुण्यश्रवण-
भा
२३ पुरुषाः संयते-
इ समु
३०४ अनु. ४०७
पुत्रं कर्मानु-
स्कन्द
१००२ पुरुषार्थचतु-
मोक्ष
१७६, ६५६
पुत्रशोको
अग्नि
२४७ पुरुषावयवे-
भा
२२२ अनु
पुत्रादिजन-
पद्म
The pop
२३४ पुरुषेष्वपि
भा
२६२ अनु
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ३७
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
पुरुषो नात्र
इ सम
४०७ प्रकुर्यात्
कूर्म
‘६५५
पुरुषो ह्यञ्जसा
भा
[[७०६]]
प्रकृति मोहिनरें
गो
[[१०६४]]
पुरेह भूमन्
भा
[[१६६]]
प्रकृति विद्धि
मी
५७६, ५८६
पुलकाङ्गोऽति-
भा
[[५४१]]
प्रकृतिः पुरुषस्येह
भा
[[६६४]]
पूजनं तस्य
[[७१५]]
प्रकृतेः परमव्ययम्
हम प
- ५६५
पूजनं वासुदेवस्य
स्कन्द
[[३००]]
प्रख्याहि दुःखे-
भा
[[३२८]]
पूजने केशवस्य
स्कन्द
६६३ प्रजाः सृजेति
भ
[[६६०]]
पूजयध्वं
भा
७६ प्रजाध्यक्ष
भा
३१ अनु, ३३७
पूजयन्त्यच्युतं
स्कन्द
४०० प्रणमेद्बहु-
भा
[[२६४]]
पूजयामश्च
विध
२२५ प्रणयरशनया
भा
१८६ अनु, ५५८
पूजयेत् प्रोक्षणा-
भा
९०३ प्रणवं ब्रह्मणः
पद्म
[[५१४]]
पूजयेदन्यमग्रतः
७१५ प्रणामपूत्रं
गरुड़
-७५२
पूजयेद्वाङ्मनः-
ना प
७१० प्रतिजाने
गो
[[१०६०]]
पूजां तैः
भा
८६३ प्रतिमायां
अग्नि
२६६ अनु, २४६
पूजां द्वादश-
स्कन्द
४३१ प्रतिमा स्वरूप-
नृसिंह
२६० अनु
पूजां यः श्रद्धये-
भा
२४६, ५४६
प्रतिष्ठा जीव-
भा
२८६ अनु
पूजायां चानु-
विध
०६४१ प्रतिष्ठिताच
हय प
[[२५५]]
पूजाय ञ्चानु-
गरुड़
७४६ प्रत्यक् प्रशान्तं
भन
[[५३६]]
पूजा-स्तुत्यभि-
भा
६७० प्रत्यवायो न
गो
[[६४३]]
पूजितं पूज्य-
अग्नि
८७३ प्रस्यहं
स्कन्द
[[६५३]]
पूजितः क्लेशहा
नारद
६३१ प्रत्याक्रष्टु
भा
२६६ अनु
पूजिता संव
विध
पूजितो भगवान्
स्कन्द
पूजितो वा
इ सम्
६१२ प्रत्येष्यतं
४३० प्रथमन्तु
७४४ प्रददाति
भा
[[१०३७]]
[[७०६]]
नारद
[[०६३०]]
पूतना लोक-
भा
३३८ अनु, १००७ प्रधानपरयो
भा
[[१०१६]]
पूयेत तप-
भा
३४८ प्रधानपुरुषेश्वरः
भा
[[६२६]]
पूर्णात् कामा-
भा
२१३ प्रपद्यन्ते नरा-
गी
[[२८२]]
पूर्व्वधम्र्मोऽपि
गौत
२४२ प्रपद्यमानस्य
भा
[[१०७३]]
पूषा प्रपिष्ट-
यजु
१२५ अनु प्रपन्नमनुशाधि
भा
[[१०६८]]
पृथग्भावः
भा
६७६, ६७७
प्रपन्नवरदा-
भा
[[६६१]]
पृष्ठयापि
भा
१०१२ प्रपेदिरे
भा
[[१६६]]
पौण्ड्रादयो
भा
१०३५ प्रभवः प्रलय-
गो
[[५६०]]
प्रकाशन्ते
श्वे
३६, ६२५ प्रभवति चन्द्र
भा
[[५५७]]
३८ ]
[ श्रीश्री भक्तिसन्दर्भस्या
[[
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक नि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
प्रयाणे चा प्रयाणे
पद्म
प्रयाति परमां
पद्म
४५२ प्रातिकूल्य- ४०३ प्रादुर्भाव-
बैत
[[६६१]]
वि ध
२२५.
प्रयुज्यमाने
भा
२१ अनु, ५३६ प्रादेशमात्र
भा
२७ अनु, १७६ अनु
प्रवक्ष्यामि समा-
हय फ
प्रवक्ष्याम्यनसूयके
गो
प्रवरा रस-
भा
प्रविष्टो ब्रह्म
19"
प्रविष्टो भगवानिति
[[27]]
प्रवृत्तश्व
प्रवृत्त्याख्ये
प्रवृद्धभक्तचा
प्रवेश्य विसृजा- प्रवेष्टुञ्च प्रशस्तः सर्व-
प्रसन्नः स्यान्न
प्रसन्नवदना- प्रसह्या कर्षते
प्रसादप्रणवस्य
स्कन्द
बृ नारद
भा
"
[[६६]]
"
[[19]]
नृसिंह
५६७ प्राधान्यतो
१०६२ प्राप्तिश्चंद्यस्य
२५६ प्राप्नुयाद्यत्न-
१४५ प्राप्नुवन्त्येक
[[१४५]]
२६४ प्राप्नोति यक्षयन्ति ६८६ प्राप्य दुष्प्राप-
६५ प्राप्यापि दुर्लभ-
प्राभवं पद-
१४६ प्रायः परं
४६३ प्रायः प्रगल्भया
१८४ प्रायः श्रेयो
ケダ
भ
[[73]]
[[७६८]]
[[१०१३]]
[[17]]
[[७३१]]
ब्रह्मक
[[१८०]]
[[८४६]]
[[१०२५]]
ब्रह्मवै
२६ε
१७६ अनु
भ
[[४७३]]
"
[[३०५]]
[[19]]
१३४, ४८३
८५३ प्रायशः पुण्डरीकाक्ष
[[१०४६]]
३२८ अनु
प्रायश्चित्तं
[[71]]
१२७ अनु
१०३४ प्रायश्चित्तोभवे-
ब्रह्माण्ड
[[६६१]]
तन्त्र
ब८३ प्रायेण मत्र्या
भा
[[८४५]]
प्रसादसुमुखो
इ सम्मु
७३७ प्रायेण मुनयो
भा
[[६६७]]
प्रसादान्नं.
ना प
[[६५६]]
प्रायेण वेद
[[21]]
११० अनु
प्रसीदति
स्कन्द
४३० प्रायेणैकात्म्य-
[[६१४]]
प्रस्तूयते प्रस्थितेन प्रह्लादः स्मरणे
प्रह्लादस्य बले-
प्रह्लादो जनको प्रह्लादो भगवत्
प्राकृतं तामसं
भा
७६३ प्रायोपवेशे
[[71]]
[[१५८]]
वि ध
७८६ प्रारब्धकर्म-
[[97]]
- ५३६.
४७७ प्रासादादिषु
रा च
[[६८८]]
भह
६१३ प्राहास्मान्
पद्म
[[३८७]]
TT
३७५ प्रिय आत्मेश्वरः
भा
[[19]]
२३१ प्रियव्रतस्य
भ
[[६१२]]
भा
३६२ प्रियश्रवस्यङ्ग
"
६१०.
प्राणं पुनाति
gr
१८१ प्रियस्य सख्युः
१०६ अनु, ६३०
प्राणस्य प्राणमुत प्राणान् नियच्छे- प्राणायामादि-
प्राणोपहाराच्च
भा
१३४ अनु
प्रियाः परम-
[[97]]
३२६.
६३१ प्रियाः स्थ भगवान्
"
१८६ अनु, २१६
[[77]]
[[17]]
TH
१६७ प्रिया तथैव
८४ प्रियो हि ज्ञानिनो-
गरुड़
[[८६५]]
गो
[[५६३]]
श्लोकप्र तोकानामनुक्रमणिका ]
[ ३८
श्लोक प्रतीका नि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक नि
ग्रन्थनाम
श्लोकस्नुच्छेवाः
प्रीणनाथ
भा
४६६ बलेन जित्वा भा
प्रीणातु भगवानोशः कूर्म
६५४ बलेनेन्द्रिय-
[[91]]
प्रीणात्य सुर-
स्कन्द
२८३ अनु
बहवस्तद्र्मांत
[[६७]]
[[७६]]
३२१ अनु, १०२७
प्रीतिः स्वयं
भा
[[३७६]]
बहवो मत्पदं
[[29]]
प्रीतिर्न यावन्मयि
[[91]]
१८७ अनु
बहूनि ब्रह्म-
[[91]]
प्रीतिर्मे मनसो
पद्म
[[७८१]]
बह्वायासेन
वैचि
प्रीते हरौ
भा
१०६ अनु
बाधेरन् हरि-
भा
[[७२७]]
[[१२५]]
[[८४२]]
[[७४२]]
प्रीत्युत फुल्ल- श्रीयतां मे
[[19]]
३८१ बाध्यमानोऽपि
[[79]]
१६५.
प्रीयतेऽमलया
भा
२१७ अनु, ४७०
बान्धवाः
विपु
१२२ अनु, १४७ अनु
१७३ अनु, ३०५ ३२५ अनु
प्रीयेत सद्यः प्रोयेऽहं
[[27]]
३७६ बालानामनु-
भा
&&
[[97]]
१०६ अनु बालिशेषु
भा
[[५४४]]
प्रेताः पिशाचाः
वृ नारद
३४१ बिचद्रूपं
भा
[[७७२]]
प्रेममंत्री-
भा
५४४ बुद्धिर्बः क्रियतां
वि पु
[[१०४१]]
प्रेमातिभर-
भा
५४१ बुद्धेः परमुपे-
भा
[[५१३]]
प्रेम्णा हरि
शत
२३४ अनु
बुद्धो नाम्ना-
भा
[[१०१२]]
प्रेयानन्यो-
भा
२१६ बुद्धचात्मना
भा
[[६३७]]
प्रेयान् न ते-
[[81]]
५८६ बुद्धया वा कि
[[७६]]
[[29]]
प्रेष्यान्विता
प्रोक्तेन भक्ति-
भा
३०८ बुध आभजेत्तं
भ
५६ अनु
भा
१३२ बुधो निरुन्ध्या-
भा
[[६७]]
फलमत उपपत्तेः
ब्र स
२०४ अनु
बोधः कलुषित-
ब्रह्मवै
[[६२०]]
फलमिन्द्रादि-
म भा
५० ब्रह्मकोपो-
भा
फलमेवोप-
६४७ ब्रह्मज्ञस्तपते
[[१४८]]
[[१६५]]
[[13]]
वणिज इव ज
भा
६२३ ब्रह्मणः पद्मभू-
ब्रह्म
[[८१२]]
बद्धो मुक्त
भा
७० अनु
ब्रह्मणि भगवति
भा
२२३ अनु
बध्नाति न रति
विध
४३७ ब्रह्मणो हि
गो
११४ अनु
बन्धको भव-
स्कन्द
६१५ ब्रह्मण्यस्य
भा
बन्धनं यान्ति
[[२८८]]
ब्रह्मण्युपशमा-
भा
[[४२८]]
[[६०३]]
बन्ध्यां गिरन्तां
भा
[[११६]]
ब्रह्मण्येऽर्के
भा
[[१०५३]]
बभूविथेहा-
भा
[[६८]]
ब्रह्मण्यो भगवद्-
भा
१८२ अनु
बर्हायिते
भा
[[५७]]
ब्रह्मदण्डं
भा
[[२२७]]
बलि तेभ्यो
पद्म
[[९०६]]
ब्रह्मन् वृत्रस्य
भा
[[३६५]]
बलिवैयासकि-
भा
२७५ ब्रह्मभावेन
भा
३२५ अनु
४० ]
श्लोकप्रतीकानि
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक इनि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
ब्रह्मभूतः
अही
८३ अनु, ८४ अनु, १३४ अनु, २५३ अनु
भक्ति परमया भक्त परां
भ
१४० अनु, २८
भा ११० अनु, २७८ अनु
ब्रह्मरुद्रादि-
के त
२१५, ५६६
२२०, १०७१
ब्रह्मर्षिर्मोक्ष-
भ
[[२२०]]
भक्त लब्धवतः
जा
[[७५५]]
ब्रह्मवर्चस-
[[99]]
३१ अनु
भक्त विधाय
[[३५४]]
ब्रह्मविदाप्नोति
तं
४८ अनु, ८० अनु
भक्त विन्दन्ति
[[12]]
[[७५४]]
ब्रह्महा पि
स्कन्द
* ३६३
भक्तिः परेशा-
[[17]]
२६३ अनु, १०७३
ब्रह्माख्यं
भा
[[१११]]
भक्तिः पुनाति
[[715]]
"
१२८ भनु
ब्रह्माणं वा
ब्रह्म
[[२२१]]
ब्रह्मानन्दो Sexy
भ र सि
२२१ भक्तिः साधन-
२८ भक्तिग्राह्यो
[[६३४]]
नारद
[[६३०]]
ब्रह्मानूचुर्नाम
भा
३५० भक्तियोगं
भा
६८५, ६३५
ब्रह्मा भवो-
२६५ अनु
ब्रह्मायुषोऽपि
[[17]]
कर्म
कूर्म
ब्रह्मव
स्कन्द
भक्तियोगः प्रयो- १०५० भक्तियोगसमन्वितम्
६५५ भक्तियोगस्य तत्
६५४ भक्तियोगेन मनसि ४२२ भक्तियोगेन विन्दति
[[१६]]
भक्तियोगोऽन-
२६४ भक्तियोगो वहु-
"
[[19]]
"
६०६ भक्तियोगो भगवति भा
१०५४ भक्तियोगो यतो
१८५ भक्तियोगोऽस्य
भा
[[11]]
[[११]]
[[६५६]]
TH
ब्रह्मार्पणमनु-
ब्रह्मार्पणमिदं
, ११८ अनु, १७६ अनु
