मृत्युण्जयपूजापद्धतिः

श्रीगूभ्यो नमः ॥
पिथुपादेगुलिविधि ॥
मृत्युञ्जयन न्यासयाय ।
केगोलतने मूलमन्त्रन वापास ॥
देवपिकाय ॥
ओहोयाघडचाशलङ्खथने ॥
वेद ॥
ॐ आजिघ्र ॥
ॐ पञ्चनद्य ॥
ॐ इमम्मे ॥
ॐ सितासिते ॥
ॐ उपह्वरे ॥
ॐ ये तीर्थानि ॥

त्रियाञ्जलि मूलेन ॥
जपल्पे

मूलेन ३ ॥
आवाहनादि धेनुमुद्रा ॥
होहोयाद्यलचाशचोङ लङ्खन देवस्नानयाचके ॥
ॐ स्वस्तिनोमिमीता ॥
ॐ कनिक्रद ॥
पञ्चामृतस्नान ॥
वेद ॥
ॐ पयपृथि ॥
दधिक्राप्नो ॥
ॐ तेजोसि ॥
ॐ मधुव्वाता ॥
ॐ नमः श * * * ॥
ॐ आशुशिशा ॥
ॐ यज्जाग्रतो ॥
ॐ सहस्रश्री

      • ओहोयाघरचाशचोङ लङ्खन देवस्नान * * ॥
        (ॐ स्वस्तिनो मिमीता ॥
        ॐ कणिक्रद ॥
        पञ्चामृतस्नान ॥
        वेद ॥
        ॐ पयपृथिव्याम् ॥
        ॐ दधिक्राप्नो ॥
        ॐ तेजोसि ॥
        ॐ मधूर्व्वाता ॥
        ॐ नमः शम्भवाय ॥
        ॐ आशुशिशानो ॥
        ॐ यज्जाग्रतो ॥
        ॐ सहस्रशी ॥
        )

ॐ स्वस्तिन इन्द्रो ॥
ॐ विष्णोररात ॥
ॐ नमः शम्भवा ॥
ओहोयाखोलान ॥
ॐ ये तीर्थानि ॥
ओहोसा अर्घान ॥
ॐ अवभृत ॥
लूँ याख्वलान ॥
ॐ वरुणस्योतम् ॥
शङ्ख * * ॥
ॐ पवित्रेष्ठो ॥
ॐ तस्यतो ॥
ॐ श्रीश्चते ॥
ॐ द्यो शा * * * ॐ विभ्रात ॥
ॐ नमस्ते ॥
ॐ वय ठं ८ ॥
ॐ स्व

श्री गुरवे ५ ।
देवथ * * * सन्तय ॥
चेत ॥
यदद्यग ॥

    • हा * ॥
      अ * * ॥
      ॐ * क्षं नम ॥

    • ॐ जवे * श ॥
      जानो ॥
      ॐ * * * * त ॥
      यु * ॥
      ॐ * फलनी ॥
      देवया देगुलियाङहय ॥
      कोतोसस सूर्य्य ॥
      सूर्य्यपूजा ॥
      त्रितत्वेनाचम्य ॥
      थापूजा जलसा सूर्य्यार्घमाल

नित्ययामुमाल ॥
न्यास सूर्य्यया लखहायके ॥
अर्घपात्रपूजा ॥
षडङ्गण ॥
आवाहनादि ॥
पद्ममुद्रा ॥
आ * * पूजा ॥
आसनतने ॥
सूर्य्यस्के ॥
त्रियाञ्जलि ॥ ३ ॥
गायत्री?? ॥
आदित्यादि ॥
षडङ्गण ॥
आवाहनादि बलि ॥
ॐ * * * * भ्या बलिं गृह्न २ स्वाहा धूप दीप इदं नैवेद्यं

      • जाप ॥
        ह्राँ स्वाहा ॥ १० ॥
        स्तोत्र ॥
        ॐ नम श्रीसूर्य्या * * * भाराती ॥
        पापोहम् ॥
        अत्र गन्धादि ॥
        श्रीसुर्य्यार्च * *

अथ विष्णुपूजा ॥
आचम्य ॥
गुरुनमस्कार ॥
ॐ वासेदेवमुखाम्भोज ॥
न्यास ॥
विष्णुया ॥
अर्घपात्रपूजा षडङ्गन विष्णुये ॥

