मन्त्र रहस्य - डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली
226 श्रीमा/ ना। मं
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ॐ नमो नारायणाय
ऐम् ओं ह्रीं क्रीं हूं फट्झ क्रीं क्रीं क्री कालिके की
श्री ह्रीं क्लीं ग्लौङ्ग गणपतये वर वरद
सटर्वजनम्मे
- ၀
-
सूर्य
ही
ग्री ही ।
दक्षिणे ही ही है हूं स्वाहा ।
वशमानय : ८ ।
आदित्य।
ॐ
ही मोहिना
स्वाहा।
ॐ श्रीं मं
सौम्याय
गणपतये
।
वरवरद सर्वजनम्मे बशमानय स्वाहा।।
मन्त्र रहस्य
[साधकों, योगियों, साधुओम् एवं गृहस्थ
लाभकारी रहस्य जिसके माध्यम से वे
व्यक्तियों के लिए अत्यन्त अपने जीवन को ऊर्ध्वमुखी
बनाकर जीवन की पूर्णता प्राप्त कर सकेङ्गे ।]
आपकार-
नि.co
ARTETTE EBESICE SE
लेखक
डॉ० नारायणदत्त श्रीमाली
सम्पादक
कैलाशचन्द्र शिकवे
दो शब्द
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्य जत्राः ।
स्थरं रङ्गं स्तुष्टुवांसस्तनू भिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
यह समस्त ब्रह्माण्ड मन्त्र-आबद्ध है । जीवन की प्रत्येक हलचल मन्त्र - सञ्चालित है । प्राणिमात्र का छोटे से छोटा कार्य मन्त्र-सम्बद्ध है, अतः जीवन में मन्त्रों के बिना प्राणि-अस्तित्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती ।
जब ब्रह्माण्ड का अणु-अणु मन्त्रबद्ध है, तो जीवन को भली भान्ति समझने के लिए मन्त्र के मूल रहस्य को समझना भी मानव का पुनीत और प्रथम कर्त्तव्य है, और इसी कर्त्तव्य-पूर्ति में यह ग्रन्थ पहला और अमिट चरण-चिह्न है ।
इस पुस्तक की योजना बहुत पहले बन गई थी परन्तु अन्य कई कार्यों में व्यस्त रहने के कारण जितना ध्यान और समय इस ग्रन्थ के लेखन में दिया जाना चाहिए था, देना सम्भव नहीं रहा, फलस्वरूप ग्रन्थ की पूर्णता में विलम्ब होता गया ।
यह ग्रन्थ मन्त्र शास्त्र का साङ्गोपाङ्ग अध्ययन देने में समर्थ है। इसमें सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों ही पक्षों का सम्यक् संयोजन करने का प्रयास किया गया है, जिससे साधक को एक ही स्थान पर पूरी और प्रामाणिक जानकारी मिल सके ।
मुझे विश्वास है साधकों, योगियों, साधुओम् एवं गृहस्थ व्यक्तियों के लिए यह पुस्तक अत्यन्त अनुकूल, सहायक एवं पथ प्रदर्शक बनेगी । इसके माध्यम से वे अपने जीवन को ऊर्ध्वमुखी बनाकर जीवन की पूर्णता प्राप्त कर सकेङ्गे ।
डॉ० श्रीमाली मार्ग,
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत् ॥
हाई कोर्ट कॉलोनी, जोधपुर (राजस्थान )
दूरभाष- 22209
-नारायणदत्त श्रीमाली
सम्पादकीय
बैङ्कि
भारतवर्ष ही नहीम् अपितु विश्व के साधकों को मन्त्र-साधना के क्षेत्र में मार्ग- दर्शन हेतु एक ऐसे ग्रन्थ की नितान्त आवश्यकता थी जो उन्हें सम्यक् एवं समुचित ज्ञान दे सके, उन्हें सैद्धान्तिक पद्धति का मर्म बता सके और उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु पथ-प्रदर्शन कर सके । सही शब्दों में देखा जाए तो यह ग्रन्थ इसकी पूर्ति के लिए ठोस एवं दृढ़ कदम है । मन्त्र शास्त्र के क्षेत्र में पहली बार इस ग्रन्थ के माध्यम से बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई है, इसमें सन्देह नहीम् ।
इस ग्रन्थ की रूपरेखा लगभग दस वर्ष पहले बन गई थी जबकि साधकों की तरफ से बराबर इस प्रकार के पत्र प्राप्त होते थे जिससे कि उन्हें कोई ऐसा ग्रन्थ प्राप्त हो सके जिसमें मन्त्र - शास्त्र का वैज्ञानिक निरूपण हो और जिसमें व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक पक्ष का सम्यक् संयोजन हो। इसके लिए डॉ० श्रीमाली से बढ़कर और कौनसा व्यक्तित्व हो सकता था ? परन्तु वे इतने अधिक व्यस्त थे कि चाहते हुए श्री इस ग्रन्थ- निर्माण मेम् आगे कार्य नहीं हो सका ।
