स्वर्
मूलम्
स्वर् अव्ययं स्वर्ग-नाक–त्रिदिव-त्रिदशालयाः ॥1.1.6.1॥
शब्दाः
स्वर्गः. heaven (5) - स्वर् (अव्य), स्वर्ग (पुं), नाक (पुं), त्रिदिव (पुं), त्रिदशालय (पुं) ॥1.1.6.1॥
मूलम्
सुर-लोको, द्यो-दिवौ द्वे स्त्रियां, क्लीबे त्रिविष्टपम् ॥1.1.6.2॥
शब्दाः
स्वर्गः. heaven (5) - सुरलोक (पुं), द्यो (स्त्री), दिव् (स्त्री), त्रिविष्टप (नपुं), +[त्रिपिष्टप (नपुं)] ॥1.1.6.2॥
देवः
मूलम्
अमरा निर्जरा देवास् त्रिदशा विबुधाः सुराः ॥1.1.7.1॥
शब्दाः
देवः. deva (6) - अमर (पुं), निर्जरस् (पुं), देव (पुं), त्रिदश (पुं), विबुध (पुं), सुर (पुं) ॥1.1.7.1॥
मूलम्
सुपर्वाणः सुमनसस् त्रि-दिवेशा दिवौकसः ॥1.1.7.2॥
शब्दाः
देवः. deva (5) - सुपर्वन् (पुं), सुमनस् (पुं), त्रिदिवेश (पुं), दिवौकस् (पुं), +[दिवौकः (पुं)] ॥1.1.7.2॥
मूलम्
आदितेया दिवि-षदो लेखा अदिति-नन्दनाः ॥1.1.8.1॥
शब्दाः
देवः. deva (4) - आदितेय (पुं), दिविषद् (पुं), लेख (पुं), अदितिनन्दन (पुं) ॥1.1.8.1॥
मूलम्
आदित्या ऋभवो ऽस्वप्ना अमर्त्या अमृतान्धसः ॥1.1.8.2॥
शब्दाः
देवः. deva (5) - आदित्य (पुं), ऋभव (पुं), अस्वप्न (पुं), अमर्त्य (पुं), अमृतान्धस् (पुं) ॥1.1.8.2॥
मूलम्
बर्हिर्-मुखाः क्रतु-भुजो गीर्वाणा दानवारयः ॥1.1.9.1॥
शब्दाः
देवः. deva (5) - बर्हिर्मुख (पुं), क्रतुभुज् (पुं), गीर्वाण (पुं), +[गीर्बाण (पुं)], दानवारि (पुं) ॥1.1.9.1॥
मूलम्
वृन्दारका दैवतानि पुंसि वा देवताः स्त्रियाम् ॥1.1.9.2॥
शब्दाः
देवः. deva (3) - वृन्दारक (पुं), दैवत (पुं-नपुं), देवता (स्त्री) ॥1.1.9.2॥
मूलम्
आदित्य-विश्व-वसवस् तुषिता भास्वरानिलाः ॥1.1.10.1॥
शब्दाः
गणदेवता. class of devas (6) - आदित्य (पुं), विश्व (नपुं), वसु (पुं-बहु), तुषित (पुं-बहु), आभास्वर (पुं), अनिल (पुं) ॥1.1.10.1॥
मूलम्
माहा-राजिक–साध्याश् च रुद्राश् च गणदेवताः ॥1.1.10.2॥
शब्दाः
गणदेवता. class of devas (3) - महाराजिक (पुं-बहु), साध्य (पुं-बहु), रुद्र (पुं) ॥1.1.10.2॥
देवजाः
मूलम्
विद्याधराप्सरो-यक्ष-रक्षो-गन्धर्व-किन्नराः ॥1.1.11.1॥
शब्दाः
देवयोनिः. class of divine beings (6) - विद्याधर (पुं), अप्सरस् (स्त्री-बहु), यक्ष (पुं), रक्ष (पुं), गन्धर्व (पुं), किन्नर (पुं) ॥1.1.11.1॥
मूलम्
पिशाचो गुह्यकः सिद्धो भूतोऽमी देव-योनयः ॥1.1.11.2॥
शब्दाः
देवयोनिः. class of divine beings (4) - पिशाच (पुं), गुह्यक (पुं), सिद्ध (पुं), भूत (नपुं) ॥1.1.11.2॥
मूलम्
असुरा दैत्य-दैतेय-दनुजेन्द्रारि-दानवाः ॥1.1.12.1॥
शब्दाः
असुरः. asura (7) - असुर (पुं), +[आसुर (पुं)], दैत्य (पुं), दैतेय (पुं), दनुज (पुं), इन्द्रारि (पुं), दानव (पुं) ॥1.1.12.1॥
मूलम्
शुक्र-शिष्या दिति-सुताः पूर्व-देवाः सुर-द्विषः ॥1.1.12.2॥
शब्दाः
असुरः. asura (4) - शुक्रशिष्य (पुं), दितिसुत (पुं), पूर्वदेव (पुं), सुरद्विष् (पुं) ॥1.1.12.2॥
बुद्धः
मूलम्
सर्व-ज्ञः सुगतो बुद्धो धर्म-राजस् तथागतः ॥1.1.13.1॥
शब्दाः
बुद्धः. buddha (5) - सर्वज्ञ (पुं), सुगत (पुं), बुद्ध (पुं), धर्मराज (पुं), तथागत (पुं) ॥1.1.13.1॥
मूलम्
समन्त-भद्रो भगवान् मार-जिल् लोक-जिज् जिनः ॥1.1.13.2॥
शब्दाः
बुद्धः. buddha (5) - समन्तभद्र (पुं), भगवत् (पुं), मारजित् (पुं), लोकजित् (पुं), जिन (पुं) ॥1.1.13.2॥
मूलम्
षड्-अभिज्ञो दश-बलो ऽद्वय-वादी विनायकः ॥1.1.14.1॥
शब्दाः
बुद्धः. buddha (4) - षडभिज्ञ (पुं), दशबल (पुं), अद्वयवादिन् (पुं), विनायक (पुं) ॥1.1.14.1॥
मूलम्
मुनीन्द्रः श्री-घनः शास्ता मुनिः शाक्य-मुनिस् तु यः ॥1.1.14.2॥
शब्दाः
बुद्धः. buddha (4) - मुनीन्द्र (पुं), श्रीघन (पुं), शास्तृ (पुं), मुनि (पुं)
शाक्यः. the buddha (1) - शाक्यमुनि (पुं) ॥1.1.14.2॥
मूलम्
स शाक्य-सिंहः सर्वार्थ-सिद्धः शौद्धोदनिश् च सः ॥1.1.15.1॥
शब्दाः
शाक्यः. the buddha (3) - शाक्यसिंह (पुं), सर्वार्थसिद्ध (पुं), शौद्धोदनि (पुं) ॥1.1.15.1॥
मूलम्
गौतमश् चार्क-बन्धुश् च माया-देवी-सुतश् च सः ॥1.1.15.2॥
शब्दाः
शाक्यः. the buddha (3) - गौतम (पुं), अर्कबन्धु (पुं), मायादेवीसुत (पुं) ॥1.1.15.2॥
ब्रह्मा
मूलम्
ब्रह्मा ऽऽत्म-भूः सुर-ज्येष्ठः परमेष्ठी पिता-महः ॥1.1.16.1॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (5) - ब्रह्मन् (पुं), आत्मभू (पुं), सुरज्येष्ठ (पुं), परमेष्ठिन् (पुं), पितामह (पुं) ॥1.1.16.1॥
मूलम्
