०४ भगवान् श्रीजानकीनाथची आरती

मूल (श्लोक)

ॐ जय जानकिनाथा, हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
दोऊ कर जोड़े विनवौं, प्रभु मेरी सुनो बाता॥ॐ॥
तुम रघुनाथ हमारे, प्राण पिता माता।
तुम हो सजन सँगाती, भक्ति मुक्ति दाता॥ ॐ॥
चौरासी प्रभु फन्द छुड़ाओ, मेटो यम त्रासा।
निश दिन प्रभु मोहि राखो, अपने संग साथा॥ ॐ॥
सीताराम लक्ष्मण भरत शत्रुहन, संग चारौं भैया।
जगमग ज्योति विराजत, शोभा अति लहिया॥ ॐ॥
हनुमत नाद बजावत, नेवर ठुमकाता।
कंचन थाल आरती, करत कौशल्या माता॥ ॐ॥
किरिट मुकुट कर धनुष विराजत, शोभा अति भारी।
मनीराम दरशन कर, तुलसिदास दरशन कर, पल-पल बलिहारी॥ ॐ॥
जय जानकिनाथा, हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
हो प्रभु जय सीता माता, हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता॥ ॐ॥
हो प्रभु जय चारौं भ्राता, हो प्रभु जय हनुमत दासा।
दोऊ कर जोड़े विनवौं, प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ॐ॥

Misc Detail

॥ श्रीजानकीवल्लभो विजयते॥
श्रीरामचरितमानस (प्रथम सोपान)