मैन्ने इस ग्रन्थ की रूपरेखा बनाकर उनके सामने प्रस्तुत की और निवेदन किया कि जब भी आपको समय मिले, आप मुझे व्याख्यान दें जिससे कि मैम् उसे लिपिबद्ध कर सकूम् । परन्तु फिर भी काफी समय यों ही बीत गया । मैं स्वयं देख रहा था कि वे इतने अधिक व्यस्त हैं कि चाहते हुए भी समय नहीं निकल पा रहा है ।
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इस बीच अनेक साधुओं, सन्न्यासियों, गृहस्थ शिष्यों तथा साधकों के द्वारा यह माङ्ग बराबर जोर पकड़ती गई कि मन्त्र - शास्त्र के क्षेत्र मेम् इस प्रकार के ग्रन्थ की नितान्त आवश्यकता है । अतः जब बहुत अधिक दबाव और आग्रह प्रस्तुत हुआ तो उन्होन्ने समय निकालकर थोड़ा-थोड़ा लिखने का प्रयास किया, साथ ही साथ समय मिलने पर मुझे भी लिपिबद्ध कराते गए ।
एक बार पूरा ग्रन्थ लिखने के बाद भी उन्हें सन्तोष नहीं हुआ ! वे इसे पूर्ण तथा साङ्गोपाङ्ग बनाना चाहते थे । अतः काफी सामग्री निकाल दी गई और कुछ नई सामग्री लिखी गई जिससे कि उन साधकों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके ।
श्रीमाली जी चाहते थे कि यह ग्रन्थ केवल साधकों के लिए ही उपयोगी न हो; अपितु गृहस्थ व्यक्ति भी इससे पूरा-पूरा लाभ उठा सकें। यही नहीं, अपितु साधना के क्षेत्र में पहुञ्चे हुए योगियों के लिए यह ग्रन्थ जिस प्रकार लाभदायक हो उसी प्रकार
साधना के क्षेत्र में पहली बार प्रवेश करने वाले साधकों के लिए भी उतना ही उपयोगी हो । इस प्रकार इस ग्रन्थ का निर्माण इस प्रकार से हुआ है कि यह सभी के लिए अनुकूल तथा सहयोगी हो सका है ।
ग्रन्थ के अन्त में मन्त्र और उनकी विधि देकर ग्रन्थ की उपयोगिता
बहुत अधिक बढ़ा दी है । पहली बार मन्त्र, उसका स्वरूप, विनियोग और उसकी विधि स्पष्ट की गई है ।
यद्यपि यह बात सही है कि बिना गुरु के मन्त्र - शास्त्र का ज्ञान सम्भव नहीं है; क्योङ्कि मन्त्र मूल रूप से ध्वन्यात्मक है और ध्वनि का ज्ञान गुरुमुख से ही सम्भव है । परन्तु यह ग्रन्थ उन साधकों को रास्ता दिखा सकता है, मन्त्र-शास्त्र से परिचित करा सकता है । यदि उनमें लगन होगी तो निश्चय ही वे इस क्षेत्र मेम् आगे बढ़कर सफलता प्राप्त कर सकेङ्गे ।
साधकों को चाहिए कि वे सीधे ही मन्त्र का प्रयोग या अनुष्ठान प्रारम्भ न करेम् । उन्हेम् अपने गुरु से सम्यक् ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए। यद्यपि एक मन्त्र और उससे सम्बन्धित अनुष्ठान को पूर्ण करने के लिए बहुत अधिक विधि-विधान की आव- श्यकता होती है । उसका ध्वन्यात्मक ज्ञान गुरु के द्वारा ही सम्भव है । अतः साधक को चाहिए कि वे गुरु के चरणों में बैठकर अपने अनुकूल साधना या मन्त्र का चयन कर उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करेम् ।
मुझे विश्वास है यह ग्रन्थ प्रत्येक साधक के लिए वरदान स्वरूप होगा और इसके माध्यम से वे अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकेङ्गे ।
अनुक्रम
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—कैलाशचन्द्र
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801-201
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स्वस्तिवाचन
प्रवेश
मन्त्र
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17-18
19-82
83-99
वर्ण 84, वर्ण प्रभाव 86, वर्ण ध्यान 88, वर्णों के देवता, रूप एवं शक्ति
89, वर्णों के ऋषि एवं
- मन्त्र 94, ध्वनि 95,
छन्द 91, वर्ण वर्ग, नक्षत्र 92, वर्गीकरण 93, मन्त्रों की आत्मा 96, मन्त्र स्वरूप 97, मन्त्र
सामर्थ्य 98281
म
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अन्तश्चेतना
100
121
101-106
आसन
स्वस्तिकासन 101, समासन 102, सिद्धासन 102, पद्मासन 104
आधार
