०३ पारायण-विधिः

अनुवाद (हिन्दी)

श्रीरामचरितमानसाचे विधिपूर्वक पारायण करणाऱ्या भक्तांनी पारायणापूर्वी श्रीतुलसीदास, श्रीवाल्मीकी, श्रीशिव आणि श्रीहनुमान यांचे आवाहन व पूजन केल्यावर तिन्ही भावांसह श्रीसीताराम यांचे आवाहन, षोडशोपचार पूजन आणि ध्यान करावे. त्यानंतर पाठ करण्यास प्रारंभ करावा. त्या सर्वांचे पूजन व ध्यान यांचे मंत्र क्रमशः खाली दिले आहेत.

अथ आवाहनमन्त्रः

मूल (दोहा)

तुलसीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुचिव्रत।
र्नैऋत्य उपविश्येदं पूजनं प्रतिगृह्यताम्॥ १॥

मूल (श्लोक)

ॐ तुलसीदासाय नमः।

मूल (दोहा)

श्रीवाल्मीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुभप्रद।
उत्तरपूर्वयोर्मध्ये तिष्ठ गृह्णीष्व मेऽर्चनम्॥२॥

मूल (श्लोक)

ॐ वाल्मीकाय नमः।

मूल (दोहा)

गौरीपते नमस्तुभ्यमिहागच्छ महेश्वर।
पूर्वदक्षिणयोर्मध्ये तिष्ठ पूजां गृहाण मे॥ ३॥

मूल (श्लोक)

ॐ गौरीपतये नमः।

मूल (दोहा)

श्रीलक्ष्मण नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
याम्यभागे समातिष्ठ पूजनं संगृहाण मे॥ ४॥

मूल (श्लोक)

ॐ सपत्नीकाय लक्ष्मणाय नमः।

मूल (दोहा)

श्रीशत्रुघ्न नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठस्य पश्चिमे भागे पूजनं स्वीकुरुष्व मे॥ ५॥

मूल (श्लोक)

ॐ सपत्नीकाय शत्रुघ्नाय नमः।

मूल (दोहा)

श्रीभरत नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठकस्योत्तरे भागे तिष्ठ पूजां गृहाण मे॥ ६॥

मूल (श्लोक)

ॐ सपत्नीकाय भरताय नमः।

मूल (दोहा)

श्रीहनुमन्नमस्तुभ्यमिहागच्छ कृपानिधे।
पूर्वभागे समातिष्ठ पूजनं स्वीकुरु प्रभो॥ ७॥

मूल (श्लोक)

ॐ हनुमते नमः।

मूल (दोहा)

अथ प्रधानपूजा च कर्तव्या विधिपूर्वकम्।
पुष्पाञ्जलिं गृहीत्वा तु ध्यानं कुर्यात्परस्य च॥ ८॥
रक्ताम्भोजदलाभिरामनयनं पीताम्बरालङ्कृतं
श्यामाङ्गं द्विभुजं प्रसन्नवदनं श्रीसीतया शोभितम्।
कारुण्यामृतसागरं प्रियगणैर्भ्रात्रादिभिर्भावितं
वन्दे विष्णुशिवादिसेव्यमनिशं भक्तेष्टसिद्धिप्रदम्॥ ९॥
आगच्छ जानकीनाथ जानक्या सह राघव।
गृहाण मम पूजां च वायुपुत्रादिभिर्युतः॥ १०॥

मूल (श्लोक)

इत्यावाहनम्

मूल (दोहा)

सुवर्णरचितं राम दिव्यास्तरणशोभितम्।
आसनं हि मया दत्तं गृहाण मणिचित्रितम्॥ ११॥

मूल (श्लोक)

इति षोडशोपचारैः पूजयेत्

अनुवाद (हिन्दी)

ॐ अस्य श्रीमन्मानसरामायणश्रीरामचरितस्य श्रीशिवकाकभुशुण्डियाज्ञवल्क्यगोस्वामितुलसीदासा ऋषयः। श्रीसीतारामो देवता। श्रीरामनाम बीजं। भवरोगहरी भक्तिः शक्तिः। मम नियन्त्रिताशेषविघ्नतया श्रीसीतारामप्रीतिपूर्वकसकलमनोरथसिद्धॺर्थं पाठे विनियोगः।

अथ आचमनम्

मूल (श्लोक)

श्रीसीतारामाभ्यां नमः। श्रीरामचन्द्राय नमः। श्रीरामभद्राय नमः।
इति मन्त्रत्रितयेन आचमनं कुर्यात्। श्रीयुगलबीजमन्त्रेण प्राणायामं कुर्यात्॥

अथ करन्यासः

मूल (दोहा)

जग मंगल गुन ग्राम राम के।
दानि मुकुति धन धरम धाम के॥

मूल (श्लोक)

अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।

मूल (दोहा)

राम राम कहि जे जमुहाहीं।
तिन्हहि न पापपुंज समुहाहीं॥

मूल (श्लोक)

तर्जनीभ्यां नमः।

मूल (दोहा)

राम सकल नामन्ह ते अधिका।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका॥

मूल (श्लोक)

मध्यमाभ्यां नमः।

मूल (दोहा)

उमा दारु जोषित की नाईं।
सबहि नचावत रामु गोसाईं॥

मूल (श्लोक)

अनामिकाभ्यां नमः।

मूल (दोहा)

सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं।
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥

मूल (श्लोक)

कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

मूल (दोहा)

मामभिरक्षय रघुकुलनायक।
धृत बर चाप रुचिर कर सायक॥

मूल (श्लोक)

करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

मूलम् (समाप्तिः)

इति करन्यासः

अथ हृदयादिन्यासः

मूल (दोहा)

जग मंगल गुन ग्राम राम के।
दानि मुकुति धन धरम धाम के॥

मूल (श्लोक)

हृदयाय नमः।

मूल (दोहा)

राम राम कहि जे जमुहाहीं।
तिन्हहि न पापपुंज समुहाहीं॥

मूल (श्लोक)

शिरसे स्वाहा।

मूल (दोहा)

राम सकल नामन्ह ते अधिका।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका॥

मूल (श्लोक)

शिखायै वषट्।

मूल (दोहा)

उमा दारु जोषित की नाईं।
सबहि नचावत रामु गोसाईं॥

मूल (श्लोक)

कवचाय हुम्।

मूल (दोहा)

सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं।
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥

मूल (श्लोक)

नेत्राभ्यां वौषट्।

मूल (दोहा)

मामभिरक्षय रघुकुलनायक।
धृत बर चाप रुचिर कर सायक॥

मूल (श्लोक)

अस्त्राय फट्।

मूलम् (समाप्तिः)

इति हृदयादिन्यासः

अथ ध्यानम्

मूल (दोहा)

मामवलोकय पंकजलोचन।
कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन॥
नील तामरस स्याम काम अरि।
हृदय कंज मकरंद मधुप हरि॥
जातुधान बरूथ बल भंजन।
मुनि सज्जन रंजन अघ गंजन॥
भूसुर ससि नव बृंद बलाहक।
असरन सरन दीन जन गाहक॥
भुजबल बिपुल भार महि खंडित।
खर दूषन बिराध बध पंडित॥
रावनारि सुखरूप भूपबर।
जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर॥
सुजस पुरान बिदित निगमागम।
गावत सुर मुनि संत समागम॥
कारुनीक ब्यलीक मद खंडन।
सब बिधि कुसल कोसला मंडन॥
कलि मल मथन नाम ममताहन।
तुलसिदास प्रभु पाहि प्रनत जन॥

मूलम् (समाप्तिः)

इति ध्यानम्