ब्रह्माहमिति
६८५, ६३५,
ब्रह्म ेति परमा-
भा
[[१२६]]
ब्रह्म ेशानादयः
[[६८३]]
ब्रह्म तदद्वितीयं
भा
[[१६०]]
ब्रह्म तद्ब्रह्म-
[[17]]
[[४४]]
ब्राह्मणः क्षत्रियो
स्कन्द
[[४८०]]
ब्राह्मणाः साधकः
भा
१०६ अनु, २१६
भक्तिरव्यभिचारिणी गो
१०५ अनु
ब्राह्मणानां
गरुड़
५११ भक्तिरष्टविधा यस्य
विध
[[६४०]]
ब्राह्मणा येऽप्य-
पद्म
ब्राह्मणा विविदि-
व
७४१ भक्तिरष्टविधा ह्येषा गरुड़, विध ६२ अनु भक्तिरस्य भजनं
७४८, ६४३
गो ता
१६६ अनु
ब्राह्मणे पुक्कशे
ब्राह्मणेष्वपि
भा
[[१०५३]]
२३४ अनु
२६१ भक्तिरेव परं
पद्म
[[१६५]]
F
भक्तक्षणः
म भा
५० भक्तिर्भगवति
भा
[[७४]]
भक्तप्रिया-
भा
२६७ भक्तिभंजन-
ना प
[[८६७]]
भक्तानां
भक्तास्त्वां
ཟྭ ;
४५५ भक्तिर्भवति
अगस्त्य सं
[[१६८]]
११४ अनु, १६६
भक्तिर्भवति गोविन्दे
स्कन्द
[[४३६]]
भक्ता ह्यो कान्तिनो भा
भक्त जनः
N
भा
[[५१०]]
भक्तिर्भवति नैष्ठिकी ६०१ भक्तिर्भवेद्भगवति
भा
[[२४]]
भा
[[८२५]]
[[27]]
१६८ अनुश्लोकप्रतीकानि
भक्तिर्मुकुन्द-
भा
भक्तिर्यथा
पद्म
भक्तिर्यस्य
वृ नारद, पद्म
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ४१
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
३६३ भगवत्परतन्त्रो- ७१२ भगवत्परितोषणम् भा
३२० भगवत्यखिल :-
[[६६४]]
[[६५६]]
पद्म
ि
[[17]]
भक्तिविरक्ति-
P.PRI
१०७४ भगवत्यचलो
[[19]]
भक्तिश्चेन्नव-
भा
४७६ भगवत्यच्युतां
भक्तिहीनस्य
भक्तिहीनो द्विजः
विध
स्कन्द
४१२ भगवत्यपराधिनः १८४ भगवर्त्यपिता-
भक्तेन मम
भक्तेभ्यो भक्त-
भा विध
१७२ अनु, ६७० भगवत्युत्तम-
[[19]]
[[६५]]
[[५१]]
[[29]]
[[२१३]]
वा भा
२८८, ३३६
भा
७५, १४८
[[२४]]
M
३२४ भगवत्सङ्गि-
[[11]]
भक्तस्तु दीपनी
भविष्य
६६५ भगवद्धर्मान्
[[19]]
३६७, ५४५, ७५७
२३८ अनु
भक्तो यस्तव भक्तघा गृहीत- भक्तघा तुतोष
भक्तचा त्वनन्यया
स्कन्द
३६२ भगवद्धर्मिणः
[[21]]
[[12]]
७५६ भगवद्भक्तियोगतः
[[11]]
[[७४]]
[[२६]]
गो
४६३ भगवद्वीर्य्य-
भक्तचा निवेशनं
आ
३७८ भगवद्भावमात्मनः
६१५ भगवन्तं विभावसुम्,,
[[19]]
"
१०६ अनु ५४३
६३ ७५६
भक्तया पुमान्
भा
३४० अनु
भगवन्तं हरि
[[१०४]]
भक्तचा भक्त-
वि र
• ६४५
भगवन्तमधोक्षजम् "
भक्तचा लभ्य-
गो
१४६ अनु
भगवशिन्दया
[[19]]
भक्तया श्रुत-
भा
ing a
१७ भगवाननुवर्ण्यते
[[19]]
[[३१]]
-१०१४
[[१४४]]
भक्तचा संपूजितो
नारद
६३० भगवानात्मभावितः
[[11]]
[[८६१]]
भक्तचा सुलभ्ये
नृसिंह
२०५ भगवानात्ममायया
[[176]]
[[19]]
[[३७]]
भक्त चाहमेकया
भा १४७ अनु, २४१ अनु भगवानिति
"
[[१६]]
भक्त्युद्र केण
भक्तंचकं नारदं
भवत्यैकयेशं
भक्तयोद्धवा-
भगवंस्तक्षका-
भगवच्चरण-
[[19]]
[[19]]
दी
६२ भगवानीश्वरो
[[12]]
[[४१]]
नृसिंह
[[६५]]
भगवानेक
"
[[५०६]]
भा
५६ अनु, ७
भगवान् परमेश्वरः
[[१५२]]
कोर ३८४
[[३८४]]
भगवान् वादरायणिः
"
[[५४६]]
[[१४५]]
[[१४५]]
भगवान् ब्रह्म
[[99]]
६४ अनु, ११५ अनु,
नृसिंह
८५५ 999
२०४ अनु, १८, ४५
भगवच्छेषरूपो-
पद्म
[[99]]
पद्म
भा
भगवत उरु-
भगवतः कर्म- भगवत् कीर्त्तनं भगवत्तत्त्व-विज्ञानं
भा
१७८ अनु भगवान् विशते
५५७ भगवान् सव ५८ अनु भगवान् सात्त्वतां ८१७ भगवान् हरि-
२६ भगो मे
[[19]]
[[८२१]]
[[21]]
[[७२३]]
२०, ६८४
"
[[३४६]]
[[99]]
११८ अनु
४२ ]
श्लोकप्रतीकानि
प्रन्थनाम
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
६३४ भवद्भिर्वेष्णव- पद्म
भज इत्येष
भजतानीहया- भजते प्रकृतिः
भजते मामनन्य-
भजतो माऽसकृन्-
भजन्ति ये यथा
भजन्ति ह्यन्- भजन्ते मां भजन्त्यनन्यभावेन
भजन्त्यनन्यमनसो
भा
"
“1
गो
गरुड़
[[३८७]]
भा
४६५ भवद्विधे-
भा
[[३३७]]
ना प
[[८६७]]
भवन्ति कृत-
[[४५५]]
गी
१६५ अनु ३०४
भवन्ति तादृशा
हय प
[[५६८]]
[[१३२]]
भवन्ति वर्णा-
ब्रह्मवै
[[१८०]]
[[५३४]]
भवन्ति वै
भा
[[१०७४]]
गी
३२ भवन्ति हृत्कर्ण-
५५२ भवपाशाच्च
११ अनु, ४८४
स्कन्द
[[६१५]]
५८५ भवप्रवाहोप-
भा
[[३८३]]
१०६५ भवव्रतधरा
[[२२८]]
भजनपक्वो
भा ५८ अनु, १७३ अनु, ३६
भवान् वै
[[४१८]]
"
भज मां
[[91]]
२६१ भवापवर्गो
[[५२१]]
"
भजेत श्रवणा-
ब्रह्मवै
६०७ भवार्णवं
[[11]]
[[५३०]]
भजे श्वेत-
ब्र सं
६०८ भवितव्यं
[[४४६]]
[[11]]
भद्र पूजा-
भयं तत्त्वा- भयं द्वितीया-
भयञ्चाप्युप- भयादेरिव
भा
[[41]]
६२४ भवेद्भागवतो
स्कन्द
[[२३५]]
७०३ भवेन्मोक्षार्थ-
क्षमो
[[५३२]]
"
५६ अनु, ११४ अनु, ७
भवौषधाच्छ्रोल-
भा
[[७६४]]
सहस्रनाम
[[४४७]]
भस्त्राः कि
[[५३]]
भा
१०६६ भस्मन्येव जुहोति
[[19]]
[[२४५]]
भर्त्तारश्च
कूर्म
१०२६ भाजनं यत्र
वि पु
[[३३४]]
भवं प्रजा- भवत उपासते-
भवतस्तु वृणे
भवतां शासना–
भवता करुणा- भवता दर्शितं
भा
२३१ भारः परं
प्रभा
[[11]]
[[19]]
विध
भा
५२० भावयत्येषः
४७२ भास्करस्य
४१७ भिक्षोर्धर्मः
[[19]]
भवतानुदित-
भवतोबाहुतः
"
भवत्पदाम्भोज- भवत्पदाम्भोरुह-
[[29]]
[[27]]
[[21]]
२५४ अनु
१२६ भीताः शनैः
७७५ भुङ्क्त े हाला-
५३० भुञ्जान एवात्म-
[[१४७]]
१४२ भिद्यते हृदय - भिन्ना प्रकृति-
भिषक्तमं
भा
ཝཱ ཟ༴ ཝྃ 』 ༔ ཕྲ
[[५६]]
२५५ अनु ५१६
१११ अनु
२७, १३३
[[५८८]]
[[५३०]]
[[11]]
३२० अनु
स्कन्द
[[२१०]]
भा
[[६८३]]
भवत्सन्दर्शना- भवद्भिः सत्व- भवद्भिर्लोक-
[[४२८]]
भुवि पुरु-
[[11]]
११ अनु
हरि
[[२३०]]
भूतग्रामाव-
भा
[[२५२]]
"
१०४३ भूतभावोद्भव-
गी
२२५ अनु
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ४३
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
भूतात्मानं
भूतात्मावस्थितः
भूतानि भगवत्या- भूतानि भव्यानि भूतानि यान्ति
भा
२५७ मकारस्तु तयो-
पद्म
२४४ मकाराख्यः स-
पद्म
५१५ १७८ अनु
[[५४३]]
मच्छिष्येः
भा
[[19]]
[[५२३]]
मणिवत् स्यात्
हरि सु
[[७१८]]
गो
२४० मतः पात्र-
भा
[[१८]]
सूतान्यलब्ध-
भा
१०६ अनु
मति सत
[[७६३]]
सूतेषु बद्ध-
भूतेषु मद्भावनया
भूतेषु यदनु-
[[99]]
[[99]]
[[19]]
१४३ मत्कथाप्रीति-
२५० मतिनं कृष्णे
६७० मतिर्न जायते
[[91]]
स्कन्द विध, स्कन्द
१८० अनु ६६३
[[८२४]]
भूतेष्वनुक्रोश-
भूमिरापो- भूरात्मा सर्व- भूर्य्यप्यभक्तो-
भृगुः प्रत्य-
भृगुवर नर-
भेजिरे मुनयो- भेजे खगेन्द्र-
भोक्ता च
[[19]]
गो
[[19]]
५३१ मत्कथावाचक
विधा, स्कन्द
[[२४]]
मत्कथा-श्रवणादौ
भव
१७२ अनु, १७३ अनु
भा
[[६२४]]
[[४८६]]
[[99]]
१७२ अनु, ६७०
मत्कथाश्रवणे प्रीतिः गरुड़
[[७४६]]
[[99]]
[[२२७]]
मत्कथाश्रवणे रतम्
बिध, स्कन्द
[[८२४]]
स्कन्द
१७२ अनु
मत्कर्मकृन्मत्–
मी
[[४६४]]
[[३३]]
मत्कर्म परमो
गो
[[१६२]]
[[99]]
८६ अनु
मत्तः परतरं
मी
११४, अनु, ५६१
गो
२३६, ६५१
मत्तः परावृत्त-
भा
[[३]]
भोक्तुमैच्छन्
पद्म
१०३० मत्तोऽप्यनन्तात्
[[99]]
५३ अनु, ४६०
भोगस्य च
भा
[[६६७]]
मत्तो विन्दत्य-
[[91]]
[[१६३४]]
भोगान् त्यक्त्वा
भविष्य
[[९६८]]
मत्पराः श्रद्दधानाश्च,”
[[७५४]]
भोगैरात्मा-
भा
२७ मत्परौ मत्-
स्कन्द
[[२३६]]
भोजानां
[[19]]
१८६ अनु मत्पुण्यगाथा-
भौतिकं स्वादु-
हय प
भौतिकाश्च कथं
भा
भ्रमद्भिः पुरुषः
ब्रह्मवै
भ्रमन्तः कर्म-
भा
भ्रश्यते सुकृतं
स्कन्द
भ्रश्यन्ति मार्गात्-
भा
भ्रातृहा गुरुहा
स्कन्द
भ्रामयन् सर्व-
गो
५७० मत्सङ्गान्मामुपा
३४२ मत्सराच्च- २७० मत्सेवया प्रतीतं
११२ मत्सेवायान्तु निर्गुणा
ह६२ मत्स्मृतिः
३३५ मथुराञ्च परि-
६५८ मथुरा भगवान् १०५६ मथुरायां
[[19]]
भा
[[19]]
१४७ अनु, १३१
[[७२६]]
पद्म
[[१०३८]]
३०७, ३७७
[[३७५]]
भा
[[७२१]]
आ वराह
[[८६४]]
भा
२८६ अन
३ ॥ वराह
aimeso
मकरन्द लिहां
भा
१५६, ७६२
मदर्थं यद्-
भा
[[६६७]]
मकारश्च ततः
पद्म
५१४ मदर्थमपि
गी
[[१९२]]
88 1
]
श्लोक प्रती का नि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः लोकप्रलोक इनि
[ श्रीश्री भक्ति सन्दर्भस्या
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
मदर्थे धर्म- मदर्थेऽर्थपरि- मदर्पणं
मदीयं महिम- मद्गतेना-
Afte
- १२४ मध्ये पर्वत-
ब्रह्मवै
[[६६६]]
[[६६७]]
मनः कल्पन-
गोता १६६ अनु, २३४ अनु
[[३६१]]
मनः कृष्णे
भा
३२३ अनु, ३२५ अनु
६४, ३७१
मनः स्वबुध्या-
"
[[६३२]]
मीं
[[२८०]]
मनवोऽपि
वृ नारक
[[८१६]]
मद्गुणश्रुति-
भः २२६ अनु. २७८ अनु,
मनसेतानि
भा
[[२६४]]
BTS OP?