107-118
मूलाधार चक्र 108, स्वाधिष्ठान चक्र 108, मणिपूर चक्र 109, सूर्य ६० चक्र 110, चन्द्रचक्र 112, अनाहत चक्र 113, विशुद्ध चक्र 113, आज्ञा
चक्र 114, सहस्रार चक्र 115
अष्टाङ्ग योग
शयम 119, नियम 120, आसन 121
मुद्रा
119-122
Th123-138
नित्य पूजा मुद्राएं 123, सन्ध्या मुद्राएं 124, अङ्गन्यास मुद्राएं 126, कर- न्यास मुद्राएं 127, जीवन्यास मुद्राएं 128, देवोपासना की मुद्राएं 129, भोजन मुद्रा 129, पञ्चदेव मुद्राएं 129, शक्ति मुद्राएं 130, महाकाली मुद्राएं 130, महालक्ष्मी मुद्राएं 130, तारा मुद्राएं 130. त्रिपुरा मुद्राएं 130, भुवनेश्वरी मुद्राएं 130, शक्ति चालिनी मुद्रा 131, योनि मुद्रा 131, खेचरी मुद्रा 131
बन्ध : मूलबन्ध, जालन्धर बन्ध, उड्डियान बन्ध 131, महाबन्ध 132
प्राणायाम : रेचक्र 132, पूरक, 132, कुम्भक 132, प्रत्याहार 132, धारणा 133, ध्यान 133, अष्ट सिद्धियां 133, समाधि 134, अन्त- श्चेतना जागरण 134, साधना 135
मन्त्र - अङ्ग : भक्ति 136, शुद्धि 137, आसन 137, पञ्चाङ्ग सेवन 137,
आचार 137, तर्पण 137, धारणा 137, दिव्यदेश साधन 137 प्राण- क्रिया 137, मुद्रा 137, तर्पण 137, हवन 137, बलि 137, योग 137, जप 137, ध्यान 138, समाधि 138
साधना
139-148
साधना क्या है 139, साधना के केन्द्र 139, साधना के अङ्ग 140, साधकों के कृत्य 140, निद्रा त्याग 140, स्नान 140, स्नान दोष निवारण 141, यज्ञोपवीत धारण विनियोग 141, यज्ञोपवीत धारण मन्त्र 142, जीर्ण यज्ञोपवीत त्याग मन्त्र 142, आसन 142, आसन पूजा 142, कार्या- नुसार आसन 143, दिशा विचार 144, तिलक किन-किन अङ्गों पर 146, चन्दन लगाने का मन्त्र 146, भस्म लगाने का मन्त्र 145, तिलक करने का सामान्य मन्त्र 146, सन्ध्या कब करे 146 सन्ध्या स्थान 147
पूजा
अठारह उपचार 149, षोडशोपचार 149, दसोपचार 149, पञ्चोपचार 149, सामान्य पूजा-विधि 149, पञ्चगव्य प्रमाण 150, माला-संस्कार 150, करमाला 150, शक्ति अनुष्ठान 151, लक्ष्मी अनुष्ठान 151, वर्ण माला 151, मणि माला 152, माला चयन 154, पुष्प 154, त्याज्य पुष्प 154, सावधानियां 155, जप 156, मुद्रा 157, विशिष्ट मुद्राएं 158, प्रधान मुद्राएं 158
मन्त्र- सिद्धि
149-158
159-163
चार पीठिकाएं 159, दीक्षा : क्रियावती 160, वर्णमयी 160, कलावती S160, वेधमयी 161, पञ्चायतनी 161, क्रमदीक्षा 161, भूत-शुद्धि 162
मन्त्र अनुष्ठान
164-179
8 मन्त्र की महिमा 164, मन्त्रों के अधिष्ठाता देवता 164, मन्त्र सञ्ज्ञा 165,
मन्त्र प्रयोग 165
मन्त्र भेद : पल्लव 166, योजन 166, रोध 166, पर 166, सम्पुट 166, विदर्भ 166
मन्त्रों में ध्वनि प्रयोग 166, षट्कार्यों मेम् आसन प्रयोग 167, तन्त्र कार्यों मेम् आसन प्रयोग 167, मन्त्र अनुष्ठान 167, अन्य तथ्य 168, मानस-जप 170, मन्त्र-सिद्धि 170, नियम 171, मन्त्र साधन गोपनीयता 171, साधना ज्योतिष परिप्रेक्ष्य में 171, साधना प्रारम्भ में शुभ समय-ज्ञान 173, सिद्धियां : अणिमा 175, महिमा 175, लघिमा 175, प्राप्ति 175, प्राकाम्य 176, ईशिता 176, वशिता 176, ख्याति 176
गीण सिद्धियां : अनूमि 176, दूर श्रवण सिद्धि 176, दूर दर्शन सिद्धि 176, मनोजव सिद्धि 176, काम रूप सिद्धि 176, परकाय प्रवेश 176,स्वच्छन्द मरण 176, देवक्रीडानुदर्शन 176, यथासङ्कल्प संसिद्धि 176, अप्रतिहत गति 176
क्षुद्र सिद्धियां : त्रिकालज्ञता 177, अद्वन्द्वता 177, परचिताज्ञभिज्ञता 177, प्रतिष्टम्भ 177, अपराजय 177
शक्तिपात 177, स्पर्श दीक्षा 179, दृग्दीक्षा 179, ध्यान दीक्षा 179 मन्त्र-संस्कार
180-213
दस महाविद्याएं 180, कुलाकुल चक्र 181, राशिचक्र 181, नक्षत्रचक्र 182, अकडम चक्र 184, अकथह चक्र 185, ऋणी धनी चक्र 186, मास 187, पक्ष 188, तिथि 188, वार 188, नक्षत्र 188, योग 188, करण 188, लग्न 189, मन्त्र स्थान 189, आसन 189, मन्त्र भेद 190, पुरुष - स्त्री मन्त्र 190, मन्त्र के दोष 191