हिरण्य-गर्भो लोकेशः स्वयम्-भूश् चतुर्-आननः ॥1.1.16.2॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (4) - हिरण्यगर्भ (पुं), लोकेश (पुं), स्वयम्भू (पुं), चतुरानन (पुं) ॥1.1.16.2॥
मूलम्
धाता ऽब्ज-योनिर् द्रुहिणो विरिञ्चिः कमलासनः ॥1.1.17.1॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (6) - धातृ (पुं), अब्जयोनि (पुं), द्रुहिण (पुं), विरिञ्चि (पुं), +[विरञ्चि (पुं)], कमलासन (पुं) ॥1.1.17.1॥
मूलम्
स्रष्टा प्रजा-पतिर् वेधा विधाता विश्व-सृड् विधिः ॥1.1.17.2॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (6) - स्रष्टृ (पुं), प्रजापति (पुं), वेधस् (पुं), विधातृ (पुं), विश्वसृज् (पुं), विधि (पुं) ॥1.1.17.2॥
मूलम्
नाभिजन्मा ऽण्डजः पूर्वो निधनः कमलोद्भवः ॥1.1.17.3॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (5) - नाभिजन्मन् (पुं), अण्डज (पुं), पूर्व (पुं), निधन (पुं-नपुं), कमलोद्भव (पुं) ॥1.1.17.3॥
मूलम्
सदानन्दो रजो-मूर्तिः सत्यको हंस-वाहनः ॥1.1.17.4॥
शब्दाः
ब्रह्मा. brahma (4) - सदानन्द (पुं), रजोमूर्तिन् (पुं), सत्यक (पुं), हंसवाहन (पुं) ॥1.1.17.4॥
विष्णुः
मूलम्
विष्णुर् नारायणः कृष्णो वैकुण्ठो विष्टर+++(=कुशमुष्टि)+++-श्रवाः+++(=कर्णः)+++ ॥1.1.18.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (6) - विष्णु (पुं), नारायण (पुं), +[नरायण (पुं)], कृष्ण (पुं), वैकुण्ठ (पुं), विष्टरश्रवस् (पुं) ॥1.1.18.1॥
मूलम्
दामोदरो हृषीकेशः केशवो माधवः स्व-भूः ॥1.1.18.2॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (5) - दामोदर (पुं), हृषीकेश (पुं), केशव (पुं), माधव (पुं), स्वभू (पुं) ॥1.1.18.2॥
मूलम्
दैत्यारिः पुण्डरीकाक्षो गोविन्दो गरुड-ध्वजः ॥1.1.19.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - दैत्यारि (पुं), पुण्डरीकाक्ष (पुं), गोविन्द (पुं), गरुडध्वज (पुं) ॥1.1.19.1॥
मूलम्
पीताम्बरो ऽच्युतः शार्ङ्गी विष्व-क्सेनो जनार्दनः ॥1.1.19.2॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (6) - पीताम्बर (पुं), अच्युत (पुं), शार्ङ्गिन् (पुं), विष्वक्सेन (पुं), +[विश्वक्सेन (पुं)], जनार्दन (पुं) ॥1.1.19.2॥
मूलम्
उपेन्द्र इन्द्रावर-जश् चक्र-पाणिश् चतुर्भुजः ॥1.1.20.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - उपेन्द्र (पुं), इन्द्रावरज (पुं), चक्रपाणि (पुं), चतुर्भुज (पुं) ॥1.1.20.1॥
मूलम्
पद्म-नाभो मधु-रिपुर् वासु-देवस् त्रि-विक्रमः ॥1.1.20.2॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - पद्मनाभ (पुं), मधुरिपु (पुं), वासुदेव (पुं), त्रिविक्रम (पुं) ॥1.1.20.2॥
मूलम्
देवकी-नन्दनः शौरिः श्री-पतिः पुरुषोत्तमः ॥1.1.21.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (5) - देवकीनन्दन (पुं), शौरि (पुं), +[सौरि (पुं)], श्रीपति (पुं), पुरुषोत्तम (पुं) ॥1.1.21.1॥
मूलम्
वन-माली बलि-ध्वंसी कंसारातिर् अधो-क्षजः ॥1.1.21.2॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - वनमालिन् (पुं), बलिध्वंसिन् (पुं), कंसाराति (पुं), अधोक्षज (पुं) ॥1.1.21.2॥
मूलम्
विश्वम्-भरः कैटभ-जिद् विधुः श्रीवत्स-लाञ्छनः ॥1.1.22.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - विश्वम्भर (पुं), कैटभजित् (पुं), विधु (पुं), श्रीवत्सलाञ्छन (पुं) ॥1.1.22.1॥
मूलम्
पुराण-पुरुषो यज्ञ-पुरुषो नरकान्तकः ॥1.1.22.2॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (3) - पुराणपुरुष (पुं), यज्ञपुरुष (पुं), नरकान्तक (पुं) ॥1.1.22.2॥
मूलम्
जल-शायी विश्व-रूपो मुकुन्दो मुर-मर्दनः ॥1.1.22.3॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (4) - जलशायिन् (पुं), विश्वरूप (पुं), मुकुन्द (पुं), मुरमर्दन (पुं) ॥1.1.22.3॥
विष्णु-परिवारः
मूलम्
वसुदेवोऽस्य जनकः स एवानक-दुन्दुभिः ॥1.1.22.4॥
शब्दाः
वसुदेवः. his father (2) - वसुदेव (पुं), आनकदुन्दुभि (पुं) ॥1.1.22.4॥
मूलम्
बल-भद्रः प्रलम्ब+++(=दैत्यविशेष)+++-घ्नो बलदेवो ऽच्युताग्रजः ॥1.1.23.1॥
शब्दाः
बलभद्रः. balarama (4) - बलभद्र (पुं), प्रलम्बघ्न (पुं), बलदेव (पुं), अच्युताग्रज (पुं) ॥1.1.23.1॥
मूलम्
रेवती-रमणो रामः काम-पालो हलायुधः ॥1.1.23.2॥
शब्दाः
बलभद्रः. balarama (4) - रेवतीरमण (पुं), राम (पुं), कामपाल (पुं), हलायुध (पुं) ॥1.1.23.2॥
मूलम्
नीलाम्बरो रौहिणेयस् तालाङ्को मुसली हली ॥1.1.24.1॥
शब्दाः
बलभद्रः. balarama (6) - नीलाम्बर (पुं), रौहिणेय (पुं), तालाङ्क (पुं), मुसलिन् (पुं), मुषलिन् (पुं), हलिन् (पुं) ॥1.1.24.1॥