[[६७८]]
मनसो धारणो-
भा दी
[[६०]]
मद्धर्म्मणो गुणे-
[[६७३]]
मनसो मनः
वृ
१३४ अनु
मद्धिष्ण्यदर्शन-
-६७० मनसो यन्त्र
मरुड़
[[१७८]]
मद्भक्त एतद्विज्ञाय
गो
१०५ अनु
मनस्त्यक्ष्ये
भा
८६ अनु. १०४४
मद्भक्तः पुरुषो
भा
५५ अनु, ६७४
मनस्विनो
भा
[[३२१]]
मद्भक्तः श्वपचः
मरुड़
[[७४६]]
मनीषा च
THE
[[१३७]]
मद्भक्तः सङ्ग- मद्भक्तजन-
४६४ मनुष्यमिक
मनुष्यमिक
रा च
दक
गरुड़
[[७४६]]
मनुष्य विरुत्
भा
[[३७६]]
मद्भक्तपूजा-
भा २३८ अनु, २४४ अनु
मनोमति-
भा
[[६७८]]
मद्भुक्ता यत्र
पद्म
८२७ मनोनिग्रह-
[[17]]
[[१०४६]]
मद्भक्ति वहाँ मद्भक्तिञ्च यदृच्छया
स्कन्द
३३३ मनो ब्रह्मणि
[[१२२]]
भा
-५०६
५०६ मनोऽभिरमते
पद्म
[[६४०]]
मद्भक्तियुक्तो
१४७ अनु
मनो मय्यपितं
भा
७०, १२१
मद्भक्तियोगेन
[[17]]
२९२ मनो मे रमतां
पद्म
[[६४०]]
मद्भक्तैर्यदवा-
स्कन्द
३३२ मनोरथेना-
मद्भक्तोऽपि न
मद्भक्तो मां
HI
मद्भक्तो यो
पद्म
मद्भक्तो लभतें-
भा
मद्भक्तचापेत- मद्भावः सर्व-
मद्भाव- विमला मद्भावायोप- मद्भावेन मद्य मांस-
[[19]]
[[19]]
[[179]]
"
मन्त्राणामर्थ-
२२२ अनु
भा
[[१०५२]]
मन्त्रेण निरयं
[[६२१]]
पद्म
[[९०७]]
मन्त्रो योगश्च
पद्म
[[५८३]]
मद्याजी
गी
१७३ अनु, १०६०
मन्नामकीर्तन-
15 सं
ब्र
[[४२६]]
मधुर-मधुर-
…fts
२६५ अनु मनिकेतन्तु
PHI
[[३७३]]
४९०, १००६ मनोरुत्तान-
९११ मनोवाक्काय कर्मणा पद्म pr८६० मनोवाक्कायकर्मभिः वि र
१३६ मनोवाक्कायवृत्तिभिः भा १३०, २८७ मन्त्रतस्तन्त्रत-
१०५५ मन्त्रदेवार्चना-
६६५ मन्त्रराजा-
गो, मा १०५ अनु, ६८१
[[17]]
आ
नृ ता
1 भा
ना प
-pion
[[८७७]]
६७ अनु
१०६ अनु
भा
२७२, ३५६
[[31]]
[[६१२]]
[[१६६]]
[[१०५५]]
[[८७५]]
श्लोकप्रतीकानि
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
[ ४५
श्लोकानुच्छेदाः
मन्निमित्तं
पद्म
२६४ मयि संरम्भ-
भा
[[१०३७]]
मन्त्रिष्ठं निर्गुणं
भा
[[३६२]]
मयि सञ्जायते
"
[[६६८]]
मन्मना भव
गो
११५ अनु, १७३ अनु,
मयि सर्वमिदं
गो
[[५६१]]
[[१०६३]]
मयि सर्वाणि
भा
[[१२२]]
मन्मायामोहित-
भा
[[१२८]]
मथि सर्वगुहा-
भा
[[६७८]]
मन्येऽकुतश्चिद्-
भा
६६ मध्यद्धावेश्यते
[[८४८]]
"
मन्ये तदपत-
मन्ये तदेतदखिलं
मन्ये धनाभि-
[[19]]
१८१ मय्यनन्तगुणे
"
[[७५५]]
"
६० मय्यपितात्मनः
[[99]]
[[२६३]]
[[19]]
१०० अनु, ३७८
मर्थ्यापितात्मेच्छति
[[99]]
[[३६०]]
मन्येऽसुरान्
"
३२४ अनु
मय्यावेश्य मनः सम्यक्,
[[१०६]]
मम तादृङ्-
चिन्ता
[[२२२]]
मय्यावेश्य मनो ये गी
[[२००]]
मम तेजो-
गो
[[८०३]]
मय्युद्धव
भा
[[१२४]]
मम नामानि
वि या
७६८ मय्येव प्रविलीयते
[[11]]
[[८५४]]
मम भूत-
गी
[[१०६३]]
मय्येव मन
गी
[[१६०]]
मम माया
गी
८ मरुत्सागर-
हय प
[[५७३]]
मम शास्त्रं
वराह
ममाचर्चना-
वराह
३०० अनु मर्कटोत्प्लव-
६६६ मर्यस्तन्मयता-
भा
२८६ अनु
भा
[[१०२०]]
ममास्ति तेन
पद्म
७११ मर्त्यानां किमुता-
[[19]]
३६७, ५४५, ७५७
ममाहमिति
भा
ममैवांशो
गी
१६८ अनु
मयश्चाथ
भा
मयादिष्ट नपि
भा
[[५८१]]
मय दौ ब्रह्मणे
[[19]]
१२७, २६६, ६३६
मया स्या ह्यकुतो-
"
गो
भा
मर्त्स्न्येनाप्नोति ७२७ मर्यो मृत्यु-
मर्यो यदा मर्यादाश्च ६६० मल्लानामशनिः
६७५ महतां वहु-
१०५ अनु महतामच्युता-
[[99]]
[[६२८]]
[[१३७]]
[[६८८]]
[[91]]
३०६ अनु
विध
१७३ अनु, ४५७
भा
३२५ अनु
मयि कुर्य्यात्
"
[[19]]
[[६७१]]
मयि चानन्य-
[[17]]
[[१४३]]
मयि दृष्टे-
१३३ महत्सेवां
[[17]]
२४७ अनु
मयि निबंद्ध-
"
६६० महदपराधस्य
ना कौ
२६५ अनु
मयि बुद्धि मयि बुद्धि समा-
गी
१६० महद्विमानात्
भा
[[६७२]]
विध
८२६ महाजनो
म भा
[[५२८]]
मयि मां स मयि संगृभिता- मयि संन्यस्त-
[[11]]
भा
७३ अनु
महात्मनां वः
भा
[[८६]]
"
३३७ महात्मानस्तु मां
गो
[[१०६५]]
२६३ महादेवो
ब्रह्माण्ड
[[८०५]]
१०१७ मसद्धीः
भा
४६ ]
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः
महान्तस्ते सम- महापातकनाशनम् महापातकवानपि महापुरुषमभ्य-
महापौरुषिको
भा
[[५३८]]
मामनुस्मरत-
भा
[[८५४]]
तं स त
४३५ मा मां द्रष्टु-
[[11]]
४४६, ५४०
वृ नारद
[[३८६]]
मा मां प्रलोभयो-
"
[[४७१]]
भा
२०२ अनु. ६१६
मामिच्छाप्तु
गो
[[१९१]]
[[19]]
[[७६०]]
मामेकं शरणं
गी
४६४, १०६१
महाभक्तयात्र
स्कन्द
[[६५३]]
मामेकमेव
भा
[[६६०]]
महाभागवतः स्मृतः
पद्म
[[५५६]]
मामेव नैर-
"
६८५, ६३५
महाभागवता नित्यं
स्कन्द
२७२ अनु
मामेव प्राप्नु-
पद्म
[[२३३]]
महाभागेषु मत्-
भा
७५३ मामेव ये
गो
[[८]]
महारौरव-
स्कन्द
७६६ मामेव सर्व-
भा
[[१०५१]]
महाविपत्पात-
वि पु
४४४ मामेवानुत्तमां
गो
[[५६४]]
महिम्नामपि
वृ नारद
८१६ मामेवैष्यसि
गो
[[१०६३]]
महीयसां
भा
३६६, ५२६
माययापहृत-
गो
[[२८२]]
मा ऋचो मा
मां भजन्ति गुणाः मां भजन्तु विचक्षणाः मां भजेत् स माघमास्युषसि
माघस्नानं
"
स्कन्द
भा
८१६ मायाबलं
भा
[[६६७]]
६८२ मायाभिः सन्नि-
[[91]]
[[३३८]]
३६६ मायामनुज
[[39]]
[[१०२२]]
[[11]]
५८१ मायामात्रं तु
ब्र स
भविष्य
६६८ मायामेतां
गो
२६ अनु
[[८]]
स्कन्द
६६७ मायासुखाय
भा
१८६ अनु
मा जोव
७६५ मार्गैर्भाविनि
"
[[६८३]]
मातृवत् परि-
म भा
[[२८१]]
मासं दामोदर-
स्कन्द
[[६४६]]
मातृहा पितृहा
स्कन्द
[[६५८]]
मासं मासार्द्ध-
स्कन्द
[[८६२]]
माधवस्याति-
सौपर्ण
६६६ मा साम पठ
स्कन्द
[[८१६]]
माधवानन्त-
वि पु
४६६ मिथोऽभिपद्य ेत
भा
१८० अनु
मानं जना-
भा
४६८ मिथ्याचारो-
गरुड़
[[७५१]]
मानसेज्या
पद्म
२८३ अनु
मिलितोऽपि
ब्रह्मवै
[[६२४]]
मानसेनोप-
३०६ मुकुन्दचरणा-
भा
[[५४८]]
मानिनो भिन्न-
भा
२५० मुकुन्द लिङ्गालय-
भा
[[६६५]]
मानुषीं तनु-
गी
१०६३ मुकुन्दसेवया
[[27]]
[[१६८]]
मानुष्यं जन्म
ब्रह्मवं
२७० मुक्त नवोप-
अ सं
[[८६२]]
मानुष्यं विबुधे-
ब्रह्मवै
२६६ मुक्तकामाशयं
भा
[[१४६]]
मापत्यबुद्धि-
भा
३२५ अनु
मुक्तबन्धः परं
भा
[[१५३]]
मामनादृत्य
पद्म
३६४ मुक्तसङ्गस्ततो
भा
[[२६२]]
श्लोकप्रतोकानामनुक्रमणिका ]
[ ४७
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
इलो कानुच्छेदाः
मुक्तसङ्गस्य
मुक्ता अपि प्रपद्यन्ते
भा
२६ मूढ़ानां कुटिला-
स्कन्द
[[४३६]]
वा भा
३३६ मूढ़ो भ्रमति
आ वराह
[[८६४]]
मुक्ता अपि लीलया
स मु
११२ अनु
मूर्त्तामूर्त-
हय प
[[५७४]]
मुक्ता एव
स्कन्द
१५ मूर्खाभिमतया-
भा
२०२ अनु, २६२ अनु,
मुक्ताः संसार-
ब्रह्माण्ड
[[८०६]]
२८६ अनु, ६१६
मुक्तानामपि
भा १८६ अनु, २७३ अनु
मूलं तच्चरणा-
भा
२२६ अनु, १७१
२८६ अनु, ३६४
मृतश्चाहं
निरुक्त
१५१ अनु
मुक्ति गताः
गरुड़
[[१०३६]]
मृत्युपाश-
भा
[[५७७०]]
मुक्ति चेतसि
वि पु
[[८४१]]
मृत्युभ्यो न
भा
[[१४५]]
मुक्ति ददाति
भा १४१ अनु, १४७ अनु,
मृत्युसंसार-
गो
[[२०७]]
२३६ अनु
मृत्योः कृत्वैव
भा
[[७७१]]
मुक्तिकृत् स्याद्-
ब्रह्मवै
[[३६६]]
मृत्योमृत्यु-
[[71]]
[[१००]]
मुक्तितीरस्य
विध
९८४ मृदुः शुचि-
भा
[[५७६]]
मुक्तौ किमर्थं
नृसिंह
[[२०५]]
मृषा गिरस्ता
[[८२२]]
मुखबाहूरु-
भा ६७ अनु, १११ अनु,
मैत्रः कारुणिकः
"
[[५८०]]
१४८ अनु, १०५, २६७
मुख्यं दास्य-
पद्म
[[५१८]]
मैत्रया चैवात्म- मंत्र्याभिन्नेन
[[71]]
‘६७१
[[२५७]]
सुच्यते महते- म ुच्यते सर्व्व-
नं स त
४३५ मोक्तव्यं वासरं
स्कन्द
[[६५३]]
वृ नारद
३८६ मोक्षकाम
भा
११५ अनु, ४६
म ुच्यते हरि- मुच्यन्ते यम-
पद्म
७६२ मोक्षयिष्यामि
गी
४६४, १०६१
गरुड़
९३२ मोघज्ञाना
गी
[[१०६४]]
मुच्येत यन्नाम्न्यु-
मुदमभ्येति
भा
११५ अनु
मोघाशा मोघ-
जी
[[१०६४]]
चिन्ता
२२२ मोदते शरणागतः
ह भ वि
[[७००]]
मुनय उपासते
भा
१०३२ मोहादन्य-
म भा
[[२११]]
मुनयः साधु मुनिना गीतया-
[[19]]
१०४३ मोहिता मम
आ वराह
[[८६४]]
[[19]]
७७१ मौनव्रत-
भा
[[४७३]]
मुनिभिस्तत्त्व-
[[99]]
मुनिविवक्षु-
८८७ मौहूत्तिकाद्- ११४ अनु स्त्रियमाणः सम-
[[21]]
[[८]]
"
[[४५३]]
मुनीनां सुर- मुमुक्षवो घोर-
मुमुक्षुस्त्वामुपा-
[[37]]
सौपर्ण
[[६६६]]
स्त्रियमाणस्य सर्व्वथा
[[91]]
भा
११५ अनु, ३२
म्रियमाणैरभि-
[[97]]
[[१५०]]
[[१५२]]
भा
४७१ म्रियमाणो हरे-
मुहूत ध्यान-
गरुड़
मुहान्त्याम्नाय-
भा
४४३ य आशु हृदय-
"
[[४८५]]
८५२ त्रियमाणो ह्यवहित-
[[१५१]]
[[19]]
२८४ अनु, १०२
8= 1
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोकप्रतीकाहि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
य इह यतन्ति
य एतत्
य एषां
इभा
६२३ यजन्ति हि
भा
२७३ अनु
५२७ यजन्ते श्रद्धया-
गी
TY
१०६ अनु, १७३ अनु
[[17]]
१०६, २६८
२३८, ४५८, ६५०
यं ज्ञात्वा-
[[17]]
२७६ यजन्त्यविधि-
गो
२३८, ४५८, ६५०
यं न योगेन
[[19]]
[[७३१]]
यजेत पुरुषं
भा
[[૪]]
यं पापिनो-
गरुड़
[[१०३६]]
यजेत ब्रह्मणः भा
३१ अनु
यं पूर्व
STT
२२६ यजेदीश्वर-
"
[[१०३]]
यं यं वापि
यः करोति स
यः करोति हरेः यः करोत्यन्तरो-
भा
गी
४४८ यजेद्यष्टव्य-
[[६७७]]
५४४ यज्जिह्वाग्र
[[79]]
यः कृष्णः
गौ-त
६७८ यज्जुहोषि
२५६ यज्ञदानादिकं २८५ अनु यज्ञपत्न्यस्तथा-
F
गो
[[19]]
२४७ अनु, ३५०
३१२, ६३८
पद्म
[[१६४]]
भा
[[७२८]]
यः पठेच्छ्रणु-
स्कन्द
यः पठेत्तुलसी-
स्कन्द
६७४ यज्ञश्च दानश्च ६७५ यज्ञाय धर्म-
म भा
[[१८२]]
भा
[[३७६]]
यः पश्येद्भक्ति-
अम्नि
८७३ यज्ञेन दानेन
वृ
१८० अनु
घः पूज्यः
ना फ
यः प्रीति-
पद्म
[[७६७]]
७११ यज्ञेशाच्युत
यज्ञः संङ्कीर्तन-
१.वि पु
[[४६६]]
भा
२७३ अनु
यः स मामेति
गो
४६४ यज्ञैश्च विविधैः
असं
[[१६८]]
यः सेवेत्
आ वराह
६८० यज्ज्ञात्वा नेह
गी
[[५८७]]
यः स्मरेत्
गरुड़
१७३ अनु
यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसे- गी
[[१०६२]]
यक्षाणाञ्च
पद्म
६०७ यतः ख्याति
पद्म
[[७६४]]
यक्ष्यन्ति पाषण्ड-
भा
८४५ यतः सर्व्व-
स्कन्द
[[३१४]]
यक्ष्ये विभूती-
भा
२३२ यतन्तश्च
गो
१०५ अनु
यच्च ज्ञान-
हय प
६१० यतस्तद्विषया
भा
[[७८०]]
यच्च ते परमं
हय प
६१० यतीनां विष्णु-
वृ नारद
यच्च व्रजन्त्य-
भा
८४ अनु
यतीनान्तु शतं
नृ ता
[[४१४]]
१०६ अनु
यच्चातिप्रिय-
भा
६२९ यतो न भय-
भा
[[६०४]]
यच्छक्यं तदुदीरय
विध
७८५ यतो भक्ति-
भा
यच्छन् प्रिय-
भा
१००८ यतो वस्ते
ब्रह्माण्ड
यच्छौचनिःसृत-
भा
११३ अनु यतो विन्देत
भा
यच्छ्रद्धयाप्त-
भा
८७० यत् करोषि
गो
यच्छ्रीर्वाचाँ
भा
२६६ अनु
यत् कर्मभिर्यत्-
भा
यच्छ्रोतव्यम्
भा
३० अनु
[[१०]]
[[८०७]]
[[८३६]]
३१२, ६३८
१३२ अनु, १७२ अनु,
१७६ अनु, ३२८ अनु, १३५
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ४६
श्लोक प्रतीका नि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
यत्किञ्चित्
यत्कृतः कृष्ण-
यत्तटस्थन्तु
स्कन्द
६४८ यत्स्पर्द्धया
पद्म
[[१६४]]
भा
[[१०४३]]
यत् स्यात् सर्व्वत्र
भा
[[२६५]]
यत्तपस्यपि
ना प गी
[[५७७]]
यथाकर्म यथा-
भा
[[१२८]]
३१२, ६३८
यथा काञ्चनतां
त सा
[[६४४]]
यत्तीर्थबुद्धिः
भा
१६० अनु, ७३५
यथा कृष्णापित-
भा
[[३४८]]
यत्ते सुजात-
भा
३२० अनु
यथा खममला-
भा
[[१०५१]]
यत्त्वं पृच्छसि
भा
[[७७०]]
यथा गङ्गाम्भसो-
भा
[[६७८]]
यत् पत्यपत्य- यत्पादनिःसृत-
भा
३२० अनु
यथाग्निः सुसमिद्धा-
भा, पद्म १४७ अनु, ३४४ ३४५
भा २६५ अनु, २८३ अनु
यथाग्निना हेम-
भा
[[२६२]]
यत्पादपङ्कज-
भा
[[७१]]
यथाचरति
भा
[[५४२]]
यत्पादसेवा-
भा १७२ अनु, ६१६,८५८
यथाञ्जसान्वीयु-
भा
[[६६]]
यत्प्रमाणं
भा
[[२२६]]
यथाञ्जसा पुमान्
भा
[[१०४५]]
यत् प्रह्वणाद्-
भा
३४६ यथा तरोर्मूल-
यत् प्रीणन द्
भा
[[३७६]]
भा ६२ अनु, १०६ अनु, ११५
अनु, १३१ अनु, १७३ अनु, २४५ अनु ८४
यत् फलं
स्कन्द
[[७२४]]
यथा तुदन्ति
भा
यत्र क्व वाभद्र-
भा
३६ यथा त्वच्चरणाम्भोजे भा
यत्र न चन्द्रमा-
नृ ता
२८६ अनु
यथा त्वामरविन्दाक्ष भा
[[२५३]]
१०६८.
[[१०६६]]
यत्र न दुःखादि
यत्र न दोषः
لدم لله
नृ ता
२८६ अनु
यथा देवे
श्वे
नृ ता
२८६ अनु
यथाद्रिप्रभवा
भा
यत्र न मृत्युः
नृ ता
२८६ अनु
यथाधिकारो
आ
यत्र न वायु-
नृ ता
२८६ अनु
यथा नियुक्तो-
गौत
३६, ६२५.
