०२ पारायण-विधि

अनुवाद (हिन्दी)

श्रीरामचरितमानसका विधिपूर्वक पाठ करनेवाले महानुभावोंको पाठारम्भके पूर्व श्रीतुलसीदासजी, श्रीवाल्मीकिजी, श्रीशिवजी तथा श्रीहनुमान् जी का आवाहन, पूजन करनेके पश्चात् तीनों भाइयोंसहित श्रीसीतारामजीका आवाहन, षोडशोपचार पूजन और ध्यान करना चाहिये। तदनन्तर पाठका आरम्भ करना चाहिये। सबके आवाहन, पूजन और ध्यानके मन्त्र क्रमशः नीचे लिखे जाते हैं—

अथ आवाहनमन्त्रः

मूल (श्लोक)

तुलसीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुचिव्रत।
नैर्ऋत्य उपविश्येदं पूजनं प्रतिगृह्यताम्॥ १॥
ॐ तुलसीदासाय नमः।
श्रीवाल्मीक नमस्तुभ्यमिहागच्छ शुभप्रद।
उत्तरपूर्वयोर्मध्ये तिष्ठ गृह्णीष्व मेऽर्चनम्॥ २॥
ॐ वाल्मीकाय नमः।
गौरीपते नमस्तुभ्यमिहागच्छ महेश्वर।
पूर्वदक्षिणयोर्मध्ये तिष्ठ पूजां गृहाण मे॥ ३॥
ॐ गौरीपतये नमः।
श्रीलक्ष्मण नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
याम्यभागे समातिष्ठ पूजनं संगृहाण मे॥ ४॥
ॐ श्रीसपत्नीकाय लक्ष्मणाय नमः।
श्रीशत्रुघ्न नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठस्य पश्चिमे भागे पूजनं स्वीकुरुष्व मे॥ ५॥
ॐ श्रीसपत्नीकाय शत्रुघ्नाय नमः।
श्रीभरत नमस्तुभ्यमिहागच्छ सहप्रियः।
पीठकस्योत्तरे भागे तिष्ठ पूजां गृहाण मे॥ ६॥
ॐ श्रीसपत्नीकाय भरताय नमः।
श्रीहनुमन्नमस्तुभ्यमिहागच्छ कृपानिधे।
पूर्वभागे समातिष्ठ पूजनं स्वीकुरु प्रभो॥ ७॥
ॐ हनुमते नमः।
अथ प्रधानपूजा च कर्तव्या विधिपूर्वकम्।
पुष्पाञ्जलिं गृहीत्वा तु ध्यानं कुर्यात्परस्य च॥ ८॥
रक्ताम्भोजदलाभिरामनयनं पीताम्बरालङ्कृतं
श्यामाङ्गं द्विभुजं प्रसन्नवदनं श्रीसीतया शोभितम्।
कारुण्यामृतसागरं प्रियगणैर्भ्रात्रादिभिर्भावितं
वन्दे विष्णुशिवादिसेव्यमनिशं भक्तेष्टसिद्धिप्रदम्॥ ९॥
आगच्छ जानकीनाथ जानक्या सह राघव।
गृहाण मम पूजां च वायुपुत्रादिभिर्युतः॥ १०॥

इत्यावाहनम्

पूजा

मूल (श्लोक)

सुवर्णरचितं राम दिव्यास्तरणशोभितम्।
आसनं हि मया दत्तं गृहाण मणिचित्रितम्॥ ११॥

मूलम् (समाप्तिः)

इति षोडशोपचारैः पूजयेत्

अनुवाद (हिन्दी)

ॐ अस्य श्रीमन्मानसरामायणश्रीरामचरितस्य श्रीशिवकाकभुशुण्डियाज्ञवल्क्य-गोस्वामितुलसीदासा ऋषयः श्रीसीतारामो देवता श्रीरामनाम बीजं भवरोगहरी भक्तिः शक्तिः मम नियन्त्रिताशेषविघ्नतया श्रीसीतारामप्रीतिपूर्वकसकलमनोरथसिद्धॺर्थं पाठे विनियोगः।

अथ आचमनम्

मूल (श्लोक)

श्रीसीतारामाभ्यां नमः। श्रीरामचन्द्राय नमः।
श्रीरामभद्राय नमः।
इति मन्त्रत्रितयेन आचमनं कुर्यात्।
श्रीयुगलबीजमन्त्रेण प्राणायामं कुर्यात्॥

अथ करन्यासः

मूल (श्लोक)

जग मंगल गुनग्राम राम के।
दानि मुकुति धन धरम धाम के॥
अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
राम राम कहि जे जमुहाहीं।
तिन्हहि न पाप पुंज समुहाहीं॥
तर्जनीभ्यां नमः।
राम सकल नामन्ह तें अधिका।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका॥
मध्यमाभ्यां नमः।
उमा दारु जोषित की नाईं।
सबहि नचावत रामु गोसाईं॥
अनामिकाभ्यां नमः।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं।
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥
कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
मामभिरक्षय रघुकुल नायक।
धृत बर चाप रुचिर कर सायक॥
करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

मूलम् (समाप्तिः)

इति करन्यासः

अथ हृदयादिन्यासः

मूल (श्लोक)

जग मंगल गुनग्राम राम के।
दानि मुकुति धन धरम धाम के॥
हृदयाय नमः।
राम राम कहि जे जमुहाहीं।
तिन्हहि न पाप पुंज समुहाहीं॥
शिरसे स्वाहा।
राम सकल नामन्ह तें अधिका।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका॥
शिखायै वषट्।
उमा दारु जोषित की नाईं।
सबहि नचावत रामु गोसाईं॥
कवचाय हुम्।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं।
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥
नेत्राभ्यां वौषट्।
मामभिरक्षय रघुकुल नायक।
धृत बर चाप रुचिर कर सायक॥
अस्त्राय फट्।

मूलम् (समाप्तिः)

इति हृदयादिन्यासः

अथ ध्यानम्

मूल (श्लोक)

मामवलोकय पंकज लोचन।
कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन॥
नील तामरस स्याम काम अरि।
हृदय कंज मकरंद मधुप हरि॥
जातुधान बरूथ बल भंजन।
मुनि सज्जन रंजन अघ गंजन॥
भूसुर ससि नव बृंद बलाहक।
असरन सरन दीन जन गाहक॥
भुज बल बिपुल भार महि खंडित।
खर दूषन बिराध बध पंडित॥
रावनारि सुखरूप भूपबर।
जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर॥
सुजस पुरान बिदित निगमागम।
गावत सुर मुनि संत समागम॥
कारुनीक ब्यलीक मद खंडन।
सब बिधि कुसल कोसला मंडन॥
कलि मल मथन नाम ममताहन।
तुलसिदास प्रभु पाहि प्रनत जन॥

मूलम् (समाप्तिः)

इति ध्यानम्

Misc Detail

॥श्रीगणेशाय नमः॥
श्रीजानकीवल्लभो विजयते

भागसूचना

श्रीरामचरितमानस (प्रथम सोपान)