मूलम्
सङ्कर्षणः सीर-पाणिः कालिन्दी-भेदनो बलः ॥1.1.24.2॥
शब्दाः
बलभद्रः. balarama (4) - सङ्कर्षण (पुं), सीरपाणि (पुं), कालिन्दीभेदन (पुं), बल (पुं) ॥1.1.24.2॥
कामः
मूलम्
मदनो मन्मथो मारः प्रद्युम्नो मीन-केतनः ॥1.1.25.1॥
शब्दाः
कामदेवः. kamadeva (5) - मदन (पुं), मन्मथ (पुं), मार (पुं), प्रद्युम्न (पुं), मीनकेतन (पुं) ॥1.1.25.1॥
मूलम्
कन्दर्पो दर्पको ऽनङ्गः कामः पञ्च-शरः स्मरः ॥1.1.25.2॥
शब्दाः
कामदेवः. kamadeva (6) - कन्दर्प (पुं), दर्पक (पुं), अनङ्ग (पुं), काम (पुं), पञ्चशर (पुं), स्मर (पुं) ॥1.1.25.2॥
मूलम्
शम्बरारिर् मनसि-जः कुसुमेषुर् अनन्यजः ॥1.1.26.1॥
शब्दाः
कामदेवः. kamadeva (5) - शम्बरारि (पुं), +[सम्बरारि (पुं)], मनसिज (पुं), कुसुमेषु (पुं), अनन्यज (पुं) ॥1.1.26.1॥
मूलम्
पुष्प-धन्वा रति-पतिर् मकर-ध्वज आत्म-भूः ॥1.1.26.2॥
शब्दाः
कामदेवः. kamadeva (4) - पुष्पधन्वन् (पुं), रतिपति (पुं), मकरध्वज (पुं), आत्मभू (पुं) ॥1.1.26.2॥
मूलम्
अरविन्दम् अशोकं च चूतं च नव-मल्लिका ॥1.1.26.3॥
शब्दाः
कामबाणः. kama’s arrow (4) - अरविन्द (नपुं), अशोक (नपुं), चूत (पुं), नवमल्लिका (स्त्री) ॥1.1.26.3॥
मूलम्
नीलोत्पलं च पञ्चैते पञ्च-बाणस्य सायकाः ॥1.1.26.4॥
शब्दाः
कामबाणः. kama’s arrow (1) - नीलोत्पल (नपुं) कामदेवः kamadeva (1) - पञ्चबाण (पुं) ॥1.1.26.4॥
मूलम्
उन्मादनस् तापनश् च शोषणः स्तम्भनस् तथा ॥1.1.26.5॥
शब्दाः
कामबाणः. kama’s arrow (4) - उन्मादन (नपुं), तापन (नपुं), शोषण (नपुं), स्तम्भन (नपुं) ॥1.1.26.5॥
मूलम्
संमोहनश् च कामस्य पञ्च बाणाः प्रकीर्तिताः ॥1.1.26.6॥
शब्दाः
कामबाणः. kama’s arrow (1) - सम्मोहन (नपुं) कामदेवः. kamadeva (1) - काम (पुं) ॥1.1.26.6॥
मूलम्
ब्रह्म-सूर् विश्व-केतुः स्याद् अनिरुद्ध उषा-पतिः ॥1.1.27.1॥
शब्दाः
कामदेवः. kamadeva (5) - ब्रह्मसू (पुं), विश्वकेतु (पुं), +[ऋश्यकेतु (पुं)], +[ऋष्यकेतु (पुं)], +[झषकेतु (पुं)]
अनिरुद्धः. aniruddha (2) - अनिरुद्ध (पुं), उषापति (पुं) ॥1.1.27.1॥
लक्ष्मी
मूलम्
लक्ष्मीः पद्मालया पद्मा कमला श्रीर् हरि-प्रिया ॥1.1.27.2॥
शब्दाः
लक्ष्मी. lakshmi (6) - लक्ष्मी (स्त्री), पद्मालया (स्त्री), पद्मा (स्त्री), कमला (स्त्री), श्री (स्त्री), हरिप्रिया (स्त्री) ॥1.1.27.2॥
मूलम्
इन्दिरा लोक-माता मा क्षीरोद-तनया रमा ॥1.1.27.3॥
शब्दाः
लक्ष्मी. lakshmi (6) - इन्दिरा (स्त्री), लोकमातृ (स्त्री), मा (स्त्री), क्षीरोदतनया (स्त्री), +[क्षीराब्धितनया (स्त्री)], रमा (स्त्री) ॥1.1.27.3॥
मूलम्
भार्गवी लोक-जननी क्षीर-सागर-कन्यका ॥1.1.27.4॥
शब्दाः
लक्ष्मी. lakshmi (3) - भार्गवी (स्त्री), लोकजननी (स्त्री), क्षीरसागरकन्यका (स्त्री) ॥1.1.27.4॥
विष्णु-परिकराः
मूलम्
शङ्खो लक्ष्मी-पतेः पाञ्चजन्यश्, चक्रं सुदर्शनम् ॥1.1.28.1॥
शब्दाः
विष्णुः. vishnu (1) - लक्ष्मीपति (पुं)
विष्णुशङ्खः. vishnu (1) - पाञ्चजन्य (पुं)
विष्णुचक्रम्. vishnu’s discus (1) - सुदर्शन (पुं-नपुं) ॥1.1.28.1॥
मूलम्
कौमोदकी गदा, खड्गो नन्दकः, कौस्तुभो मणिः ॥1.1.28.2॥
शब्दाः
विष्णुगदा. vishnu’s mace (1) - कौमोदकी (स्त्री)
विष्णुखड्गः. vishnu’s sword (1) - नन्दक (पुं)
विष्णोः मणिः. vishnu’s jewel (1) - कौस्तुभ (पुं) ॥1.1.28.2॥
मूलम्
चापः शार्ङ्गं मुरारेस् तु, श्रीवत्सो लाञ्छनं स्मृतम् ॥1.1.28.3॥
शब्दाः
विष्णुचापः. vishnu’s bow (1) - शार्ङ्ग (पुं)
विष्णुः. vishnu (1) - मुरारि (पुं)
विष्णुलाञ्छनम्. vishnu’s mark (1) - श्रीवत्स (पुं) ॥1.1.28.3॥
मूलम्
अश्वाश् च शैब्य–सुग्रीव–मेघ-पुष्प–बलाहकाः ॥1.1.28.4॥
शब्दाः
विष्णोः अश्वः. vishnu’s horse (4) - शैब्य (पुं), सुग्रीव (पुं), मेघपुष्प (नपुं), बलाहक (पुं) ॥1.1.28.4॥
मूलम्
सारथिर् दारुको, मन्त्री ह्य् उद्धवश्, चानुजो गदः ॥1.1.28.5॥
शब्दाः
विष्णोः सारथिः. vishnu’s charioteer (1) - दारुक (पुं)
विष्णोः मन्त्रिः. vishnu’s minister (1) - उद्धव (पुं)
कृष्णानुजः. vishnu’s brother (1) - गद (पुं) ॥1.1.28.5॥
मूलम्
गरुत्मान् गरुडस् तार्क्ष्यो वैनतेयः खगेश्वरः ॥1.1.29.1॥
शब्दाः
गरुडः. garuda (5) - गरुत्मत् (पुं), गरुड (पुं), तार्क्ष्य (पुं), वैनतेय (पुं), खगेश्वर (पुं) ॥1.1.29.1॥
मूलम्
नागान्तको विष्णु-रथः सुपर्णः पन्नगाशनः ॥1.1.29.2॥
शब्दाः
गरुडः. garuda (4) - नागान्तक (पुं), विष्णुरथ (पुं), सुपर्ण (पुं), पन्नगाशन (पुं) ॥1.1.29.2॥
शिवः
मूलम्