आवाहनादि शङ्खमुद्रा ॥
आत्मपूजा ॥
पटिचासद्वारतन्ने ॥
ॐ गणपतये २ ः ॥
ॐ गुरुभ्यो २ ः ॥
ॐ नन्दिने २ ः ॥
ॐ भृङ्गि * * ः ॥
ॐ द्वारपालाय २ ः ॥
ॐ क्षेत्रपालाय २ ॥
आवाहनादि ॥
आसनतं ने विष्णूस्क

श्रीगु * ले विष्णुया ॥
गायत्री ब्रह्मासम् ॥
केश * * दिपूजा ॥
षडङ्गनपूजा ॥
आवाहनादि ॥
धूपो २ ः ॥
दीपो २ ः ।
इदं नैवेद्यं नमः ॥
पश्चिमदोस बलितय त्रिदेव ॥
ॐ ह्रीँ विष्वकसेन ॥
ॐ ह्रीँ ह्सौँ जयावह ॥
ॐ शौँ ह्रीँ ऐँ हरण

करणे ॥
जपस्तोत्र ॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
नमोस्त्वनन्ताय ॥
पापोहम् ॥
अत्र गन्न्धादि ॥
वैष्णवार्च्चन विधे ॥
ततो नेत्रपूजा ॥
आचम्य ॥
न्यास मूलन ॥
अर्घपा * * * ॥
षडङ्गन ॥
आत्मपूजा ॥
आस

    • त्र्यञ्जलि तन्ने ॥
      गायत्री ॥
      ॐ जुँ सः अमृती * * * सद्योजातादिपूजा ॥
      षडङ्ग ॥
      आवाहनादि ॥
  • पो २ दीपो २ इदं नैवेद्यं २ ॥
    बलि ॥
    दथुपातस त्रिदेव ॥
    ॐ जुँ रुद्रमातृगण ॥
    ॐ जुँ इन्द्र अग्नि ॥
    जाप ॥
    सोह्मासण्डथेहयाय ॥

    मूल मृत्युञ्जयपूजा ॥
    आचम्य न्यास ॥
    अर्घपात्रपूजा ॥
    प्रणवासनाय २ ः ॥

प्रणवमूर्त्तये २ ः ॥
प्रणवाय २ ः ॥
धात्री क्षीरार्णव पद्म चन्द्रबिम्बञ्च भासुर ।
पश्चात्कालकलायोत्थपीयूषेणञ्च सिञ्चयेत् ॥
षडङ्ग ॥
आवाहनादि ॥
धेनु मुद्रा ॥

भूतशुद्धिः ॥
ॐ जुँ ह्लोँ निवृत्तिकला ॥ आधा * * *
जुँ द्धोँ प्रतिष्ठाकला ॥ लिङ्गे ॥
ॐ जुँ ह्राँ विद्याकला॥ नाभौ ॥
ॐ जुँ ह्यँ शान्तिकला ॥ हृदि ॥
ॐ जुँ * * शान्त्यातीतकला ॥ ललाटे ॥

ॐ जुँ सः अमृ * शमहाभैरवाय २ ः ॥

आत्मपूजा ॥
आसन ॥
ॐ जुँ धर्म्माय २ ः ॥
ॐ जुँ ज्ञानाय २ ः ॥
ॐ जुँ वैराग्याय २ ः ॥
ॐ जुँ ऐश्वर्य्याय २ ः ॥
ॐ जुँ अधर्म्माय २ ः ॥

ॐ जुँ अज्ञानाय २ ः ॥
ॐ जुँ अवैराग्याय २ ः ॥
ॐ जुँ अनैश्वर्य्याय २ ः ॥
ॐ जुँ अधश्छन्दाय २ ः ॥
ॐ जुँ ऊर्द्धछन्दाय २ ः ॥
ॐ जुँ आधारशक्तयेत्यादि ॥
ध्या * ॐ जुँ शुद्धस्फटिकसङ्काशं कुन्दु हिमसन्निभम् ।
सोम * * * * ध्यस्थम् एकवक्त्रं त्रिनोचनम् ।

