इस बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत के स्वतन्त्र होने पर उत्साही नैयायिकवृन्द अपनी कृतियों के निर्माण तथा प्राचीन कृतियों के समीक्षात्मक सम्पादन एवं प्रकाशन की ओर अग्रसर हुए, इनका विशेष परिचय मर्यादित स्थान में प्रस्तुत करना सम्भव नहीं है। अतएव मेरी दृष्टि में समागत केवल नाम एवं कृति का विवरण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। कृति लेखक १. तत्त्वसार शाई राखालदास न्यायरत्न माह २. प्रमेयरत्नावली की बलदेव विद्याभूषण माहरणाय ३. प्रमाणचन्द्रिका छलारि शेषाचार्य विशिष्टं न्यायदर्शनम कृष्णवल्लभाचार्य (तत्त्वप्रभावली) BET JUPE PIELE कम 150-5 शस्तृ शर्मा न्यायदर्शनविमर्शः लाश कालीप्रसाद सिंह निक ७. शाब्दबोधविमर्शः मिल बी. एन. सिंह भगत सिंह ८. न्यायप्रमाणसमीक्षा रिसी अभेदानन्द भट्टाचार्य प्राचार आरम्भवाद बदरीनाथ शुक्ल तत्त्वावली शारदा गान्धी का ११. पदार्थतत्त्वसार चन्द्रकान्त तर्कालङ्कार १२. लक्षणराजिः जयनारायण तर्कपञ्चानन टिप्पा भट्टः १३. सारमञ्जरी पामर नाम आशुबोध विद्याभूषण की कानी १४. प्रमाणसंग्रह वादिराजाचार्य १५. सामान्यपिनरुक्तिविवेचना श्रीरंगदेशिक १६. सामान्यनिरुक्तिव्याख्याचन्द्रकला स्वामी हरिनामदास नवरत्नमालिका ६. न्यायदर्शन की दाक्षिणात्य परम्परा १५७ १७. पदार्थदीपिका कौणुडुभट्ट १८. न्यायादर्शः दामोदर महापात्र (नवीनरीत्यनुसारि सुगमं न्यायप्रकरणम्) १६. भारतीयदर्शनपरिचय प्रो. हरिमोहन झा (न्याय-वैशेषिक दर्शन) कमर २०. न्यायप्रदीप डॉ. गङ्गा सहाय शर्मा २१. तर्कशास्त्रपरिचय करून डॉ. गणेश्वर मिश्र २२. तर्कविद्या कानार गार को डॉ. रामचन्द्र सामन्तराय २३. क्षणभडगवाद को me प्रो. मधुसूदन भट्टाचार्य २४. अक्षपाददर्शनम् कलकत्ता संस्कृत कालेज प्रकाशन २५. न्यायदर्शनमते आत्मा निवासी कलकत्ता संस्कृत कालेज प्रकाशन २६. न्यायमीमांसादर्शनयोः प्रमाणविचारः । रघुनाथाचार्य निशेधा २७. तर्कविज्ञान (उड़िया) विपिन- विहारी राय गरे निशान २८. न्यायदर्शन (उड़िया) मधुसूदन महन्ती २६. पदार्थसमीक्षा TET राजकिशोर दास सामान क एवं अंग्रेजी में लिखित ग्रन्थ आदि यहाँ आकलनीय हैं। इससे स्वातन्त्र्योत्तर काल में भारत में न्यायशास्त्र के प्रचार-प्रसार का परिचय हमें मिलता है। हम