शम्भुर् ईशः पशु-पतिः शिवः शूली महेश्वरः ॥1.1.30.1॥
शब्दाः
शिवः. shiva (6) - शम्भु (पुं), ईश (पुं), पशुपति (पुं), शिव (पुं), शूलिन् (पुं), महेश्वर (पुं) ॥1.1.30.1॥
मूलम्
ईश्वरः शर्व ईशानः शङ्करश् चन्द्र-शेखरः ॥1.1.30.2॥
शब्दाः
शिवः. shiva (6) - ईश्वर (पुं), शर्व (पुं), +[सर्व (पुं)], ईशान (पुं), शङ्कर (पुं), चन्द्रशेखर (पुं) ॥1.1.30.2॥
मूलम्
भूतेशः खण्ड-परशुर् गिरीशो गिरिशो मृडः ॥1.1.31.1॥
शब्दाः
शिवः. shiva (5) - भूतेश (पुं), खण्डपरशु (पुं), गिरीश (पुं), गिरिश (पुं), मृड (पुं) ॥1.1.31.1॥
मूलम्
मृत्युञ्-जयः कृत्ति-वासाः पिनाकी प्रमथाधिपः ॥1.1.31.2॥
शब्दाः
शिवः. shiva (4) - मृत्युञ्जय (पुं), कृत्तिवासस् (पुं), पिनाकिन् (पुं), प्रमथाधिप (पुं) ॥1.1.31.2॥
मूलम्
उग्रः कपर्दी श्री-कण्ठः शिति-कण्ठः कपाल-भृत् ॥1.1.32.1॥
शब्दाः
शिवः. shiva (5) - उग्र (पुं), कपर्दिन् (पुं), श्रीकण्ठ (पुं), शितिकण्ठ (पुं), कपालभृत् (पुं) ॥1.1.32.1॥
मूलम्
वाम-देवो महा-देवो वि-रूपाऽऽक्षस् त्रि-लोचनः ॥1.1.32.2॥
शब्दाः
शिवः. shiva (4) - वामदेव (पुं), महादेव (पुं), विरूपाक्ष (पुं), त्रिलोचन (पुं) ॥1.1.32.2॥
मूलम्
कृशानु-रेताः सर्व-ज्ञो धूर्-जटिर् नील-लोहितः ॥1.1.33.1॥
शब्दाः
शिवः. shiva (4) - कृशानुरेतस् (पुं), सर्वज्ञ (पुं), धूर्जटि (पुं), नीललोहित (पुं) ॥1.1.33.1॥
मूलम्
हरः स्मर-हरो भर्गस् त्र्य्-अम्बकस् त्रि-पुराऽऽन्तकः ॥1.1.33.2॥
शब्दाः
शिवः. shiva (7) - हर (पुं), +[हार (पुं)], स्मरहर (पुं), भर्ग (पुं), +[भर्ग्य (पुं)], त्र्यम्बक (पुं), त्रिपुरान्तक (पुं) ॥1.1.33.2॥
मूलम्
गङ्गा-धरो ऽन्धक-रिपुः क्रतु-ध्वंसी वृष-ध्वजः ॥1.1.34.1॥
शब्दाः
शिवः. shiva (4) - गङ्गाधर (पुं), अन्धकरिपु (पुं), क्रतुध्वंसिन् (पुं), वृषध्वज (पुं) ॥1.1.34.1॥
मूलम्
व्योम-केशो भवो भीमः स्थाणू रुद्र उमा-पतिः ॥1.1.34.2॥
शब्दाः
शिवः. shiva (6) - व्योमकेश (पुं), भव (पुं), भीम (पुं), स्थाणु (पुं), रुद्र (पुं), उमापति (पुं) ॥1.1.34.2॥
मूलम्
अहिर्-बुध्न्यो ऽष्ट-मूर्तिश् च गजारिश् च महा-नटः ॥1.1.34.3॥
शब्दाः
शिवः. shiva (4) - अहिर्बुध्न्य (पुं), अष्टमूर्ति (पुं), गजारि (पुं), महानट (पुं) ॥1.1.34.3॥
मूलम्
कपर्दोऽस्य जटा-जूटः, पिनाको ऽज-गवं धनुः ॥1.1.35.1॥
शब्दाः
शिवस्य जटाबन्धः. shiva’s braided hair (2) - कपर्द (पुं), जटाजूट (पुं)
शिवधनुः. shiva’s bow (3) - पिनाक (पुं), अजगव (नपुं), +[अजकव (नपुं)] ॥1.1.35.1॥
मूलम्
प्रमथाः स्युः पारिषदा, ब्राह्मीत्य्-आद्यास् तु मातरः ॥1.1.35.2॥
शब्दाः
शिवानुचरः. shiva’s attendants (2) - प्रमथ (पुं), पारिषद (पुं) ॥1.1.35.2॥
शक्तिदेवताः
मूलम्
ब्राह्मी माहेश्वरी चैव कौमारी वैष्णवी तथा ॥1.1.35.3॥
शब्दाः
शक्तिदेवता. shakti (5) - ब्राह्मी (स्त्री), ब्रह्माणी (स्त्री), माहेश्वरी (स्त्री), कौमारी (स्त्री), वैष्णवी (स्त्री) ॥1.1.35.3॥
मूलम्
वारीही च तथेन्द्राणी चामुण्डा सप्त-मातरः ॥1.1.35.4॥
शब्दाः
शक्तिदेवता. shakti (3) - वाराही (स्त्री), इन्द्राणी (स्त्री), चामुण्डा (स्त्री) ॥1.1.35.4॥
मूलम्
विभूतिर् भूतिर् ऐश्वर्यम् अणिमाऽऽदिकम् अष्टधा ॥1.1.36.1॥
शब्दाः
अणुताद्यष्टविधप्रभावः. power (3) - विभूति (स्त्री), भूति (स्त्री), ऐश्वर्य (नपुं) ॥1.1.36.1॥
मूलम्
अणिमा महिमा चैव गरिमा लघिमा तथा ॥1.1.36.2॥
शब्दाः
सिद्धिः. siddhi (4) - अणिमन् (पुं), महिमन् (पुं), गरिमन् (पुं), लघिमन् (पुं) ॥1.1.36.2॥
मूलम्
प्राप्तिः प्राकाम्यम् ईशित्वं वशित्वं चाष्ट सिद्धयः ॥1.1.36.3॥
शब्दाः
सिद्धिः. siddhi (4) - प्राप्ति (स्त्री), प्राकाम्य (नपुं), ईशित्व (नपुं), वशित्व (नपुं) ॥1.1.36.3॥
उमा
मूलम्
उमा कात्यायनी गौरी काली हैमवतीश्वरी ॥1.1.36.4॥
शब्दाः
पार्वती. parvati (8) - उमा (स्त्री), कात्यायनी (स्त्री), गौरी (स्त्री), काली (स्त्री), +[काला (स्त्री)], हैमवती (स्त्री), ईश्वरी (स्त्री), +[ईश्वरा (स्त्री)] ॥1.1.36.4॥
मूलम्
शिवा भवानी रुद्राणी शर्वाणी सर्व-मङ्गला ॥1.1.37.1॥
शब्दाः
पार्वती. parvati (6) - शिवा (स्त्री), +[शिवी (स्त्री)], भवानी (स्त्री), रुद्राणी (स्त्री), शर्वाणी (स्त्री), सर्वमङ्गला (स्त्री) ॥1.1.37.1॥
मूलम्
अपर्णा पार्वती दुर्गा मृडानी चण्डिका ऽऽम्बिका ॥1.1.37.2॥
शब्दाः
पार्वती. parvati (6) - अपर्णा (स्त्री), पार्वती (स्त्री), दुर्गा (स्त्री), मृडानी (स्त्री), चण्डिका (स्त्री), अम्बिका (स्त्री) ॥1.1.37.2॥
मूलम्
आर्या दाक्षायणी चैव गिरिजा मेनकाऽऽत्मजा ॥1.1.37.3॥