मन्त्रों के संस्कार जनन 192, दीपन 192, बोधन 193, ताडन 193, अभिषेक 193, विमलीकरण 193, जीवन 193, तर्पण 193, गोपन 193, आप्ययन 193
मन्त्र दोष : अभक्ति 193, अक्षर-भ्रान्ति 194, लुप्त 194, छिन्न 194, ह्रस्व 194, दीर्घ 194, कथन 194, स्वप्न कथन 194, कूर्म चक्र 194 मन्त्र जप - अङ्ग : मन्त्र 196, मन्त्रशिखा 196, मन्त्रचैतन्य 196, मन्त्रार्थ 197, मन्त्र - भावना 200, गुरुध्यान 200, इष्ट ध्यान 202, कुल्लुका 202, महासेतु 203, कवचसेतु 203, निर्वाण 204 बन्धन 204, योनि मुद्रा 204, करन्यास 204, अङ्गन्यास 204, प्राणायाम 204, मुखशुद्धि 204, प्राण-योग 205, दीपन 205, सूतकद्वय मोक्षण 205, मध्य दृष्टि 206, अनुलोम-विलोम वर्ण मातृका 206 पुरश्चरण 206, भोजन 206, भोजन में निषिद्ध वस्तुएं 206
पुरश्चरण नियम-पालन : भूमि शैया 206, ब्रह्मचर्य 206 मौन 207, गुरु- सेवा 207, स्नान 207, पूजा 207, दान 207, कीलन - उत्कीलन 207- मन्त्र - सिद्धि के उपाय : भ्रामण 211, रोधन 211, वश्य 211, पीडन 211, पोषण 211, शोषण 211, दाहन 212, शान्ति पाठ 212, शान्ति स्तोत्र 212
विशिष्ट ज्ञातव्य तथ्य
योनिमुद्राबन्ध 214, प्रणव किसे कहते हैं चाहिए 214, प्रणव कहां नहीं लगाना चाहिए चाहिए 214, किस कर्म में क्या लगावें 215, कब करे 216, जप काल में निषेध 216, जप
214-231
214, प्रणव कहां लगाना 214, ॐकार कहां लगाना मानसिक जप 215, पूजा काल में पवित्री धारण 217, देव-स्पर्श 217,
216, जप सङ्ख्या साधन 216, स्तोत्र पाठ
घर में मूर्ति 217, पुष्प 218, दीप पूजा 218, षट्कर्म 218, षट्कर्म
EIS
221,
देवता एवं दिशा 218, षक काल 219, षट्कर्म दैनिक ऋतु 219, षट्कर्म तिथि, वार नक्षत्र, लग्नादि 219, मन्त्रों के अधिष्ठाता देवता 220, पल्लव मन्त्र 220, योजन मन्त्र 220 रोध मन्त्र 220, पर मन्त्र 220, सम्पुट मन्त्र 220, विदर्भ मन्त्र 220 हूं फट् प्रयोग 220, स्त्री, पुरुष. नपुंसक मन्त्र 221, षट् कर्म आसन 221, षट् मुद्रा 221, षट् देव ध्यान 221, षट् कर्म कुम्भ 221, माला निर्णय माला- विचार 222, जपाङ्गुली-विचार 222, जप दिशा 222, जप विचार 223, षट् कर्म होमकुण्ड 223, षट्कर्म हवन सामग्री 223, अग्निजिह्वा 223, अग्नि नाम 224, स्रु कस्र व 224, मन्त्र प्रारम्भ लग्न 224, मन्त्र जप के लिए ब्राह्मण कैसे हों 224, त्याज्य ब्राह्मण 225, जप करते समय मुंह किधर हो 225, निषिद्ध आसन 225, आसन 225, माला 226, माला- संस्कार 226, माला वस्त्र से आच्छादित 226, जप नियम 226, पञ्चामृत
- माल 227, गन्ध अङ्गुली विचार 227, अष्ट गन्ध 227. वर्ज्य पदार्थ 227, धूप दीप-स्नान 227, नैवेद्य 227, साष्टाङ्ग नमस्कार 227, नवधा भक्ति 228, प्रदक्षिणा विचार 228, यज्ञकाष्ठ विचार 228, अग्नि 228, कर्म विशेष मेम् अग्निनाम 228, अग्नि सप्त जिह्वा नाम 229, होम में वर्ज्य समिधाएं 229, अग्नि स्वरूप 229, अग्नि सम्मुख 229, शाकल्य प्रमाण 229, पूर्णा- हुति विचार 229, वह्नि चैतन्य मन्त्र 229, मन्त्र पल्लव 230, मन्त्र कीलन 230, मन्त्र - उत्कीलन 230, मन्त्र - सिद्धि-साधन 230, मन्त्र जप समय में छीङ्क दोष परिहार 230, मन्त्र सिद्ध लक्षण 230, पोडशोपचार 231, पञ्चोपचार 231, सर्वमान्य गुरु ध्यान 231, षष्ठाक्षर गणेश मन्त्र 23.1, गणेश विनियोग 231, गणेश ध्यान 231, गायत्री स्वरूप 231, गायत्री विनियोग 231, शिखा कहां-कहां बान्धनी चाहिए 231
गणपति
TOS TP TOS FIFF
सिद्ध लक्ष्मी गणपति 232, मङ्गल के लिए 234, समस्त प्रकार की के लिए 234, लक्ष्मी प्राप्ति हेतु 235 1
बीजयुक्त श्रीसूक्त
115
232-235