[[६५३]]
[[८७४]]
२३६ अनु
यत्र न सूर्यो
नृ ता
२८६ अनु
यथा पदाङ, गुष्ठ-
भा
६१६, ८५८
यत्र नाग्नि-
नृ ता
२८६ अनु
यथा भक्तिर्ममो-
भा
[[१२६]]
यत्र पूजा-
वृ नारद
[[३४०]]
यथा भक्तचा हरि- गरुड़
[[६३३]]
यत्र यत्र मही-
स्कन्द
८२३ यथा भक्तेचश्वरे
भा
[[१०२३]]
यत्र रागादि-
इ समु
५२४ यथा यजेत
भा
[[६८६]]
यत्र संङ्कीर्त्तने
भा
८५३ यथा यथात्मा
भा
१४७ अनु, १३१
यत्रानुरक्ताः
भा
२६६ यथा यथा हरे-
नृसिंह
यत्रोत्तमश्लोक-
भा
७६३ यथा यैरञ्जसा
भा
यत् शश्वदात्म-
भा
१५७ यथालब्धोप-
भा
[[३१७]]
[[६१]]
२८६ अनु
यत् सत्यमनृते-
भा
१३७ यथालाभेन
भा
यत् साधोऽस्य
भा
४१८ यथावरुन्धे
भा
यत्सेवया
भा
७३३ यथावर्णविधान
भा
[[१०००]]
२४१ अनु, ७२०
६ अनु, २३४ अनु
५० ]
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
यथा विधि-
अ सं
८६२ यदि कृष्णकथा-
भा
१५६, ७६२
यथा विप्रमुखे
भा
[[७२३]]
यदि वास्यसि
भा
[[४७२]]
यथा वैरानु-
भा
३२४ अनु, १०२०
यदि देवं
[[१०११]]
यथा समस्त-
वृ नारद
[[१७०]]
यदि प्रयास्यन्नृप
भा
२८ अनु
यथा सिद्धरस-
आ
७१३ यदि मां प्राप्न-
ब्रह्मवै
[[१८०]]
यथाहम खिला-
भा
१०४४ यदि वेदाः
यथा हरेर्नाम-
भा
७८७ यदि वोऽस्ति
वि पु
यथा हरौ भगवति
भा
[[३२६]]
यदीयते तत्र
भा
६४ अनु
१०४१ १८६ अनु
यथा हि पुरुष-
भा
८६ यदीश्वरे भगवति
भा
६१, ६४४
यथाहि यूयम्
भा
५८ अनु यदुत्तमश्लोक-गुणा- भा
[[८२०]]
यथेच्छसि
गी
१०५८ यदुत्तमश्लोकयशो-
२६६ अनु
"
यथोत्तमश्लोक-
भा
६६६ यहुच्छया-मत्-
[[11]]
१७२ अनु, १७३ अनु,
यथोपश्रय-
[[७५६]]
[[४८०]]
यदंशविद्धा
१३४ अनु
यदृच्छयेशः
१७६ अनु
[[11]]
यदक्षरं
यदङ्घ्रिमूले यदत्र क्रियते
गी
भा
१७६ अनु
यदृच्छा स्वैरिता अमर
१८१ अनु
[[६१७]]
यदेतत्तत् सव्वं
उप
[[१०७५]]
"
६५६ यदेष सर्व-
भा
[[58]]
यदनुध्यासिना
तदन्यत्रापि
यदसौ भगवन्नाम यदहं चोदितः
"
२१ यदैकपादेन
[[४४५]]
[[12]]
[[७४०]]
यदैव त्वं
स्कन्द
[[२६४]]
"
[[४५३]]
"
यद्गृह्यमान-
भा
५६, ४२७
[[19]]
[[६३]]
यदुलभं
गरुड़
[[१७८]]
यदाग्नेयोऽष्टा-
यजुः
-१२५ अनु
यद्धर्म्मो यादृशो
भा
• ५४२
यदा जिहासु-
भा
६३१ यद्भागवत-
भा
[[५१]]
यदा तुष्टोऽसि
स्कन्द
२६३ यद्भुङ्क्त े
मत्स्य, भविष्य
T
[[६५७]]
यदात्मा पृष्ट-
भा
यदा नेच्छति
विध
यदा पुण्यानि
विध
यदाप्नोति
यदा यस्यानु- यदा स्वनिगमे- यदाह भागवतं
यदाहाराय
यदा हि महापुरुष-
भा
ब्रह्माण्ड
भा
वि पु
८३४ ययज्जनो
भा
"
१४१ यद्भूतं
४८८ यद्यचिन्त्य महा-
४८८ यद्यच्युते भगवति
८६१ यद्यदिष्टतमं
६८६ यद्यद्धि कुरुते
१२० अनु यद्यद्भुतक्रम-
ल भा
वा भा
[[३६८]]
२८८, ३३६
ना को
[[७८३]]
भा
[[४६८]]
[[99]]
२६५ अनु, ६२६
२२४ अनु
६६० यद्यद्विभूति-
६ अनु
यद्यनीशो
भा
गो
TH
भा
[[३०२]]
[[८०२]]
११२श्लोकप्रतीकानि
विध
[[७८४]]
यद्वाक्यतो
यद्वा फलानां
यद्वासुदेवं
यद्विभेति यन्त्रारूढानि
[[५०३]]
[[६५५]]
[[५३६]]
[[६५७]]
[[11]]
[[३४६]]
श्लोकप्रती करनामनुक्रमणिका ]
[ 29
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
यद्यन्यन्न समा-
यद्यप्यन्यधियः
यद्युज्यते यद्येतदखिलं
यन्न सुतप्त
यन्त्र स्वधीतं
यन्त्र सन्ति द्रब-
यन्नामधेयं स्त्रियमाण भा
यन्नामधेयश्रवणा-
』་ ཝ ཟ ཕོ』, ༄གླ མྦ
५०५ ययोत्तानपदः
६५२ यल्लोकपालो ३७२ यश ऐश्वर्य्य-
भा
[[७७१]]
[[19]]
[[६८]]
[[६७६]]
[[99]]
यशः श्रियामेव
भा ६५ अनु, ६६ अनु, १५५
यशो भगवतो-
[[199]]
२५४ अनु
यश्चंतत् परया
जा प
[[६०६]]
यश्चोपदेशः
पद्म
१७३ अनु, ७६६
४१० यष्टव्यं देवता-
वि या
[[८६६]]
१०५६ यस्तन्नामोप-
वि ध
ε४२
६५८ यस्तु नारायणं
बँ त
२१५, ५६६
यस्तु पूजयते
पद्म
[[४०३]]
१२० यस्तु विष्णु ८४६ यस्तुत्तमश्लोक-
म भा
[[२११]]
भा
[[७६१]]
वस्ते उल्लङ्घ्य
४६०, १००६
यन्नाम विवशो
१५५ अनु, ४१०
यस्त्वङ्ग गायति
भा
[[८२५]]
यन्नामश्रुति-
६८७ यस्माच्चरु
३१० अनु
यन्नाम सकृच्छ्रवणात्,”
यन्नाम-स्मरणा-
यन्निबद्धो-
पद्म
४११, ७५८ यस्मादेव
४५२ यस्मिन्नहिसो-
गरुड़
[[४६२]]
भा
[[२६६]]
भा
१०१८ यस्मिन् व्यस्त-
वि पु
[[८४१]]
यन्मूहूर्तं
यन्नृलोक- यन्मयं वं
यन्मया कृष्ण
यन्मित्रं परमा-
यम इति लोक-
[[99]]
[[19]]
१९१३ यस्मिन् म्लेच्छे-
गरुड़, विध
७४८, ४७
*१७ यस्य चेतसि गोविन्दो
विध
[[८४०]]
स्कन्द
६५२ यस्य चेतसि सम्भवः
भा
[[५५३]]
भा
३०६ अनु यस्य देवे
श्वे
५ अनु, ३६, ६२५
वि
fa g
पु
३१६ यस्य प्रसन्नो
भा
[[३५७]]
नृसिंह
३६६ यस्य प्रसादजो
यमादिभि-
यमाहाध्यात्मिकं
भा
१६८ यस्य यत्सङ्गतिः
2 ho
[[१४०]]
PPP D
ह सु
[[७१८]]
भा
७३ यस्य यल्लक्षणं
भा
[[७४०]]
यमेन नियमेन
[[६७१]]
यस्य श्रद्दधता-
[[७६०]]
[[17]]
ययाच अनम्य
[[19]]
[[३२३]]
यस्य साक्षाद्भगवति "
[[६२८]]
ययात्मा सुप्रसीदति
"
५८ अनु, १०
यस्य स्मृत्या
स्कन्द
[[३१३]]
यया संलभते
[[19]]
[[६२]]
यस्य स्यान्मति-
इ समु
४०६, ६८५
यया सर्वमवा-
गरुड़
[[६३३]]
यस्यां खलु
भा
[[१४४]]
ययेदं धाय्र्यते
गी
५७६, ५८६
यस्यां न मे
[[११६]]
५२ ]
[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्था
श्लोक प्रतीकर्मन
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीक इनि
ग्रन्थनाम
श्लोकानु च्छेबहः
यस्यात्मबुद्धिः
यस्यावतार-
यस्यास्ति भक्ति-
मा १६० अनु, २८५ अनु, ७३५
या वं साधन-
मोक्ष
१७६, ६५९
भा
[[४१६]]
या हि कार्यस्य
१७६ अनु
भा ४ अनु, २२८ अनु, २७२
याहि सर्वात्म-
भा
[[६६०]]
[[३५६]]
युक्त चतुर्भुजं
भा
[[६२८]]
घाः सम्पय्र्यचरन् यागादेव
भा
[[१०२८]]
युक्तः परः
भा
२ε
याति वैकुण्ठ-
यातुधाना
यात्यधः सुकृता-
भा
ཚ སྠཽ རྞྞ ;
४७ युक्तमाक्रन्दितं
गरुड़
[[८५२]]
[[१९४]]
युञ्जन्तो योगिनो
भा
[[१०४६]]
७२५ युञ्जानाना-
भा
[[१६७]]
८०१ युवतीनां
पद्म
[[६४०]]
या दुर्गा
मौत
२८५ अनु
युवां महं
भा
३२५ अनु
यादृशं वा
भा
[[१०६६]]
युष्मत् प्रसङ्ग-
भा
[[२७३]]
याना स्थाय
भा
१२५ अनु, ६४२
यूनाञ्च युवतौ
पद्म
[[६४०]]
यानीह विश्व-
भा
[[८२५]]
यूयं द्विजाग्रया
भा
[[१५७]]
या नैर्वा पादुक
आ
३०० अनु
यूयं भक्तचा
भा
[[१०३३]]
यान्ति तद्वेष्ण कं
मरुड़
७०२ ये च तान्
भा
[[२२८]]
यान्ति देवव्रता
मी
२४० ये चान्ये
पद्म
यान्ति मयाजि-
मी
२४० ये चान्वदः
भा
[[७३६]]
यात्यञ्जसा–
भा
६६१ ये चाप्यक्षर-
[[१६६]]
या प्रीति-
वि पु
[[६३६]]
येऽच्युतं
ब्रह्म
[[६६६]]
या भक्तिः
भा
[[६७६]]
ये जनाः पय्र्यु -
गो
४५७, ४६६
यावज्जनो
पद्म
२६६ ये जना नृपति-
गरुड़
[[६३३]]
यावज्जीवं सम-
हय फ
२५५ ये त त्वदीय–
तु
भा
[[७५६]]
यावज्जीवन्तु यत्-
स्कन्द
२३७ ये तु नेच्छन्त्यपि
भा
[[४७४]]
याक्त
भा
३३१ अनु ये ते पद-
भा
[[५२५]]
यावत् पापस्तु
ब्रह्मव
५ ये त्यक्त
हय प
[[५८२]]
यावत् पृथकृत्व-
भा
६९७ ये त्वक्षर-
गो
[[२०१]]
यावदाहूत-
१०११ ये त्वब्जनाभ
भा
[[७३६]]
TH
यावदिन्द्रा-
विर
६४५ ये त्वात्मराम-
भा
१०६ अनु
यावन्न जायेत
भा
४३ ये ध्यायन्ति
ना स्त
[[१००५]]
यावत्र वेद
भा
२५४ येन कर्म-
अग्नि
[[२४७]]
यावन्नार्चयते
गरुड़
४६२ ये न कुर्वन्ति
स्कन्द
[[६६२]]
यावानर्थो
भा
१०६७ येन केनाप्यु-
वृ नारद
[[८५३]]
यावान् यश्चास्मि
भा
५८५ येन चात्मा
भा
[[६३]]
श्लोकप्रतीकानि
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ ५३
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
येन जन्म-
८४३ यैलिङ्ग-
भा
[[५४२]]
येन त्वय्याविशे-
भा
[[१२६]]
योगं तेनैव
[[17]]
[[७३]]
ये न भक्ता
पद्म
७४३, ६१६
योगः सन्नहनो-
२२६ अनु
येन येना-
भा
३३८ अनु योगक्षेमं
गो
४५७, ४६६
येनातिव्रज्य
[[12]]
६८१ योगचर्य्या
भा
येनात्मा मे
"
४४६ योगमाया-
गो
येनात्मा सुप्रसीदति भा
१०४३ योगान्तरायान्
भा
१०४५ ३१६ अनु
[[७०४]]
येनाचितो
पद्म
[[३५८]]
योगाय सांख्य-
"
येनाचर्चा
विध
[[४१७]]
योगास्त्रयो
ये नृशंस ।
इ समु
[[४०४]]
योगिनः परि-
ये नृसिंह
नृसिंह
८२६ योगिनः पर्यु-
येऽन्ये च पापा
येऽन्ये मूढधियो येऽन्येऽरविन्दाक्ष येऽप्यन्यदेवता-
भा
[[१८८]]
योगिनां नृप
[[17]]
[[७३०]]
योगिनां परमं
[[19]]
१२१ अनु, २८६
योगिनां ब्रह्म-
गी, भा २३८, ४५८, ६५०
योगिनां हृदये
[[६५२]]
योगिनामपि
पद्म गो
ཁྐྲ་ ་ རྐ ཀྐ མ ་ -
[[३७६]]
[[४७८]]
वि रः
[[८५७]]
१११ अन्
३१८, ७६१
[[१५०]]
[[६६]]
[[८२७]]
[[२८०]]
ये प्रायशो-
भा
[[२०४]]
योगिनो व
वा भा
[[२८६]]
ये भविष्यन्ति
विध
[[४१६]]
योगिनो वै मदा-
भा
१३४, ४८३
येsयिथता-
भा
१६५ अनु, २६८
योगिभिर्दृश्यते
पद्म
[[१०३८]]
ये मे तनु- ये यथा मां
भा
१०६ अन
यो गुरुः
वा क
[[७०७]]
गो
३२५ अनु
योगेन दान-
भा
[[१३५]]
येऽर्चयिष्यन्ति
गरुड़
[[९३२]]
योगे यः
वि पु
[[१७५]]
ये वा मयोशे
भा ५३ अनु, १८७ अनु
योगेश्वरै-
भा
[[६२६]]
[[५३८]]
योगो यागो
[[५६०]]
ये वै भगवता
भा ५६ अनु, २१७ अनु,
योग्यता शास्त्र-
[[६४८]]
३२२ अनु, ६३५
यो न द्वेष्टि
भा
[[५५०]]
ये शास्त्र-
येषां किमु येषां गुरौ
गो १०६ अनु, १७३ अनु
यो न भक्त–
स्कन्द
[[३६२]]
भा
[[४६०]]
यो न सर्व्वेश्वरे
गरुड़
[[२८४]]
वैत
८७६ योऽनादृतो
भा
१११ अनु, २४६ अनु
येषां त्वन्तगतं
गी
५५२ यो नार्च्चयति
म भा
[[२८१]]
येषां वैष्णव-
पद्म
येषामहं
भा
यैराश्रितो न
ब्रह्मवै
३८८ योऽन्तवहि
३१० अनु योऽन्यत्र कुरुते
२६६ योऽन्यदेव-
भा
[[१०५०]]
आ वराह
स्कन्द
[[८६४]]
२०६, २१०
५४ ]
श्लोकप्रतीकानि
योऽन्यद्व्रत-
यो भिनक्ति
कूर्म
भा
