०५ श्रीरामशलाका प्रश्नावली

अनुवाद (हिन्दी)

मानसानुरागी महानुभावोंको श्रीरामशलाका प्रश्नावलीका विशेष परिचय देनेकी कोई आवश्यकता नहीं प्रतीत होती। उसकी महत्ता एवं उपयोगितासे प्रायः सभी मानसप्रेमी परिचित होंगे। अतः नीचे उसका स्वरूपमात्र अङ्कित करके उससे प्रश्नोत्तर निकालनेकी विधि तथा उसके उत्तर-फलोंका उल्लेख कर दिया जाता है। श्रीरामशलाका प्रश्नावलीका स्वरूप इस प्रकार है—
इस रामशलाका प्रशनावलीके द्वारा जिस किसीको जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्नका उत्तर प्राप्त करनेकी इच्छा हो तो सर्वप्रथम उस व्यक्तिको भगवान् श्रीरामचन्द्रजीका ध्यान करना चाहिये। तदनन्तर श्रद्धा-विश्वासपूर्वक मनसे अभीष्ट प्रश्नका चिन्तन करते हुए प्रशनावलीके मनचाहे कोष्ठकमें अँगुली या कोई शलाका रख देना चाहिये और उस कोष्ठकमें जो अक्षर हो उसे अलग किसी कोरे कागज या स्लेटपर लिख लेना चाहिये। प्रश्नावलीके कोष्ठकपर भी ऐसा कोई निशान लगा देना चाहिये जिससे न तो प्रश्नावली गन्दी हो और न प्रश्नोत्तर प्राप्त होनेतक वह कोष्ठक भूल जाय। अब जिस कोष्ठकका अक्षर लिख लिया गया है उससे आगे बढ़ना चाहिये तथा उसके नवें कोष्ठकमें जो अक्षर पड़े उसे भी लिख लेना चाहिये। इस प्रकार प्रति नवें अक्षरको क्रमसे लिखते जाना चाहिये और तबतक लिखते जाना चाहिये, जबतक उसी पहले कोष्ठकके अक्षरतक अँगुली अथवा शलाका न पहुँच जाय। पहले कोष्ठकका अक्षर जिस कोष्ठकके अक्षरसे नवाँ पड़ेगा, वहाँतक पहुँचते-पहुँचते एक चौपाई पूरी हो जायगी, जो प्रश्नकर्त्ताके अभीष्ट प्रश्नका उत्तर होगी। यहाँ इस बातका ध्यान रखना चाहिये कि किसी-किसी कोष्ठकमें केवल ‘आ’ की मात्रा (ा) और किसी-किसी कोष्ठकमें दो-दो अक्षर हैं। अतः गिनते समय न तो मात्रावाले कोष्ठकको छोड़ देना चाहिये और न दो अक्षरोंवाले कोष्ठकको दो बार गिनना चाहिये। जहाँ मात्राका कोष्ठक आवे वहाँ पूर्वलिखित अक्षरके आगे मात्रा लिख लेना चाहिये और जहाँ दो अक्षरोंवाला कोष्ठक आवे वहाँ दोनों अक्षर एक साथ लिख लेना चाहिये।
अब उदाहरणके तौरपर इस रामशलाका प्रश्नावलीसे किसी प्रश्नके उत्तरमें एक चौपाई निकाल दी जाती है। पाठक ध्यानसे देखें। किसीने भगवान् श्रीरामचन्द्रजीका ध्यान और अपने प्रश्नका चिन्तन करते हुए यदि प्रश्नावलीके* इस चिह्नसे संयुक्त ‘म’ वाले कोष्ठकमें अँगुली या शलाका रखा और वह ऊपर बताये क्रमके अनुसार अक्षरोंको गिन-गिनकर लिखता गया तो उत्तरस्वरूप यह चौपाई बन जायगी—

मूल (श्लोक)

हो इ हि सो इ जो रा म* र चि रा खा।
को क रि त र्क ब ढ़ा वै सा खा॥

अनुवाद (हिन्दी)

यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वतीके संवादमें है। प्रश्नकर्त्ताको इस उत्तरस्वरूप चौपाईसे यह आशय निकालना चाहिये कि कार्य होनेमें सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयस्कर है।
इस चौपाईके अतिरिक्त श्रीरामशलाका प्रश्नावलीसे आठ चौपाइयाँ और बनती हैं, उन सबका स्थान और फलसहित उल्लेख नीचे किया जाता है। कुल नौ चौपाइयाँ हैं—

मूल (श्लोक)

१-सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई बालकाण्डमें श्रीसीताजीके गौरीपूजनके प्रसंगमें है। गौरीजीने श्रीसीताजीको आशीर्वाद दिया है।
फल—प्रश्नकर्त्ताका प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।

मूल (श्लोक)

२-प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई सुन्दरकाण्डमें हनुमान् जीके लङ्कामें प्रवेश करनेके समयकी है।
फल—भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।

मूल (श्लोक)

३-उघरहिं अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई बालकाण्डके आरम्भमें सत्संग-वर्णनके प्रसंगमें है।
फल—इस कार्यमें भलाई नहीं है। कार्यकी सफलतामें सन्देह है।

मूल (श्लोक)

४-बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई भी बालकाण्डके आरम्भमें ही सत्संग-वर्णनके प्रसंगकी है।
फल—खोटे मनुष्योंका संग छोड़ दो। कार्य पूर्ण होनेमें सन्देह है।

मूल (श्लोक)

५-मुद मंगलमय संत समाजू।
जो जग जंगम तीरथराजू॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई बालकाण्डमें संत-समाजरूपी तीर्थके वर्णनमें है।
फल—प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।

मूल (श्लोक)

६-गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई श्रीहनुमान् जीके लङ्कामें प्रवेश करनेके समयकी है।
फल—प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।

मूल (श्लोक)

७-बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई लङ्काकाण्डमें रावणकी मृत्युके पश्चात् मन्दोदरीके विलापके प्रसंगमें है।
फल—कार्य पूर्ण होनेमें सन्देह है।

मूल (श्लोक)

८-सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥

अनुवाद (हिन्दी)

स्थान—यह चौपाई बालकाण्डमें पुष्पवाटिकासे पुष्प लानेपर विश्वामित्रजीका आशीर्वाद है।
फल—प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
इस प्रकार रामशलाका प्रश्नावलीसे कुल नौ चौपाइयाँ बनती हैं, जिनमें सभी प्रकारके प्रश्नोंके उत्तराशय सन्निहित हैं।

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