रक्षा
115
ST 236-269
विधि 238, विनियोग 238, ऋष्यादिन्यास 239, करन्यास 239, अङ्ग- न्यास 240, ध्यान 240, श्रीसूक्त पाठ 241, लक्ष्मीसूक्त 242, पाठफल 242, मन्त्र 243, षोडशोपचार पूजन 24, क्षमा-याचना 243 बीजोक्त श्रीसूक्त 244, सोलह श्लोकों के विनियोग, ऋष्यादिन्यास करन्यास, षडङ्ग- न्यास, ध्यान, मन्त्र 244-269
बीजयुक्त लक्ष्मी सूक्त
270-272
दारिद्र्य विनाशक धनदा प्रयोग
273-279
दारिद्र्य नाश: ऋष्यादिन्यास 275, करन्यास 275, षडङ्गन्यास 275, ध्यान 276, मन्त्र 276
सिद्ध लक्ष्मी : करन्यास 276, हृदयादिन्यास 276, ध्यान 277
धनदा : विनियोग 278, ऋष्यादिन्यास 278, करन्यास 278, षडङ्गन्यास 278, ध्यान 279, मन्त्र 279
सिद्ध सम्पुट मन्त्र
280-374
पूर्ण मन्त्र 281
एलि
काली मन्त्र : भूतशुद्धि 281, काली ध्यान, 281, काली यन्त्र 281, काली
मन्त्रोद्धार 281, मन्त्र 282
तारा मन्त्र : तारा ध्यान 282, तारा यन्त्रोद्धार 283, तारा मन्त्रोद्धार
283, मन्त्र 283
षोडशी मन्त्र : षोडशी ध्यान 284, षोडशी यन्त्रोद्धार 284, षोडशी मन्त्रो-
द्वार 284, मन्त्र 285
भुवनेश्वरी मन्त्र : भुवनेश्वरी ध्यान 285, भुवनेश्वरी यन्त्रोद्धार 286,
भुवनेश्वरी मन्त्रोद्धार 286, मन्त्र 286, मन्त्रफल 286
छिन्नमस्ता मन्त्र : छिन्नमस्ता ध्यान 286, छिन्नमस्ता यन्त्रोद्धार 287,
छिन्नमस्ता मन्त्रोद्धार 287, मन्त्र 287, मन्त्रफल 288
त्रिपुरभैरवी मन्त्र : त्रिपुरभैरवी ध्यान 289, त्रिपुरभैरवी यन्त्रोद्धार
289, त्रिपुरभैरवी मन्त्रोद्धार 289, मन्त्र 289, मन्त्रफल 289 ‘धूमावती मन्त्र : धूमावती ध्यान 289, धूमावती यन्त्रोद्धार 289, धूमावती
मन्त्रोद्धार 289, मन्त्र 289, मन्त्रफल 290
बगलामुखी मन्त्र : बगलामुखी ध्यान 291, बगलामुखी यन्त्रोद्धार 292,
बगलामुखी मन्त्रोद्धार 292, मन्त्र 292, मन्त्रफल 292
मातङ्गी मन्त्र : मातङ्गी ध्यान 292, मातङ्गी यन्त्रोद्धार 291, मातङ्गी मन्त्रो-
द्वार 293, मन्त्र 293, मन्त्र फल 293
कमला मन्त्र : कमलात्मिका ध्यान 295, कमलात्मिका यन्त्रोद्धार 295,
कमलात्मिका मन्त्रोद्धार 295, मन्त्र 295, मन्त्रफल 295
दुर्गा मन्त्र : दुर्गा ध्यान 295, दुर्गा यन्त्रोद्धार 295, दुर्गा मन्त्रोद्धार 296,
. मन्त्र 296, मन्त्रफल 296
शिव मन्त्र : शिव ध्यान 297, शिवयन्त्रोद्धार 297, शिवमन्त्रोद्धार, 297,
मन्त्र 298, मन्त्रफल 298,
गणेश मन्त्र : गणेश ध्यान 299, गणेश यन्त्रोद्धार 299, गणेश मन्त्रोद्धार
299, मन्त्र 299, मन्त्रफल 299
सूर्य मन्त्र : सूर्य ध्यान 299, सूर्य यन्त्रोद्धार 299, सूर्य मन्त्रोद्धार 300,
मन्त्र 300, मन्त्रफल 300
विष्णु मन्त्र : विष्णु ध्यान 301, विष्णु यन्त्रोद्धार 301 विष्णु मन्त्रोद्धार
301, मन्त्र 301, मन्त्रफल 301
षडक्षर वक्रतुण्ड मन्त्र विनियोग 302, ध्यान 302, वक्रतुण्डगणेश यन्त्र
302, मन्त्र 302, मन्त्रफल 302
- एकत्रिंशदक्षर वक्रतुण्ड मन्त्र : विनियोग 302, ध्यान 302, मन्त्र 302, उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 303 शक्ति विनायक मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र 303, मन्त्रफल 304 लक्ष्मी विनायक मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 304 त्रैलोक्यमोहन कर गणेश मन्त्र : विनियोग, ध्यान 304, मन्त्र, मन्त्रफल 305 ऋणहर्ता गणेश मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 305 हरिद्रा गणेश मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 306 सिद्धि विनायक मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 306 शिव पञ्चाक्षरी मन्त्र : विनियोग, ध्यान 307, मन्त्र, मन्त्रफल 308 अष्टाक्षरी शिव मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 308