गो
ब्र सं
भा
यो मन्त्रः
यो मां सम- यो मां सर्व्वेषु यो मां स्मरति
यो मानुष- योऽमायया
विध
बा क
७०७ रतिः स्यादन-
२४३ रतिरात्मन्
स्कन्द
भा
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
९४६ रञ्जितं गुण- ४८७ रति बध्नाति
ना प
[ श्रीश्रीभक्ति सन्दर्भस्य
श्लोकानुच्छेदाः
[[५७७]]
[[८६६]]
[[१०६८]]
[[19]]
१८, ४५
२४५ रतिरासो
[[19]]
[[७३३]]
५०८ रमस्व
[[19]]
३२० अनु
४२६ रमादिसर्व-
ना प
[[६५६]]
२८३ अनु
रमेऽनेन
भा
[[६६६]]
यो मे भक्तचा
गी, भा ३१०, १०३६
रवेर्दीपमिवा-
भा
[[३८०]]
यो यजेत
भा
[[७२१]]
रसः स्याद्-
हय प
[[५७१]]
यो यज्ञपुरुषो
विपु
[[१७५]]
रसरूपं
हय प
[[५६६]]
यो यो मयि
भा
१४८ अतु, १०६६ रसवद्भौतिकं
हय प
[[५७१]]
योऽरोचयत्
भा
[[१०४८]]
रसस्य योगतो
हय प
[[५७०]]
यो वक्ति न्याय
ना प
७१६ रसायां
भा
[[१७१]]
यो वदेद्-
गरुड़
७५२ रहूगण त्वमपि
भा
[[८५]]
यो वा ऐतद्-
वृ
६२ अनु
रहूगणतत्तपसा
भा
[[५३७]]
यो विद्याद्विष्णु-
ना प
७१० राक्षसाः परि-
वृ नारद
[[२८५]]
यो विद्वान्
भा
[[६०४]]
राक्षसीमासुरी–
गो
[[१०६४]]
यो विष्णु
गरुड़
[[७४७]]
राक्षसी रुधिरा-
भा
[[१००७]]
यो वृणीते
भा
[[१०२६]]
रागादिदूषितं
विध
[[४३७]]
योऽसौ भगवति
भा
६ अनु, २३४ अनु
रागान्धो राजसः
भा
[[३७४]]
योऽसौ मयाविदित-
भा
[[६८१]]
रागेणाकृष्यते
विध
[[८२६]]
यो हिमां
ब्रह्म
[[२२१]]
राजन् यदग्र-
भा
[[६१८]]
रकारादीनि
पद्म
[[७८१]]
राजपुत्र
[[७६५]]
रक्तास्तन्मातरो
भा
[[१००८]]
राजविद्या
गो
३३२ अनु
रक्षणीयः
ना प
[[८६५]]
राजसं फल-
भा
[[३६१]]
रक्षया कृतया
विध
[[४२०]]
राजसयेन
भा
[[२३२]]
रक्षिष्यतीति
वै त
[[६६१]]
राजसेवकयो-
भा
[[४६७]]
रजस्तमः प्रकृतयः
भा १०६ अनु, ३३, ७२६
राजा च
वृ नारद
[[३४०]]
[[2009]]
रजस्तमः स्वभावस्य
भा
[[३६५]]
राजान्नभक्षणं
वराह
३०० अनु
रजस्तमश्च सत्त्वेन
भा
[[७०६]]
राजेवर्त्त
स्कन्द
[[८११]]
रजो वैकल्पिकन्तु
भा
३६२ रामनाम-
पद्म
७८ १
रज्यन्ति जन्तव-
पद्म
३५८ राममन्त्राः
रा च
[[८८०]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ५५
श्लोक प्रतीकानि
प्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
रामस्य जनका-
गरुड़
८६५ लोकाननुचर-
भा
[[५३३]]
रामेण सार्द्धम्
भा
२४२ अनु लोकान् सर्व्वान्
भा
[[६८५]]
रुक्षाक्षरन्तु
रुजं द्रावयते
गरुड़
ब्रह्माण्ड
७५२ लोके विप्र-
पद्म
[[७४२]]
८०५ लोकोऽयं
भा
[[६२६]]
रुद्रः क्रोध-
भा
[[१४०]]
लौकिकं
ला प
[[८६४]]
रुद्रजापक-
नृ ता
१०६ अनु
वक्ता सरांगो
ब्रह्मवं
‘६०५
रुद्रस्तस्मा-
ब्रह्माण्ड
८०५ वचनं परि-
वं त
[[८७६]]
रूढ़ियोंग-
१२८ अनु
वचांसि
भा
[[६६४]]
रूपभेद-
भा
२६० वचोभिश्चित्त–
भा
[[७६]]
रेमे विद्या-
भा
८४ अनु
वचो विभूतीर्न
भा
[[७६०]]
रोचनार्था
भा
१०१ वज्रञ्चापि
गरुड
[[३४३]]
रोपिता यैस्तु
स्कन्द
८६७ वत्स ते
भा
[[६३]]
लक्षणं भक्ति-
भा
६७६ वदन्ति कृष्ण
भा
१४७ अनु, १२५
लक्षांस्तान्
ब्रह्मवै
२७० वदन्ति तत्तत्व-
भा
[[१६]]
लब्धवान्
भा
[[२२०]]
वनन्तु सात्विको
भा
[[३७३]]
लब्धानुग्रह-
भा
२८३ अनु, ६१६
वनमालिनि
चिन्ता
[[२२२]]
लब्धोपशान्ति-
भा
६३२ वनलतास्तरव
भा
१८८ अनु
लभते निश्चलां
भा
१२४ वन्दन्त्यचन्तु -
भा
[[२१७]]
लभते मयि
भा
[[७२१]]
वपुरादिषु
आल स्तो
ह६३
लवनिमिषार्द्ध-
भा
११५ अनु, ५५६
वयन्तु साक्षाद्-
भा
१०६ अनु, ६३०
लाभो जीवेत
भा
१४ वयन्त्विह महा-
भा
[[११२]]
लाभो मद्भुक्ति-
भा
११८ अनु
वयमपि ते
भा
[[१०३२]]
लिङ्गानि विष्णोर्न भा
५७ वयमेकान्तिनः
विध
[[२२४]]
लिप्यन्ते व
इ समु
४०५ वरं पश्च
विध
[[४१२]]
लोलया चित्-
हय प
५६३ वरं प्राण-
हथ प
[[२५५]]
लीलाकथा–
भा
११६, १३६
वरमेकं
भा
[[२१३]]
लेभे गति
लीलावतारानुरतः भा
लीलावतारात् पुरुषस्य भा
लोलावतारेप्सित- भा
भा
२५५ अनु वरांस्त्वं वरद-
भा
[[४७२]]
७६८ वराकाणामना-
ब्रह्मवे
[[२७१]]
११६ वरैर्लोक-
भा
[[४६१]]
१०७० वर्गस्वर्गा-
भा
[[६१४]]
लोकनाशाय
ब्रह्मवै
६०६ वर्जनीयाः
बराह
[[६६६]]
लोकवत्तु
ब्र सू
३२० अनु वर्णाश्रमविभाग-
भा
[[१६]]
लोकाचारो
ना प
८६५ वर्णाश्रमाचारतपः-
भा
[[१५५]]
२६ ]
श्लोकप्रतीकानि
वर्त्तमानञ्च
[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
ल भा
३६८ वासुदेवः समा-
[[८४३]]
वर्षापः सागरं
पद्म
२३३ वासुदेवकथारुचि-
भा
२२. ३७०, ८६०
बर्षे वर्षे
स्कन्द
६६७ वासुदेवकथासु यः
भा
[[१२]]
ववन्दे पर -
भा
[[२३१]]
वासुदेवपरं ज्ञानं
भा
[[३५]]
बश कान्तौ
अमर
१५२ अनु
वासुदेवपरं तपः
भा
३५.
वशे कुर्वन्ति
भा
२४१ अनु, ६६०
वासुदेवपराः क्रिया-
भा
[[३४]]
वस्त्रोपवीता-
भा
२६५ अनु, ६११
वासुदेवपरा गतिः
भा
३५.
वहिरन्तरपाः-
भा
[[१०५१]]
वासुदेवपरा मखाः
भा
[[३४]]
बाक्शरीर-
विध
७८५ वासुदेवपरायणाः
भा, इ सम् ३०६, ३४७, ५२४
बागदुष्टा
विध
[[४३८]]
४३८ वासुदेवपरा योगो
भा
[[३४]]
वाचं यच्छाम्य-
भा
१४६ वासुदेवपरा वेदा
भा
६४ अनु, ३४
वाचस्तु नस्तुलसि -
भा
२६६ अनु
वासुदेवपरो धर्मो
भा
३५.
वाच्यत्वं
हय प
[[५७२]]
वासुदेवमजं
कमं
[[१०२६]]
वाजपेय-
वृ नारद, पद्म
[[३२०]]
वासुदेवस्य कारिता
विध
[[४१७]]
वाञ्छतोऽपि
भा
[[५०४]]
वासुदेवे परे
भा
[[१०१३]]
बाञ्छन्ति ये
भा
१६५ अनु
वासुदेवे भगवति
भा
११, २८, ४४, ६२
वाञ्छन्त्यपि मया
भा
[[५१०]]
वासुदेवेक-
भा
[[५५३]]
बाणीयं वेद-
भा
११५ अनु, १२७
वासुदेवो न
वि पु
[[३१६]]
२६६, ६३६
वासोऽलङ्कार-
भा
११०, ६८६
वातवसना
भा
१११ विकर्म यच्चोत्- भा १७२ अनु, ३१२ अनु, ४६३
वानप्रस्थ-
नृ ता
१०६ अनु विकम्र्म्मणा
भा
[[१००]]
वापीषु विद्रम-
भा
३०८ विक्रीड़ितं
भा
११० अनु, १०७१
वायव्यं सौम्य-
पद्म
८६६ विक्रीणीते
विध
[[४२४]]
वायौ मुख्य-
भ
ε२६ विक्रीतस्य
भवि
[[६६२]]
वारुणी दिग्-
कि पु
३८५ विग्रहं कृत्वा
स मु
११२ अनु
वार्त्ता भवन्तुयत
भा
४७३ विघ्नायुतेन
विध
[[४४०]]
वार्त्तायां
भा
१०६७ विघ्नो यत्र
वि पु
[[८४१]]
वार्त्तासुधा-
पद्म
२६६ विचरेज्जड़-
भा
[[११४]]
वाष्पगद्गदया
भा
३५६ विचारः सम्प्रवर्तते
ब्रह्मवै
[[५०१]]
वासुदेव एव
भा
२२२ अनु
वासुदेवं जगन्नाथं
स्कन
विचारपरि-
१००२ विचारेऽपि कृते
म प्र
[[८८२]]
ब्रह्मवै
[[५०१]]
वासुदेवं परित्यज्य
स्कन्द
२०६, २१०
विचार्य्यं च
स्कन्द, पद्म, लिङ्ग २७५ अनु,
वासुदेवः प्रतापः
ब्रह्म
[[२२१]]
१६४, ३०१
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोक प्रतीकानि
विजितहृषीक- विज्ञान-वैराग्य- विताय लोकेषु वित्तं त्वतीर्थी- वित्तेष्वात्मनि
[ ५७
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
क
भा
"
[[११८]]
६२३ विप्राणां सततं
७६० विप्राद्विषड़- ७६० विप्राश्च वृद्धाश्च-
विप्रो राजन्य-
[[५६१]]
भा
१११ अनु, १८१
"
[[६५७]]
"
[[४४३]]
"
५५५ विबुधोत्तम-
"
[[४४६]]
६७१ विबुध्य भक्तंचव
[[11]]
१६ε
विदधति पाप-
[[11]]
विदधे भय-
२५६ विमन्यवः
[[11]]
विदन्तस्ते सन्तः
ब्र सं
९०८ विमुक्तकर्मा-
"
५३८ ८४६
विदेहानां
भा
१७६ अनु
विमुखा ये
"
[[१८६]]
विद्धि भागवतान्
भा
६३५ विमृश्येतद-
गी
[[१०५८]]
विद्याधरा
भा
७२६ विरक्तिमन्यत्र
भा
[[६६८]]
विद्यायज्ञा-
ब्रह्मवै
८३१ विरमेदस्य
भवि
[[६६२]]
विद्या वा तपसा-
भा
१३०, २८७ विरिञ्चिश्च
ब्रह्माण्ड
[[८०८]]
विद्या सन्धिः
६२२ विले बतोरु-
भा
१०८ अनु, ५५
विद्वान् युक्तः
गी
५०२ विविक्तक्षेम-
भा
[[६६५]]
विधत्ते हागदं
भा
६६ विवेकज्ञैरतः
ना प
[[८६५]]
विधिना मां
भा
६०२ विशतः संसृता-
भा
[[४४]]
विधिनोपचरे-
भा
[[१०२]]
विशन्ति सर्वतः
भा
[[६५३]]
विधुनोति
[[19]]
[[२३]]
विशिष्टः सर्व्व-
स्कन्द
[[३३०]]
विनानन्दाश्रु-
[[17]]
३८६ विशुद्धस्य
म भा
[[२५१]]
विना मत्सेवनं
विना महत्पाद- विनायकानीकप- विनिन्दन् देव- विनिर्धु ताशेष-
[[99]]
[[11]]
६८० विशुद्धा नृप-
भा
[[७५]]
५३७ विशेषनामानि
ब्रह्म
[[८१२]]
[[39]]
[[759]]
३३५ विशेषाच्चार्चयेद्-
ना प
[[६५०]]
कुर्म
[[716]]
२४३ विशेषेण
सौपर्ण
[[६६६]]
भा
६१७ विश्वं पुरुष-
भा
[[८०४]]
विनैव दीक्षां
रारा च
विनैव न्यास-
रा च
८८१ विश्वात्मना यत्र
८८१ विश्वात्मनीक्षेन्न
[[19]]
[[६६]]
[[19]]
[[५८६]]
विनैव भगवत्-
पद्म
१००६ विश्वात्मा भगवान्
[[१४०]]
विनोपसर्पत्य-
भा
२०८ विश्व देवा
पद्म
[[६००]]
विन्दते तत्- विन्दन्ति ते विपर्य्ययस्तु
[[19]]
१०२१ विश्वेश्वरे द्रष्टरि
भा
[[४३]]
[[99]]
१७३ विश्वेश्वरोऽयं
चिन्ता
[[२२३]]
[[11]]
विप्रं कृता-
[[39]]
५०७ विषयस्नेह-
७५० विषयानभिसन्धाय
ब्रह्मवं
[[४२२]]
भा
[[६७६]]
५८ ]
श्लोकप्रतीकानि
विषयान ध्यायत-
विषयाविष्ट- विषयेषु विषज्जते
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
भा
वि पु
८५४ विष्णोः पादो- ३८५ विष्णोः सर्व-
भा
[[58]]
वि या
२६५ अनु
भा
८५४ विष्णोराराधनं
पद्म
[[७३४]]
विषयेष्वनपायिनो
वि पु
विषयैरजिते-
भा
६३६ विष्णोराराधनादिषु पद्म
३०५ विष्णोरेकैक-
[[६३६]]
पद्म
३६५ अनु
विषर्नाभि-
भा
३०५ विष्णोनिवेदिता-
वि या
[[८६६]]
विषयोत्थन्तु
[[19]]
३६६ विष्णोर्नैवेद्य-
स्कन्द
[[७२४]]
विषीदन्त्य-
विष्टभ्याहमिदं
“1
गो
१०४६ विष्णोर्भक्तो
नारद
[[१८७]]
३३० अनु
विष्णोर्भुञ्जोत
ब्रह्माण्ड
[[६६५]]
विष्णु यो नोप-
[[114]]
गरुड़
१६८ अनु विष्णोर्माया-
भा
[[५५०]]
विष्णु सम्पूज्य
स्कन्द
३३१ विष्णोर्वा
पद्म
[[२४८]]
विष्णु सर्व्वेश्वरे-
भा
१०२६ विष्णोश्च कारणं