शब्दाः
पार्वती. parvati (4) - आर्या (स्त्री), दाक्षायणी (स्त्री), गिरिजा (स्त्री), मेनकात्मजा (स्त्री) ॥1.1.37.3॥
मूलम्
सती च कालरात्री च भैरवी गणनायिका॥1.1.37.3b॥
शब्दाः
विस्तारः (द्रष्टुं नोद्यम्)
pdf1971 इत्यत्र विद्यते।
मूलम्
कर्ण-मोटी तु चामुण्डा चर्ममुण्डा तु चर्चिका ॥1.1.37.4॥
शब्दाः
चामुण्डा. (2) - कर्णमोटी (स्त्री), चामुण्डा (स्त्री)
चण्डिका. (3) - चर्ममुण्डा (स्त्री), चर्चिका (स्त्री), +[चण्डिका (स्त्री)] ॥1.1.37.4॥
विस्तारः (द्रष्टुं नोद्यम्)
pdf1971 इत्यत्र स्थानान्तरे विद्यते।
शिवगणाः
मूलम्
विनायको विघ्न-राज–द्वैमातुर-गणाधिपाः ॥1.1.38.1॥
शब्दाः
गणेशः. ganesha (4) - विनायक (पुं), विघ्नराज (पुं), द्वैमातुर (पुं), गणाधिप (पुं) ॥1.1.38.1॥
मूलम्
अप्य् एकदन्त-हेरम्ब-लम्बोदर-गजाननाः ॥1.1.38.2॥
शब्दाः
गणेशः. ganesha (4) - एकदन्त (पुं), हेरम्ब (पुं), लम्बोदर (पुं), गजानन (पुं) ॥1.1.38.2॥
मूलम्
कार्तिकेयो महा-सेनः शर-जन्मा षडाननः ॥1.1.39.1॥
शब्दाः
कार्तिकेयः. kartikeya (4) - कार्तिकेय (पुं), महासेन (पुं), शरजन्मन् (पुं), षडानन (पुं) ॥1.1.39.1॥
मूलम्
पार्वती-नन्दनः स्कन्दः सेनानीर् अग्नि-भूर् गुहः ॥1.1.39.2॥
शब्दाः
कार्तिकेयः. kartikeya (5) - पार्वतीनन्दन (पुं), स्कन्द (पुं), सेनानी (पुं), अग्निभू (पुं), गुह (पुं) ॥1.1.39.2॥
मूलम्
बाहुलेयस् तारक-जिद् वि-शाखः शिखि-वाहनः ॥1.1.40.1॥
शब्दाः
कार्तिकेयः. kartikeya (4) - बाहुलेय (पुं), तारकजित् (पुं), विशाख (पुं), शिखिवाहन (पुं) ॥1.1.40.1॥
मूलम्
षाण्मातुरः शक्ति-धरः कुमारः क्रौञ्च-दारणः ॥1.1.40.2॥
शब्दाः
कार्तिकेयः. kartikeya (4) - षाण्मातुर (पुं), शक्तिधर (पुं), कुमार (पुं), क्रौञ्चदारण (पुं) ॥1.1.40.2॥
मूलम्
शृङ्गी भृङ्गी रिटिस् तुण्डी नन्दिको नन्दिकेश्वरः ॥1.1.40.3॥
शब्दाः
नन्दिः. nandi (6) - शृङ्गिन् (पुं), भृङ्गिन् (पुं), रिटि (पुं), तुण्डिन् (पुं), नन्दिक (पुं), नन्दिकेश्वर (पुं) ॥1.1.40.3॥
इन्द्रः
मूलम्
इन्द्रो मरुत्वान् मघवा बिडौजाः पाक-शासनः ॥1.1.41.1॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (5) - इन्द्र (पुं), मरुत्वत् (पुं), मघवन् (पुं), बिडौजस् (पुं), पाकशासन (पुं) ॥1.1.41.1॥
मूलम्
वृद्ध-श्रवाः सुना-सीरः पुरुहूतः पुरन्-दरः ॥1.1.41.2॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (6) - वृद्धश्रवस् (पुं), सुनासीर (पुं), +[शुनासीर (पुं)], +[सुनाशीर (पुं)], पुरुहूत (पुं), पुरन्दर (पुं) ॥1.1.41.2॥
मूलम्
जिष्णुर् लेखर्षभः शक्रः शत-मन्युर् दिवस्-पतिः ॥1.1.42.1॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (5) - जिष्णु (पुं), लेखर्षभ (पुं), शक्र (पुं), शतमन्यु (पुं), दिवस्पति (पुं) ॥1.1.42.1॥
मूलम्
सुत्रामा गोत्र-भिद् वज्री वासवो वृत्र-हा वृषा ॥1.1.42.2॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (6) - सुत्रामन् (पुं), गोत्रभिद् (पुं), वज्रिन् (पुं), वासव (पुं), वृत्रहन् (पुं), वृषन् (पुं) ॥1.1.42.2॥
मूलम्
वास्तोष्-पतिः सुर-पतिर् बलाऽऽरातिः शची-पतिः ॥1.1.43.1॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (4) - वास्तोष्पति (पुं), सुरपति (पुं), बलाराति (पुं), शचीपति (पुं) ॥1.1.43.1॥
मूलम्
जम्भ-भेदी हरि-हयः स्वाराण् नमुचि-सूदनः ॥1.1.43.2॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (4) - जम्भभेदिन् (पुं), हरिहय (पुं), स्वाराज् (पुं), नमुचिसूदन (पुं) ॥1.1.43.2॥
मूलम्
संक्रन्दनो दुश्-च्यवनस् तुराषाण्-मेघ-वाहनः ॥1.1.44.1॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (4) - सङ्क्रन्दन (पुं), दुश्च्यवन (पुं), तुराषाट् (पुं), मेघवाहन (पुं) ॥1.1.44.1॥
मूलम्
आ-खण्डलः सहस्राक्ष ऋभुक्षास् तस्य तु प्रिया ॥1.1.44.2॥
शब्दाः
इन्द्रः. indra (3) - आखण्डल (पुं), सहस्राक्ष (पुं), ऋभुक्षन् (पुं) ॥1.1.44.2॥
मूलम्
पुलोम-जा शचीन्द्राणी नगरी त्व् अमरावती ॥1.1.45.1॥
शब्दाः
शची. shachi (4) - पुलोमजा (स्त्री), शची (स्त्री), +[सची (स्त्री)], इन्द्राणी (स्त्री)
इन्द्रपुरः. indra’s city (1) - अमरावती (स्त्री) ॥1.1.45.1॥
मूलम्
हय उच्चैः-श्रवाः सूतो मातलिर् नन्दनं वनम् ॥1.1.45.2॥
शब्दाः
इन्द्राश्वः. indra’s horse (1) - उच्चैःश्रवस् (पुं)
इन्द्रसारथिः. indra’s charioteer (1) - मातलि (पुं)
इन्द्रवनम्. indra’s garden (1) - नन्दन (नपुं) ॥1.1.45.2॥
मूलम्