त्र्यक्षर मृत्युञ्जय मन्त्र विनियोग 308, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 309 त्र्यम्बक मन्त्र : विनियोग 309, ध्यान 309, मन्त्र 309 मन्त्रफल 309 महामृत्युञ्जय मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 310
रुद्र मन्त्र : विनियोग 311, ध्यान 311, मन्त्र 311, मन्त्रफल 311 त्वरित रुद्र मन्त्र : विनियोग 311, ध्यान 311, मन्त्र 311, मन्त्रफल 312 विष्णु मन्त्र : विनियोग 312, ध्यान 312, मन्त्र 312, मन्त्रफल 312 द्वादशाक्षर विष्णु मन्त्र विनियोग 312, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 313 राम मन्त्र : विनियोग 313, ध्यान 313, मन्त्र 313, मन्त्रफल 313 दशाक्षर राम मन्त्र : विनियोग, ध्यान 313, मन्त्र, मन्त्र फल 314 कृष्ण मन्त्र : विनियोग 314, ध्यान 314, मन्त्र 314, मन्त्रफल 314 लक्ष्मीनारायण मन्त्र : विनियोग 314, ध्यान 314, मन्त्र, मन्त्रफल 315 नृसिंह मन्त्र : विनियोग 315, ध्यान 315, मन्त्र 315, मन्त्रफल 315 वाराह मन्त्र : विनियोग 315, ध्यान 316, मन्त्र 316, मन्त्रफल 316 सूर्य मन्त्र : विनियोग 316, ध्यान 316, मन्त्र 316, मन्त्रफल 316 हनुमान मन्त्र : विनियोग 317, ध्यान 317, मन्त्र 317, मन्त्रफल 317 हनुमान अष्टादशाक्षर मन्त्र : विनियोग, ध्यान 317, मन्त्र, मन्त्रफल 318 द्वादशाक्षर हनुमान मन्त्र : ध्यान 318, मन्त्र 318, मन्त्रफल 318 द्वादशाक्षर वीर साधन मन्त्र : ध्यान 319, मन्त्र 319, मन्त्रफल 319 चतुर्दशाक्षर हनुमान मन्त्र : मन्त्र 319, मन्त्रफल 319
आपत्ति उद्धारक बटुक पन्त्र : मन्त्र 320, मन्त्रफल 320
स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र : विनियोग 320, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 321 क्षेत्रपाल मन्त्र : विनियोग 321, ध्यान 321, मन्त्र 322, मन्त्रफल 322 कामदेव बीज मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 322
वरुण मन्त्र : विनियोग 322, ध्यान 323, मन्त्र 323, मन्त्रफल 323 कुबेर मन्त्र : विनियोग 323, ध्यान 323, मन्त्र 323, मन्त्र फल 323 षोडशाक्षर कुबेर मन्त्र : मन्त्र 323
चन्द्र मन्त्र : विनियोग 324, ध्यान 324, मन्त्र 324, मन्त्रफल 324 मङ्गल मन्त्र : विनियोग 324, ध्यान 324, मन्त्र 324, मन्त्रफल 324 गुरु मन्त्र : विनियोग 325, ध्यान 325, मन्त्र 325, मन्त्रफल 325 शुक्र मन्त्र : विनियोग 325, ध्यान 325, मन्त्र 325, मन्त्रफल 325 धर्मराज मन्त्र : मन्त्र 326, मन्त्रफल 326
चित्रगुप्त मन्त्र : मन्त्र 326
घण्टाकर्ण मन्त्र : मन्त्र 326, मन्त्रफल 326
कार्तवीर्यार्जुन मन्त्र : विनियोग, ध्यान 326, मन्त्र, मन्त्रफल 327 हरिवाहन गरुड़ मन्त्र : विनियोग 327, ध्यान 327, मन्त्र, मत्रफल 327 चरणायुध मन्त्र : विनियोग 327, ध्यान 328, मन्त्र 328, भन्त्रफल 328 सन्तान गोपाल मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 328
पुत्र प्राप्ति मन्त्र : मन्त्र 328, मन्त्रफल 329
विविध गायत्री मन्त्र : हंस गायत्री मन्त्र 329, ब्रह्म गायत्री मन्त्र 329, सरस्वती गायत्री मन्त्र 329, विष्णु गायत्री मन्त्र 329, त्रैलोक्य मोहन गायत्री मन्त्र 329, लक्ष्मी गायत्री मन्त्र 329, नारायण गायत्री मन्त्र 329, राम गायत्री मन्त्र 329, जानकी गायत्री मन्त्र 329, लक्ष्मण गायत्री मन्त्र 330, हनुमान गायत्री मन्त्र 330, गरुड़ गायत्री मन्त्र 330, कृष्ण गायत्री मन्त्र 330, गोपाल गायत्री मन्त्र 330, राधिका गायत्री मन्त्र 330, परशुराम गायत्री मन्त्र 330, नृसिंह गायत्री मन्त्र 330, शिव गायत्री मन्त्र 330, रुद्र गायत्री मन्त्र 330, गौरी गायत्री मन्त्र 331, गणेश गायत्री मन्त्र 331, षण्मुख गायत्री मन्त्र 