गरुड़
[[७४७]]
विष्णुञ्चेद्भजते
पद्म
[[३८७]]
विष्णो सन्निहितो
हय प
२८६ अनु
विष्णुपादोदके-
वि या
[[८६६]]
विष्णोस्त्रैलोक्य-
गरुड़
[[८६५]]
विष्णप्रीत्यं
स्कन्द
[[८३२]]
विष्णो च
वृ नारद, वै त ५६८, ८७
विष्णु भक्तस्य
अग्नि
२४६ विष्णौ धाय्र्य-
भा दो
[[६१]]
विष्णुभक्त
गरुड़
[[६३३]]
विष्णौ भक्ति
पद्म
[[१६६]]
विष्णु भक्तिपरो
अग्नि, विध२८३
विष्णौ सर्व्वे
पद्म
[[२४८]]
विष्णु भक्तिरता-
पद्म
[[३५३]]
विष्ण्वचर्चनं
गौत
[[६५६]]
विष्णुभक्तिवशं
हय प
. ५८२
विष्ण्वावेशः
वि पु
[[३८५]]
विष्णुभक्तिविहीनानां वृनारद, पद्म, स्कन्द १७२,३१६
विष्वक्सेनं गुरुन्
भा
[[६०३]]
विष्णुभक्तिविहीना ये
वृ नारद
[[१८६]]
विष्वक्सेन- गजा-
पद्म
[[८८]]
विष्णुभक्तिविहोनो यो नारव
[[१८७]]
विसर्गः कर्म-
गो
२२५ अनु
विष्णुभक्तिसमा- स्कन्द, गरुड़ १८५, ७५१
विसृजति
भा
[[५५८]]
विष्णुभक्तो विशिष्यते
गरुड़
५१२ विसृज्य
भा
३३१ अनु
विष्णुमन्त्रं
हरि
२३० विस्मर्तव्यो
पद्म
१६३, ३२४
विष्णुमु द्दश्य
स्कन्द
६४८ विहराम्यमुनै-
भा
[[१०००]]
विष्णुरेव
स्कन्द
६१५ विहाय चिन्तामणि
चिन्ता
[[२२३]]
विष्णुलोकं स
विष्णुलोकच्युतो
भविष्य
મ
६६८ विहितं
मसिंह
[[८५५]]
स्कन्द
६५८ वीक्षते जाति-
इ समु
[[७४५]]
विष्णुशक्तिः
वि पु
५७५ वृंहणाद-
ब्रह्माण्ड
[[८०८]]
विष्णशास्त्र-
कूर्म
८७८ वृणीत आय
भा
[[८५६]]
विष्णु सामान्य- व त
२१४ वृणीमहे
भा
[[६५८]]
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
श्लोकप्रतीकानि
वृथायुः वृषपर्वा
ब्रह्मवै
भा
[ ५६
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
FR १८० वैशिष्टय
भा दो
[[६२]]
७२७ वैश्याः शूद्राः
भर
[[७२६]]
वेत्स्यस्यतु-
[[99]]
६४, ३७१
वैषम्यमिह
भा
[[१०१७]]
वेदगुह्यो वेदत्रयात्मकं
हय प
[[५६४]]
वैष्णव ज्ञान
ना प
[[७१०]]
पद्म
[[५१४]]
वैष्णवः खं
भा
[[६२४]]
वेद दुःखा-
भा
१२२ अनु, ४८१
वष्णवत्वं लभे-
आ वराह
[[२२६]]
वेदधर्म-
१०११ वैष्णवत्वमिहो-
पद्म
‘५८४
वेदप्रणिहितो
भा
२२५ अनु
वंष्णवाः शक्ति-
पद्म
[[२३३]]
वेदविद्वेषि-
व नारद
२८५ वष्णवानां महा-
स्कन्द
३६७, ७६६
वेदाक्षराणि
८१४ वैष्णवानां यथा
भा
१०६ अनु
चेदे च
भा
८६१ वैष्णवानां सह-
गरुड़
[[५१२]]
वेदेनाचोदितानि
भा
८६३ वैष्णवानाञ्च निन्दया
स्कन्द
DE
[[६६२]]
वेदेषु च
ब्रह्माण्ड
८०६ वैष्णवानामति-
सौपर्ण
[[६६६]]
वेदोक्तमेव
भा २१७ अनु, २२४ अनु,
वणवा नार-
म प्र
[[८८२]]
[[१०१]]
वष्णवान् नाभि-
स्कन्द
[[८००]]
वेदोऽखिलो
मनु
६४ वैष्णवान् परि-
इ समु
[[१७३७]]
वेद्मि नास्याः
विध
[[४२१]]
वैष्णवा वीत-
इ सम्
४०.५
वेद्य वास्तव-
भा
५८ अनु
वैष्णवी वर्तते
स्कन्द
[[८२३]]
वैकुण्ठनाम-
भा
४५० वैष्णवे चाव-
स्कन्द
[[४३०]]
वैकुण्ठपुर-
[[11]]
३१६ अनुः वैष्णवेन सदा
बराह
[[९६६]]
वैकुण्ठभवनं नीतौ स्कन्द
२३६ वैष्णवे बन्धु-
भा
[[६२६]]
वैकुण्ठभुवनं नरः
पद्म
६२३ वेष्ववेष्वपि
रा च
[[८८०]]
वैकुण्ठाच्च
पद्म
८६३ वैष्णवो यदि
गौत
[[६५६]]
वैकुण्ठाधिपति
हय प
५६३ वैष्णवो यद्गृहे
पद्म
वैदिकस्तान्त्रिको भा
जि
[[३८८]]
६०२ वैष्णवो वर्ण-
पद्म
[[७४२]]
वैदिकस्य च
तन्त्र
[[८८३]]
वैष्णवो वाथ शैवो
सौर
वैदिकानामपि
पद्म
[[६०४]]
वैष्णवो वाथ सौरो
विध
२६६ अनु २६६ अनु
HOPE
वैयासे ये
भा
[[३४२]]
व्यजनः सम-
भा
वैराग्य सारं
भा
[[६६]]
व्यञ्जयन्त
भा
वैराग्येण वैरेण पूत-
[[29]]
[[६६३]]
व्यपोह्य देहा-
[[99]]
"
[[१०२२]]
व्यर्थापि दुःख-
[[99]]
वरेण यं वैवस्वतं
[[19]]
[[१०३५]]
व्यर्थोऽपि नैवोप-
Fe
[[19]]
T
१०४० १८८ अनू
[[२६६]]
[[६६७]]
[[11]]
१४८ अनु व्यवहर्त्ता’श्च
रा च
[[३]]
हदद
६० ]
श्लोकप्रतीकानि
[ श्री श्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि ग्रन्थनाम
इलोकानुच्छेदाः
व्यसनशता-
व्याख्या - रहो-
व्याख्या-स्वाध्याय- व्याधः कपोत्तो
व्याधः कुब्जा व्याध मा जीव
व्याधयश्च
भा
"
[[६२३]]
शाठ्येनापि
स्कन्द
[[३६१]]
[[४७३]]
शान्ताः सन्नचासिनो भा
[[१११]]
T
$9
:७३१
[[७३१]]
शान्ताः समदृशः
भा
[[६६१]]
[[१३८]]
शान्ति नश्यित
[[17]]
[[८३६]]
७२८ शाब्दे परे
भा
२३८ अनु, ६०३
७६५ शारीरा मानसा
भा
[[३४२]]
बृ नारक
- ३४०
३४० शालग्रामशिला यत्र
स्कन्द
२८६ अनु, २२
व्यापकः सर्व्व-
हय प
५६४ शालग्राम शिलार्चनम् स्कन्द
[[६७७]]
व्रजतः काल-
ना फ
७१६ शालग्रामसमीपे
व्रजन्तं पर-
२६० शावौ करौ
पद्म
भा
[[६२७]]
[[५६]]
व्रजन्ति तच्चरण-
भा
व्रजन्ति तत्
भा
व्रजन्नंन्द्रों
वि पु
व्रजामि शरणं
वि पु
व्रतानि चेरे
४८ शिक्षन् भक्तया २६६ शिक्षेद्गुर्व्वात्म- ३८५ शिरसो वापि ३३४ शिरो हृषीकेश-
शिलाबुद्धिः
भा २३८ अनु, २६६ अनु
२१७ अनु
[[17]]
२१७ अनु, ६१८
हय प
[[२५५]]
भा
[[६६६]]
अग्नि
२८६ अनु, २४६
व्रतानि यज्ञ-
AT
[[७२०]]
शिवः पन्थाः
भा
[[२२६]]
व्रतानि वै
म भा
१८२ शिवः सुखा-
ब्रह्माण्ड
[[८०७]]
व्रतोपवास-
अ सं
[[१६८]]
शिवस्य श्रीविष्णोर्य
पद्म
[[७६४]]
शक्तास्तु निग्रहं
स्कन्द
[[३६७]]
शिवे च परमे-
वृ
व नारद
[[५६८]]
शक्तिद्वारेण
६४७ शिष्यो विष्णु-
आ
[[७१३]]
शक्तौ फलादि-
विया
६५१ शीतं भयं 296
भा
[[७५६]]
शङ्खचक्र-गदाधरे
स्कन्द
[[३१४]]
शीर्णा यदेते
वि पु
[[४४४]]
शङ्खचक्र-गदाम्बुजेः
भा
६२८ शुकमुखा-
भा
२५७ अनु
शङ्खचक्राद्यूर्ध्व-
पद्म
५८४ शुक्लाकृष्णा-
वि या
[[६५१]]
शङ्ख- पद्मनिधी
पद्म
दह
शुक्ला वा यदि
मत्स्य, भविष्य
[[६५७]]
शतजन्मार्जितं
स्कन्द
३९१ शुक्लेनेज्येत
भा
[[८७०]]
शतभागं
विर
८७६ शुचि-शुक्र-
गरुड़
ε३२
शब्दब्रह्मणि
भा
११५ शुचिश्रवाः
भा
[[३२७]]
शमो दम-
मु टो
शमो मन्निष्ठता
भा १७७ अनु, २७२ अनु
१८३ शुद्धं वाशुद्ध-
शुद्धसत्त्वमयं
पद्म
[[४२६]]
[[134]]
हय प
[[५६६]]
शरणं तं
शश्वच्छान्ति
गरुड़
[[७०२]]
शुद्धां भागवत
भा
३२१ अनु, ५३६
गो
१७३ अनु
शुद्धान्तः करणो
पद्म
[[४०२]]
शश्वन्मदनु-
भा
३०६ अनु, ६६६
शुद्धे तन्नाम्नि
पद्म
२४८श्लोकप्रतीकानि
शुद्धयादिक- शुध्यन्ति तस्मै
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ६१
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
स्कन्द
भा
८३९ श्रद्धालुहढ़-
भा
[[४८२]]
१८८ श्रद्धालु मंत्-
[[27]]
[[१२३]]
शुध्ये द्भक्तघा
[[99]]
३८६ श्रद्धावान्
गी
[[२८०]]
शुभ क्रिया-
शुश्रूषोः श्रद्दधानस्य
पद्म
भा
[[७६६]]
१५३ अनु, १७१ अनु,
श्रम एव हि श्रमणा ऊर्ध्व-
भा
[[१२]]
[[19]]
[[१११]]
२०२ अनु, ३४० अनु,२२, ३७०, ८६०
श्रमस्तस्य
"
[[११५]]
शूद्र वा
इ समु
[[७४५]]
श्रवणं कीर्त्तनं विष्णोः
"
शूद्राणाञ्चैव
२१७ अनु, ४७५
पद्म
९३८ श्रवणं कीर्तनञ्चास्य
शूद्रो वा शृणु देवि
"
५८ अनु. १११ अनु
स्कन्द
[[१८५]]
१४८ अनु
पद्म
६६४ श्रवणादर
भा दी
[[६२]]
शृणु
मे
शृण्वतः श्रद्धया
शृण्वतां स्वकथाः
शृण्वतो देवि
བླླ ་ ལྷ ཟ,
१०५६ श्रवणेन विशेषतः
स्कन्द
[[६७६]]
८२१ श्राद्धञ्चैकादशी-
वि या
[[६५१]]
२३ श्रावितो यच्च
भा
[[१४२]]
[[७८१]]
श्रिया युक्तो
ना प
[[१००१]]
शृण्वन्ति गायन्ति
भा
२४२ अनु, ७२२
श्रिया होनेन
भा
[[१०२७]]
शृण्वन्ति गायन्ति शृण्वन् सुभद्राणि
[[३८३]]
श्रियैश्वय्य-
[[19]]
[[३३]]
"
१८७ अनु, २१७ अनु,
श्रीभागवता-
[[19]]
[[७७६]]
२६३ अनु, ६८
श्रीमते विष्णवे
पद्म
[[५१७]]
शोचे ततो चोच्यान् धर्म-
भा
१८६ अनु
श्रीमकिरीट-
भा
[[१०४८]]
भा
६१४ श्रीमत्त लस्या
भा
[[६६५]]
शौक़-सावित्र
"
७८ श्रीमदूजितमेव
गो
[[८०३]]
श्रद्धया तन्निबोध
[[19]]
६८६ श्रीमद्भागवते
भा
[[७७८]]
श्रद्धयात्मा प्रियः
भा
१४७ अनु श्रीमन्नारायणः
पद्म
[[५१६]]
श्रद्धया परयो-
गी
२०० श्रीरुकारेण
पद्म
[[५१५]]
श्रद्धया मोदयेद्-
अग्नि
८७३ श्रील-रूप-
म
[[१]]
श्रद्धया यतत-
भा
७४ श्रीवत्सकौस्तुभ-
भा
२२३ अनु
श्रद्धया यस्तु
वि या
७६८ श्रीविष्णुपद्या
भा
[[५८]]
श्रद्धयोपाहृतं
भा
१७२ अनु, ६७०
श्रीविष्णोः श्रवणे
[[४७७]]
श्रद्धां भागवते
भा
१०६ अनु
श्रीश्च तत्पक्ष-
पद्म
[[५१६]]
श्रद्धान्वितोऽनु-
भा
[[१०७१]]
श्रुतं पुरा
भा
[[१५८]]
श्रद्धामृत-
भा
३०६ अनु, ६६६
श्रुत-धन-कुल-
भा
[[६७१]]
श्रद्धा यावत्र
भा
४८६ श्रुतमप्यौप-
पद्या
श्रद्धा रति-
[[१२०]]
भा
४८४ श्रुतमात्रगुणं
भा
[[६७३]]
६२ ]
श्लोक प्रतीकानि
श्रुतमात्रोऽपि
श्रुतसम्भृतया श्रुतस्य पुंसां
श्रुतिं चकारा- श्रुतिरेषा
भा
भा
[[19]]
[[19]]
पद्म
श्रुति स्मृति-पुराणादि- व्र या
श्रुति - स्मृति-पुराणोक्त- या म
१०३४ श्वपचोऽपि महीपाल नारद
६६२ श्वपाकमिव
१६२, ७७३ श्वपाकानपि
६६४ श्वलाङ्गुलेनाति- ६३६ श्वविड़ वराहो-
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोका नुच्छेदाः
१११ अनु, १८७
पद्म
[[७४२]]
भा
१२८ अनु
[[२०८]]
[[५४]]
"
८८६ श्वसञ्छ्वो
[[५८]]
[[39]]
३१२ अनु
श्वादोऽपि
[[29]]
[[३४६]]
श्रुति स्मृती ममैवाज्ञे
४६०, १००६
षड़ भिर्मासो-
स्कन्द
[[७२४]]
श्रुतेन तपसा
भा
[[७६]]
षड़ वर्गनक्र-
भा
[[७२]]
श्रुतोऽनुपठितो
भा
१४८ अनु, ३११
षडू विधा शरणा-
वै त
[[६६२]]
श्रुत्वापि नाम- श्रुत्वा विकाश-
पद्म
[[७६१]]
स आदि-
भा
१०६ अनु
ब्रह्मवै
[[६०८]]
स उत्तम-
[[७७५]]
"
श्रेय सृति
श्रेयसामपि श्रेयसामुत्तमं
श्रेयांसि तत्र श्रेयोभिरितरै- श्रेयोभिविविधै-
श्रेयो वदन्त्य-
श्रोतव्यं श्रुत- श्रोतव्यः कीर्ति-
श्रोतव्यादीनि
भा
५ अनु, ७१ अनु,
स एव भक्ति-
[[६८१]]