स्यात् प्रासादो वैजयन्तो जयन्तः पाकशासनिः ॥1.1.46.1॥
शब्दाः
इन्द्रगृहम्. indra’s palace (1) - वैजयन्त (पुं)
जयन्तः. jayanta (2) - जयन्त (पुं), पाकशासनि (पुं) ॥1.1.46.1॥
मूलम्
ऐरावतो ऽभ्र-मातङ्गैरावणाभ्रमु-वल्लभाः ॥1.1.46.2॥
शब्दाः
इन्द्रहस्तिः. indra’s elephant (4) - ऐरावत (पुं), अभ्रमातङ्ग (पुं), ऐरावण (पुं), अभ्रमुवल्लभ (पुं) ॥1.1.46.2॥
मूलम्
ह्रादिनी वज्रम् अ-स्त्री स्यात् कुलिशं भिदुरं पविः ॥1.1.47.1॥
शब्दाः
इन्द्रस्य वज्रायुधम्. indra’s thunderbolt (6) - ह्रादिनी (स्त्री), वज्र (पुं-नपुं), कुलिश (पुं-नपुं), भिदुर (नपुं), +[भिदिर (नपुं)], पवि (पुं) ॥1.1.47.1॥
मूलम्
शत-कोटिः स्वरुः शम्बो दम्भोलिर् अशनिर् द्वयोः ॥1.1.47.2॥
शब्दाः
इन्द्रस्य वज्रायुधम्. indra’s thunderbolt (8) - शतकोटि (पुं), स्वरु (पुं), +[स्वरुस् (पुं)], शम्ब (पुं), +[सम्ब (पुं)], +[शम्व (पुं)], दम्भोलि (पुं), अशनि (स्त्री-पुं) ॥1.1.47.2॥
मूलम्
व्योम-यानं विमानोऽस्त्री, नारदाद्याः सुरर्षयः ॥1.1.48.1॥
शब्दाः
देवरथः. indra’s chariot (2) - व्योमयान (नपुं), विमान (पुं-नपुं)
देवर्षिः. divine sage (1) - नारद (पुं) ॥1.1.48.1॥
मूलम्
स्यात् सुधर्मा देव-सभा पीयूषम् अमृतं सुधा ॥1.1.48.2॥
शब्दाः
देवसभा. divine assembly (2) - सुधर्मा (स्त्री), देवसभा (स्त्री)
अमृतम्. nectar (4) - पीयूष (नपुं), +[पेयूष (नपुं)], अमृत (नपुं), सुधा (स्त्री) ॥1.1.48.2॥
द्युभूविशेषाः
मूलम्
मन्दाकिनी वियद्-गङ्गा स्वर्-णदी सुर-दीर्घिका ॥1.1.49.1॥
शब्दाः
देवगङ्गा. divine ganga (4) - मन्दाकिनी (स्त्री), वियद्गङ्गा (स्त्री), स्वर्णदी (स्त्री), सुरदीर्घिका (स्त्री) ॥1.1.49.1॥
मूलम्
मेरुः सुमेरुर् हेमाद्री रत्न-सानुः सुरालयः ॥1.1.49.2॥
शब्दाः
मेरुपर्वतः. meru mountain (5) - मेरु (पुं), सुमेरु (पुं), हेमाद्रि (पुं), रत्नसानु (पुं), सुरालय (पुं) ॥1.1.49.2॥
मूलम्
पञ्चैते देव-तरवो - मन्दारः पारिजातकः ॥1.1.50.1॥
शब्दाः
देववृक्षः. celestial tree (3) - देवतरु (पुं), मन्दार (पुं), पारिजातक (पुं) ॥1.1.50.1॥
मूलम्
सन्तानः कल्प-वृक्षश् च पुंसि वा हरि-चन्दनम् ॥1.1.50.2॥
शब्दाः
देववृक्षः. celestial tree (3) - सन्तान (पुं), कल्पवृक्ष (पुं), हरिचन्दन (पुं-नपुं) ॥1.1.50.2॥
द्युनागरीकाः
मूलम्
सनत्-कुमारो वैधात्रः स्वर्-वैद्याव् अश्विनी-सुतौ ॥1.1.51.1॥
शब्दाः
सनत्कुमारः. sanatkumara (3) - सनत्कुमार (पुं), +[सनात्कुमार (पुं)], वैधात्र (पुं)
अश्विनीकुमारौ. ashvini twins (2) - स्वर्वैद्य (पुं), अश्विनीसुत (पुं) ॥1.1.51.1॥
मूलम्
नासत्याव् अश्विनौ दस्राव् आश्विनेयौ च ताव् उभौ ॥1.1.51.2॥
शब्दाः
अश्विनीकुमारौ. ashvini twins (4) - नासत्यौ (पुं-द्वि), अश्विनौ (पुं-द्वि), दस्रौ (पुं-द्वि), आश्विनेयौ (पुं-द्वि) ॥1.1.51.2॥
मूलम्
स्त्रियां बहुष्व् अप्सरसः स्वर्-वेश्या उर्वशी-मुखाः ॥1.1.52.1॥
शब्दाः
अप्सरस्. nymph (2) - अप्सरस् (स्त्री-बहु), स्वर्वेश्या (स्त्री) ॥1.1.52.1॥
मूलम्
घृताची मेनका रम्भा उर्वशी च तिलोत्तमा ॥1.1.52.2॥
शब्दाः
घृताचीनामाप्सरा. nymph (1) - घृताची (स्त्री)
मेनकानामाप्सरा. nymph (1) - मेनका (स्त्री)
रम्भानामाप्सरा. nymph (1) - रम्भा (स्त्री)
उर्वशीनामाप्सरा. nymph (1) - उर्वशी (स्त्री)
तिलोत्तमानामाप्सरा. nymph (1) - तिलोत्तमा (स्त्री) ॥1.1.52.2॥
मूलम्
सुकेशी-मञ्जुघोषाद्याः कथ्यन्ते ऽप्सरसो बुधैः ॥1.1.52.3॥
शब्दाः
सुकेशीनामाप्सरा. nymph (1) - सुकेशी (स्त्री)
मञ्जुघोषानामाप्सरा. nymph (1) - मञ्जुघोषा (स्त्री) ॥1.1.52.3॥
मूलम्
हाहा हूहूश् चैवम्-आद्या गन्धर्वास् त्रि-दिवौकसाम् ॥1.1.52.4॥
शब्दाः
हाहानामदेवगायकः. celestial musician (2) - हाहा (पुं), +[हहा (पुं)]
हूहूनामदेवगायकः. celestial musician (1) - हूहू (पुं)
देवगायकः. celestial musician (1) - गन्धर्व (पुं) ॥1.1.52.4॥
अग्निः
मूलम्
अग्निर् वैश्वानरो वह्निर् वीति-होत्रो धनञ्-जयः ॥1.1.53.1॥
शब्दाः
अग्निः. fire (5) - अग्नि (पुं), वैश्वानर (पुं), वह्नि (पुं), वीतिहोत्र (पुं), धनञ्जय (पुं) ॥1.1.53.1॥
मूलम्
कृपीट+++(=अरणि)+++-योनिर् ज्वलनो जात-वेदास् तनूनपात् ॥1.1.53.2॥
शब्दाः
अग्निः. fire (4) - कृपीटयोनि (पुं), ज्वलन (पुं), जातवेदस् (पुं), तनूनपात् (पुं) ॥1.1.53.2॥
मूलम्
बर्हिः(-)शुष्मा कृष्ण-वर्त्मा शोचिष्-केश उषर्-बुधः+++(←उषसि बुध्यति)+++ ॥1.1.54.1॥
शब्दाः