331, नन्दी गायत्री मन्त्र 331, सूर्य गायत्री मन्त्र 431, चन्द्र गायत्री मन्त्र 331, भौम गायत्री मन्त्र 331, पृथ्वी गायत्री मन्त्र 331, अन्नि गायत्री मन्त्र 331, जल गायत्री मन्त्र 331, आकाश गायत्री मन्त्र 332, वायु गायत्री मन्त्र 332, इन्द्र गायत्री मन्त्र 332, काम गायत्री मन्त्र 332, गुरु गायत्री मन्त्र 332, तुलसी गायत्री मन्त्र 332, देवी गायत्री मन्त्र 332, शक्ति गायत्री मन्त्र 332, अन्नपूर्णा गायत्री मन्त्र 332, काली गायत्री मन्त्र 332, तारा गायत्री मन्त्र 333, त्रिपुर सुन्दरी गायत्री मन्त्र 333, भुवनेश्वरी गायत्री मन्त्र 333, भैरवी गायत्री मन्त्र 333,
छिन्नमस्ता गायत्री मन्त्र 333, धूमावती गायत्री मन्त्र 333, बगलामुखी गायत्री मन्त्र 333, मातङ्गी गायत्री मन्त्र 333, महिषर्माद्दनी गायत्री मन्त्र 333, त्वरिता गायत्री मन्त्र 333
दुर्गाष्टाक्षर मन्त्र : विनियोग 334, ध्यान 334, मन्त्र 334, मन्त्रफल 334 नवार्ण मन्त्र : विनियोग 334, मन्त्र 334
नवार्ण भेद मन्त्र : मारण 335, मोहन 335, उच्चाटन 336, वशीकरण 336, स्तम्भन 336, विद्वेषण 336, नवार्ण महामन्त्र 336
दुर्गेस्मृता मन्त्र : ‘विनियोग 337, मन्त्र 337, मन्त्रफल 337 दक्षिण काली मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 338 भद्रकाली मन्त्र : मन्त्र 338, मन्त्रफल 338
श्मशान काली मन्त्र : मन्त्र 338, मन्त्रफल 338
पञ्चाक्षर मन्त्र : मन्त्र 338, मन्त्रफल 338
नील सरस्वती मन्त्र : विनियोग 338, मन्त्र 339, मन्त्रफल 339
सरस्वती मन्त्र : विनियोग 339, ध्यान 339, मन्त्र 339, मन्त्रफल 339 वाग्देवी मन्त्र : मन्त्र 339
विद्या मन्त्र : मन्त्र 339, मन्त्रफल 339
एकाक्षरी सरस्वती मन्त्र : मन्त्र 340, मन्त्रफल 340
षोडशी मन्त्र : विनियोग 340, मन्त्र 340, मन्त्रफल 340 बाला त्रिपुरा मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 341 भुवनेश्वरी मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 341 त्र्यक्षरात्मक भुवनेश्वरी मन्त्र : मन्त्र 341
त्रिपुर भैरवी मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 342 छिन्नमस्ता मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र 342, मन्त्रफल 343
धूमावती मन्त्र : विनियोग 343, ध्यान 343, मन्त्र 343, मन्त्रफल 343 बगलामुखी मन्त्र : विनियोग 343, ध्यान 343, मन्त्र, मन्त्रफल 344 मातङ्गी मन्त्र : विनियोग 344, ध्यान 344, मन्त्र 344, मन्त्रफल 344 लक्ष्मी बीज मन्त्र : विनियोग 344, ध्यान 344, मन्त्र 345, मन्त्रफल 345 चतुरक्षर लक्ष्मी बीज मन्त्र : ध्यान 345, मन्त्र 345
दशाक्षर लक्ष्मी मन्त्र : ध्यान 345, मन्त्र 345
महालक्ष्मी मन्त्र : विनियोग 345, ध्यान 346, मन्त्र 346
द्वादशाक्षर महालक्ष्मी मन्त्र : मन्त्र 346
सिद्ध लक्ष्मी मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 347
ज्येष्ठा लक्ष्मी मन्त्र : विनियोग 347, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 348
वसुधा
लक्ष्मी मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 348
वार्ताली मन्त्र : विनियोग 349, ध्यान 349, मन्त्र 349, मन्त्रफल 349
को
महिषर्माद्दनी मन्त्र : विनियोग, ध्यान 349, मन्त्र, मन्त्रफल 350 रेणुका शबरी मन्त्र : विनियोग, ध्यान, मन्त्र, मन्त्रफल 350 अन्नपूर्णा मन्त्र : विनियोग 350, ध्यान 350, मन्त्र 351, मन्त्रफल 351 पृथ्वी मन्त्र : विनियोग 351, मन्त्र 351, मन्त्रफल 351
मणिकर्णिका मन्त्र : विनियोग 351, मन्त्र 351, मन्त्रफल 352 शीतला मन्त्र : विनियोग 352, मन्त्र 352
ज्वालामुखी मन्त्र : मन्त्र 352, मन्त्रफल 352
स्वप्न सिद्धि मन्त्र : विनियोग 352, मन्त्र 352
EDE PAT
परीक.