पूर्णचन्द्रनि * * * करशन्तमतोपमम् ॥
दक्षहस्तेषु कलशं वामे च चन्द्रमण्डले ।
वामोरू च गता देवी एकवक्त्रं त्रिलोचनम् ॥
श्वेतवर्णं महादीप्तं वरदाभयसानिनी ।
शङ्खाम्बुजधरा देवीं सर्व्वकामप्रदायनी ॥

महामृत्युञ्जयं देवममृतेश्वरभैरवम् ॥
एवं च ध्यायमानोहं सर्व्वपापक्षयाय च ॥
ॐ जुँ सः मृत्युञ्जयाय ध्यानपुष्पं २ ः ॥
त्र्यञ्जलि ॥
गायत्री ॥
ॐ * * अमृतीशाय ॥
सद्योजातादिपूजा ॥
ब्रह्मा * * पूजा ॥
असिताङ्गादिपूजा ॥
आवाहनादि ॥

        • दीपो २ ः इदं नैवेद्यं २ ः ॥
          दथुपातसबलि * * * रुद्रमातृगण ॥
          ॐ जुँ इन्द्र अग्नि ॥
          पूर्व्वपा * * दुचिनिमाजुयामन्त्रन ॥
          त्रिदेव ॥
          हकार सकार सकार हकार ॥
          बलि ॥
          ऐँ ह्स्फ्रीँ कुब्जिका ॥
          स्वपातसं त्वाकमहाबलिन धुनके ॥
          धूप दीप नैवेद्य प्रतिष्ठा ॥
          जाप स्तुति ॥

ॐ नः शिवाय ॥
ओङ्कारबिन्दु ॥
शुद्धः शान्तः ॥
नमोस्तुते ॥
पापोहम् ॥
अत्र गन्धादि ॥
थना वेदार्च्चन ॥
ॐ आ कृष्णे ॥
ॐ विष्णोरराट ॥
ॐ श्री�स्चते? ॐ पावकानः ॥
ॐ नमः * * वाय ॥
ॐ इ मन्दे वा ॥
ॐ श्रीश्चते ॥
वेदार्च्चन * * * * त्सर्वं परिपूर्णमस्तु ॥
नोसिया वेदाङा * * * * मृत्युञ्जय सदाशिव ।
सर्व्वपापविनाशाय सर्व्वशान्ति नमो नमः ॥


      • हेरम्बपूजा ॥
        लङ्खनहाय ॥
        ॐ देव * * * ॥
        चेत ॥
        ॐ यदद्यग ॥
        पुष्प ॥
        ॐ याः फलि * * ॥
        आचम्य ॥
        न्यास ॥
        अर्घपात्रपूजा ॥
        षडङ्गेण ॥
        धेनु ॥
        आत्मपूजा ॥
        बलिसने पातसम् ॥
        त्रिदेव ॥
        वेद ॥
        ॐ गणानान्त्वा ॥
        ॐ जातवेदसे ॥
        ॐ इमा रुद्राय ॥

ॐ घृतं घृत ॥
ॐ नमो वरुणाय ॥
ॐ असङ्ख्याता ॥
आसन ॥
त्र्यञ्जलि ॥
ऐँ क्रोँ ग्लुँ ह्रीँ ग्लुँ क्लोँ ह्रीँ नमः ३ ॥
ह्रीँ ग्लुँ चञ्चलादेवी शक्तिसहिताय * ॥
बलि ॥
ग्लाँ ग्लीँ ग्लूँ ग्लेँः ग्लौँ हँ ९ हेरम्बाय स ९ * * * * देवी ॥
षडङ्ग ॥
आवाहनादि ॥
गजमुद्रा

        • स ॥
          वैष्णवन्यास ॥
          त्र्यञ्जलिच्छाय लक्ष्मी * * * ह्मं ३ ॥
          गरुड ॥
          ॐ ह्रीँ गऋउडात्मने २ ः ॥
          आवाहनादि ॥
          थाथुवापास ॥
          सूर्य्यन्यास ॥
          त्र्यञ्जलि ॥
          विष्णुन्यास ॥
          अनन्तस्के त्र्यञ्जलि ॥
          आवाहनादि ॥
          कुमारस्के त्र्यञ्जलि ॥
          ॐ कुँ कुमाराय २ ः ॥
          वृषभया

