1970 Interview

  • प्रश्न :- इस देश के साथ तथा यहां की संस्कृति से एकरूप होने के लिए मुसलमानों को शिक्षित कौन करेगा ?
    • श्रीगुरुजी :- आप, हम और हम सभी।
  • प्रश्न :- उन्हें मनवाने के लिए क्या करें ? ठोक-पीट करें ?
    • श्रीगरुजी :- ताड़ना देना भी दो प्रकार का होता है। माँ अपने बच्चों का पीटती है और दूसरी ओर दुश्मन किसी व्यक्ति को पीटता है। हमने अब तक का ङ्केमारपीट नहीं की है किस्त यदि और जब ताना मारा शिक्षा देनी ही होगी। ता पर मां की ममता में बच्चे की भलाई के लिये की गई बात जैसी ही होगी।
  • प्रश्न :-आप सदैव हिन्दुओं की बात ही क्यों करते हैं ? ‘इण्डियन’ क्यों र मसलमानों को आप क्यों नहीं अपने कार्य में सम्मिलित करते ?
    • श्रीगरुजी :- महात्मा गांधीजी के कार्यकाल में हिन्दु बहुत अंशों में हिन्दुस्तानी बन गया था। किन्तु क्या मुसलमान ने भी उनकी ओर ध्यान दिया ? क्या मसलमान हिन्दुस्तानी बना? इसके विपरीत मौलाना मोहम्मद अली ने मुह फेरकर घोषणा की कि खराब मुसलमान भी भले से भले याने महात्मा गान्धीसहित किसी भी हिन्दु से कहीं अच्छा है। उसके बाद प्रायः सभी राजनीतिक दल मुसलमानों के समूह-वोट पाने के लिये, उनके पृथकत्व को बनाये रखने के लिये ही उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं। क्या उन्हें हिन्दुस्तानी बनाने का यही तरीका है ? हमें इतिहास को ठीक प्रकार से पढ़ना चाहिये। हमें इतनी वयस्कता प्राप्त करनी ही चाहिये कि हम इतिहास को ठीक प्रकार से परख सकें। मैं केवल हिन्दु-संगठनके कार्य से सम्बन्धित हूं, मुस्लिम से नहीं। मेरा कार्य है हिन्दुओं को संगठित करना।
  • प्रश्न :- यह सत्य है कि कुछ मुसलमानों ने भारत विभाजन का समर्थन किया, कन्तु क्या इसमें सब मसलमानों का दोष है? कई मुसलमान पछता रहे हैं। क्यों न पाकिस्तान बनने की घटना को भुला दिया जाये?
    • श्रीगुरुजी :- हम ऐसा नहीं कर सकते । भारत-विभाजन की घटना को मुसलमान आन्तम घटना के रूप में नहीं देखता। वह इसे केवल आगे बढ़ने के लिये पहला कदम मानता है ।