अग्निः. fire (7) - बर्हिस् (पुं), +[बर्हि (पुं)], शुष्मन् (पुं), +[बर्हिःशुष्मन् (पुं)], कृष्णवर्त्मन् (पुं), शोचिष्केश (पुं), उषर्बुध (पुं) ॥1.1.54.1॥
मूलम्
आश्रयाशो बृहद्-भानुः कृशानुः पावको ऽनलः ॥1.1.54.2॥
शब्दाः
अग्निः. fire (6) - आश्रयाश (पुं), +[आशयाश (पुं)], बृहद्भानु (पुं), कृशानु (पुं), पावक (पुं), अनल (पुं) ॥1.1.54.2॥
मूलम्
रोहिताश्वो वायु-सखः शिखावान् आशु-शुक्षणिः ॥1.1.55.1॥
शब्दाः
अग्निः. fire (5) - रोहिताश्व (पुं), +[लोहिताश्व (पुं)], वायुसख (पुं), शिखावत् (पुं), आशुशुक्षणि (पुं) ॥1.1.55.1॥
मूलम्
हिरण्य-रेता हुतभुग् दहनो हव्य-वाहनः ॥1.1.55.2॥
शब्दाः
अग्निः. fire (4) - हिरण्यरेतस् (पुं), हुतभुज् (पुं), दहन (पुं), हव्यवाहन (पुं) ॥1.1.55.2॥
मूलम्
सप्तार्चिर् दमुनाः+++(←दमु उपशमे)+++ शुक्रश् चित्रभानुर् विभावसुः ॥1.1.56.1॥
शब्दाः
अग्निः. fire (7) - सप्तार्चिस् (पुं), +[सप्तार्चिस् (पुं)], दमुनस् (पुं), +[दमूनस् (पुं)], शुक्र (पुं), चित्रभानु (पुं), विभावसु (पुं) ॥1.1.56.1॥
मूलम्
शुचिर् अप्-पित्तम् और्वस् तु वाडवो वडवानलः ॥1.1.56.2॥
शब्दाः
अग्निः. fire (2) - शुचि (पुं), अप्पित्त (नपुं)
बडवाग्निः. submarine fire (4) - और्व (पुं), +[ऊर्व (पुं)], वाडव (पुं), वडवानल (पुं) ॥1.1.56.2॥
मूलम्
वह्नेर् द्वयोर् ज्वाल-कीलाव् अर्चिर् हेतिः शिखा स्त्रियाम् ॥1.1.57.1॥
शब्दाः
अग्निज्वाला. flame (6) - ज्वाला (स्त्री-पुं), कीला (स्त्री-पुं), अर्चिस् (स्त्री), +[अर्चि (न)], हेति (स्त्री), शिखा (स्त्री) ॥1.1.57.1॥
मूलम्
त्रिषु स्फुलिङ्गो ऽग्नि-कणः सन्तापः सञ्ज्वरः समौ ॥1.1.57.2॥
शब्दाः
अग्निकणः. spark (2) - स्फुलिङ्ग (वि), अग्निकण (पुं)
अग्नितापः. burn (2) - सन्ताप (पुं), सञ्ज्वर (पुं) ॥1.1.57.2॥
मूलम्
उल्का स्यान् निर्गत-ज्वाला भूतिर् भसित-भस्मनी ॥1.1.57.3॥
शब्दाः
अग्नेः निर्गतज्वाला. firebrand (2) - उल्का (स्त्री), निर्गतज्वाला (स्त्री-पुं)
भस्मन्. ash (3) - भूति (स्त्री), भसित (नपुं), भस्मन् (नपुं) ॥1.1.57.3॥
मूलम्
क्षारो रक्षा च दावस् तु दवो वन-हुताशनः ॥1.1.57.4॥
शब्दाः
भस्मन्. ash (2) - क्षार (पुं), रक्षा (स्त्री)
वनवह्निः. forest fire (3) - दाव (पुं), दव (पुं), वनहुताशन (पुं) ॥1.1.57.4॥
यमः
मूलम्
धर्म-राजः पितृ-पतिः सम-वर्ती परेत-राट् ॥1.1.58.1॥
शब्दाः
यमः. yama (4) - धर्मराज (पुं), पितृपति (पुं), समवर्तिन् (पुं), परेतराज् (पुं) ॥1.1.58.1॥
मूलम्
कृतान्तो यमुना-भ्राता शमनो यम-राड् यमः ॥1.1.58.2॥
शब्दाः
यमः. yama (5) - कृतान्त (पुं), यमुनाभ्रातृ (पुं), शमन (पुं), यमराज् (पुं), यम (पुं) ॥1.1.58.2॥
मूलम्
कालो दण्डधरः श्राद्धदेवो वैवस्वतोऽन्तकः ॥1.1.59.1॥
शब्दाः
यमः. yama (5) - काल (पुं), दण्डधर (पुं), श्राद्धदेव (पुं), वैवस्वत (पुं), अन्तक (पुं) ॥1.1.59.1॥
राक्षसः
मूलम्
राक्षसः कौणपः क्रव्यात् क्रव्यादो ऽस्र-प आशरः+++(←शॄ हिंसायाम्)+++ ॥1.1.59.2॥
शब्दाः
राक्षसः. rakshasa (8) - राक्षस (पुं), कौणप (पुं), क्रव्याद् (पुं), क्रव्याद (पुं), अस्रप (पुं), +[अश्रप (पुं)], आशर (पुं), +[आशिर (पुं)] ॥1.1.59.2॥
मूलम्
रात्रिञ्चरो रात्रिचरः कर्बुरो निकषात्मजः ॥1.1.60.1॥
शब्दाः
राक्षसः. rakshasa (5) - रात्रिञ्चर (पुं), रात्रिचर (पुं), कर्बुर (पुं), +[कर्बर (पुं)], निकषात्मज (पुं) ॥1.1.60.1॥
मूलम्
यातु-धानः पुण्य-जनो नैर्ऋतो यातु-रक्षसी ॥1.1.60.2॥
शब्दाः
राक्षसः. rakshasa (6) - यातुधान (पुं), +[जातुधान (पुं)], पुण्यजन (पुं), नैरृत (पुं), यातु (नपुं), रक्षस् (पुं) ॥1.1.60.2॥
वरुण-वायू
मूलम्
प्रचेता वरुणः पाशी यादसां-पतिर् अप्-पतिः ॥1.1.61.1॥
शब्दाः
वरुणः. varuna (6) - प्रचेतस् (पुं), वरुण (पुं), +[वरण (पुं)], पाशिन् (पुं), यादसाम्पति (पुं), अप्पति (पुं) ॥1.1.61.1॥
मूलम्
श्वसनः स्पर्शनो वायुर् मातरिश्वा सदा-गतिः ॥1.1.61.2॥
शब्दाः
वायुः. wind (5) - श्वसन (पुं), स्पर्शन (पुं), वायु (पुं), मातरिश्वन् (पुं), सदागति (पुं) ॥1.1.61.2॥
मूलम्
पृषद्-अश्वो गन्ध-वहो गन्ध-वाहानिलाऽऽशुगाः ॥1.1.62.1॥
शब्दाः
वायुः. wind (5) - पृषदश्व (पुं), गन्धवह (पुं), गन्धवाह (पुं), अनिल (पुं), आशुग (पुं) ॥1.1.62.1॥
मूलम्
समीर–मारुत–मरुज्–जगत्-प्राण–समीरणाः ॥1.1.62.2॥
शब्दाः
वायुः. wind (5) - समीर (पुं), मारुत (पुं), मरुत् (पुं), जगत्प्राण (पुं), समीरण (पुं) ॥1.1.62.2॥
मूलम्
नभस्वद्-वात-पवन-पवमान-प्रभञ्जनाः ॥1.1.63.1॥
शब्दाः
वायुः. wind (6) - नभस्वत् (पुं), वात (पुं), +[वाति (पुं)], पवन (पुं), पवमान (पुं), प्रभञ्जन (पुं) ॥1.1.63.1॥