एक
स्वप्नेश्वरी मन्त्र : विनियोग 353, ध्यान 353, मन्त्र 353, मन्त्रफल 353
स्वप्न देवी मन्त्र : मन्त्र 353
स्वप्न चक्रेश्वरी मन्त्र : मन्त्र 353, मन्त्रफल 353
हनुमान मन्त्र : मन्त्र 354, मन्त्रफल 354 चन्द्र योगिनी मन्त्र : मन्त्र 354, मन्त्रफल 354 स्वप्न मातङ्गी मन्त्र : मन्त्र 354, मन्त्रफल 354 घण्टाकणि मन्त्र : मन्त्र 354, मन्त्रफल 354
को
E from his
कर्ण पिशाचिनी मन्त्र : 355, मन्त्रफल, कर्ण पिशाचिनी अन्य मन्त्र 355 स्वप्न मुसलमानी मन्त्र : मन्त्र 355, मन्त्रफल 355
वागीश्वरी मन्त्र : मन्त्र 355, चित्रेश्वरी मन्त्र 356, कीर्तीश्वरी मन्त्र 356 अन्तरिक्ष सरस्वती मन्त्र : मन्त्र, नीला मन्त्र, घट सरस्वती मन्त्र 356 यक्षिणी साधना मन्त्र : विचित्रा 356, विभ्रमा 356, हंसी 356, भिङ्क्षिणी 356, जन - रञ्जिनी 357, विशाला 357, मदना 357, घण्टा 357, काल- कर्णी 357, महामाया 357, माहेन्द्री 357, शङ्खिनी 357, चन्द्रिका 357, श्मशानी 357, वट 358, मेखला 358, लक्ष्मी 358, मानिनी 358, शत- पतिया 358, सुलोचना 358, सुशोभना 358, कपालिनी 358, विला- सिनी 358, नटी 358, कामेश्वरी 358, स्वर्णरेखा 359, सुर-सुन्दरी 359, मनोहरा 359, प्रमदा 359, अनुरागिणी 359, नखकेशिका 359, 8 नेमिनि 359, पद्मिनी 359, स्वर्णावती 359, रतिप्रिया 359, कुबेर 359, विल्व 359, चन्द्रद्रवा वट 359, धनदा 360, पुत्रदा 360, अशुभ क्षयकारी 360, विद्यादात्री 360, जयार्क 360, सन्तोषा 360, राज्यदा तुलसी 360, राज्यदा कोल 360, कुश 360 अपामार्ग 360, क्षीरार्णवा 360, चन्द्रामृत 360, स्वामीश्वरी 361, महामायाभोग 361, त्यागा 361, उच्छिष्ट 360, सर्वाङ्ग सुलोचना 361, भूतलोचना 361, जलपाणि 361, मातङ्गेश्वरी 361, विद्या 361, कुमारी 361, बन्दी 361 अष्ट अप्सरा आवाहन मन्त्र : शशि 361, तिलोत्तमा 361, काञ्चनमाला,
कुण्डला, रत्नमाला, रम्भा, उर्वशी, भूषणा 362
अष्ट किनारी मन्त्र : मञ्जुघोषा, मनोहारी, सुभगा, विशालनेत्री, सुरति
प्रिया, अश्वमुखी 362, दिवाकीर 363
कात्यायनी मन्त्र : सुभग कात्यायनी 363, कुण्डल कात्यायनी 363, चन्द्र- कात्यायनी 363, रुद्र कात्यायनी 363, महाकात्यायनी 363, सुर कात्यायनी 363
कर्ण पिशाचिनी मन्त्र : ध्यान 363, मन्त्र 363, मन्त्रफल 364,
सिद्ध कर्ण पिशाचिनी मन्त्र : विनियोग 365, ध्यान 365, मन्त्र 365,
मन्त्रफल 365
अन्य कर्ण पिशाचिनी मन्त्र : 365, 366
वार्ताली मन्त्र : मन्त्र 366, मन्त्र फल 366 विप्रचाण्डालिनी मन्त्र : मन्त्र 366, मन्त्रफल 366
क्षोभिणी मन्त्र : मन्त्र 367, मन्त्रफल 367
प्रेत साधन मन्त्र : मन्त्र 367, मन्त्रफल 357
चेटक मन्त्र : यक्षिणी चेटक 367, लिङ्ग चेटक 367, नाना सिद्धि चेटक 367, सागर चेटक 368, काली चेटक 368, फेत्कारिणी चेटक 368, रतिराज चेटक 368, शतयोजन दृष्टि चेटक 368, तस्कर ग्रहण चेटक 369, चौर्य चेटक 369, गुप्त वार्ता लक्ष्य चेटक 369 स्वर्ण सिद्धि मन्त्र 369, अदृश्य विधान मन्त्र 369, प्रत्यङ्गिका मन्त्र 370, चोरी न हो मन्त्र 370, भूत उपद्रव नाश मन्त्र 370, नजर झाड़ने का मन्त्र 371, ज्वर दूर करने का मन्त्र 371, सुख प्रसव मन्त्र 371, बिच्छू झाइने का मन्त्र 371, सर्प झाड़ने का मन्त्र 372, शत्रु पीड़ा कारक मन्त्र 372, शत्रु को पागल करने का मन्त्र 372, शत्रु गृह कलह कारक मन्त्र 372, विक्रय रोधन मन्त्र 372, शत्रु मारण मन्त्र 373, मुख स्तम्भन मन्त्र 373, वशीकरण मन्त्र 373, विचित्र मन्त्र 373
उपसंहार
00000
DEC
TE 18
SAE TYPE TICES
क
375-380