[[19]]
१७६ अनु, ११७, २०६
स एव साधुषु
[[93]]
[[७३२]]
"
[[८१]]
स एवेदं
[[३७]]
"
६३६ स ऐक्षत
वृ
२६ अनु
"
२६ संक्लेशनिर्वाण-
भा
[[३२८]]
[[19]]
१३५ संगीयतेऽ
भा
[[७६१]]
१६६ संनियम्येन्द्रिय-
गी
[[२०२]]
"
१२८ संन्यस्तदण्डः
भा
[[८५]]
[[19]]
[[६८६]]
संपृष्ट वा
कर्म
[[८७८]]
भा
२०, ४१, ४७, ३२५
संप्रचरत्सु
भा
२२२ अनु
३४६, ६८४
संप्रश्नैविवृतं
भा
[[६६१]]
[[99]]
४० संप्रश्नविवृतं
भा
६४, ३७१
श्रोतव्यो मन्तव्यो
व
७ अनु
संप्राप्त
स्कन्द
[[८६७]]
श्रोत्रस्य श्रोत्रं
श्रौताः स्मार्त्ताश्च
श्रौतेन जन्म-
श्लाघ्योऽहं
श्लोकपादस्य
व
१७४ अनु, १४४ अन
संप्रीयते
भा
स्कन्द
१७२ संयान्त्यपा-
भा
[[४१६]]
भा
४४७ संरम्भभय-
भा
[[१०२१]]
वि पु
[[१०४१]]
संरम्भी भिन्ना-
भा
[[६७५]]
ना प
७११ संराधितो
भा
[[६५]]
श्वपचादप-
स्कन्द
[[२६४]]
संवत्सरं वा
स्कन्द
[[८६२]]
श्वपचों वन्दते
स्कन्द
[[२०६]]
संवत्सरस्य मध्ये
आ वराह
[[६७६]]
श्वपचोऽपि भवत्येव स्कन्द
[[२६३]]
संश्रितः प्रति-
ब्रह्म
[[४३२]]
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ६३
श्लोक प्रतीकनि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
संसरत्विह
भा
१०३ अनु
सङ्गो यः
भा
[[७३२]]
संसारघोर-
न सं
४२६ सचन्त इति
पद्म
[[६०१]]
संसारधम्मै-
भा
५५१ स च पूज्यो
गरुड़
७४८,७४६
संसारसिन्धु-
भा
८६ अतु, ११६, १३६ सच्चिदानन्दलक्षणम् हय प
[[५६६]]
संसारहेतु-
भा
६ सच्चिदानन्दविग्रहः हय प
[[५६२]]
संसारेऽस्मिन्
स्कन्द
३०० सच्छास्त्रपरि-
भा
[[२२८]]
संसिद्धिर्हरि-
भा
१६ स जहाति
भा
[[८६१]]
ससेवया
भा
६०१ स जीव
ना प
[[५७७]]
संस्तुतः
भा
५४ सज्जतेऽस्मिन्
भा
[[५५४]]
संस्थापन-
आ
६१४ सज्जातिधार्मिक-
स्कन्द
[[१८४]]
संस्पन्दते
भा
३८२ सज्ञानी
गरुड़
[[७४८]]
संस्पृष्टो दहति
ब्रह्मवै
३६६ सञ्जाताः सर्व्वतो
हय प
‘६७४
स कर्त्ता सर्व्व- सकल निगम-
सकलीकरणं
स कारणं
स्कन्द
३६२ सततं कीर्त्तयन्तो
गो
१०५ अनु
२६५ अनु
सतां निन्दा
पद्म
[[७६४]]
आ
६१५ सतां प्रसङ्गा
भा
११ अनु, २०२ अनु
श्वे
१७८ अनु
३४० अनु, ४८४
सकृत् कुर्य्या- सकृत् पूजां सकृदपि परि-
ना प
[[६०६]]
सतामपि
भा
[[४५६]]
वृ नारद
४०१ सत्वं यद्ब्रह्म-
भा
[[३०]]
स्कन्द
१७२ अनु सत्त्वं रजस्तमः
भा
सकृदुच्चारयेद्-
पद्म
४०२ सत्वं विशुद्धं
भा
१०६ अनु, २६ १८६ अनु, ३१
सकृदेव प्रपन्नो
रा. गरुड़
४०८, ४०६ सत्वश्ञ्चोपशमेन
[[19]]
[[७०६]]
सकृद्यदङ्गः
भा
३१७ अनु
सत्वस्य शुद्धि
[[97]]
१५६, ८५०
सकृन्मनः
भा
[[३६५]]
सत्त्वात् सञ्जायते गो
स कृपणः
वृ
६२ अनु
सत्वेनासङ्ग-
भा
१७४ अनु
[[६७०]]
सक्त कामेषु
भा
[[४७१]]
सत्यं विशत्य-
भा १४१ अनु, २१८ अनु, १७७
सखा गुरुः
भा
३१० अनु
सत्यं परं
भा
११४ अनु
सखापि ते
भा
११४ अनु
सत्यं शतेन
विध
[[४४०]]
सख्यमात्म-
भा
४७५ सत्यसारोऽन-
भा
[[५७८]]
भा
स गुणः सङ्कल्पः कर्म-
सङ्कीर्य शुचिता-
सङ्गिनां सङ्ग- सङ्गेन साधु-
[[19]]
“1
ब्रह्मवै
वृ नारद
३८६ सत्रयाजिसहस्र ेभ्यः गरुड़ २०० अनु सत्रयाजी विशिष्यते गरुड़
[[५०७]]
सत्याच्युतानन्त- पद्म
[[८८]]
८६३ सत्यास्तिक्ये
मु टी
[[१८३]]
४३६ सत्योक्त तव
स्कन्द
[[885]]
[[५११]]
[[५११]]
-६४ ]
श्लोकप्रतीकानि
सत्सङ्गमो यह
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
भा
५२१ सन्दर्शयतु
पद्म
[[७१२]]
सत्सङ्गलब्धया
भा
७३ अनु
सन्ध्ये सृष्टि
ब्रस
- २६ अनु
सत्सङ्ग -शास्त्र-
ब्रह्मवै
६ सन्ध्योपास्त्यादि-
भा
[[८६३]]
सत्सङ्गेन हि
भा
७२५ सन्निधानाद्-
अ
[[७१३]]
सत्. से बनी यो
भा
[[६८]]
स पापिष्ठो
का सं
[[४२५]]
सस्त्रियः
भा
२४१ अनु, ६६०
स पाषण्डीति
षद्म
[[६४६]]
सदसद्र पया
भ
[[३७]]
[[३७]]
स पाषण्डी भवेद्-
वैल
२१५, ५६६
सदसृचषीणां
भा
१५८ सप्तद्वीपैक-
भा
[[७३६]]
सदा तद्भाव- सदा तिष्ठति सदा तिष्ठन्ति
गो
४४८ सप्तमं मुनिभिः
पद्म
[[८६६]]
स्कन्द -
३९३ स भक्तः
भा
२४६, ५४६
८४३ स भवति
भा
[[५५८]]
सदा राधा- सदा सर्वत्र
स दुर्गति- सदृशोऽस्ति स देवो
१०७५ स भवेद्ब्रह्म-
[[२६०]]
स्कन्द, पद्म, विध २७३ अनु
सभाजयन्
भा
[[१०५२]]
[[७१५]]
समः प्रियः
भा
१३४ अनु
भा
६६ समः सर्व्वेप-
भा
[[५७८]]
सद्बुद्धिः
ब्रह्म ब्रह्मवै
[[४२३]]
समतीतं
विध
[[४१५]]
५ समत्वेन यजेत
भा
[[६२७]]
सद्यः क्षिणोत्य-
भा १७२ अनु, ६१६, ८५८
समत्वेनैव वीक्षेत
वं त
२१५, ५६६
सद्यः पुनाति
भा
[[३११]]
समदृक् पण्डितो
भ।
[[१०५३]]
सद्यो नश्यति
पद्म
४५२ समदृग् विचरस्व
भा
[[१०६]]
सद्यो वन्दे
स्कन्द
[[३१३]]
समन्ताद्दश-
ब्रह्म
[[८६१]]
सद्यो हृद्यव-
भा
१ अनु, ७७८
समबुद्धया
वृ नारद
[[५६८]]
सद्वेषादिव
भा
p
३१२ अनु
सममतिरात्म-
वि पु
[[५६६]]
सध्रीचीनो मतो
भा
[[१०५५]]
समयांश्च
ना प
२६६ अनु
सध्रीचीनो ह्ययं
भा
१२१ अनु, १६१
समशीला
भा
[[३३]]
सनकादयो
नृसिंह
7 ६५ समस्तदुःखा-
भा
[[६६८]]
सनत्कुमारो
भा
७३ समाधिनानु-
भा
२५४ अनु, २७६ अनु,
सन्तप्यमानस्य
भा
[[७०१]]
[[३२७]]
सन्तमात्मान-
भा
२४५ समाधेविरतो
भा
१०६ अनु
सन्तानार्थश्च
स्कन्द
५९५ समाप्यते
भा
[[३२८]]
सन्तुष्टा श्रद्दधत्ये-
भा
१००० समाराध्य
आ वराह
[[२२६]]
सन्तुष्टोऽभू-
पद्म
६६४ समुद्भूताश्च
पद्म
[[१०३१]]
सन्तोऽनपेक्षा
भा
२४७ अनु स मुनिः
विध
[[६४३]]
श्लोक प्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ६५
श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
स मे
युक्त-
गी
२८० सर्वकर्मफल-
गी
[[१६३]]
स मोहः
वि पु
३१६ सर्वतो मन आकृष्य
भा
[[८४८]]
समोऽहम्
गो
१०६ अनु
सर्वतो मनसो-
भा
२१७ अनु
सम्पर्काद्-
पद्म
४०३ सर्वत्रगमचिन्त्यञ्च
गी
[[२०१]]
सम्प्रत्यमर्षो
भा
१०१५ सर्वत्र देव-
वं सत
[[६०२]]
सम्प्राप्त वासरे
स्कन्द
[[६६२]]
सर्वत्र सम-
गो
[[२०२]]
सम्बन्धाद्-
भा
१०३३ सर्वदा केशव-
स्कन्द
[[६४८]]
सम्भवन्ति हि
भा
७५३ सर्वदुःखो-
वृ नारद
[[५००]]
सम्भावयति यो
का सं
४२५ सर्वदेवमयेश्वरम्
भा
[[६५२]]
सम्मुखीकरणं
आ
६१४ सवं देवमयो गुरुः
भा
[[६२७]]
सम्मुखे नोप-
स्कन्द
४३१ सर्वधमवहिष्कृतः
स्कन्द
[[६४६]]
सम्मोहाय सुर-
भा
१०१२ सर्वधर्मोज्झिता
पद्म
[[४६८]]
सम्मोहिता
भा
२६८ सर्व धर्मान् परि-
गी २३६ अनु, ४६४, १०६१
सम्यक्कारुणिक-
भा
६३ सर्वपापक्षये
आ वराह
[[२२६]]
सम्यग्व्यवसितो
गो
३०४ सर्वपापविनाशाय
स्कन्द
[[६६७]]
स यजमानो
भा
२२२ अनु सर्वपापविनाशिनी
भविष्य
[[६६५]]
स यत्र क्षीराब्धिः
ब्र सं
६०८ सर्वभावेन
गी
[[१०५७]]
स याति नरकं
कूर्म, इ समु
२४३, ७४५
सर्वभूतहिते
गो
[[२०२]]
१०११ सर्व भूतानुरञ्जनाः
भा
[[६६१]]
स याति विष्णु-
इ समु
४०७ सर्वाम्
भा
३३१ अनु
स योग-
भा
१५७ अनु सर्वयज्ञेषु
नृसिंह
[[६८२]]
सरसं सार-
ब्रह्मव
६०७ सर्वलोकैक-
गरुड़
[[८६५]]
सरस्वत्यां
सरागो लोलुपः
सर्व एव यजन्ति
भा
६६० सर्व वेदमयो
भा
[[६३]]
ब्रह्मव
६०५ सर्व वेदान्तपारगः
गरुड़
[[५११]]
भा
६५२ सर्व व्याधि-
व नारद
[[५००]]
सर्व एव वयं
भा
१०१४ सर्व संरोधना-
ब्रह्माण्ड
[[८०७]]
सव कुञ्जर-
भा
६२८ सर्वसङ्गापहो
भा
[[७२०]]
सर्व कोटिगुणं
स्कन्द
६२२ सर्वसाक्षिणि
भा दी
[[६१]]
सर्वं तदेतत्
भा
६५८ सर्वस्वं विनिवेद्य
आ
[[८६६]]
सर्व तद्भौतिकं
हय प
५७० सर्व स्वात्मनिवेदने
[[४७७]]
सर्व मद्भक्ति-
भा
१३६ सर्वाणि भूतान्य-
भा
[[६५७]]
सर्व सम्पद्यते
भा
१०७२ सर्वाणीत्युप-
गो
[[५६०]]
सर्वः स्वार्थी-
भा
८३५ सर्वात्मा सर्व-
भा
[[१५२]]
६६ ]
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
श्लोक प्रतीकानि
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
सर्वापराध-
पद्म
२७३ अनु, ७६२
सर्व्वान् ददाति
भा
[[२६७]]
सर्वासामपि
भा
१२१ अनु, १७१
सर्व्वान् लोकान्
इ समु
४०६, ६८५
सर्वासामेव
भा
२२६ अनु
सर्व्वार्थदं
भा
[[१०४६]]
सर्वे चागम-
पद्म
[[६३८]]
सव्र्वासु कमला-
पद्म
[[५१७]]
सर्वे मयि
भा
[[१३२]]
सर्व्वे मनः
भा
[[६००]]
सर्वे विधि-
पद्म १४८ अनु,१६३, ३२४ सर्व्वेषां मदुपा-
भा
१११ अनु, १४८ अनु
सर्वेषामपि भूतानां
भा
८१ सर्वोत्पत्य-
भा
[[३८४]]
सर्वषामप्यध-
भा
[[७८०]]
स लक्षं
भा
८४ अनु
सर्वेषामेव देहिनाम्
भा
८२ सलोका लोक-
भा
[[२१७]]
सर्वेषु वर्णेषु
८८५ स वक्त /
ब्रह्मवै
[[६०८]]
सर्व संसृति-
भा
६४६ स वाह्या-
गरुड़
१७३ अनु
सर्वगुणे-
भा ४ अनु २७२, ३५६
स विपेन्द्रो
गरुड़
[[७४८]]
सर्व्वा गुह्यतमं
गी
१०५६ स विष्णुरूप-
पद्म
[[१९४]]
सर्व्वत्रास्खलिता- भा
७३६ स व पुंसां
भा
३ अनु, २८ अनु
सव्वदेवेश्वरे-
सर्व्व प्रलय-
पद्म
[[२४१]]
सर्व्वपापविनिर्मुक्तः पद्म
४०३ स वै प्रियतम-
भा
३२५ अनु, १०
[[६०४]]
हय प
[[५६६]]
स व भागवतो-
भा
५५०, ५५३, ५५५
सर्व्वमूतसुहृच्छान्तः भा
सर्व्वभूतेषु यः सर्व्वभूतेष्ववस्थितम्
[[५५५]]
स व मनः
भा
३०४ अनु, ६६४
भा
१०६ अनु, ५४३
स वै मे
भा
७४ अनु
[[19]]
७६, २५४ स शास्त्रज्ञः स
ना प
[[७१०]]
सर्व्वभोगप्रदा
[[19]]
५६७स समाराधितो
ब्रह्मवं
[[३६६]]
सर्व्वयज्ञतपो-
स्कन्द
३३० स सबंधी-
भा
[[४२]]
सव्र्व्वलोक-महेश्वरम् भा
[[३८४]]
सहस्र ं यः
स्कन्द
[[३३२]]
सर्व्ववर्णेषु ते
पद्म
७४३, ६१६
सहस्र जन्म-
आ वराह
[[६८०]]
सर्व्ववेदाधिकं
पद्म
[[२६५]]
सहस्रजप्त ेन
त्रै स त
[[४३५]]
सर्व्ववेदान्तवित्-
गरुड़
५१२ सहस्रनाम-
स्कन्द
[[६७४]]
सर्व्ववेदान्तसारं भा
७७६ सहस्रांशुरिवो-
इ सम् गरड़
४०५, ७५१.