मूलम्
प्रकम्पनो महा-वातो झञ्झा-वातः स-वृष्टिकः ॥1.1.63.2॥
शब्दाः
महावायुः. great wind (2) - प्रकम्पन (पुं), महावात (पुं)
सवृष्टिकः वायुः. rainy wind (1) - झञ्झावात (पुं) ॥1.1.63.2॥
प्राणाः
मूलम्
प्राणोऽपानः समानश् चोदान-व्यानौ च वायवः ॥1.1.63.3॥
शब्दाः
शरीरवायुः. prana (5) - प्राण (पुं), अपान (पुं), समान (पुं), उदान (पुं), व्यान (पुं) ॥1.1.63.3॥
मूलम्
हृदि प्राणो गुदेऽपानः समानो नाभि-मण्डले ॥1.1.63.4॥
उदानः कण्ठ-देशे स्याद् व्यानः सर्व-शरीरगः ॥1.1.63.5॥
(अन्न-प्रवेशनं मूत्राद्य्-उत्सर्गो ऽन्न-विपाचनम्) ॥1.1.63.6॥
(भाषणादि निमेषादि तद्-व्यापाराः क्रमाद् अमी) ॥1.1.63.7॥
वेगादिकम्
मूलम्
शरीर-स्था इमे रंहस्-तरसी तु रयः स्यदः ॥1.1.64.1॥
शब्दाः
वेगः. speed (4) - रंहस् (नपुं), तरस् (नपुं), रय (पुं), स्यद (पुं) ॥1.1.64.1॥
मूलम्
जवोऽथ शीघ्रं त्वरितं लघु क्षिप्रमरं द्रुतम् ॥1.1.64.2॥
शब्दाः
वेगः. speed (1) - जव (पुं)
शीघ्रम्. switfly (6) - शीघ्र (नपुं), त्वरित (नपुं), लघु (नपुं), क्षिप्र (नपुं), अर (नपुं), द्रुत (नपुं) ॥1.1.64.2॥
मूलम्
सत्वरं चपलं तूर्णम् अविलम्बितम् आशु च ॥1.1.65.1॥
शब्दाः
शीघ्रम्. switfly (5) - सत्वर (नपुं), चपल (नपुं), तूर्ण (नपुं), अविलम्बित (नपुं), आशु (नपुं) ॥1.1.65.1॥
मूलम्
सतत+अनारत+अश्रान्त-सन्तत+अविरत+अनिशम् ॥1.1.65.2॥
शब्दाः
अविरतम्. continuous (6) - सतत (नपुं), अनारत (नपुं), अश्रान्त (नपुं), सन्तत (नपुं), अविरत (नपुं), अनिश (नपुं) ॥1.1.65.2॥
मूलम्
नित्य+अनवरत+अजस्रम् अप्य् अथातिशयो भरः ॥1.1.66.1॥
शब्दाः
अविरतम्. continuous (3) - नित्य (नपुं), अनवरत (नपुं), अजस्र (नपुं)
अतिशयः. excessive (2) - अतिशय (पुं), भर (पुं) ॥1.1.66.1॥
मूलम्
अतिवेल-भृश+अत्यर्थ+अतिमात्र+उद्गाढ-निर्भरम् ॥1.1.66.2॥
शब्दाः
अतिशयः. excessive (6) - अतिवेल (नपुं), भृश (नपुं), अत्यर्थ (नपुं), अतिमात्र (नपुं), उद्गाढ (नपुं), निर्भर (नपुं) ॥1.1.66.2॥
मूलम्
तीव्रैकान्त-नितान्तानि गाढ-बाढ-दृढानि च ॥1.1.67.1॥
शब्दाः
अतिशयः. excessive (6) - तीव्र (नपुं), एकान्त (नपुं), नितान्त (नपुं), गाढ (नपुं), बाढ (नपुं), दृढ (नपुं) ॥1.1.67.1॥
मूलम्
क्लीबे शीघ्राद्य् असत्त्वे स्यात् त्रिष्व् एषां सत्त्व-गामि यत् ॥1.1.67.2॥
कुबेरः
मूलम्
कुबेरस् त्र्यम्बक-सखो यक्ष-राड् गुह्यकेश्वरः ॥1.1.68.1॥
शब्दाः
कुबेरः. kubera (4) - कुबेर (पुं), त्र्यम्बकसख (पुं), यक्षराज् (पुं), गुह्यकेश्वर (पुं) ॥1.1.68.1॥
मूलम्
मनुष्य-धर्मा धनदो राज-राजो धनाधिपः ॥1.1.68.2॥
शब्दाः
कुबेरः. kubera (4) - मनुष्यधर्मन् (पुं), धनद (पुं), राजराज (पुं), धनाधिप (पुं) ॥1.1.68.2॥
मूलम्
किन्नरेशो वैश्रवणः पौलस्त्यो नर-वाहनः ॥1.1.69.1॥
शब्दाः
कुबेरः. kubera (4) - किन्नरेश (पुं), वैश्रवण (पुं), पौलस्त्य (पुं), नरवाहन (पुं) ॥1.1.69.1॥
मूलम्
यक्ष+एक-पिङ्ग+ऐलविल-श्रीद–पुण्य-जनेश्वराः ॥1.1.69.2॥
शब्दाः
कुबेरः. kubera (7) - यक्ष (पुं), एकपिङ्ग (पुं), ऐलविल (पुं), +[ऐडविल (पुं)], +[ऐडविड (पुं)], श्रीद (पुं), पुण्यजनेश्वर (पुं) ॥1.1.69.2॥
मूलम्
अस्योद्यानं चैत्ररथं पुत्रस् तु नलकूबरः ॥1.1.70.1॥
शब्दाः
कुबेरस्य उद्यानम्. kubera’s garden (1) - चैत्ररथ (नपुं)
नलकूबरः. kubera’s son (1) - नलकूबर (पुं) ॥1.1.70.1॥
मूलम्
कैलासः स्थानम्, अलका पूर्, विमानं तु पुष्पकम् ॥1.1.70.2॥
शब्दाः
कुबेरस्थानम्. kubera’s town (1) - कैलास (पुं)
कुबेरपुरी. kubera’s city (1) - अलका (स्त्री)
कुबेरविमानम्. kubera’s vehicle (1) - पुष्पक (पुं-नपुं) ॥1.1.70.2॥
मूलम्
स्यात् किन्नरः किम्प-ुरुषस् तुरङ्ग-वदनो मयुः ॥1.1.71.1॥
शब्दाः
किन्नरः. kinnara (4) - किन्नर (पुं), किम्पुरुष (पुं), तुरङ्गवदन (पुं), मयु (पुं) ॥1.1.71.1॥
निधिः
मूलम्
निधिर् ना+++(=पुमान्)+++, शेवधिर्, भेदाः पद्म-शङ्खादयो निधेः ॥1.1.71.2॥
शब्दाः
सामान्यनिधिः. treasure (2) - निधि (पुं), शेवधि (पुं)
विशेषनिधिः. treasure (2) - पद्म (पुं-नपुं), शङ्ख (पुं-नपुं) ॥1.1.71.2॥
मूलम्
महा-पद्मश् च पद्मश् च शङ्खो मकर-कच्छपौ ॥1.1.71.3॥
शब्दाः
विशेषनिधिः. treasure (5) - महापद्म (पुं), पद्म (पुं-नपुं), शङ्ख (पुं-नपुं), मकर (पुं), कच्छप (पुं) ॥1.1.71.3॥
मूलम्
मुकुन्द-कुन्द-नीलाश् च खर्वश् च निधयो नव ॥1.1.71.4॥
शब्दाः
विशेषनिधिः. treasure (4) - मुकुन्द (पुं), कुन्द (पुं), नील (पुं), खर्व (पुं) ॥1.1.71.4॥