त्र्यञ्जलि ॥
ॐ वृषभाय २ ः ॥
उमामहेश्वरस्के त्र्यञ्जलि ॥
महामृत्युञ्जयन्यास ॥
मृत्युञ्जयन त्र्यञ्जलिच्छाय ॥
पट्टस त्र्यञ्जलि मृ * ञ्जयन ॥
द्वारस त्र्यञ्जलि ॥
क्षेत्रमूलन * * * बलिन धूनके ॥
धूप दीप नैवेद्य ॥

      • त्र ॥
        गौरं त्र्यक्ष ॥
        नमोस्त्वनन्ताय ॥
    • शान्तः ॥
      यथा बाण ॥
      अत्र गन्धादि ॥
      पादार्च्चन ॥
      ॐ गणानां त्वा ॥
      ॐ द्यां माले ॥
      ॐ विष्णोरराट ॥
      ॐ पावकानः ॥
      ॐ इदं विष्णु ॥
      ॐ सहस्रशीर्षा ॥
      ॐ सुपर्णोसि ॥

ॐ आकृष्णे ॥
ॐ तन्मित्रस्य ॥
ॐ यत्र बाणा ॥
ॐ आशुः शिशा ॥
ॐ नमः शम् ॥
ॐ द्यां माले ॥
ॐ वयः सोम ॥
ॐ अतस्त्वं देव ॥
वेदार्च्चन ॥

  • ना अङ्गारवारला कुह्नुयाविधि ॥
    बलिने घा * * * देवतय वेदेर सह ॥
    हेरम्बस आस

      • ञ्जलि ।
        बलि षडङ्ग ॥
        आवाहनादि ॥
        गज * * ॥
        महाबलिन धुनके ॥
        धूप दीप जापस्तोत्र ॥
        पाठयाय ॥
        स्तोत्र ॥
        अत्र गङ्गादि ॥
        वेदार्च्चन ॥
        ॐ गणानां त्वा ॥
        ॐ द्यां म्माले ॥
        बलिथोय ॥
        सूर्य्यादिन त्र्यञ्जलि जाप स्तोत्र ॥
        थापूजा जुलसा यजमान न त्र्यञ्जलि

च्छायके ॥
धूप दीप जाप स्तोत्र ॥
वेदार्च्चन ॥
देवतुचके ॥
यजमानयाता अभिषेक स्वानविय ॥
देवसुचुके ॥
न्यासलिकाय ॥

  • लको त्र्यलिछाय ॥
    थ्वते पित्युयानित्य * * विधिः ॥
    शनैश्चरपाठविधिः ॥

    • चन्दन यज्ञोपवीत पुष्पतय ॥
      वेदन ॥
  • स ॥
    अर्घपात्रपूजा ॥
    आत्मपूजा ॥
    बलिस त्रिदेवतय ॥
    वेद ॥
    ॐ गणानां त्वा ५ ॥
    आसन ॥
    आधारशक्तय इत्यादि ॥
    गृध्रासनाय २ ः ॥
    त्र्यञ्जलि बलि ॥
    षडङ्ग ॥
    आवाहनादि ॥

ॐ श्रा श्रि श्रु श्म्ल्व्र्यू शनिश्चरमहाभैरवाय नमः ॥
???

मुद्रा ॥
ॐ शन्नो देवी ॥
ॐ यमेन दत्तम् ॥
चेकनलुय ॥
ॐ प्रजापते ॥
बलि ॥
ॐ अघोरे ह्राँ परमघोरे घोरामुखि वम २ पिव २ रु २ रजमुर्त्तये बलिं गृह्न २ स्वाहा ॥
महाबलिन धुनके ॥
धूप दीप जापस्तोत्र ॥
पाठयाय ॥
स्तोत्र ॥
ॐ द्यौः शान्तैः ॥
बलिथ्वय ॥
थ्वते शनैश्चर पाठः समाप्तः ॥
शुभम् ॥

ए-तेxत्स् मय् बे विएwएद् ओन्ल्य् ओन्लिने ओर् दोwन्लोअदेद् फ़ोर् प्रिवते स्तुद्य्।