सर्व्वशास्त्रार्थ-
गरुड़
[[२८४]]
सहस्राणां समा
भा
[[६६०]]
सर्व्वस्य तद्भवति
भा
[[३७२]]
सहस्रेण तथा
विध
[[४४०]]
सर्वात्मना यः
भा
[[४९१]]
स हेमराशि-
म भा
[[२११]]
सर्वात्मन्यखिला-
भा
३२६ स होवाच
शन
२३० अनु
सर्वात्मानं
स्कन्द
१००२ सांख्यं योगं
निरुक्त
सर्वानेव चतुर्भुजान् ब्रह्म १३५ अनु ८६१ साक्षाद्भूता-
सन्द
[[४१३]]
[[१००४]]
श्लोकप्रतीकानि
श्लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
ग्रन्थनाम श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
[ ६७
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
साक्षान्मन्मथ-
भा
३२० अनु सा हानि-
वि
g
[[३१६]]
साङ्गा भवन्ति
ब्रह्मवै
८३१ सिद्धं भवति
ब्रह्मवै
[[५०१]]
सात्त्विकं निज-
भा
[[३६१]]
सिद्धादोन्नंव
तन्त्र
[[८८३]]
सात्त्विकं
सुख-
भा
२३३ अनु, ३६९
सिद्धा मामीषु-
भा
[[७३०]]
सात्त्विकः कारको-
भा २३३ अनु, २३४ अनु, ३७४
सिद्धार्थ एतेन
भा
[[३२३]]
सात्त्विकः स तु
मोक्ष
[[५३२]]
सिद्धाश्चारण-
[[11]]
[[७२५]]
सात्विक्याध्यात्मिकी भा
३७५ सिद्धो न पश्यति
[[12]]
१८७ अनु
सादरं हि
पद्म
३८७ सिद्धोऽस्म्यनु-
[[99]]
साधवः समा-
भा
६६० सुखं नु
[[19]]
साधवो दीन-
भा
५३४ सुखेन यां
पद्म
साधारणं हि
पद्म
२८३ अनु सुगोप्यमपि
भा
[[१४२]]
[[१०४७]]
[[४६८]]
[[७२२]]
साधुधर्मार्चनो
विध
४८७ सुग्रीवो
"
[[७२८]]
साधुरेव स
गो
३०४ सुतरां मत्-
[[19]]
[[५२२]]
साधु वोर त्वया
भा
७७० सुदुर्लभः
[[19]]
२७३ अनु, ३६४
साधूनां सम-
भा
५१३ ’ ५२२
सुदुश्चरामिमां
[[19]]
[[१०४५]]
साधून् संसेवत-
[[19]]
साध्यः सिद्धः
स कु सं
७५६ सुदुश्चिकित्स्यस्य
८८४ सुप्रीतो ह्यभवं
"
[[६३०]]
स्कन्द
[[२३७]]
साध्य सिद्ध-
म प्र
८५२ सुभद्रा लोक-
भा
[[१२३]]
साध्या मरुद्गणा-
पद्म
६०० सुमना अच्र्चये-
विध
[[६४१]]
साध्वेतन्मनसि
विध
४२० सुरापान-
पद्य
[[६०७]]
Tee
सानङ्गतप्त-
भा
३२० अनु
सुरुचिस्तं
भा
[[३५६]]
सापराधः
आ वराह
६८० सुरेश-लोको-
भा
[[३२२]]
सामवेदो-
सामान्यतः
विध
भा
८१५ सुशीलाः
भा
[[१६१]]
६८६ सुस्थिरं
भा
[[६०६]]
साम्यासङ्गादयो
[[19]]
६-२ सुहृत् प्रेष्ठ-
भा
SEE
साम्येन वीताभि-
भा
६७२ सुहृदं सर्व-
भा
[[६८२]]
सारूप्येकत्व-
भा
[[६८०]]
- सूक्ष्मशक्तया-
[[६४७]]
सालोक्यसाष्टि-
भा ११५ अनु, १७६ अनु
सूत्रे मणिगणा
गी
[[५६१]]
[[६८०]]
सूर्य्यपूजा-
स्कन्द
[[२३७]]
सालोक्यादि-
भा
३०७, ३७७
सूर्ये तु विद्यया
भा
[[६२५]]
सा वाग् यया
भा
४० अनु
सूर्य्यं वाप्सु
भा
[[६८७]]
सा श्रद्दधानस्य
भा
६६८ सूर्य्योऽग्नि-
भा
[[६२४]]
साष्टाङ्गेन
नृसिंह
६८२ सृजामि तन्नियुक्तो भ
[[८०४]]
६८ ]
श्लोकप्रतीकानि
[ [ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
सृष्टिसंहार-
म भा
[[२८१]]
स्थिरं सुख-
भा
२८ अनु, ६३१
सेयं प्रकृति-
ना प
[[८६७]]
स्थिरो मच्छरणो
[[५७६]]
सेवायां परि-
[[६३४]]
स्नेहं स्वजन-
“1 19
सेव्यते हरि-
भा
७७ स्नेहात् कामेन
“IF
१०६ १०१६
TR
सैवं कैवल्य-
"
[[१०२५]]
स्पन्दन्ति वै
[[३८२]]
सैव मुक्ति- सोऽपि योग-
सोऽभिवन्द्याः सोऽहं व्यक्त
सौगन्ध्यलुब्ध- सौरमन्त्राश्च सौराश्च शैवा सौरोऽप्येतत्
स्कन्द
१५ स्पृशत्यनर्था-
[[19]]
३६६, ५२६
अग्नि
[[८७३]]
[[८७३]]
स्मरणं पाद-
[[11]]
[[४८५]]
भा
१८६ अनु
स्मरणं महतां
"
५८ अन्
स्तनं दत्त्वाप
ཝཱ ཝཱ བྲཱ ཟྭ ཚྭ ྂ
२६५ अनु
स्मरणात् सेव्यते
ब्रह्मवै
TE ६२४
[[७३६]]
[[७३६]]
स्मरणान्नाम-
स्कन्द
[[३५१]]
८८२ स्मरतः पाद-
भा
[[८५१]]
[[२३३]]
स्मरतां तत्-
भा
[[१४६]]
२६६ अनु
भा
स्तुतिभिः स्तवनं
भा
स्त्रिय उरगेन्द्र-
भा
स्त्रियः शूद्रादय-
भा
स्त्रीणामप्य-
पद्म
स्त्रीभिः शूद्रैश्च
पद्म
स्मरन्तः कीर्तयन्तश्च भा
१००७ स्मरन्ति नन्दन्ति भा
६६६ स्मरेवृन्दावने १०३२ स्मर्त्तव्यः सततं पद्म ४४२ स्मर्त्तव्यश्चेच्छता- भा ६३६ स्मर्त्तव्यो भगवान् भा ६३७ स्मृतः सम्भाषितो
-११३
[[३८३]]
THE
- २८६ अनु
१६३, ३२४
४१, ३४६
RP
४, ३२५
इसमु
स्त्री शूद्र हून-
भा
३०२ स्मृतञ्च तद्विदां
भा
स्त्री शूद्राणाञ्च
भा
६३६ स्मृति पुन-
भा
[[७४४]]
[[६३]]
[[७७५]]
TH
स्थण्डिले मन्त्र-
T
भा
६२७ स्मृतिः सेवा
म भा
[[५०]]
स्थविष्ठे
भा दो
६० स्मृतिरजितात्म- भा
[[५५६]]
फ्र
स्थानं प्राप्स्यसि
गो
१०५७ स्मृतिर्नाद्यापि
भा
[[४२८]]
स्थानतत्त्वमतो
[[177]]
हय प
५६५ स्मृतिशीले
मनु
[[६४]]
स्थानाभ्रष्टाः
भा
१०६, २६८
स्मृते सकल-
वि पु
[[३३४]]
स्थाने स्थिताः
[[110]]
भा
२०४ स्मृतो नारायणो-
[[5015]]
1-
वृ नारव
[[८५३]]
स्थाने हृषीकेश
गी
२५० अनु
स्मृत्या हरे-
भ
–५५१
स्थापनं
आ
६१५ स्याच्चोपनयना-
आ
[[८७४]]
स्थितं सत्त्वे
भा
२५ स्यात् संभ्रमो-
भा
[[१४६]]
TW
स्थितमनसं
वि पु
५६६ स्यात् सङ्गमो-
भा
TTC
THE
[[५३१]]
स्थित्यादये
भा
TWO
स्थित्युद्भव-
भा
२६ स्यान्महत्सेवया भा
११६ स्यान्मुकुन्दे
२२, ३७०, ८६०
भा
[[७६०]]
लोकप्रतीकानामनुक्रमणिका ]
[ ६
BIEDER
श्लोक प्रतीका दि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेवाः लोकतानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच् छे वाः
स्रोतोगणा-
भा
७१ स्वर-नेत्रादि-
‘गरुड़
[[७४६]]
स्वकम्मध्यमना-
आ
८७४ स्वराज्य उप
छ
स्कन्द
“१००३
स्वकीयान्यपि
ब्रह्म
- ८१२
स्वरूपं विलनोति
ना प
[[७११]]
स्वकुलद्वैच
सु
[[७१८]]
स्वर्गकामो
६२ अनु
स्वकृत पुरे-
भा
११३ अनु, ५२०
स्वर्गापवर्ग
भा
[[१३६]]
स्वगुरु
भा
[[६८७]]
स्वर्गापवर्णन र के-
भा
१३४ अनु
स्वतन्त्रपूजनं
पद्म
६०४ स्वर्गापवर्गयोः
भा
-१७१
स्वतन्त्रो वापि
पद्म
६४९ स्वर्गापवर्गाधि-
भा
[[४६०]]
स्वधर्मपरि-
भा
४५१ स्वर्णकान्त्या
हय प
[[५६३]]
स्वधर्ममनु-
भ
७५ स्वल्पमम्यन्मयो –
बिध
[[७८४]]
स्वधर्मस्थोऽनघः
भा
५०६ स्वल्पमप्यस्य
गी
[[६४३]]
स्वधर्मस्थो यजन्
भा
५०५ स्वसम्वेद्याद्
ना पं
[[५७७]]
स्वधर्मेण महायसा
भा
६६९ स्वसाधुकृत्यं
भा
३२० अनु
स्वधर्मेणामला-
भा
६६२ स्वसुखनिभृत
भा
१८७, अनु, २७६ अन्
स्वधीः कलत्रा-
भा
१६० अनु, ७३५
स्वस्थः शेते
भा
[[६८८]]
स्वनुष्ठितस्य
भा
३ अनु, १६
स्वस्यात्मनः
भा
[[६८६]]
स्वपादमूलं
भा
४९३ स्वस्याप्यथापि
भा
[[३८२]]
स्वप्नेऽपि पश्यन्ति
भा
३६५ स्वातन्त्र्यं प्रति-
पद्म
[[६६३]]
स्वप्रकाशो
स कु सं
८८४ स्वातन्त्र्यात् क्रियते
पद्म
[[२००६]]
स्वभावगुण-
भा
स्वभावरक्तस्य
भा २३ अनु, २१० अनु. ५०३
६८३ स्वात्मार्पणं
स्वाध्यायेऽस्ये
भा
[[६०]]
MT
[[२०]]
स्वभावाद्गाढ़-
हथ प
५६३ स्वाभाविकी
श्वे
२६ अनु
स्वभावोऽध्यात्म-
भो
२१६ अनु स्वामिन्याशिष-
भा
[[४६६]]
स्वभोज्यस्या-
म भा
५० स्व. रज्धकर्मणा
भा
१५७ अनु
स्वमातरं
स्कन्द
२०६ स्विष्टस्य सूक्तस्य
भा
[[८२०]]
स्वयं निःश्रेयसं
भा
५०४ स्वेच्छामयस्य
भा
१८१ अनु, ३२५ असु
स्वय विधत्ते
भा
१७७ स्वेनैव लाभेन
भा
[[२०८]]
स्वयं समुत्तीयं
भा
५३७ स्वे स्वैऽधिकारे
भा
[[५०७]]
स्वयञ्च हरि-
भा
१०६ अनु. २१७
स्थे स्वे स्थाने
भा
[[९०३]]
स्वयमज्ञो-
भा
१०० स्वैरिणी-
स्कन्द
[[१७२]]
स्वयमभ्यर्चनं
गरुड़
७४७ स्वौको विलङ्घय
भा
[[१०७]]
स्वयम्भूर्नारदः स्वयूथ्यानेव
भा
२७५ हंपाः श्रयेरन्
भा
[[१०४७]]
ह सु
७१८ हतांहसो
भा
[[८७]]
[[७०]]
श्लोकप्रती का नि
[ श्रीश्रीभक्तिसन्दर्भस्य
अन्यनाम
श्रीमानुच्छेदाः श्लोकप्रतीका नि
ग्रन्थनाम
श्लोकानु च्छेदाः
हैनन् ब्राह्मण- हन्त ते
ब्रह्म
४३६ हरेर्गुणा-
३३० अनु
हरेर्नामानि
भा विध
[[५४६]]
[[८३८]]
हन्तास्मिन्
भा
४४६, ५४०
हरेर्नाम पर
जा
[[८४६]]
हन्ति निन्दति
स्कन्द
८०० हरेनाम हरे-
[[८४४]]
हन्तु समर्थ
गरुड़
हृयशीर्षा मां
भा
भ
हरावभक्तस्य
हरि संप्राप्य हरिः सर्व्वत्र हरिगुरु- हरिचरण -
हरिपादोदकं हरिपूजाविधि-
पद्म
३४३ हरेनामानु-
१०६ अनु हरेर्नामेव
२७१, ३५६ हरेभुक्त
१०३१ हरेर्लसन-
भा ११५ अनु, ४७, ३२५ हरेविश्वात्मन-
मूसिंह नृसिंह
वृ नारद
विर
हरिपूजाविहीना- बृ नारद
हरिभक्तिपराणान्तु वृ नारद हरिभक्तिपरायणाः बृ नारद
पद्म
३६६ हरो हरति ३६६ हरौ भक्तिः १०० हरौ रुष्टे
1: ཟླཝཱ ཚྭམྦྷ ཟླ ! ཝཾ;
३१८, ७६१
[[८४४]]
[[६०६]]
[[५६]]
[[१४१]]
नृ८०४
[[८६३]]
[[७०८]]
८७६ हरौ सम्न्यस्त-
मरुड़
[[३०३]]
२८५ हर्षगद्गदया
भा
[[३८१]]
३८६ हविषान्नौ
भा
२३८ अनु, ६२५
१८६ हसत्यथो
भा
[[७८२]]
हरिभक्तिरनुत्तमा हरिभक्तौ प्रवृत्ता
३५५ हास्यन् मृगस्व-
भा
[[३७६]]
स्कन्द
२६५ हिंसां कामाद्य-
भा
[[७०४]]
हरिरधनात्म-
भा
[[६७९]]
हिंसा केनास्य
भा
[[१०१८]]
हरिरन्यद्विडम्बनाम्
भा
२१७ अनु, ४७०
हिंसा तदभि-
भा
[[१०१७]]
हरिरक्शामि-
भा
५५६ हिंसाप्रायादि
भ
[[३६१]]
हरिरात्मात्मदः
भा
८१ हित्वा भूत-
भा
[[३२]]
हरिरित्यक्षरः
विध
८१५ हित्वाची
भा
[[२४५]]
हरिरित्यवशे-
भा
१२५ अनु
हिमवाय्वग्नि-
भा
[[३३६]]
हरिरेव सदा
हरि, पद्म
२३०, २४१ होनां मया
भा
[[११८]]
हरिरेवंक
भा
६१७ हृदयं तावदेव
ब्रह्मव
हरिहरति
ढ
११५ अनु हृवयान्नाप-
वि पु
[[६३६]]
हरिश्चन्द्रो
भा
१३८ हृदये यस्य
विध
[[८४०]]
हरेः पदानु-
भा
६१८ हृदि कथमुप-
भा
[[५५७]]
हरेः प्राप्ताः
भा
४४३ हृदि खे ध्यान-
भा
[[६२६]]
हरेर मृत -
भा
१०४४ हृदि तस्य
वि भ
[[४८८]]
हरेरप्यपराधान्
पद्म
७९२ हृदिस्थं
भा
*१५१
हरेरैकान्तिकों
वैत
२१४ हृदि स्थितो
भा
६५श्लोक प्रतीकान मनुक्रमणिका ]
[ ७
श्लोकप्रतीक ि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः श्लोकप्रतीकानि
ग्रन्थनाम
श्लोकानुच्छेदाः
हृदिस्थे
गरुड़
३४३ ह्यधेनुमिव
भा
[[११५]]
हृद्द ेशेऽज्जुन
जो
१०५६ हाघ्रवेण
भा
[[१३८]]
हृद्यन्तःस्थो
भा
२३ ह्यनुमोदन्ति
भव
[[७५४]]
हृद्रोगमाश्व–
भा
१०७१ हान्यथा निष्फलं
[[७०६]]
हृद्वाग्वपु-
१८३ ह्यपराधात्
पद्म
[[४७६३]]
हेयांशा-
हम प
५६६ ह्यर्थज्ञोऽस्य-
भा
[[२६१]]
हेलनं
भा
१०६ अनु ह्यसतां परुषे-
भा
[[२५३]]
होमकुण्डा-
पद्म
१६६ ह्यस्तीति नास्तीति
भा
[[३]]
होमञ्चैव
पद्म
९०६ ह्यस्माक यः
बराह
३०० अनु
नरेन्द्र सरोवर में सपरिकर श्रीमद् भागवती कथा श्रवणरत श्रीश्रीचैतन्य महाप्रभु प्रवक्ता - श्रीलगदाधर पण्डित गोस्वामी ।
* श्रीश्री गौराङ्ग महाप्रभु
坛
श्रीश्रीगौरगदाधरौ विजयेताम्
श्रील-श्रीजीवगोस्वामि-प्रभुपाद - विरचिते
श्रीभागवत सन्दर्भे
पञ्चमः